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78480024

मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण

आरबीआई/2015-16/79
मास्टर परिपत्र सं. 4/2015-16

1 जुलाई 2015

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया /महोदय,

मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर-भारतीय मूल
के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण

अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों/गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 21/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा (3), (4) तथा (5) के अनुसार विनियमित किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में जारी विनियामक संरचना (फ्रेमवर्क) तथा अनुदेशों को इस मास्टर परिपत्र में समेकित किया गया है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

2. सामान्य मार्गदर्शन के लिए इस मास्टर परिपत्र का संदर्भ लिया जाए। आवश्यक होने पर विस्तृत जानकारी के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक संबंधित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं का संदर्भ लें।

3. नए अनुदेश जारी होने पर, इस मास्टर परिपत्र को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है। मास्टर परिपत्र किस तारीख तक अद्यतन है, इसका उचित रूप में उल्लेख किया जाता है।

भवदीय,

(ए. के. पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

1. प्रस्तावना
2. भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण
  ए. अनिवासी भारतीय (एनआरआई)
  बी. भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ)
3. विदेशी दूतावासों/राजनयिकों/महा वाणिज्यदूतावासों द्वारा अचल संपत्ति का अधिग्रहण
4. भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा अनुमत कार्यकलाप करने के लिए अचल संपत्ति का अधिग्रहण
5. अचल संपत्ति की बिक्री-आगम राशि का प्रत्यावर्तन
6. खरीद प्रतिफल वापस लौटाना
7. भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण के लिए कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता
8. भारत से बाहर के निवासी गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) द्वारा भारत में अचल संपत्ति की खरीद
संलग्नक-1
  भारत सरकार की प्रेस प्रकाशनी
संलग्नक-2
  फॉर्म आईपीआई
परिशिष्ट
  अधिसूचनाओं/ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्रों की सूची

1. प्रस्तावना

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) रिज़र्व बैंक को भारत से बाहर के निवासी कतिपय व्यक्तियों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण अथवा अंतरण को रोकने, प्रतिबंधित करने अथवा नियंत्रित करने के लिए विनियमों को बनाने का अधिकार देता है। भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण और अंतरण को नियंत्रित करने वाले विनियम, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा सं. 21/2000-आरबी के तहत अधिसूचित किये गये हैं।

2. भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण

ए. अनिवासी भारतीय (एनआरआई)1

(i) अचल संपत्ति की खरीद

अनिवासी भारतीय भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) को खरीद के मार्फत अर्जित कर सकता है।

(ii) अचल संपत्ति का अंतरण

अनिवासी भारतीय भारत में किसी निवासी व्यक्ति को अचल संपत्ति अंतरित कर सकता है। वह भारत से बाहर के निवासी किसी भारतीय नागरिक अथवा भारत से बाहर के निवासी भारतीय मूल के व्यक्ति को अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) अंतरित कर सकता है।

(iii) अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान

अनिवासी भारतीय अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागवानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए निम्नलिखित में से भुगतान कर सकता है:

ए. भारत से बाहर के किसी स्थान से आवक विप्रेषण के रूप में सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये भारत में प्राप्त निधियों अथवा अपने अनिवासी विदेशी/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक)/अनिवासी सामान्य खाते में नामे डालते हुए।

बी. ऐसे भुगतान यात्री चेकों द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा नोटों द्वारा अथवा उपर्युक्त में विशेष रूप से उल्लिखित को छोड़कर किसी अन्य तरीके से नहीं किये जा सकते हैं।

(iv) अनिवासी भारतीय जिसने सामान्य अनुमति के तहत रिहायशी/वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद की है, उसे रिज़र्व बैंक के पास कोई दस्तावेज फाइल करने की आवश्यकता नहीं है।

बी. भारतीय मूल का व्यक्ति (पीआइओ)2

(i) अचल संपत्ति की खरीद

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि/बागबानी संपत्ति/फार्म हाउस को छोड़कर) को खरीद के रूप में अर्जित कर सकता है।

(ii) अचल संपत्ति का उपहार/विरासत में अर्जन

(ए) भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में निवासी किसी व्यक्ति अथवा किसी अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति से उपहार के रूप में भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) अर्जित कर सकता है।

(बी) भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में निवासी किसी व्यक्ति अथवा भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति, जिसने उक्त संपत्ति, संपत्ति के अर्जन के समय प्रचलित विदेशी मुद्रा कानून अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियमगत विनियमावली के प्रावधानों के अनुसार खरीदी थी, से विरासत के रूप में भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है।

(iii) अचल संपत्ति का अंतरण

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में कोई अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) भारत में निवासी किसी व्यक्ति को बिक्री के रूप में अंतरित कर सकता है। वह भारत में कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस भारत में निवासी किसी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है, को उपहार अथवा बिक्री के रूप में अंतरित कर सकता है। वह भारत में रिहायशी अथवा वाणिज्यिक संपत्ति भी भारत में निवासी किसी व्यक्ति को अथवा भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है अथवा भारत से बाहर के निवासी भारतीय मूल के व्यक्ति को उपहार के रूप में अंतरित कर सकता है।

iv) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान

भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए भुगतान कर सकता है:

(ए) सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये आवक विप्रेषण द्वारा प्राप्त निधियों में से खरीद के रूप में अथवा उसके अनिवासी विदेशी/विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक)/अनिवासी सामान्य खाते में नामे डालते हुए।

(बी) ऐसे भुगतान यात्री चेकों द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा नोटों द्वारा अथवा उपर्युक्त में विशेष रूप से उल्लिखित को छोड़कर किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकते हैं।

(v) भारतीय मूल का व्यक्ति, जिसने सामान्य अनुमति के तहत रिहायशी/ वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद की है, उसे रिज़र्व बैंक के पास कोई दस्तावेज फाइल करने की आवश्यकता नहीं है।

3. विदेशी दूतावासों/ राजनयिकों/ महा वाणिज्यदूतावासों द्वारा अचल संपत्ति का अधिग्रहण

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5ए के अनुसार विदेशी दूतावास/ राजनयिक/ महा वाणिज्यदूतावास भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि / बागबानी संपत्ति / फार्म हाउस को छोड़कर) की खरीद/ बिक्री कर सकते हैं बशर्ते-

(i) इस प्रकार की खरीद/ बिक्री के लिए भारत सरकार, विदेश मंत्रालय से मंजूरी (क्लियरंस), तथा

(ii) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये विदेश से विप्रेषित निधियों में से किया जाता है।

4. भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा अनुमत कार्यकलाप करने के लिए अचल संपत्ति का अधिग्रहण

भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति, जिसने विदेशी मुद्रा प्रबंध (शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की भारत में स्थापना) विनियमावली, 2000 के अनुसार भारत में किसी कार्यकलाप को करने के लिए संपर्क कार्यालय को छोड़कर किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना की है, वह –

(ए) भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है, जो इस प्रकार के कार्यकलाप करने के लिए आवश्यक तथा प्रासंगिक है, बशर्ते उस समय में प्रचलित सभी लागू कानूनों, नियमों, विनियमों अथवा निर्देशों का विधिवत पालन किया जाता है; और वह व्यक्ति अधिग्रहण की तारीख से नब्बे दिनों के भीतर फॉर्म आईपीआई (संलग्नक–2) में रिज़र्व बैंक को एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करता है।

(बी) उपर्युक्त खंड (ए) के अनुसार अर्जित अचल संपत्ति का किसी उधार के लिए प्रतिभूति के रूप में प्राधिकृत व्यापारी को बंधक के रूप में अंतरित कर सकता है।

5. अचल संपत्ति की बिक्रीगत आगम राशि का प्रत्यावर्तन

(ए) खरीद के रूप में अर्जित अचल संपत्ति

(ए) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (5)3 में उल्लिखित व्यक्ति, अथवा उसका उत्तराधिकारी रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना उक्त उप-धारा में उल्लिखित अचल संपत्ति की बिक्रीगत आगम राशि भारत से बाहर प्रत्यावर्तित नहीं करेगा।

(बी) भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति है, द्वारा भारत में कृषि भूमि/फार्म हाउस/बागबानी संपत्ति को छोड़कर अचल संपत्ति की बिक्री के मामले में, प्राधिकृत व्यापारी बिक्रीगत आगम राशि भारत से प्रत्यावर्तित करने के लिए अनुमति दे सकता है, बशर्ते निम्नलिखित शर्तों को पूर्ण किया जाता हो, अर्थात:

(i) बिक्रेता द्वारा अचल संपत्ति, अधिग्रहण के समय लागू विदेशी मुद्रा कानून के प्रावधानों अथवा इन विनियमों के प्रावधानों के अनुसार अर्जित की गयी थी;

(ii) प्रत्यावर्तित की जाने वाली राशि निम्नलिखित से अधिक नहीं होनी चाहिए:

  • सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए प्राप्त विदेशी मुद्रा में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए अदा की गयी राशि, अथवा

  • विदेशी मुद्रा अनिवासी खाते में धारित निधियों में से अदा की गयी राशि, अथवा

  • जहां संपत्ति के अधिग्रहण के लिए इस प्रकार का भुगतान अनिवासी बाह्य खाते में धारित निधियों से किया गया था, अदा की गयी राशि के समतुल्य विदेशी मुद्रा (भुगतान की तारीख को); और

(iii) रिहायशी संपत्ति के मामले में, बिक्रीगत आगम राशि का प्रत्यावर्तन इस प्रकार की दो संपत्तियों तक सीमित है।

(बी) विरासत/वसीयत के रूप में/रूपया निधियों में से अर्जित अचल संपत्ति

अनिवासी भारतीय (एनआरआई)/भारतीय मूल का व्यक्ति (पीआईओ) अनिवासी सामान्य खाते में धारित/खरीद के रूप में आस्तियों की बिक्रीगत आगम राशि/विरासत/वसीयत के रूप में/रुपया निधियों में से उसके द्वारा अर्जित भारत में आस्तियों के शेष में से प्रति वित्तीय वर्ष 1,000,000 (केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर) अमरीकी डॉलर तक की राशि विप्रेषित कर सकता है। यह विप्रेषण विप्रेषक द्वारा अधिग्रहण, विरासत अथवा आस्तियों के वसीयत के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण और समय-समय पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यथा विनिर्दिष्ट लागू करों का भुगतान करने की शर्त के अधीन है। किसी वित्तीय वर्ष में 1,000,000 (केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर) अमरीकी डॉलर से अधिक के विप्रेषणों के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है।

उसके माता-पिता अथवा किसी नजदीकी रिश्तेदार (कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित) द्वारा किये गये भुगतान विलेख और अधिवासी की मृत्यु होने पर किये जा रहे भुगतान के मामलों में, विप्रेषण के लिए मूल भुगतान विलेख प्रस्तुत किया जाए। सभी विप्रेषण यथा लागू करों का भुगतान करने की शर्त के अधीन होंगे।

जब उपर्युक्तानुसार विप्रेषण एक से अधिक किस्त में किया जाए, तब ऐसी सभी किस्तों का विप्रेषण एक ही प्राधिकृत व्यापारी के जरिये किया जाएगा।

6. खरीद प्रतिफल वापस लौटाना

प्राधिकृत व्यापारी, रिहायशी/वाणिज्यिक संपत्ति की खरीद के लिए फ्लैट/प्लॉट के अनाबंटन/बुकिंग/ सौदे रद्द करने के कारण गृह निर्माण एजेंसियों / विक्रेताओं द्वारा आवेदन/ बयाना धन/ खरीद प्रतिफल की वापसी की राशि ब्याज सहित, यदि कोई हो, (उस पर दिये जाने वाले आय कर का निवल) अनिवासी विदेशी खाते/ विदेशी मुद्रा अनिवासी(बैंक) खाते में जमा करने की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते मूल भुगतान, खाताधारक के अनिवासी विदेशी खाते/ विदेशी मुद्रा अनिवासी(बैंक) खाते में से किया गया हो अथवा भारत के बाहर से सामान्य बैंकिंग चैनलों से विप्रेषण किया गया हो तथा जिसके बारे में प्राधिकृत व्यापारी उसकी सत्यता से संतुष्ट हो।

7. कतिपय देशों के नागरिकों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण (अर्जन) अथवा अंतरण पर प्रतिबंध

ऐसा कोई व्यक्ति जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल, भूटान, मकाऊ, अथवा हांगकांग का नागरिक है, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना भारत में, पाँच वर्षों से कम अवधि के लिए अचल संपत्ति पट्टे पर लेने के सिवाय कोई अन्य अचल संपत्ति अर्जित अथवा अंतरित नहीं कर सकता है।

8. भारत से बाहर के गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) द्वारा भारत में अचल संपत्ति की खरीद

(i) भारत से बाहर के गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) को भारत में कोई अचल संपत्ति अर्जित करने की अनुमति नहीं है, जब तक कि ऐसी संपत्ति किसी व्यक्ति, जो भारत का निवासी था, से विरासत के रूप में अर्जित की गयी हो। तथापि वे भारत में अचल संपत्ति, रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना पाँच वर्षों से कम अवधि के लिए पट्टे पर अर्जित अथवा अंतरित कर सकते हैं।

(ii) पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल, भूटान, मकाऊ, अथवा हांगकांग के नागरिकों को छोड़कर गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2(v) के अनुसार भारत के निवासी होने पर भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकते हैं। इस संबंध में उसे रहने की अवधि संबंधी शर्त पूरी करनी चाहिए। प्रदान किये गये विज़ा के प्रकार में विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2(v) के अनुसार उसकी निवास संबंधी स्थिति निर्धारित करने हेतु अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने का उद्देश्य स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए।

(भारत सरकार द्वारा जारी 1 फरवरी 2009 की प्रेस प्रकाशनी संलग्न-1 के रूप में संलग्न की गयी है)।

(iii) गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक), जिन्होंने रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से विरासत के रूप में भारत में अचल संपत्ति अर्जित की है अथवा रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से अचल संपत्ति की खरीद की है, वे ऐसी संपत्ति रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना अंतरित नहीं कर सकते हैं।

9. करों का भुगतान – इन विनियमों के अंतर्गत अचल संपत्ति के अर्जन वाला लेनदेन भारत में लागू कर कानूनों के तहत आएगा।


संलग्नक – 1

भारत सरकार की प्रेस प्रकाशनी
वित्त मंत्रालय

1 फरवरी 2009

भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा भूमि अर्जन करने के संबंध में सरकार का परामर्श

15:8 आईएसटी

भारत सरकार ने राज्य सरकार को भारत के बाहर निवासी व्यक्तियों द्वारा भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण तथा अंतरण के मामलों में अधिक सतर्क रहने के लिए तथा भारत में अचल संपत्ति की बिक्री अथवा खरीद के पंजीकरण के पहले फेमा के तहत पात्रता के संबंध में उनके संतुष्ट होने के लिए सूचित किया है। इरादा रखने वाले खरीददार तथा विक्रेता, दोनों पूछताछ में शामिल हैं। इस प्रकार की बिक्री/खरीद के पंजीकरण के पहले संबंधित यात्रा दस्तावेज तथा वीज़ा के प्रकार का भी सत्यापन किया जाए। इसके अतिरिक्त, सरकार ने राज्य सरकारों के सभी संबंधित प्राधिकारियों को सूचित किया है कि जहाँ यथोचित समझें, प्राधिकारी विधिक अपेक्षाओं के साथ उनके अनुपालन निर्धारित करने के लिए पहले ही किये गये बिक्री/खरीद के पंजीकरण की पुनरीक्षा करने पर विचार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अचल संपत्ति अर्जित करनेवाले व्यक्तियों को राज्य प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित की गयी अपेक्षाओं, यदि कोई हो, को पूर्ण करना होगा।

किसी विदेशी कंपनी, जिसने विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा 22/2000-आरबी) के प्रावधानों के तहत भारत में शाखा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना की है, वे भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकती है जो इस प्रकार के कार्यकलाप करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियमावली, 2000 के विनियम 5 में निर्धारित शर्त के अधीन आवश्यक अथवा प्रासंगिक है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त, कोई विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) जो नौकरी करने अथवा कारोबार/ व्यवसाय करने अथवा अनिश्चित अवधि के लिए रहने के उसके उद्देश्य को दर्शाते हुए किसी अन्य प्रयोजन के लिए पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान 182 दिनों से अधिक अवधि के लिए भारत में रहता है, भारत में अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है क्योंकि वह फेमा, 1999 की धारा 2(v) के अनुसार 'भारत में निवासी व्यक्ति' होगा। फेमा के तहत भारत में निवासी व्यक्ति के रूप में समझे जाने के लिए उस व्यक्ति को न केवल रहने की अवधि की शर्त (पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान 182 दिनों से अधिक होने के कारण) पूर्ण करनी है बल्कि उसके रहने का प्रयोजन साथ ही उसे प्रदान किया गया भारतीय वीज़ा का प्रकार तथा अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने का उसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से दर्शाना चाहिए। इस संबंध में रहने के उद्देश्य से पात्र बनने के लिए वीज़ा सहित समर्थनकारी दस्तावेज स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाने चाहिए।

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण) विनियम 21/2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 21/2000-आरबी) में निहित प्रावधानों के अनुसार भारत के बाहर निवासी कोई भारतीय नागरिक और भारत के बाहर निवासी भारतीय मूल का व्यक्ति भारत में कृषि भूमि, बागबानी अथवा फार्म हाउस को छोड़कर अन्य अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है।

केंद्र सरकार के ध्यान में यह बात आयी है कि विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) देश के कुछ भागों में, विशेषत: गोवा में अनधिकृत रूप से अचल संपत्ति की खरीद कर रहे हैं, जिससे गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है। कई संगठनों तथा सामाजिक समूहों ने इस संबंध में उनकी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को अभ्यावेदन भी किये हैं। यह भी देखा गया है कि भारत में आनेवाले विदेशी नागरिक (राष्ट्रिक) तथा किसी निश्चित अवधि के लिए जारी पर्यटक अथवा अन्य विज़ा पर 182 दिनों से अधिक अवधि के लिए रहनेवाले फेमा के तहत प्रचलित नियमों और विनियमों का उल्लंघन करते हुए भारत में अनधिकृत रूप से अचल संपत्ति अर्जित कर रहे हैं।

बीएससी/बीवाई/जीएन-1/09


संलग्नक-2

फॉर्म आईपीआई
(विनियम 4 देखें)

भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति, जिसने संपर्क कार्यालय को छोड़कर भारत में शाखा, कार्यालय अथवा अन्य कारोबारी स्थान की स्थापना की है, द्वारा भारत में अर्जित अचल संपत्ति के संबंध में घोषणापत्र

अनुदेश:

1. घोषणापत्र दो प्रतियों में पूर्ण किया जाना चाहिए तथा अचल संपत्ति अर्जित करने की तारीख से 90 दिनों के भीतर मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, (विदेशी निवेश प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई – 400001 को सीधे प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।

2. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 21/2000-आरबी के विनियम 3 और 4 में निहित सामान्य अनुमति के अंतर्गत भारत से बाहर के निवासी किसी भारतीय नागरिक और भारत से बाहर के निवासी किसी भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) को भारत में अचल संपत्ति अर्जित करने के संबंध में यह फॉर्म प्रस्तुत नहीं करना है।

प्रलेखन:

फेमा, 1999 (1999 का 42) की धारा 6(6) के तहत प्राप्त किये गये रिज़र्व बैंक के अनुमोदन पत्र की प्रमाणित प्रतियाँ ।

1   अचल संपत्ति अर्जित करने वाले का पूर्ण नाम तथा पता    
2 (ए) अचल संपत्ति का वर्णन (ए)  
  (बी) राज्य, शहर का नाम तथा म्युनिसिपल/सर्वे संख्या, आदि दर्शाते हुए उसके सही स्थान के ब्योरे (बी)  
3 (ए) अचल संपत्ति अर्जित करने का प्रयोजन (ए)  
  (बी) रिज़र्व बैंक की अनुमति की संख्या तथा तारीख, यदि कोई हो, (बी)  
4   अचल संपत्ति अर्जित करने की तारीख    
5 (ए) अचल संपत्ति कैसे अर्जित की गयी अर्थात खरीद के रूप में अथवा पट्टे पर (ए)  
  (बी) विक्रेता / पट्टाकर्ता का नाम, नागरिकता तथा पता (बी)  
  (सी) खरीद मूल्य की राशि तथा निधियों के स्त्रोत (सी)  

मैं/ हम एतद्द्वारा घोषित करता हूँ/ करते हैं कि

(ए) उपर्युक्त में दिये गये ब्योरे मेरी/ हमारी सर्वोत्तम जानकारी और विश्वास के अनुसार सत्य और सही हैं;

(बी) उपर्युक्त संपत्ति का कोई भाग पट्टे पर/ भाड़े पर नहीं दिया गया है अथवा अन्यथा किसी अन्य पार्टी द्वारा उपयोग किये जाने के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है।

अनुलग्नक:

------------------------
(प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर)
मुहर

स्थान:----
दिनांक------

नाम:-------------------
पदनाम:----------------


परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/ए.पी.(डीआइआर सीरीज़) परिपत्रों की सूची

क्रम सं. अधिसूचना/ परिपत्र दिनांक
1. फेमा 21/2000 –आरबी 3 मई 2000
2. फेमा 62/2002-आरबी 13 मई 2002
3. फेमा 65/2002 –आरबी 29 जून 2002
4. फेमा 64/2002 –आरबी 29 जून 2002
5. फेमा 93/2003 –आरबी 9 जून 2003
6. फेमा 146/2006 –आरबी 10 फरवरी 2006
7. फेमा 200/2009 –आरबी 5 अक्तूबर 2009
8. फेमा 321/2014-आरबी 26 सितंबर 2014
9. फेमा 335/2015-आरबी 4 फरवरी 2015

1. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.1 2 जुलाई 2002
2. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.5 15 जुलाई 2002
3. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19 12 सितंबर 2002
4. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.35 1 नवंबर 2002
5. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.46 12 नवंबर 2002
6. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.27 28 सितंबर 2002
7. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.56 26 नवंबर 2002
8. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.67 13 जनवरी 2003
9. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19 23 सितंबर 2003
10. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.5 16 अगस्त 2006
11. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.25 13 जनवरी 2010
12. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.79 15 फरवरी 2012
13. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 151 30 जून 2014
14. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 38 20 नवंबर 2014
15. ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं. 83 11 मार्च 2015

1 अनिवासी भारतीय भारत से बाहर का निवासी भारत का नागरिक है।

2 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 21/2000-आरबी के विनियम 2(सी) के अनुसार भारतीय मूल के व्यक्ति (जो पाकिस्तान अथवा बांगलादेश अथवा श्रीलंका अथवा अफगानिस्तान अथवा चीन अथवा ईरान अथवा नेपाल अथवा भूटान का नागरिक न हो) का अर्थ उस व्यक्ति से है-

  • जिसके पास किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट रहा हो; अथवा
  • कोई व्यक्ति अथवा उसके पिता अथवा माता में से कोई अथवा उसके पितामह अथवा मातामही में से कोई भारत के संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955(1955 का 57) की हैसियत से भारत के नागरिक थे।

3 भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति भारतीय मुद्रा, प्रतिभूति अथवा भारत में स्थित अचल संपत्ति धारित कर सकता है, स्वामित्व में रख सकता है, अंतरित कर सकता है अथवा निवेश कर सकता है, यदि इस प्रकार की मुद्रा, प्रतिभूति अथवा संपत्ति जब वह भारत का निवासी था तब उसने प्राप्त की थी, धारित की थी, अथवा उसके स्वामित्व में थी अथवा भारत के निवासी व्यक्ति से विरासत में प्राप्त हुई थी ।

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