अधिसूचनाएं - विनियमन वाणिज्यिक बैंकिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
अधिसूचनाएं
आरबीआई/2023-24/56 विवि.एएमएल.आरईसी.33/14.06.001/2023-24 18 अगस्त 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय,
आरबीआई/2023-24/56 विवि.एएमएल.आरईसी.33/14.06.001/2023-24 18 अगस्त 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय,
आरबीआई/2023-24/53
विवि.एमसीएस.आरईसी.28/01.01.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंकों को छोड़कर, लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
सभी एनबीएफसी (एचएफसी सहित) और
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और एनएबीएफआईडी)
महोदया/ महोदय,
उचित उधार प्रथा - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क
दंडात्मक ब्याज के प्रकटीकरण में तर्कसंगतता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। वर्तमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत, ऋण देने वाली संस्थाओं के पास ब्याज की दंडात्मक दरें लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की परिचालन स्वायत्तता है। यह पाया गया है कि कई आरई, ऐसी शर्तें जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं, उधारकर्ता द्वारा उनकी चूक/गैर-अनुपालन किए जाने के मामले में, लागू ब्याज दरों के अलावा, दंडात्मक ब्याज दरों का प्रयोग कर रही हैं।
2. दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने का इरादा अनिवार्य रूप से ऋण अनुशासन की भावना निर्माण करना है, न की ऐसे शुल्क ब्याज की अनुबंधित दर से अधिक राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए है। हालाँकि, पर्यवेक्षी समीक्षाओं में दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने संबंध में आरई द्वारा भिन्न प्रथाएं जिनसे ग्राहकों में शिकायतें और विवाद उत्पन्न होते हैं के उदाहरण मिले हैं।
3. ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क वसूलने के लिए आरई द्वारा अपनाई गई प्रथाओं की समीक्षा करने पर, अपनाए जाने हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं: -
(i) उधारकर्ता द्वारा ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का अनुपालन न करने पर कोई दंड, यदि लगाया जाता है, तो उसे 'दंडात्मक शुल्क' के रूप में माना जाएगा, और इसे 'दंडात्मक ब्याज' के रूप में नहीं लगाया जाएगा, जो अग्रिमों पर लगाए गए ब्याज की दर में जोड़ा जाता है। दंडात्मक शुल्कों का कोई पूंजीकरण नहीं किया जाएगा अर्थात ऐसे शुल्कों पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाएगा। हालाँकि, इससे ऋण खाते में ब्याज चक्रवृद्धि की सामान्य प्रक्रियाएँ प्रभावित नहीं होंगी।
(ii) आरई द्वारा ब्याज दर में कोई अतिरिक्त घटक शामिल नहीं किए जाएंगे और इन दिशानिर्देशों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
(iii) आरई को दंडात्मक शुल्क अथवा ऋण पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी।
(iv) दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और किसी विशेष ऋण/उत्पाद श्रेणी के भीतर भेदभाव किए बिना ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के अनुपालन न करने के अनुरूप होगी।
(v) 'व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को, व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए' स्वीकृत किए गए ऋणों के मामले में दंडात्मक शुल्क, महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के समान गैर-अनुपालन के लिए गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक शुल्क से अधिक नहीं होगा।
आरबीआई/2023-24/53
विवि.एमसीएस.आरईसी.28/01.01.001/2023-24
18 अगस्त 2023
सभी वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंकों को छोड़कर, लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
सभी एनबीएफसी (एचएफसी सहित) और
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और एनएबीएफआईडी)
महोदया/ महोदय,
उचित उधार प्रथा - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क
दंडात्मक ब्याज के प्रकटीकरण में तर्कसंगतता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं (आरई) के लिए विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। वर्तमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत, ऋण देने वाली संस्थाओं के पास ब्याज की दंडात्मक दरें लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की परिचालन स्वायत्तता है। यह पाया गया है कि कई आरई, ऐसी शर्तें जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं, उधारकर्ता द्वारा उनकी चूक/गैर-अनुपालन किए जाने के मामले में, लागू ब्याज दरों के अलावा, दंडात्मक ब्याज दरों का प्रयोग कर रही हैं।
2. दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने का इरादा अनिवार्य रूप से ऋण अनुशासन की भावना निर्माण करना है, न की ऐसे शुल्क ब्याज की अनुबंधित दर से अधिक राजस्व वृद्धि उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए है। हालाँकि, पर्यवेक्षी समीक्षाओं में दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने संबंध में आरई द्वारा भिन्न प्रथाएं जिनसे ग्राहकों में शिकायतें और विवाद उत्पन्न होते हैं के उदाहरण मिले हैं।
3. ऋणों पर दंडात्मक ब्याज/शुल्क वसूलने के लिए आरई द्वारा अपनाई गई प्रथाओं की समीक्षा करने पर, अपनाए जाने हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं: -
(i) उधारकर्ता द्वारा ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का अनुपालन न करने पर कोई दंड, यदि लगाया जाता है, तो उसे 'दंडात्मक शुल्क' के रूप में माना जाएगा, और इसे 'दंडात्मक ब्याज' के रूप में नहीं लगाया जाएगा, जो अग्रिमों पर लगाए गए ब्याज की दर में जोड़ा जाता है। दंडात्मक शुल्कों का कोई पूंजीकरण नहीं किया जाएगा अर्थात ऐसे शुल्कों पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाएगा। हालाँकि, इससे ऋण खाते में ब्याज चक्रवृद्धि की सामान्य प्रक्रियाएँ प्रभावित नहीं होंगी।
(ii) आरई द्वारा ब्याज दर में कोई अतिरिक्त घटक शामिल नहीं किए जाएंगे और इन दिशानिर्देशों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
(iii) आरई को दंडात्मक शुल्क अथवा ऋण पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करनी होगी।
(iv) दंडात्मक शुल्क की मात्रा उचित होगी और किसी विशेष ऋण/उत्पाद श्रेणी के भीतर भेदभाव किए बिना ऋण अनुबंध के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के अनुपालन न करने के अनुरूप होगी।
(v) 'व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को, व्यवसाय के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए' स्वीकृत किए गए ऋणों के मामले में दंडात्मक शुल्क, महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के समान गैर-अनुपालन के लिए गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक शुल्क से अधिक नहीं होगा।
संदर्भ.संख्या एमपीडी.बीसी.244/07.01.279/2003-04 5 नवंबर 2003 कार्तिक 14, 1925 (सं) सभी प्राथमिक डीलर महोदय प्राथमिक डीलरों की कॉल/नोटिस मनी मार्केट तक पहुंच कृपया गवर्नर के पत्र सं एमपीडी.बीसी.241/07.01.279/2003-04 दिनांक 3 नवंबर 2003 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा पर उनके वक्तव्य के पैराग्राफ 62 और 63 (पैराग्राफ की प्रति संलग्न) देखें। 2. यह पुनर्स्मरण किया जाए कि अप्रैल 2002 के वार्षिक नीति वक्तव्य के बाद, जुलाई 2002 में यह
संदर्भ.संख्या एमपीडी.बीसी.244/07.01.279/2003-04 5 नवंबर 2003 कार्तिक 14, 1925 (सं) सभी प्राथमिक डीलर महोदय प्राथमिक डीलरों की कॉल/नोटिस मनी मार्केट तक पहुंच कृपया गवर्नर के पत्र सं एमपीडी.बीसी.241/07.01.279/2003-04 दिनांक 3 नवंबर 2003 के साथ संलग्न वर्ष 2003-04 के लिए मौद्रिक और ऋण नीति की मध्यावधि समीक्षा पर उनके वक्तव्य के पैराग्राफ 62 और 63 (पैराग्राफ की प्रति संलग्न) देखें। 2. यह पुनर्स्मरण किया जाए कि अप्रैल 2002 के वार्षिक नीति वक्तव्य के बाद, जुलाई 2002 में यह
आरबीआई/2023-24/52
विवि.आरईटी.आरईसी.29/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक /
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) के अंतर्गत, सभी अनुसूचित बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक में निवल मांग और आवधिक देयताओं (एनडीटीएल) का 4.50 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना आवश्यक है।
2. वर्तमान तरलता स्थितियों की समीक्षा करने पर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1ए) के अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक को 12 अगस्त 2023 से प्रारम्भ होने वाले पखवाड़े से 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच एनडीटीएल में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) भारतीय रिज़र्व बैंक में बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर 2023 या उससे पहले की जाएगी।
3. संबंधित अधिसूचना दिनांक 10 अगस्त 2023, विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24 की प्रति संलग्न की गई है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) को-ऑपरेटिव बैंक/सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक, 12 अगस्त 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से भारतीय रिजर्व बैंक में निम्नलिखित को बनाए रखेंगे:
धारा 42 की उपधारा (1) के अंतर्गत बनाए रखने के लिए आवश्यक औसत दैनिक शेष के अलावा अतिरिक्त औसत दैनिक शेष; और
ऐसे अतिरिक्त औसत दैनिक शेष की राशि 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच निवल मांग और आवधिक देयताओं में वृद्धि के 10 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
(जयंत कुमार दाश)
कार्यपालक निदेशक
आरबीआई/2023-24/52
विवि.आरईटी.आरईसी.29/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक /
सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया / महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 - धारा 42(1ए) - अतिरिक्त सीआरआर बनाए रखने की आवश्यकता
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) के अंतर्गत, सभी अनुसूचित बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक में निवल मांग और आवधिक देयताओं (एनडीटीएल) का 4.50 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बनाए रखना आवश्यक है।
2. वर्तमान तरलता स्थितियों की समीक्षा करने पर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1ए) के अंतर्गत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक / क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक को 12 अगस्त 2023 से प्रारम्भ होने वाले पखवाड़े से 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच एनडीटीएल में वृद्धि पर 10 प्रतिशत का वृद्धिशील सीआरआर (आई-सीआरआर) भारतीय रिज़र्व बैंक में बनाए रखने का निर्णय लिया गया है। आई-सीआरआर की समीक्षा 8 सितंबर 2023 या उससे पहले की जाएगी।
3. संबंधित अधिसूचना दिनांक 10 अगस्त 2023, विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24 की प्रति संलग्न की गई है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
विवि.आरईटी.आरईसी.30/12.01.001/2023-24
10 अगस्त 2023
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/सभी अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) को-ऑपरेटिव बैंक/सभी अनुसूचित राज्य सहकारी बैंक, 12 अगस्त 2023 से शुरू होने वाले पखवाड़े से भारतीय रिजर्व बैंक में निम्नलिखित को बनाए रखेंगे:
धारा 42 की उपधारा (1) के अंतर्गत बनाए रखने के लिए आवश्यक औसत दैनिक शेष के अलावा अतिरिक्त औसत दैनिक शेष; और
ऐसे अतिरिक्त औसत दैनिक शेष की राशि 19 मई 2023 और 28 जुलाई 2023 के बीच निवल मांग और आवधिक देयताओं में वृद्धि के 10 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
(जयंत कुमार दाश)
कार्यपालक निदेशक
भा.रि.बैंक/2023-24/50 विवि.एएमएल.आरईसी.26/14.06.001/2023-24 24 जुलाई 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय, यूएपीए, 1967 की धारा 51ए का कार्यान्वयन: यूएनएससी की 1267/1989 आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध सूची: 02 प्रविष्टियों में संशोधन
भा.रि.बैंक/2023-24/50 विवि.एएमएल.आरईसी.26/14.06.001/2023-24 24 जुलाई 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/महोदय, यूएपीए, 1967 की धारा 51ए का कार्यान्वयन: यूएनएससी की 1267/1989 आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध सूची: 02 प्रविष्टियों में संशोधन
भा.रि.बैं/2023-24/49
विवि.आरईटी.आरईसी.25/12.07.160/2023-24
18 जुलाई 2023
सभी बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में “नोंगह्यूप बैंक” को शामिल करना
हम यह सूचित करते हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में “नोंगह्यूप बैंक” को 15 जुलाई - 21 जुलाई, 2023 के भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में प्रकाशित 20 जून 2023 की अधिसूचना विवि.एलआईसी.सं.S1568/23.13.164/2023-24 के द्वारा शामिल किया गया है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
भा.रि.बैं/2023-24/49
विवि.आरईटी.आरईसी.25/12.07.160/2023-24
18 जुलाई 2023
सभी बैंक
महोदया / प्रिय महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में “नोंगह्यूप बैंक” को शामिल करना
हम यह सूचित करते हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में “नोंगह्यूप बैंक” को 15 जुलाई - 21 जुलाई, 2023 के भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में प्रकाशित 20 जून 2023 की अधिसूचना विवि.एलआईसी.सं.S1568/23.13.164/2023-24 के द्वारा शामिल किया गया है।
भवदीय,
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
भा.रि.बैंक/2023-24/48 विवि.एएमएल.आरईसी.24/14.06.001/2023-24 04 जुलाई 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय
भा.रि.बैंक/2023-24/48 विवि.एएमएल.आरईसी.24/14.06.001/2023-24 04 जुलाई 2023 सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय
RBI/2023-24/47 DOR.AML.REC.23/14.06.001/2023-24 July 04, 2023 The Chairpersons/ CEOs of all the Regulated Entities Madam/Dear Sir, Implementation of Section 12A of the Weapons of Mass Destruction and their Delivery Systems (Prohibition of Unlawful Activities) Act, 2005: Designated List (Consolidated) Please refer to Section 52 and Section 53 of our Master Direction on Know Your Customer dated February 25, 2016 as amended on May 04, 2023 (MD on KYC), in terms of which
RBI/2023-24/47 DOR.AML.REC.23/14.06.001/2023-24 July 04, 2023 The Chairpersons/ CEOs of all the Regulated Entities Madam/Dear Sir, Implementation of Section 12A of the Weapons of Mass Destruction and their Delivery Systems (Prohibition of Unlawful Activities) Act, 2005: Designated List (Consolidated) Please refer to Section 52 and Section 53 of our Master Direction on Know Your Customer dated February 25, 2016 as amended on May 04, 2023 (MD on KYC), in terms of which
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