मास्टर परिपत्र पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक
आरबीआई/2014-15/19 01 जुलाई 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया, मास्टर परिपत्र कृपया उपर्युक्त विषय पर 01 जुलाई 2013 का हमारा मास्टर परिपत्र शबैवि.पीसीबी.एमसी.सं. 6/09.18.201/2013-14 (भारतीय रिज़र्व बैंक की वेब साइट http://www.rbi.org.in पर उपलब्ध) देखें। संलग्न मास्टर परिपत्र में 30 जून 2014 तक जारी सभी अनुदेशों/ दिशानिर्देशों को समेकित एवं अद्यतन किया गया है तथा परिशिष्ट में उल्लिखित है। भवदीय (ए.के.बेरा) संलग्नक : यथोक्त मास्टर परिपत्र
मास्टर परिपत्र पूँजी किसी बैंक के संकट अथवा खराब कार्य-निष्पादन के समय सुरक्षित पूंजी (बफर) के रूप में कार्य करती है। पूंजी की पर्याप्तता जमाकर्ताओं में आत्मविश्वास पैदा करती है। इसलिए पूँजी की पर्याप्तता किसी नए बैंक के लाइसेंसीकरण तथा व्यवसाय में उसके बने रहने की एक पूर्वशर्त है । 2. बैंककारी विनियमन अधिनियम (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11 में निहित उपबंधों के अनुसार कोई भी सहकारी बैंक तब तक बैंकिंग व्यवसाय प्रारंभ अथवा जारी नहीं रख सकता जब तक उसकी चुकता पूँजी तथा आरक्षित निधि का कुल मूल्य एक लाख रुपये से कम है। इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22(3)(घ) के अंतर्गत रिज़र्व बैंक किसी नए शहरी सहकारी बैंक की स्थापना के लिए समय-समय पर न्यूनतम प्रवेश बिंदु पूँजी (प्रवेश बिंदु संबंधी मानदंड) निर्धारित करता है। 3. परंपरागत रूप से शहरी सहकारी बैंक अपनी शेयर पूँजी में वृद्धि उसे सदस्यों के उधार के साथ जोड़कर कर रहे हैं। रिज़र्व बैंक ने शेयर लिंकेज संबंधी निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए हैं;
उपर्युक्त शेयर लिकिंग मानदंड बैंक की कुल चुकता शेयर पूँजी के 5% की सीमा तक सदस्यों की शेयर धारिता पर लागू होंगे। जहाँ कोई सदस्य किसी शहरी सहकारी बैंक की कुल चुकता पूँजी का 5% पहले से ही धारण किया हो वहाँ मौज़ूदा शेयर लिकिंग मानदंडों के लागू होने के कारण उसके लिए ज़रूरी नहीं होगा कि वह अतिरिक्त शेयर पूँजी धारित करे। दूसरे शब्दों में, किसी उधारकर्ता सदस्य के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह उतनी राशि के शेयर धारित करे जिनकी संगणना मौज़ूदा शेयर लिकिंग मानदंडों के अनुसार की जाए अथवा बैंक की कुल चुकता शेयर पूँजी के 5%, इनमें से जो कम हो, के लिए की जाए। सभी राज्य सरकारों को संबंधित राज्य सहकारी सोसाईटी अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने और जहां भी लागू है, वैयक्तिक शेयरधारिता की उच्चतम मौद्रिक सीमा को बंद करने तथा किसी सदस्य की वैयक्तिक शेयरधारिता को शहरी सहकारी बैंक की कुल चुकता शेयर पूंजी के 5 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए सूचित किया है। चूंकि राज्य सहकारी सोसाईटी अधिनियम में उक्त संशोधन होना शेष है, इसलिए सभी शहरी सहकारी बैंकों को उपर्युक्त पैरा 1 में बताए गए अनुसार उधार के लिए शेयर लिंकिंग मानदंड़ और वैयक्तिक शेयरधारिता की उच्चतम सीमा पर विद्यमान मानदंड़ों का संख्ती से पालन करने के लिए सूचित किया गया है। निरंतर आधार पर न्यूनतम 12 प्रतिशत या उससे अधिक सीआरएआर बनाए रखनेवाले शहरी सहकारी बैंकों को 15 नवंबर 2010 से विद्यमान अनिवार्य शेयर लिंकिंग मानदंड से छूट दी गयी है। पूँजी पर्याप्तता संबंधी मानदंड: 4. पूँजी पर्याप्तता के परंपरागत दृष्टिकोण से तुलन पत्र में तुलन पत्रेतर व्यवसाय से जुड़ी विभिन्न प्रकार की आस्तियों के जोखिम तत्व पकड़ में नहीं आते और यह दृष्टिकोण पूँजी की तुलना आस्तियों के स्तर से करता है। बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति1 ने जुलाई 1988 में पहला बासल पूँजी समझौता (जिसे लोग बासल I ढाँचा कहते हैं) प्रकाशित किया था जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली की सुदृढ़ता तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकों में तथा अंतर्राष्ट्रीय बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक असमानता के मौजूदा स्त्रोत को कम करने के लिए पूंजी पर्याप्तता संबंधी न्यूनतम अपेक्षाएँ निर्धारित की गई थीं। वर्ष 1988 के पूँजी समझौते की मूलभूत विशेषताएँ नीचे दी गई हैं (i) वर्ष 1992 के अंत तक 8% तक न्यूनतम पूँजीगत अपेक्षा (ii) पूँजी के प्रति टियर दृष्टिकोण :
(iii) जैसा कि अनुबंध 1 में दर्शाया है, बैंको के विभिन्न प्रकार के ऋणों के लिए जोखिम भार 0% से 127.5% के बीच आस्तियों की जोखिम प्रवणता पर आधारित होगा। जहां वाणिज्यिक ऋण आस्तियों पर 100% का जोखिम भार था वहीं अंतर-बैंक आस्तियों पर 20% निर्धारित किया गया था और सरकारी पत्र पर 0% का जोखिम भार था। वर्ष 2002 में शहरी सहकारी बैंकों को कहा गया कि वे जोखिम भार के प्रतिशत के रूप में पूंजी निधि रखे। वर्ष 2005 से 9% न्यूनतम सीआरएआर रखना अपेक्षित है। इसके अतिरिक्त, मूल बासल समझौते में संशोधन के द्वारा बाजार से जुड़े ऋण जोखिमों के लिए पूँजी प्रभार निर्धारित किए गए थे । पूंजीगतनिधि पूंजी पर्याप्तता मानको के लिए "पूंजीगत निधि" में नीचे दिए गए पैरा में स्पष्ट किए गए अनुसार टियर I तथा टियर II पूंजी शामिल है। टियरI पूँजी: 4.1 टियर I पूँजी में निम्नलिखित मदें शामिल है :
* नवोन्मेषी सतत ऋण लिखत जारी करने से संबंधित दिशानिर्देश 23 जनवरी 2009 के परिपत्र शसबैं.पीसीबी.परि.सं.39/09.16.900/2008-09 के अनुबंध में प्रस्तुत किए गए हैं। टिप्पणी:
4.2 टियर II पूँजी टियर II पूँजी के अंतर्गत निम्नलिखित मदें शामिल होंगी : 4.2.1 अप्रकटित आरक्षित निधि: इनमे प्राय: इक्विटी तथा प्रकटित आरक्षित निधियों के गुण होते हैं। उनमें अप्रत्याशित हानियें को अवशोषित करने की क्षमता हाती है और उन्हें पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जा सकता है यदि वे संचित लाभ दर्शाती हों तथा वे किसी ज्ञात देयता के भार से ग्रस्त न हों और सामान्य हानियें एवं परिचालनगत हानियों को अवशोषित करने के लिए उनका नैमित्तिक रूप से इस्तेमाल न किया जाए । पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि 4.2.2 ये आरक्षित निधियाँ प्राय: अप्रत्यक्षित हानियों के जवाब में कुशन का काम करती है लेकिन अपनी प्रकृति से वे स्थायी नहीं होती हैं और उन्हे " केंद्रीय पूँजी" के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि आस्तियों के पुनर्मूल्यांकन से सृजित होती हैं जिनका बैंक की बहियों में कम मूल्यांकन किया जाता है। इसका आदर्श उदाहरण बैंक के परिसर तथा विपणनीय प्रतिभूतियाँ हैं। अप्रत्याशित हानियों के जवाब़ में कुशन के रूप में पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियों पर जिस सीमा तक भरोसा किया जा सकता है वह मुख्यत: निश्चितता के स्तर पर निर्भर करता है जो संबंधित आस्तियों के बाजार मूल्य, बाजार की कठिन परिस्थितियों या बाध्य होकर की गई बिक्री के कारण मूल्यों में गिरावट, उन मूल्यों के वास्तविक परिसमापन की संभावना, पुनर्मूल्यांकन के संबंधी परिणामों, आदि के आकलन के संबंध में निर्धारित किया जा सकता है। इसलिए, आरक्षित निधियों को टियर II पूँजी में शामिल करने के लिए उनके मूल्य का निर्धारण करते समय पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि को 55% के बट्टे पर विचार करना विवेकपूर्ण होगा अर्थात पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि की केवल 45% निधि को टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए। ऐसी आरक्षित निधियों को तुलन पत्र के मुखपृष्ठ पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए । सामान्य प्रावधान तथा हानि आरक्षित निधि 4.2.3 इनके अंतर्गत बैंक की बहियों में प्रकट होने वाले सामान्य प्रकृति के ऐसे प्रावधान शामिल होते हैं जो किसी स्पष्ट संभावित हानि, किसी आस्ति या ज्ञात देयता के मूल्य में ह्रास के कारण नहीं किए गए हों। यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए कि ऊपर दिए गए अनुसार टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में सामान्य प्रावधान की किसी राशि पर विचार करने से पहले सभी ज्ञात हानियों तथा पूर्वाभासी एवं संभावित हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं। उदाहरणार्थ: अशोध्य एवं संदिग्ध ऋणों के संबंध में अतिरिक्त प्रावधान तथा मानक आस्तियों आदि के लिए सामान्य प्रावधान को इस श्रेणी के अंतर्गत शामिल किए जाने पर विचार किया जा सकता है । ऐसे प्रावधानों को कुल जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की सीमा तक स्वीकार किया जा सकता है जिन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किए जाने पर विचार किया गया है। विद्यमान अनुदेशों के अनुसार निवल एनपीए की राशि परिकलित करने के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार एनपीए के लिए किया गया प्रावधान सकल एनपीए की राशि से घटाकर किया जाता है। विभिन्न प्रकार के प्रावधान तथा पूंजी पर्याप्तता हेतु विवेकपूर्ण प्रयोग नीचे दिए गए है: (क) अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अशोध्य ऋणों के लिए अतिरिक्त सामान्य प्रावधान (अस्थिर प्रावधान) अर्थात् किसी विशेष ऋण अशोध्यता (एनपीए) के लिए निर्धारित नहीं किए गए प्रवधानों का प्रयोग सकल एनपीए के समंजन के लिए अथवाटियर II पूँजी में शामिल करने के लिए किया जा सकता है लेकिन उनका प्रयोग दोनों रूपों में नहीं किया जा सकता। (ग) एनपीए की बिक्री पर अधिक प्रावधान निर्धारित राशि से अधिक विशेष प्रावधान करने की स्थिति में कुल विशेष प्रावधान की राशि को सकल एनपीए की राशि से घटाकर निवल एनपीए की राशि परिकलित करें। बैंक द्वारा एनपीए के लिए किया गया अतिरिक्त प्रावधान टियर II पूंजी में शामिल नहीं किया जाएगा । (ग) एनपीए की बिक्री पर अधिक प्रावधान एनपीए की बिक्री की स्थिति में यदि आस्ति के बही मूल्य से बिक्री की राशि, धारित निवल प्रावधान से अधिक होने पर प्रावधान की अतिरिक्त राशि लाभ हानि-लेखों में वापस शामिल नहीं की जानी चाहिए। उदाहरण के लिए ₹ 1,00,000 एनपीए के लिए बैंक ₹ 50,000 (अर्थात 50% ) प्रावधान रखता है और यदि आस्ति ₹70,000 में बेची जाती है तो ₹30,000 का नुकसान ₹50,000 प्रावधान से समायोजित किया जाएगा जिससे एनपीए की बिक्री के परिणामस्वरूप ₹20,000 अतिरिक्त प्रावधान राशि बचेगी। इस प्रकार की अतिरिक्त प्रावधान राशि "प्रावधान" के अंतर्गत जारी रखे तथा यह राशि जोखिम भारित आस्तियों की 1.25% समग्र सीमा के अधीन टियर II पूंजी शामिल की जाएगी । (घ) उचित मूल्य में ह्रास के लिए प्रावधान 6 मार्च 2009 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.बीपीडी.सं.53 के पैरा 5.1 के अंतर्गत बैंकों को सूचित किया गया है कि विद्यमान प्रावधान मानदंडों के अनुसार पुनर्निर्धारित अग्रिमों के लिए बैंकों को प्रावधान करना चाहिए। इस प्रकार के प्रावधानों के अतिरिक्त ब्याज दर में कमी के कारण हुई हानि या पुननिर्धारित ऋण की मूलपूंजी की चुकौती के नियत समय में हुए परिवर्तन के कारण होनेवाली आर्थिक हानि के लिए बैंकों को प्रावधान करने के लिए सूचित किया गया है। मानक आस्ति तथा एनपीए दोनों मामलों में पुनर्निर्धारित अग्रिमों से समंजित करने की अनुमति दी गई है । निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि 4.2.4 बैंक की निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि के अंतर्गत शेष, यदि कोई । संकर ऋण पूँजी लिखत 4.2.5 इस श्रेणी के अंतर्गत ऐसे अनेक पूँजी लिखत आते हैं जिनमें कुछ गुण इक्विटी के तो कुछ गुण ऋण के होते हैं । प्रत्येक लिखत की एक प्रमुख विशेषता होती है जिस पर पूँजी के रूप में उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिए विचार किया जा सकता है । जहाँ ये लिखत विशेष रूप से इक्विटी के काफी समान होते हैं और जब से परिसमापन शुरू किए बगैर सतत आधार पर हानियों की भरपाई करने में समर्थ हों तो उन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिए । लिखत नीचे दिए गए हैं: (i) टियर II अधिमानी शेयर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को अनुबंध III में दिए गए मौज़ूदा अनुदेशों के अनुसार सतत संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), प्रतिदेय असंचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) तथा प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) जारी करने की अनुमति है। (II) दिर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि: शहरी सहकारी बैंकों को कम से कम पांच साल की अवधि के लिए मीयादी जमाराशि जुटाने की अनुमति है जो निम्न टियर II पूंजी समझी जाएगी। विस्तृत दिशानिर्देश अनुबंध 4 में दिए गए हैं। शहरी सहकारी बैंक अपने उपनियम के अधीन/ जिस को-आपरेटिव सोसाईटी के अंतर्गत पंजीकृत है उसके प्रावधान के अनुपालन तथा संबंधित निबंधक, सहकारि समितियां/ केंद्रीय निबंधक, सहकारी समितियां के अनुमोदन से अधिमानी शेयर तथा लंबावधि (सर्बोडिनेट) जमाराशि जारी कर सकते है । सबोर्डिनेटेड ऋण 4.2.6 टियर II पूंजी के अंतर्गत शामिल होने की पात्रता के लिए लिखत को पूर्णत: चुकता, गैर-जमानती, अन्य ऋणदाताओं के दावों के अधीन, प्रतिबंधात्मक उपबंधों से मुक्त होना चाहिए तथा धारक की पहल पर या बैंक के पर्यवेक्षी प्राधिकारियों की सहमति के बिना प्रतिदेय नहीं होना चाहिए। ऐसे लिखतों की प्राय: एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है और जैसे-जैसे उनकी परिपक्वता अवधि पूरी होती है वैसे-वैसे उन्हें टियर II पूँजी के अंतर्गत शामिल करने के लिए उन पर क्रमिक रूप से बट्टा लगाया जाता है। ऐसे लिखतों को टियर II पूँजी के एक हिस्से के रुप में शामिल नहीं किया जाना चाहिए जिनकी प्रारंभिक परिपक्वता अवधि 5 वर्ष से कम हो या जिसकी परिपक्वता में एक वर्ष शेष हो । अधीनस्थ ऋण लिखत टियर II पूँजी के 50 प्रतिशत तक सीमित होंगे । अन्य शर्ते 4.3 यह नोट किया जाए कि टियर II के कुल घटकों को मानदंडों के अनुपालन के प्रयोजन से टियर II के कुल घटकों के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए। 5.1 बाजार जोखिम को बाजार कीमतों में परिवर्तनों के कारण उत्पन्न तुलन पत्र तथा तुलनपत्रेतर स्थितियों में हानि के जोखिम के रूप में परिभाषित किया गया है। बाजार जोखिम स्थितियाँ, जो पूँजी प्रभारों के अधीन हैं, नीचे दी गई है :
5.2 बाजार जोखिमों के लिए पूँजीगत अपेक्षा निर्धारित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के बतौर शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया गया था कि वे अपने लगभग संपूर्ण निवेश संविभाग पर 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त जोखिम भार निर्धारित करें। यह अतिरिक्त जोखिम भार को शहरी सहकारी बैकों के निवेश पोर्टफोलीओ के ऋण जोखिम के लिए निर्धारित जोखिम भार के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा शहरी सहकारी बैकों को यह सूचित किया गया है कि विदेशी मुद्रा की खुली स्थिति तथा स्वर्ण के लिए 100 प्रतिशत जोखिम भार तय करे तथा निवेश पोर्टफोलीओ में एचटीएम और एएफएस संवर्ग के निवेश के लिए 5 प्रतिशत निवेश उतार चढाव आरक्षित रखे। 5.3 जिन शहरी सहकारी बैंकों के पास एडी संवर्ग लाईसेंस है को 1 अप्रैल 2010 से बाजार जोखिम के लिए पूंजी रखना आवश्यक हैं। बाजार जोखिम के लिए पूंजी राशि रखने पर विस्तृत दिशानिर्देश 8 फरवरी 2010 के हमारे परिपत्र शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी) परि. सं. 42 / 09.11.600/2009-10 के माध्यम से दिए गए है। 6. बैंकों द्वारा संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें (i) पूंजीगत निधि, (II) तुलनपत्रेतर/ गैर-निधिकृत ऋणों का संपरिवर्तन,(III) जोखिम-भारित आस्तियें की गणना तथा (iv) पूंजीगत निधियों तथा जोखिम आस्तियां अनुपात दर्शाए गए हों। विवरणी का प्रारूप अनुबंध II में दिया गया है । विवरणियों पर रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जाने वाली सांविधिक विवरणियों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत दो अधिकारियों के हस्ताक्षर होने चाहिए। मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
1बासल समिति 27 सदस्य देशों के बैंक पर्यवेक्षकों की एक समिति है (अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राझिल, कनाडा, चायना, फ्रांस, जर्मनी, हॉगकॉग, एसएआर, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, लक्जामबर्ग, मेक्सिको, नीदरलैंड, रशिया, सौदिअरेबिया, सिंगापुर, साउथ आफ्रिका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, टर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमरीका) । इसकी स्थापना 1974 में अनेक पर्यवेक्षी प्राधिकारियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिस्चित करने के लिए किया गया था। इसकी बैठक आम तौर पर बासल, स्विटज़रलैंड स्थित अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक में होती है जहाँ इसका सचिवालय स्थित है । |