ऐसे परिपत्र जो अनावश्यक/अधिक्रमित/अवरुद्ध होते हैं - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऐसे परिपत्र जो अनावश्यक/अधिक्रमित/अवरुद्ध होते हैं
भा.रि.बैंक/2008-09/437भु.नि.प्र.वि. (आर.टी जी.एस.) सं. 1839 /04.04.02/2008-09 अप्रैल 20, 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.टी.जी.एस. में भाग लेने वाले सभी बैंक महोदय/महोदया, RTGS संव्यवहारों में द्विस्तरीय जांच आपको विदित ही है कि आर.टी.जी.एस. आधारित बैंक शाखाएं 55000 से अधिक हो गई हैं। आर.टी.जी.एस. के माध्यम से निटान होने वाले संव्यवहारों की राशि और मात्रा में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। वर्ष 2008-09 में आर.टी.जी.एस. से 13.37 मिलियन संव्यव
भा.रि.बैंक/2008-09/437भु.नि.प्र.वि. (आर.टी जी.एस.) सं. 1839 /04.04.02/2008-09 अप्रैल 20, 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.टी.जी.एस. में भाग लेने वाले सभी बैंक महोदय/महोदया, RTGS संव्यवहारों में द्विस्तरीय जांच आपको विदित ही है कि आर.टी.जी.एस. आधारित बैंक शाखाएं 55000 से अधिक हो गई हैं। आर.टी.जी.एस. के माध्यम से निटान होने वाले संव्यवहारों की राशि और मात्रा में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। वर्ष 2008-09 में आर.टी.जी.एस. से 13.37 मिलियन संव्यव
भा.रि.बै./ 2008-09 /426 भु.नि.प्र.वि. (आर.टी जी.एस.) सं.1776/02.10.02/2008-09 अप्रैल 8, 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.टी जी.एस. में भाग लेने वाले सभी बैंक महोदय/महोदया, आर.टी जी एस संव्यवहार आर.टी जी.एस. संव्यवहारों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है । आर.टी जी.एस. में मार्च 2008 में हुए 0.72 मिलियन संव्यवहारों की तुलना में मार्च 2009 में 1.94 मिलियन संव्यवहार हुए हैं। वर्तमान में आर.टी जी.एस. संव्यवहारों में निपटान होन
भा.रि.बै./ 2008-09 /426 भु.नि.प्र.वि. (आर.टी जी.एस.) सं.1776/02.10.02/2008-09 अप्रैल 8, 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर.टी जी.एस. में भाग लेने वाले सभी बैंक महोदय/महोदया, आर.टी जी एस संव्यवहार आर.टी जी.एस. संव्यवहारों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है । आर.टी जी.एस. में मार्च 2008 में हुए 0.72 मिलियन संव्यवहारों की तुलना में मार्च 2009 में 1.94 मिलियन संव्यवहार हुए हैं। वर्तमान में आर.टी जी.एस. संव्यवहारों में निपटान होन
आरबीआई/2008-09/295Aडीपीएसएस.सीओ.(सीएचडी) संख्या 873/03.09.01/2008-09 24 नवंबर, 2008 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया / प्रिय महोदय, चेक समाशोधन में विलंब - राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष वर्ष 2006 का मामला (केस) संख्या 82 जैसा कि आपको विदित है, अगस्त 2006 के दौरान, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली (अर्थात ‘आयोग’) के समक्ष एक मामला दायर किया गया था,
आरबीआई/2008-09/295Aडीपीएसएस.सीओ.(सीएचडी) संख्या 873/03.09.01/2008-09 24 नवंबर, 2008 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया / प्रिय महोदय, चेक समाशोधन में विलंब - राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष वर्ष 2006 का मामला (केस) संख्या 82 जैसा कि आपको विदित है, अगस्त 2006 के दौरान, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली (अर्थात ‘आयोग’) के समक्ष एक मामला दायर किया गया था,
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जून 26, 2025