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असेट प्रकाशक

110507071

मास्टर परि‍पत्र - आवास वि‍त्त

आरबीआई/2024-25/11
वि‍वि‍.सीआरई.आरईसी.सं.07/08.12.001/2024-25

02 अप्रैल 2024

सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

म­होदय/महोदया

मास्टर परि‍पत्र - आवास वि‍त्त

कृपया दि‍नांक 03 अप्रैल 2023 का मास्टर परि‍पत्र वि‍वि‍.सीआरई.आरईसी.सं. 06/08.12.001/2023-24 देखें जिसमें आवास वित्त के संबंध में 31 मार्च 2023 तक बैंकों को जारी किए गए अनुदेश/दिशानिर्देश समेकित किए गए हैं। उपर्युक्त विषय पर 31 मार्च 2024 तक जारी किए गए सभी अद्यतन निर्देशों, जैसा कि परि‍शि‍ष्ट में सूचीबद्ध है, को दर्शाने के लिए संशोधित मास्टर परिपत्र संलग्न है। यह ध्यान दिया जाए कि इस मास्टर परिपत्र में उपर्युक्त विषय पर दिनांक 31 मार्च 2024 तक जारी सभी निर्देशों को शामिल कि‍या गया है और इसमें कोई नए निर्देश/दिशानिर्देश शामिल नहीं है।

भवदीय,

(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक


वि‍षय-वस्तु
क्रम सं. मद
उद्देश्य
वर्गीकरण
समेकि‍त कि‍ए गए पूर्व अनुदेश
प्रयोज्यता का दायरा
1 प्रस्तावना
2 विभिन्न विनियमन
3 ऋण की मात्रा
4 नवोन्‍मेषी आवास ऋण उत्पाद – आवासीय ऋणों का प्रारम्भिक स्तर पर एकमुश्त संवितरण
5 ब्याज दर
6 सांविधिक/विनियामक लेखा परीक्षकों से अनुमोदन
7 प्रकटीकरण अपेक्षाएं
8 स्थावर संपदा क्षेत्र में एक्सपोजर
9 प्राथमि‍कता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास ऋण
10 किफायती आवासों के लिए वित्तपोषण- बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी किया जाना
11 निष्पक्ष ऋण पद्धति
12 अतिरिक्त दिशानिर्देश
  परि‍शि‍ष्ट: आवास वि‍त्त पर परि‍पत्र

मास्टर परि‍पत्र - आवास वि‍त्त

क. उद्देश्य

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर बैंकों को आवास वित्त पर जारी किए गए नियमों/विनियमों और स्पष्टीकरण की रूपरेखा का समेकन करना।

ख. वर्गीकरण

बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949 की धारा 21 तथा 35 ए द्वारा प्रदत्त शक्ति‍यों का प्रयोग करते हुए रि‍ज़र्व बैंक द्वारा जारी कि‍या गया सांवि‍धि‍क नि‍देश।

ग. समेकि‍त कि‍ए गए पूर्व अनुदेश

इस मास्टर परि‍पत्र के परि‍शि‍ष्ट में सूचीबद्ध परि‍पत्रों में नि‍हि‍त सभी अनुदेशों और जारी स्पष्टीकरणों को समेकि‍त तथा अद्यतन कि‍या गया है।

घ. प्रयोज्यता का दायरा

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंकों पर लागू।

1. प्रस्तावना

बैंक, देश भर में अपने व्‍यापक शाखा नेटवर्क के साथ वित्तीय प्रणाली में एक रणनीतिक स्थान रखते हैं और आवास क्षेत्र को ऋण उपलब्‍ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. विभिन्न विनियमावलियां

बैंकों को अपनी स्वयं की नीतियां बनाते समय रिज़र्व बैंक के निम्नलिखित दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक ऋण का उपयोग उत्पादन,निर्माण संबंधी गतिविधियों के लिए किया जाता है और न कि स्थावर संपदा में सट्टेबाजी के लिए।

(क) भूमि का अधिग्रहण

केवल प्लॉट खरीदने के लिए बैंक का वित्त प्रदान किया जाता है, बशर्ते कि उधारकर्ता से यह घोषणापत्र प्राप्त किया जाए कि वह बैंक वित्त की सहायता से अथवा उसके अतिरिक्‍त, ऐसी अवधि के भीतर उक्त प्लॉट पर मकान का निर्माण करने का इरादा रखता है, जो बैंकों द्वारा स्‍वयं निर्धारित की जाएगी।

(ख) भवन निर्माण/ तैयार मकान

  1. बैंक व्यक्ति‍यों को प्रत्‍येक‍ परि‍वार मकान खरीदने/बनाने के लि‍ए और परि‍वारों के क्षति‍ग्रस्त मकानों की मरम्मत के लि‍ए ऋण प्रदान कर सकते हैं।

  2. बैंक किसी व्यक्ति के पास जिस कस्बे/गांव में वह रहता है, जहां पहले से ही एक मकान है, वहां भी उसे स्वयं के उपयोग के प्रयोजन से उसी अथवा अन्य कस्बे/गांव में मकान खरीदने के लिए वित्त दे सकता है।

  3. बैंक ऐसे उधारकर्ता को मकान खरीदने के लिए वित्त दे सकता है, जो अपने मुख्यालय से बाहर तैनाती अथवा नियोक्ता द्वारा आवास उपलब्ध कराए जाने के कारण उसे किराए पर देने का प्रस्ताव करता है।

  4. बैंक ऐसे व्यक्ति को वित्त दे सकता है, जो उस पुराने मकान को खरीदना चाहता है, जिसमें वह फिलहाल किराएदार के रूप में रह रहा है।

  5. बैंक झुग्गी-झोपड़ि‍यो वाले क्षेत्र की परि‍स्थि‍ति‍यों को सुधारने के लि‍ए कि‍ए गए नि‍र्माण के लि‍ए झुग्गी-झोपड़ि‍यों में रहनेवालों को सरकार की गारंटी पर प्रत्यक्ष वित्त-पोषित कर सकते हैं अथवा राज्य सरकारों के माध्‍यम से अप्रत्‍यक्ष रूप से वित्त पोषित कर सकते हैं।

  6. बैंक स्लम क्लियरेंस बोर्डों तथा अन्य सरकारी एजेंसि‍यों द्वारा कार्यान्वि‍त की जानेवाली झुग्गी-झोपड़ि‍यो वाले क्षेत्र की सुधार योजनाओं के लि‍ए ऋण उपलब्ध करा सकते हैं।

  7. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अनधि‍कृत नि‍र्माण के संबंध में माननीय दि‍ल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के प्रकाश में नि‍म्नलि‍खि‍त शर्तों का भी पालन करें:

(क) जि‍न मामलों में आवेदक के पास भूखंड/भूमि‍ है और वह मकान निर्माण के लि‍ए ऋण सुवि‍धा हेतु बैंकों/ वि‍त्तीय संस्थाओं के पास आता है तो बैंकों /वि‍त्तीय संस्थाओं को आवास ऋण स्‍वीकृत करने के पहले, ऋण सुवि‍धा के लि‍ए आवेदन करनेवाले व्यक्ति‍ के नाम सक्षम प्राधि‍कारी द्वारा स्‍वीकृत योजना की एक प्रति‍ प्राप्त करनी होगी।

(ख) ऐसी ऋण सुवि‍धा के लि‍ए आवेदन करनेवाले व्यक्ति‍ से एक शपथपत्र-व-घोषणा प्राप्त करना होगा कि‍ वह स्‍वीकृत योजना का उल्लंघन नहीं करेगा, नि‍र्माण कार्य पूर्णत: स्‍वीकृत योजना के तहत होगा और ऐसा नि‍ष्पादन करने वाले की ही यह जि‍म्मेदारी होगी कि‍ नि‍र्माण-कार्य पूरा हो जाने के 3 महीने के भीतर वह पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करें। ऐसा न कर पाने पर बैंक को ब्याज़, लागत और अन्य प्रचलि‍त बैंक प्रभारों सहि‍त सारा ऋण वापस लेने का अधि‍कार होगा।

(ग) बैंक द्वारा नि‍युक्त कि‍सी वास्तुकार को भी भवन नि‍र्माण के वि‍भि‍न्न स्तरों पर यह प्रमाणि‍त करना होगा कि‍ भवन का नि‍र्माण पूरी तरह स्‍वीकृत योजना के तहत है तथा उसे एक वि‍शि‍ष्ट समय पर यह भी प्रमाणि‍त करना होगा कि‍ सक्षम प्राधि‍कारी द्वारा जारी कि‍या जानेवाला भवन संबंधी पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त कि‍या गया है।

(घ) जि‍न मामलों में आवेदक तैयार मकान/फ्लैट खरीदने के लि‍ए ऋण सुवि‍धा हेतु बैंकों /वि‍त्तीय संस्थाओं के पास आता है,तो उसके लि‍ए एक शपथपत्र-व-वचनपत्र के ज़रि‍ए यह घोषि‍त करना अनि‍वार्य होना चाहि‍ए कि‍ तैयार संपत्ति‍ स्‍वीकृत योजना और/अथवा भवन उप-वि‍धि‍यों के अनुसार बनाई गई है और जहां तक संभव हो सके उसे पूर्णता प्रमाणपत्र भी मि‍ल चुका है।

(ङ) ऋण संवि‍तरण से पहले, बैंक द्वारा नि‍युक्त कि‍सी वास्तुकार को भी यह प्रमाणि‍त करना होगा कि‍ तैयार संपत्ति‍ पूरी तरह स्‍वीकृत योजना के तहत और/अथवा भवन उप-वि‍धि‍यों के अनुसार है।

(च) वह संपत्तियां जो‍ अनधि‍कृत कॉलोनि‍यों की श्रेणी में आती है ऐसे मामले में तब तक ऋण नहीं दि‍या जाना चाहि‍ए जब तक कि वह वि‍नि‍यमि‍त और उनके वि‍कास तथा अन्य प्रभार अदा नहीं कि‍ए जाते।

(छ) ऐसी संपत्ति‍यों के मामले में भी ऋण नहीं दि‍या जाना चाहि‍ए, जिनका उद्देश्य आवासीय उपयोग है परंतु जिसका ऋण-आवेदक वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना चाहता है और ऋण आवेदन करते समय ऐसी घोषणा करता है।

(viii) अनुपूरक वित्त

(क) बैंक द्वारा पहले से वि‍त्तपोषि‍त मकान /फ्लैट में परि‍वर्तन / परि‍वर्द्धन / मरम्मत का काम करने के लि‍ए समग्र अधि‍कतम सीमा के भीतर अति‍रि‍क्त वि‍त्त प्रदान कि‍ए जाने संबंधी अनुरोध पर वि‍चार कर सकते हैं।

(ख) जि‍न व्यक्ति‍यों ने आवास के नि‍र्माण / अधिग्रहण हेतु अन्य स्रोतों से निधि की व्यवस्था की है और वह अनुपूरक वि‍त्त चाहते हैं,उन मामले में,अन्य ऋणदाताओं के पक्ष में पहले से ही गि‍रवी रखी हुई संपत्ति‍ पर समरूप या द्वि‍तीय बंधक प्रभार प्राप्त करके और/ अ‍थवा अपने वि‍चार से कि‍सी अन्य उपयुक्त प्रति‍भूति‍ / जमानत के आधार पर बैंक अनुपूरक वि‍त्त प्रदान कर सकते हैं।

(ग) बैंक निम्नलिखित को वित्त प्रदान करने पर विचार कर सकते हैं:

  1. मकानों की मरम्मत करने के लि‍ए गठि‍त नि‍कायों,और

  2. भवन/आवास/फ्लैट के मालिकों को,चाहे वह उनके अथवा कि‍राएदारों के कब्जे में हो, उनकी मरम्मत/अति‍रि‍क्त नि‍र्माण के लि‍ए आवश्यकता आधारि‍त अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लि‍ए अनुमानि‍त लागत (जि‍सके लि‍ए जहां आवश्यक हो वहां कि‍सी अभि‍यंता/ वास्तुकार से अपेक्षि‍त प्रमाणपत्र प्राप्त कि‍या जाए) के संबंध में अपने आपको संतुष्ट कर और उचि‍त समझी गई ऐसी जमानत प्राप्त करने के उपरांत।

(ix) तथापि, बैंक वित्त निम्नलिखित को न दिया जाए:

(क) बैंक को केवल सरकारी /अर्ध-सरकारी कार्यालयों के लि‍ए बनाए जाने वाले भवनों के नि‍र्माण के लि‍ए वि‍त्त प्रदान नहीं करना चाहि‍ए जि‍नमें नगरपालि‍का तथा पंचायत कार्यालय शामि‍ल हैं। तथापि, बैंक ऐसे कार्यों के लि‍ए ऋण प्रदान कर सकते हैं जि‍नके लि‍ए नाबार्ड जैसी संस्थाओं द्वारा पुनर्वि‍त्त दि‍या जाएगा।

(ख) बैंक कॉरपोरेट नि‍काय (अर्थात् ऐसे सार्वजनि‍क क्षेत्र के उपक्रम जो कि‍ कंपनी अधि‍नि‍यम के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं अथवा जो संबंधि‍त कानून के अंतर्गत स्थापि‍त नि‍गम नहीं है) न होने वाली सार्वजनि‍क क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा प्रारंभ की गई परि‍योजनाओं का वि‍त्तपोषण नहीं करेंगे। उपर्युक्त परि‍भाषि‍त कॉरपोरेट नि‍काय द्वारा प्रारंभ की गई परि‍योजनाओं के संबंध में भी बैंकों को अपने आप को इस बात से संतुष्ट करना होगा कि‍ परि‍योजना वाणि‍ज्यि‍क आधार पर चलाई जा रही है और बैंक वि‍त्त परि‍योजना के लि‍ए परि‍कल्पि‍त बजटीय संसाधनों के बदले अथवा उन्हें प्रति‍स्थापि‍त करने के लि‍ए नहीं है। तथापि, यह ऋण बजटीय संसाधनों का अनुपूरक हो सकता है यदि‍ परि‍योजना की रूपरेखा में ही ऐसा प्रावधान कि‍या गया हो। अत:, कि‍सी आवास परि‍योजना के मामले में जहां परि‍योजना वाणि‍ज्यि‍क आधार पर चलाई जाती है और समाज के कमज़ोर वर्गों के लाभ के लि‍ए अथवा अन्यथा,उस परि‍योजना का प्रवर्तन करने में सरकार रुचि‍ रखती है और उपलब्ध कराई गई आर्थि‍क सहायता तथा / अथवा परि‍योजना प्रारंभ करने वाली संस्थाओं की पूंजी में अंशदान करके परि‍योजना की लागत का एक हि‍स्सा सरकार पूरा करती है तो बैंक वि‍त्त, परि‍योजना की कुल लागत में से सरकार से प्राप्य आर्थि‍क सहायता/पूंजीगत अंशदान की राशि‍ तथा सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले कोई भी अन्य प्रस्तावि‍त संसाधनों को घटाकर प्राप्त राशि‍ तक सीमित होना चाहि‍ए।

(ग) बैंकों ने राज्य पुलि‍स आवास नि‍गम जैसे सरकार द्वारा स्थापि‍त नि‍गमों को कर्मचारि‍यों को आंबटि‍त करने के लि‍ए आवासीय घर नि‍र्माण करने के लि‍ए पूर्व में मीयादी ऋण मंजूर कि‍ए थे। ऐसे ऋणों की चुकौती बजटीय वि‍नि‍योजनों द्वारा करने की परि‍कल्पना की गई थी। चूंकि‍ इन परि‍योजनाओं को वाणि‍ज्यि‍क आधार पर चलाई जा रही परि‍योजनाएं नहीं समझा जा सकता है, अत: ऐसी परि‍योजनाओं को ऋण प्रदान करना बैंकों के लि‍ए उचि‍त नहीं होगा।

(ग) आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को ऋण देना

(i) भूमि‍ के अधि‍ग्रहण के लि‍ए वि‍त्त प्रदान करना

(क) देश में मकानों का स्टॉक बढ़ाने के लि‍ए भूमि‍ और आवासीय स्थलों की उपलब्धता में वृद्धि‍ करने की आवश्यकता को दृष्टि‍गत रखते हुए बैंक भूमि‍ अधि‍ग्रहण तथा भूमि‍ को मकानों के लि‍ए वि‍कसि‍त करने हेतु निजी बिल्डरों को नहीं बल्कि सार्वजनिक एजेंसि‍यों को वि‍त्त प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते यह संपूर्ण परि‍योजना का हिस्‍सा हो जि‍समें मूलभूत सुवि‍धाओं जैसे जलप्रणाली, जलनिकासी, सड़क, बि‍जली की व्यवस्था आदि का वि‍कास शामि‍ल है। ऐसा ऋण मीयादी ऋण के रूप में दि‍या जा सकता है। परि‍योजना यथाशीघ्र पूरी की जानी चाहि‍ए तथा किसी भी स्थिति में इसमें तीन साल से अधि‍क का समय नहीं लगना चाहि‍ए ताकि‍ सर्वोत्‍तम परि‍णामों के लि‍ए बैंक की नि‍धि‍ की तेजी से पुनर्निवेश सुनि‍श्चि‍त की जा सके। यदि‍ परि‍योजना के अंतर्गत भवनों का नि‍र्माण भी शामि‍ल है तो उसके लि‍ए वैयक्ति‍क लाभार्थियों को उन्हीं शर्तों पर वि‍त्त प्रदान कि‍या जाना चाहि‍ए जि‍न शर्तों पर प्रत्यक्ष वि‍त्त प्रदान कि‍या गया है।

(ख) बैंकों के पास संपत्ति‍यों के मूल्यांकन तथा बैंकों के एक्सपोजरों के लि‍ए स्वीकार कि‍ए गए संपार्श्वि‍क के मूल्यांकन के लि‍ए एक बोर्ड अनुमोदि‍त नीति‍ होनी चाहि‍ए और वह मूल्यांकन व्यावसायि‍क अर्हता प्राप्त स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता द्वारा कि‍या जाना चाहि‍ए।

(ग) संपार्श्वि‍क के रूप में ली गई भूमि‍ तथा भूमि‍ के अधि‍ग्रहण के लि‍ए वि‍त्त प्रदान करते समय भूमि‍ के मूल्यांकन के लि‍ए बैंक नि‍म्नानुसार मार्गदर्शन करें:

  1. बैंक भूमि‍ अधि‍ग्रहण तथा इसे वि‍कसि‍त करने हेतु निजी बिल्डरों को नहीं बल्कि सार्वजनिक एजेंसि‍यों को वि‍त्त प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते यह संपूर्ण परि‍योजना का हिस्‍सा हो जि‍समें मूलभूत सुवि‍धाओं जैसे जलप्रणाली, जलनिकासी, सड़क, बि‍जली की व्यवस्था आदि का वि‍कास शामि‍ल है।ऐसे सीमि‍त मामलों में जहां भूमि‍ अधि‍ग्रहण के लि‍ए वि‍त्त प्रदान कि‍या जा सकता है वहां अधि‍ग्रहण की लागत (वर्तमान मूल्य) में वि‍कास की लागत को मि‍लाकर पाई जाने वाली राशि‍ तक वि‍त्तपोषण को सीमि‍त रखना चाहि‍ए। ऐसी भूमि‍ का मुख्य जमानत के रूप में मूल्यांकन वर्तमान बाजार मूल्य तक सीमि‍त रखना चाहि‍ए।

  2. जहां कहीं भूमि‍ को संपार्श्वि‍क के रूप में स्वीकार कि‍या गया है वहां ऐसी भूमि‍ का मूल्यांकन केवल वर्तमान बाजार मूल्य पर ही कि‍या जाए।

(ii) आवास वित्त संस्थाओं को ऋण देना

बैंक आवास-वि‍त्त संस्थाओं को दिनांक 03 अप्रैल 2023 को जारी मास्टर परिपत्र – गैर बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफ़सी) को बैंक वित्त में उल्लिखित प्रावधानों सहित उनके (दीर्घावधि‍) कर्ज-इक्वि‍टी अनुपात, पि‍छले रि‍कार्ड, वसूली संबंधी कार्यनि‍ष्पादन और लागू विनियामक दिशानिर्देशों सहित अन्य संगत तथ्यों को दृष्टि‍गत रखते हुए मीयादी ऋण दे सकते हैं।

(iii) आवास बोर्डों और अन्य एजेंसियों को ऋण दि‍या जाना

बैंक राज्य-स्तरीय आवास बोर्डों और अन्य सरकारी एजेंसियो को मीयादी ऋण दे सकते हैं। लेकि‍न आवास-वि‍त्त प्रणाली की स्वस्थ परंपरा वि‍कसि‍त करने के लि‍ए ऐसा करते समय बैंकों को चाहि‍ए कि‍ वह लाभार्थी से की गई वसूली के मामले में इन एजेन्सि‍यों के केवल पि‍छले कार्यनि‍ष्पादन पर ही नजर न रखें, बल्कि‍ यह शर्त भी लगा दें कि‍ बोर्ड लाभार्थी से तत्परतापूर्वक और नि‍यमि‍त रूप से ऋणों की कि‍स्तों की वसूली करेंगे।

(iv) नि‍जी बि‍ल्डरों को मीयादी ऋण

(क) आवास के क्षेत्र में नि‍र्माण संबंधी सेवाएँ प्रदान करने वालों के रूप में व्‍यावसायिक बि‍ल्डरों द्वारा अदा की गयी भूमि‍का को दृष्टि‍गत रखते हुए, वह भी वि‍शेषत: उन मामलों में जहाँ राज्य आवास बोर्डों एवं अन्य सरकारी एजेंसि‍यों द्वारा भूमि‍ अधि‍ग्रहीत और वि‍कसि‍त की जाती है, वाणि‍ज्यि‍क बैंक नि‍जी बि‍ल्डरों को प्रत्येक खास परि‍योजना के लि‍ए वाणि‍ज्यि‍क शर्तों पर ऋण उपलब्ध करा सकते हैं।

(ख) तथापि, बैंकों को निजी बिल्डरों को भूमि- अधिग्रहण के लिए निधि-आधारित अथवा गैर निधि-आधारित सुविधाएं देने की अनुमति नहीं है, चाहे वह आवासीय परियोजना के एक भाग के रूप में ही क्यों न हो।

(ग) बैंकों द्वारा नि‍जी बि‍ल्डरों को दि‍ए जाने वाले ऋणों की अवधि‍ के मामले में कोई भी नि‍र्णय बैंक अपने वाणि‍ज्यि‍क वि‍वेक के आधार पर स्वयं लें लेकि‍न ऐसा करते समय वह सामान्य सावधानि‍याँ बर्तें और ऋण देने से पहले उपयुक्त प्रति‍भूति‍/जमानत भी प्राप्त कर लें।

(घ) ऐसे ऋण उन प्रति‍ष्ठि‍त बि‍ल्डरों को दि‍ए जाने चाहि‍ए जो नि‍र्माण-व्यवसाय से जुड़ी अर्हता रखने वाले व्यक्ति‍यों को नि‍योजि‍त करते हैं। बारीक नजर रखते हुए यह भी सुनि‍श्चि‍त कि‍या जाना चाहि‍ए कि‍ ऐसे ऋण के कि‍सी भी भाग का उपयोग जमीन की सट्टेबाजी के लि‍ए नहीं कि‍या जा रहा है।

(ङ) यह सुनि‍श्चि‍त करने के लि‍ए भी सावधानी बर्ती जानी चाहि‍ए कि‍ अंति‍म लाभार्थी से लि‍ए जाने वाले मूल्य में सट्टेबाजी का कोई भी तत्व मौजूद न हो अर्थात् लि‍या जाने वाला मूल्य भूमि‍ के दस्तावेजी मूल्य, नि‍र्माण की वास्तवि‍क लागत और उपयुक्त लाभ-मार्जि‍न पर आधारि‍त होना चाहि‍ए।

(v) आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियो को ऋण दि‍ए जाने से संबंधी नियम और शर्तें

(क) आवास क्षेत्र को संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि‍ करने के लि‍ए, आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों द्वारा स्‍वीकृत कि‍ए गए / स्‍वीकृत कि‍ए जाने वाले प्रत्यक्ष ऋणों के बदले बैंक इन एजेंसियों को मीयादी ऋण मंजूर कर सकते हैं, इन एजेंसियों द्वारा प्रति‍ उधारकर्ता को दि‍ए गए ऋण का आकार चाहे जो भी हो।

(ख) आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों द्वारा अनि‍वासी भारतीयों को स्‍वीकृत कि‍ए गए / स्‍वीकृत कि‍ए जाने वाले प्रत्यक्ष ऋणों के बदले भी बैंक इन एजेंसियों को मीयादी ऋण स्‍वीकृत कर सकते हैं। तथापि, चूँकि‍ भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने सभी आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को अनि‍वासी भारतीयों को आवास-वि‍त्त उपलब्ध कराने के प्रयोजनार्थ प्राधि‍कृत नहीं कि‍या है, इसलि‍ए बैंकों को यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ वह जि‍न आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को वि‍त्त उपलब्ध करा रहे हैं, वह अनि‍वासी भारतीयों को आवास-ऋण स्‍वीकृत करने के लि‍ए भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा प्राधि‍कृत हैं।

(vi) वाणिज्यिक स्थावर संपदा (सीआरई) एक्सपोजर पर दिशानिर्देशों का पालन करना

आवासीय मध्यवर्ती संस्थाओं को ऋण प्रदान करना 09 सितंबर 2009 को वाणिज्यिक स्थावर सम्पदा (सीआरई) एक्सपोजर के रूप में वर्गीकरण संबंधी दिशा-निर्देश पर जारी परिपत्र बैंपवि‍वि‍.बीपी.बीसी.सं.42/08.12.015/2009-10 और आवासीय क्षेत्र: सीआरई और प्रावधानीकरण को तर्कसंगत बनाना, जोखिम भरिता एवं एलटीवी अनुपात के अंतर्गत नया उप-क्षेत्र सीआरई (आवासीय गृहनिर्माण) पर 21 जून 2013 को जारी परिपत्र बैंपवि‍वि‍. बीपी. बीसी. सं. 104/08.12.015/2012-13 के तहत होगा।

3. ऋण की मात्रा

(क) बैंकों को आवासीय वित्त के रूप में प्रदान की जानेवाली ऋण की मात्रा तय करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मूल्‍य की तुलना में ऋण(एलटीवी) और जोखिम-भरिता निम्नलिखित अनुसार है:

ऋण की श्रेणी एलटीवी अनुपात (%) जोखिम - भरिता (%)
(ए) वैयक्तिक आवास ऋण    
30 लाख तक ≤ 80 35
> 80 तथा ≤ 90 50
30 लाख से अधिक और 75 लाख तक ≤ 80 35
75 लाख से अधिक ≤ 75 50
     
(बी) सीआरई-आरएच लागू नहीं 75

16 अक्तूबर 2020 को अथवा उसके पश्चात तथा 31 मार्च 2023 तक की अवधि के दौरान स्वीकृत वैयक्तिक आवास ऋणों के लिए प्रतिचक्रीय उपाय के रूप में जोखिम - भारिता दिनांक 16 अक्तूबर 2020 को वैयक्तिक आवास ऋण – जोखिम - भार को तर्कसंगत बनाना विषय पर जारी परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.24/08.12.015/2020-21 के अनुसार होगा। जोखिम-भारिता निम्नानुसार है-

एलटीवी अनुपात (%) जोखिम – भारिता (%)
≤ 80 35
> 80 तथा ≤ 90 50

(ख) ऋण स्‍वीकृत करते समय आवासीय संपत्ति का मूल्य तय करने के लिए अपनाई गई प्रणालियों में एकरूपता लाने की दृष्टि से बैंकों को चाहिए कि उनके द्वारा वित्तपोषित आवासीय संपत्ति की लागत में स्टॉम्प ड्यूटी, पंजीकरण और अन्य प्रलेखीकरण प्रभारों को शामिल नहीं करें ताकि एलटीवी मानदंडों की प्रभावशीलता कम न हो।

(ग) तथापि, ऐसे मामलों में जहां आवास/ रिहायशी इकाई की लागत 10 लाख रूपए से अधिक नहीं है, बैंक एलटीवी अनुपात की गणना के प्रयोजन के लिए आवास/रिहायशी इकाई की लागत में स्टैम्प ड्यूटी, पंजीकरण और अन्य प्रलेखीकरण प्रभारों को शामि‍ल कर सकते हैं।

4. नवोन्‍मेषी आवास ऋण उत्पाद – आवासीय ऋणों का प्रारम्भिक स्तर पर एकमुश्त संवितरण

(क) यह देखा गया है कि कुछ बैंकों ने डिवेलपर /भवन निर्माताओं के साथ मिलकर कतिपय नवोन्‍मेषी आवास ऋण योजनाएं शुरू की हैं, जैसेकि स्‍वीकृत किए गए वैयक्तिक आवासीय ऋणों के संवितरण को आवासीय परियोजना के निर्माण के विभिन्‍न चरणों से जोड़े बिना पहले से ही भवन निर्माताओं को संवितरित कर देना, निर्माण काल/विनिर्दिष्‍ट अवधि के दौरान वैयक्तिक उधारकर्ता द्वारा लिए गए आवास ऋण पर भवन निर्माताओं द्वारा ब्‍याज/ईएमआई की सेवा दी जानी आदि। इसके अंतर्गत बैंक, भवन निर्माता और आवासीय इकाई के क्रेता के मध्‍य त्रिपक्षी करारों पर हस्‍ताक्षर करना भी शामिल हो सकता है। यह ऋण उत्‍पाद 80:20, 75:25 योजना जैसे विविधि नामों से लोकप्रिय हैं।

(ख) इन ऋण उत्‍पादों के कारण बैंक और उनके आवास ऋण उधारकर्ताओं के अतिरिक्‍त जोखिम के प्रति एक्‍सपोज होने की संभावना बनती है, उदाहरण के लिए वैयक्तिक उधारकर्ताओं/भवन निर्माताओं के बीच विवाद की स्थिति में, सहमत अवधि के दौरान उधारकर्ता की ओर से भवन निर्माता/डिवेलपर द्वारा ब्‍याज/मासिक किस्‍त की चुकौती में चूक/विलंब की स्थिति में, परियोजना के समय से पूरा न होने की स्थिति में, इत्‍यादि। इसके साथ ही, बैंकों को भवन निर्माताओं/डिवेलपर द्वारा वैयक्तिक उधारकर्ताओं की ओर से किए गए किसी प्रकार के विलंबित भुगतान के परिणामस्‍वरूप साख सूचना कंपनियों(सीआईसी) द्वारा इन उधारकर्ताओं की क्रेडिट रेटिंग/स्‍कोरिंग नीचे गिर सकती है क्‍योंकि ऋणों की चुकौती से संबंधित सूचना नियमित आधार पर साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को प्रेषित की जाती है। ऐसे मामलों में, जहां वैयक्तिक उधारकर्ताओं की ओर से बैंक द्वारा भवन निर्माताओं/डिवेलपर को निर्माण के चरणों से संबद्ध किए बिना पहले ही एकमुश्‍त बैंक ऋण प्रदान कर दिए जाते हैं, बैंक निधियों के दुरुपयोग से संबद्ध विषमतापूर्ण उच्‍चतर जोखिम के एक्‍सपोजर से प्रभावित हो सकते हैं।

(ग) बैंकों को सूचित किया जाता है कि व्यक्तिगत तौर पर स्‍वीकृत किए गए आवास ऋणों के संवितरण को पूरी तरह से आवासीय परियोजनाओं/आवास के निर्माण के साथ जोड़ा जाना चाहिए तथा अपूर्ण/निर्माणाधीन/हरित क्षेत्र आवासीय परियोजनाओं के मामलों में पहले ही संवितरण नहीं किया जाना चाहिए।

(घ) जबकि, सरकारी/सांविधिक प्राधिकरणों द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं के मामले में ऋण का संवितरण ऐसे प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित भुगतान चरणों के अनुसार कर सकते हैं, ऐसे मामलों में भी जहां आवास क्रेताओं से मांगा गया भुगतान निर्माण के चरणों से जुड़ा हुआ न हो बशर्ते ऐसे प्राधिकरणों की कोई परियोजना विगत में अधूरी रह जाने का कोई इतिहास न रहा हो।

(ङ) इस पर जोर दिया जाए कि किसी प्रकार का उत्‍पाद शुरू करते समय बैंक को ग्राहक की उपयुक्‍तता और मामलों के औचित्‍य को ध्‍यान में रखना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उधारकर्ताओं/ग्राहकों को ऐसी परियोजनाओं के अंतर्गत जोखिमों एवं देयताओं से पूर्ण रूप से अवगत कराया गया है।

5. ब्याज दर

(क) बैंकों को उनके द्वारा प्रदान किए गए आवास वित्त पर समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 में निहित प्रावधानों के अनुसार ब्याज लेना चाहिए।

(ख) बैंकों को समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण पर अस्‍थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण करने के संबंध में दिनांक 18 अगस्त 2023 के परिपत्र विवि.एमसीएस.आरईसी.32/01.01.003/2023-24 के माध्यम से जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना होगा।

6. सांविधिक/विनियामक प्राधिकारियों का अनुमोदन

बैंकों को स्थावर संपदा के संबंध में ऋण प्रस्तावों का मूल्यांकन करते समय यह सुनि‍श्चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ संबंधि‍त उधारकर्ता ने जहां कहीं आवश्यक हो, सरकार/स्थानीय निकाय/अन्य सांवि‍धि‍क प्राधि‍कारि‍यों से परि‍योजना के लि‍ए पूर्व अनुमति‍ प्राप्त कर ली है। इसके कारण ऋण अनुमोदन की प्रक्रिया में रुकावट न हों, इसके लिए संबंधि‍त प्रस्तावों को सामान्य रूप से मंजूर कि‍या जा सकता है, हालांकि उधारकर्ता द्वारा सरकारी प्राधि‍कारि‍यों से आवश्यक अनुमति‍ प्राप्त कर लेने के बाद ही संवि‍तरण कि‍या जाना चाहि‍ए।

7. प्रकटीकरण की अपेक्षा

माननीय उच्च न्यायालय,बंबई द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए विशेष आवास /वि‍कास परि‍योजनाओं को वि‍त्त प्रदान करते समय बैंक शर्तों के एक हि‍स्से के रूप में नि‍म्नलि‍खि‍त को शामि‍ल करें:

(क) भवन नि‍र्माता /डिवेलपर/कंपनी अपनी पैम्फलेट/ ब्रोशर आदि‍ में उस बैंक (बैंकों) का नाम लिखें जि‍सको संपत्ति‍ बंधक रखी गई हो।

(ख) भवन नि‍र्माता /डिवेलपर/कंपनी कि‍सी वि‍शेष योजना के वि‍ज्ञापन को समाचार पत्रों/ पत्रि‍काओं आदि‍ में प्रकाशित करते समय बंधक से संबंधि‍त सूचनाओं को वि‍ज्ञापन में शामि‍ल करें।

(ग) भवन नि‍र्माता /डिवेलपर/कंपनी अपनी पैम्फलेट/ ब्रोशरों में यह दर्शाएं कि‍ वह फ्लैटों / संपत्ति‍ की बि‍क्री के लि‍ए यदि‍ आवश्यक है तो बंधकग्राही बैंक से अनापत्ति‍ प्रमाणपत्र (एनओसी)/अनुमति‍ प्रदान करेंगे।

(घ) बैंकों को यह भी सूचि‍त कि‍या जाता है कि‍ वह उपर्युक्त शर्तों का अनुपालन सुनि‍श्चि‍त करें और भवन नि‍र्माता/ डिवेलपर /कंपनी द्वारा उपर्युक्त अपेक्षाओं के पूरा कि‍ए जाने के बाद ही उन्हें नि‍धि‍ जारी करें।

(ङ) उपर्युक्त प्रावधान आवश्यक परिवर्तनों सहित वाणिज्यिक स्थावर संपदा पर भी लागू होंगे।

8. स्थावर संपदा के लिए एक्सपोज़र

बैंकों को उचित रूप से सूचित किया गया है कि वह स्थावर संपदा ऋणों की कुल राशि पर अधिकतम सीमा, ऐसे ऋणों की एकल/समूह एक्सपोज़र सीमा, मार्जिन, प्रतिभूति, चुकौती कार्यक्रम तथा पूरक वित्त की उपलब्धता के संबंध में विस्तृत विवेकपूर्ण मानदंड बनाएं तथा यह नीति बैंक के निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए। बैंक की नीति तैयार करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

9. प्राथमि‍कता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास ऋण

प्राथमि‍कता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण संबंधी लक्ष्य के लिए आवास ऋण प्रदान करना, जिसमें रिपोर्टिंग अपेक्षाएं भी शामिल हैं, इसके साथ ही "प्राथमि‍कता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण" पर समय-समय में यथा-संशोधित अनुदेशों के अधीन होगा।

10. किफ़ायती आवास का वित्‍तपोषण- बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना

"बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना- इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और किफायती आवास का वित्‍तपोषण" पर 15 जुलाई 2014 के बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 और इस विषय पर जारी परिपत्रों में उल्लिखित शर्तों के अधीन बैंक किफायती मकानों के लिए ऋण देने हेतु संसाधन जुटाने के लिए दीर्घावधि बांड जारी कर सकते हैं, जिनकी न्‍यूनतम परिपक्‍वता अवधि सात वर्ष होगी1

11. निष्पक्ष ऋण पद्धति

(क) यह देखा गया है कि बैंक चल/अचल संपत्ति के दस्तावेज़ लौटाने में भिन्‍न-भिन्‍न पद्धति अपनाते हैं, जिससे ग्राहकों की शिकायतें और विवाद उत्‍पन्‍न होते हैं। इस संबंध में बैंकों को दिनांक 13 सितंबर 2023 के परिपत्र विवि.एमसीएस.आरईसी.38/01.01.001/2023-24 द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना है, जो “ज़िम्मेदार उधार आचरण – वैयक्तिक ऋणों के पुनर्भुगतान/निपटान पर चल/अचल संपत्ति के दस्तावेज़ मुक्‍त करना” पर है।

(ख) दंडात्मक ब्याज के प्रकटीकरण में तर्कसंगतता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए, बैंकों को “उचित उधार प्रथा- ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क” पर दिनांक 18 अगस्त 2023 को जारी परिपत्र विवि.एमसीएस. आरईसी.28/01.01.001/2023-24 के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

(ग) बैंकों को समय-समय पर यथासंशोधित 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र – ऋण और अग्रिम - सांविधिक और अन्य प्रतिबंध के पैरा 2.5 में दिए उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता पर दिशानिर्देशों का पालन किया जाना है।

12. अन्‍य दिशानिर्देश

प्राकृति‍क आपदाओं से भवनों की सुरक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए बैंकों को सूचि‍त कि‍या जाता है कि‍ वह भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा बनाई गई राष्टीय भवन नि‍र्माण संहि‍ता (एनबीसी) का वि‍शेषकर पालन करें। बैंक इस पहलू को अपनी ऋण नीति‍यों में शामि‍ल करने पर वि‍चार कर सकते हैं। बैंकों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधि‍करण (एनडीएमए) के दि‍शानि‍र्देशों को भी अपनाना चाहि‍ए और अपनी ऋण नीति‍यों, प्रक्रि‍याओं और दस्‍तावेज़ीकरण के हिस्‍से के रूप में उचित रूप से शामि‍ल करना चाहि‍ए।


परिशिष्ट

आवास वि‍त्त पर मास्टर परि‍पत्र में समेकि‍त परि‍पत्रों की सूची

क्रम सं. परि‍पत्र सं. दिनांक वि‍षय
1. विवि.एमसीएस.आरईसी.38/01.01.001/2023-24 13.09.2023 जिम्मेदार उधार आचरण – वैयक्तिक ऋणों के पुनर्भुगतान/निपटान पर चल/अचल संपत्ति दस्तावेज़ वापस करना
2 विवि.एमसीएस.आरईसी.32/01.01.003/2023-24 18.08.2023 समान मासिक किस्तों (ईएमआई) आधारित व्यक्तिगत ऋण पर अस्थायी (फ्लोटिंग) ब्याज दर का पुनर्निर्धारण
3. विवि.एमसीएस.आरईसी.28/01.01.001/2023-24 18.08.2023 उचित उधार प्रथा - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क
4 विवि.सीआरई.आरईसी.13/08.12.015/2022-23 08.04.2022 वैयक्तिक आवास ऋण - जोखिम भार को तर्कसंगत बनाना
5. विवि.सं.बीपी.बीसी.24/08.12.015/2020-21 16.10.2020 वैयक्तिक आवास ऋण: जोखिम भार को तर्कसंगत बनाना
6 विवि.सं.बीपी.बीसी.41/08.12.014/2019-20 17.03.2020 बैंकों द्वारा दीर्घावधि बॉन्ड जारी करना- इंफ्रास्ट्रक्चर और किफ़ायती आवास के लिए वित्तपोषण
7. बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.72/08.12.015/2016-17 07.06.2017 वैयक्तिक आवास ऋण: जोखिम- भार और ऋण से मूल्य अनुपात (एलटीवी) को तर्कसंगत बनाना
8 बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.44/08.12.015/2015-16 08.10.2015 वैयक्तिक आवास ऋण: जोखिम- भार तथा ऋण से मूल्य (एलटीवी) अनुपातों को युक्तिसंगत बनाना
9. बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16 01.07.2015 मास्टर परिपत्र – ऋण और अग्रिम- सांविधिक और अन्य प्रतिबंध
10 बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.98/08.12.014/2014-15 01.06.2015 किफायती आवास और बुनियादी संरचना के वित्तपोषण के लिए बैंकों द्वारा दीर्घावधि बाण्ड जारी किया जाना- पारस्परिक धारिता
11. बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.50/08.12.014/2014-15 27.11.2014 बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना-इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर और किफायती दरों पर आवास का वित्‍तपोषण
12 बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.74/ 08.12.015/2014-15 05.03.2015 आवास ऋण – निर्देशों की समीक्षा
13. बैंविवि.बीपी.बीसी. सं.50/ 08.12.014/2014-15 27.11.2014 बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्‍तपोषण
14 बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/ 08.12.014/2014-15 15.07.2014 बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्‍तपोषण
15. बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.51/08.12.015/2013-14 03.09.2013 नवोन्‍मेषी आवास ऋण उत्‍पाद - आवास ऋणों का पहले से ही संवितरण
16 बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.104/08.12.015/2012-13 21.06.2013 आवास क्षेत्र : सीआरई के अंतर्गत नया उप-क्षेत्र सीआरई (रिहाइशी आवास)
और प्रावधान, जोखिम भार तथा एलटीवी अनुपातों को युक्तिसंगत बनाना
17. बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.78/08.12.001/2011-12 03.02.2012 वाणिज्यक बैंकों द्वारा दिये गये आवास ऋण - मूल्य के प्रति ऋण (एलटीवी) अनुपात
18 बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.45/08.12.015/2011-12 03.11.2011 वाणिज्यिक स्थावर संपदा (सीआरई) पर दिशानिर्देश
19. बैंपवि‍वि.डीआइआर.बीसी.सं.93/08.12.14/2010-11 12.05.2011 भवनों और इनफ्रास्ट्रक्चर का आपदारोधी नि‍र्माण सुनि‍श्चि‍त करने के लि‍ए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संबंधी दि‍शानि‍र्देश
20 बैंपवि‍वि.सं.बीपी.बीसी.69/08.12.001/2010-11 23.12.2010 वाणि‍ज्यक बैंकों द्वारा आवास ऋण - एलटीवी अनुपात, जोखि‍म भार और प्रावधानीकरण
21. बैंपवि‍वि.सं.डीआइआर(एचएसजी)बीसी.31/08.12.001/2009-10 27.8.2009 आवास परि‍योजनाओं के लि‍ए वि‍त्त - बैंक को संपत्ति‍ बंधक रखने से संबंधि‍त सूचना पुस्ति‍काओं/ब्रोशर/वि‍ज्ञापनों में प्रकट करने की अपेक्षा को शर्तों में शामि‍ल करना
22 बैंपवि‍वि.डीआइआर.बीसी.43/21.01.002/2006-07 17.11.2006 आवास ऋण - दि‍ल्ली उच्च न्यायालय के आदेश-कल्याण संस्था वेल्फेअर ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा भारत के संघ तथा अन्यों के खि‍लाफ दायर याचि‍का- नि‍देशों का कार्यान्वयन
23. बैंपवि‍वि.बीपी.बीसी.1711/08.12.14/2005-06 12.06.2006 ऋणदात्री संस्थाओं के लि‍ए आवश्यक राष्ट्रीय भवन नि‍र्माण संहि‍ता (एनबीसी) वि‍नि‍र्देशों का पालन
24 बैंपवि‍वि.बीपी.बीसी.65/08.12.01/2005-06 01.03.2006 स्थावर संपदा क्षेत्र में बैंकों का एक्सपोजर
25. बैंपवि‍वि.बीपी.बीसी.61/21.01.002/2004-05 23.12.2004 वर्ष 2004-05 के लि‍ए वार्षि‍क नीति‍ वक्तव्य की मध्यावधि‍ समीक्षा - आवास ऋण तथा उपभोक्ता ऋण पर जोखि‍म भार
26 बैंपवि‍वि.(आइईसीएस)सं.4/03.27.25/2004-05 03.07.2004 उधारकर्ता को खरीदी गयी ज़मीन पर जि‍स अवधि‍ के भीतर आवास नि‍र्माण करना है वह अवधि‍ नि‍र्धारि‍त करने के लि‍ए बैंकों को प्रदान की गयी स्वतंत्रता
27. औनि‍ऋवि.सं.14/01.01.43/2004-05 30.06.2004 औद्योगि‍क नि‍र्यात ऋण वि‍भाग के कार्यों का अन्य वि‍भागों के साथ वि‍लयन
28 बैंपवि‍वि.सं.बीपी.बीसी.106/21.01.002/2001-02 24.05.2002 आवास वि‍त्त तथा बंधक समर्थि‍त प्रति‍भूति‍यों पर जोखि‍म भार
29. औनि‍ऋवि.सं.22/03.27.25/2001-02 06.05.2002 वर्ष 2002-2003 के लिए आवास वि‍त्त का आवंटन
30 औनि‍ऋवि.सं.(आवि)12/03.27.25/98-99 15.01.1999 पुराना मकान खरीदने के लि‍ए प्रत्यक्ष वि‍त्त से संबंधि‍त शर्तें
31. औनि‍ऋवि.सं.(आवि)40/03.27.25/97-98 16.04.1998 प्रत्यक्ष आवास ऋण से संबंधि‍त शर्तें - मानदंडों की समीक्षा
32 औनि‍ऋवि.सं.27/03.27.25/97-98 22.12.1997 बैंकों को वार्षिक आवास वित्त आवंटन की योजना – प्रत्यक्ष आवास वित्त – संशोधन
33. औनि‍ऋवि.सं.सीएमडी.8/03.27.25/95-96 27.09.1995 सरकार द्वारा बजटीय सहायता उपलब्ध करायी जा रही परि‍योजनाओं के लि‍ए मीयादी ऋण की मंजूरी का नि‍षेध
34 बैंपवि‍वि.सं.बीसी.211/21.01.001/93 28.12.1993 कतिपय क्षेत्रों में ऋण पर प्रतिबंध – स्थावर संपदा ऋण
35. बैंपवि‍वि.सं.बीएल.बीसी.132/सी.168(एम)-91 11.06.1991 वि‍शेषीकृत आवास वि‍त्त शाखाएं खोलना
36 औनि‍ऋवि.सं.सीएडी.IV 223/(एचएफ-पी)- 88/89 02.11.1988 आवास वि‍त्त - आवास वि‍त्त संस्थाओं के संबंध में गठि‍त अध्ययन दल की सि‍फारि‍शों के आधार पर संशोधन
37. बैंपवि‍वि.सं.सीएएस.बीसी.70/सी.446(एचएफ पी)-81 05.06.1981 आवास वि‍त्त - संशोधि‍त दि‍शानि‍र्देश (सामान्य)
38 बैंपवि‍वि.सं.सीएएस.बीसी.71/सी. 446(एचएफ -पी)-79 31.05.1979 आवास वि‍त्त - आवास योजना के लि‍ए वि‍त्त प्रदान करने में बैंकिंग प्रणाली की भूमि‍का की जांच करने के लि‍ए गठि‍त कार्यदल की सि‍फारि‍शें

1 दिनांक 27 नवंबर 2014 का परिपत्र बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.50/08.12.014/2014-15, दिनांक 01 जून 2015 का परिपत्र बैविवि.बीपी.बीसी.सं.98/08.12.014/2014-15 और दिनांक 17 मार्च 2020 का परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.41/08.12.014/2019-20

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