मास्टर निदेश – भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों / भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश – भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों / भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन
भा.रि.बैंक/विमुवि/2015-16/2 1 जनवरी 2016 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया / महोदय मास्टर निदेश – भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों / भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए (INR) में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 4/2000-आरबी के जरिए अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-6 की उप-धारा 3 के खंड (ई) द्वारा विनियमित किए जाते हैं। इन विनियमों में विनियामक ढाँचे में हुए परिवर्तनों को अंतर्निहित करने के लिए समय-समय पर संशोधन किया जाता है और संशोधित अधिसूचनाओं के जरिए प्रकाशित किया जाता है। 2. भारतीय रिज़र्व बैंक इन विनियमों की रूपरेखा के भीतर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है। ये निदेश प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा विनियमों के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए अपने ग्राहकों/घटकों के साथ किए जाने वाले विदेशी मुद्रा कारोबार के तौर-तरीके निर्धारित करते हैं। 3. इस मास्टर निदेश में उपर्युक्त लेनदेनों के संबंध में जारी अनुदेशों को और भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास भारत से बाहर किसी बैंक द्वारा रखे गए भारतीय रुपए (INR) केखाते में ओवरड्राफ्ट से संबंधित अनुदेशों को भी समेकित किया गया है क्योंकि बाद वाले अनुदेशों का सेट भी उपर्युक्त विनियमावली का भाग है। इस मास्टर निदेश के आधार स्वरूप निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गयी है। रिपोर्टिंग अनुदेश, रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश में पाये जा सकते हैं (1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 18)। 4. यह नोट किया जाए कि जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों/घटकों के साथ किए जाने वाले संबंधी लेनदेनों के तरीके में किसी परिवर्तन के संबंध में ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्रों के जरिए प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। इसके साथ जारी मास्टर निदेश में साथ-साथ यथोचित रूप से संशोधन किया जाएगा। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) संक्षेपाक्षर
मास्टर निदेश - भारत में निवासी व्यक्तियों और अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और देने संबंधी लेनदेन भाग I 1.इस मास्टर निदेश में प्रयुक्त महत्वपूर्ण शब्द (Terms) 1.1 इस विनियमावली में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,‘प्राधिकृत व्यापारी’,‘प्राधिकृत बैंक’,‘अनिवासी भारतीय’‘भारतीय मूल का व्यक्ति’, ‘एनआरई खाता’,‘एनआरओ खाता’,‘एनआरएनआर’ खाता’,‘एनआरएसआर खाता’ तथा एफसीएनआर (बी) खाता’ का अर्थ वही होगा, जो 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी के जरिए अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 में क्रमश: उन्हें दिया गया है। 1.2 ‘आवास वित्त संस्था’ और ‘राष्ट्रीय आवास बैंक’ का अर्थ वही होगा जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में उन्हें दिया गया है। 1.3 ‘उदारीकृत विप्रेषण योजना’ का अर्थ 4 फरवरी 2004 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 64 और समय-समय पर यथा संशोधित (विनियमावली) के अनुसार तैयार की गई योजना है। 1.4 ‘भारतीय मूल का व्यक्ति’ और ‘भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति’ का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धाराएँ 2(v) और 2(w) में उन्हें दिया गया है। 1.5 ‘रिश्तेदार’ का अर्थ कंपनी अधिनियम, 1956/2013 के अंतर्गत यथा परिभाषित ‘रिश्तेदार’ है:
1.6 ‘अंतरणीय विकास अधिकार’का अर्थ वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 में उसे दिया गया है। टिप्पणी : 01 अप्रैल 2002 से, NRNR खाता योजना अथवा NRSR खाता योजना के अंतर्गत कोई जमाराशि, भले मौजूदा राशि के नवीकरण के रूप में अथवा अन्यथा के रूप में, का स्वीकार नहीं किया जा सकता है। मास्टर निदेश में उल्लिखित प्रावधान तदनुसार पढ़े जाएँ। 2. भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से भारतीय रुपए मेंउधार लेना 2.1 उधार लेने के लिए अनुमत मार्ग: भारत में निवासी व्यक्ति अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से निम्नलिखित दो मार्गों के अंतर्गत भारतीय रुपए में उधार ले सकते हैं: 2.1.1 भारत में कंपनियों को छोड़कर व्यक्तियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना: भारत में निवास करने वाला कोई व्यक्ति, भारत में निगमित कंपनी न होने पर,अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों सेनिम्नलिखित शर्तों के अधीन रुपए में उधार ले सकता है:
2.1.2 भारत में कंपनियों द्वारा भारतीय रुपए में उधार लेना: भारत में निगमित कोई कंपनीअनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों सेप्रत्यावर्तन या अप्रत्यावर्तन के आधार पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में उधार ले सकती है: i. उधार लेने वाली कंपनी निम्न व्यवसाय नहीं करती है और नहीं करेगी: ए. कृषि/बागान/भूमि-भवन कारोबार; अथवा बी. अंतरणीय विकास अधिकारों में व्यापार; अथवा सी. निधि या चिट फंड कंपनी के रूप में कार्य । ii. उधार अपरिवर्तनीय डिबेंचर (NCDs) जारी करते हुए लिया जाता है; iii. अपरिवर्तनीय डिबेंचरों का निर्गम सार्वजनिक प्रस्ताव द्वारा किया जाता है; iv. ब्याज की दर उधार लेने वाली कंपनी की आम सभा में उक्त निर्गम का अनुमोदन करते हुए संकल्प को पारित करने की तारीख को विद्यमान भारतीय स्टेट बैंक की मूल उधार दर और तीन प्रतिशत से अधिक न हो; v. ऋण की अवधि तीन वर्षों से कम नहीं होगी; vi. यदि उधार प्रत्यावर्तन आधार पर है, तो जारी किए गए सभी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों के कुल प्रदत्त मूल्य में से अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल केव्यक्तियों को जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs) का प्रतिशत,भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए इक्विटी शेयरों/परिवर्तनीय डिबेंचरों के निर्गम हेतु निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, उधार के लिए निधियाँ, भारत के बाहर से आवक विप्रेषण के जरिए अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास रखे गए निवेशक के अनिवासी बाह्य/ विदेशी मुद्रा अनिवासी खाते (बैंक) में नामे डालते हुए प्राप्त की जाएगी। vii. यदि उधार अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों से अप्रत्यावर्तन आधार पर है, तो ऋण की राशि भारत के बाहर से आवक विप्रेषण के जरिए अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास रखे गए निवेशक के NRE/NRO/FCNR(B)/NRNR/NRSR खाते में नामे डालते हुए प्राप्त की जाएगी। ब्याज की अदायगी और मूल राशि की चुकौती केवल उधारदाता के NRO खाते में की जाएगी। 2.1.3 उधार ली गई निधियों के प्रयोग पर प्रतिबंध : उपर्युक्त 2.1.1 और 2.1.2 के तहत दिये गए प्रावधानों के भीतर उधार ली गई निधियों की आगम राशि का उपयोग निम्नलिखित प्रतिबंधों के अधीन किया जा सकता है:
2.2 रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ : उपर्युक्त 2.1.2 के तहत उधार के लिए, उधारकर्ता कंपनी को निम्न की तारीख से 30 दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के नजदीकतम कार्यालय में फाइल करना होगा: 2.2.1 NCDs में निवेश के लिए विप्रेषण की रसीद, प्राप्त किए गए विप्रेषणों के पूरे ब्योरे, अर्थात (ए) ऐसे अनिवासी भारतीयों के नाम और पतों की सूची, जिन्होंने प्रत्यावर्तन और/अथवा अप्रत्यावर्तन आधार पर निवेश के लिए निधियाँ प्रेषित की हैं, (बी) विप्रेषण की राशि और प्राप्त होने की तारीख तथा उसके समकक्ष रुपए; और (सी) प्राधिकृत व्यापारियों के नाम और पते, जिनके जरिए विप्रेषण प्राप्त किए गए हैं; साथ ही 2.2.2 अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स के निर्गम, निवेश के पूरे व्योरे, अर्थात (ए) अनिवासी भारतीयों के नाम और पतों की सूची तथा प्रत्यावर्तन और/अथवा अप्रत्यावर्तन आधार पर उनमें से प्रत्येक को जारी किए गए अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स की संख्या और (बी) उनके कंपनी सचिव से इस आशय का प्रमाणपत्र कि NCDs के निर्गम के संबंध में सभी लागू प्रावधानों का विधिवत पालन किया गया है। 3. प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अनिवासी भारतीयों को भारतीय रुपए में उधार देना 3.1 निजी आवश्यकताएँ अथवा निजी व्यवसाय प्रयोजनों के लिए उधार देना: भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी किसी अनिवासी भारतीय को, बाद वाले द्वारा धारित शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों की जमानत पर अथवा अचल संपत्ति (कृषि अथवा बागान अथवा फार्म हाउस को छोड़कर) की जमानत पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:
3.2 कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के अंतर्गत शेयर अर्जित करने के लिए उधार देना: भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी भारतीय कंपनियों के अनिवासी भारतीय कर्मचारियों को कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के अंतर्गत कंपनी के शेयर अर्जित करने के लिए निम्नलिखित शर्तों पर भारतीय रुपये में ऋण प्रदान कर सकता है :
4. प्राधिकृत व्यापारी अथवा आवास वित्त संस्था द्वारा अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति को आवास प्रयोजन के लिए भारतीय रुपए में उधार देना भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी अथवा राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अनुमोदित कोई आवास वित्त संस्था अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति को भारत में आवासीय स्थान अधिग्रहण करने हेतु निम्नलिखित शर्तों के अधीन आवास ऋण प्रदान कर सकता है:
5. भारतीय निकाय निगम द्वारा अपने अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति होने वाले कर्मचारियों को भारतीय रुपए में ऋण भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई निकाय निगम अपने अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति होने वाले कर्मचारियों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:
6. निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी भारतीय को भारतीय रुपए में ऋण कोई निवासी व्यक्ति अनिवासी भारतीय रिश्तेदार को रेखांकित चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के रूप में निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारतीय रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है:
7. उधारकर्ता/ उधारदाता की भारत में निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन 7.1 उधारकर्ता की भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन: यदि उधारकर्ता, जिसने किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक से रुपये में ऋण/ओवरड्राफ्ट लिया है, की भारत में निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन होता है, तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक उधारदाता की संतुष्टि की शर्त के अधीन ऋण/ओवरड्राफ्ट की मूल परिपक्वता तक उसे बनाए रखने के लिए अनुमति दे सकता है।जब तक उधारकर्ता भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्ति के रूप में रहना जारी रखता है, तब तक चुकौती भारत के बाहर से आवक विप्रेषणों द्वारा अथवा उधारकर्ता के NRE/FCNR(B)/NRNR/NRO/NRSR खाते से की जाएगी। 7.2 उधारदाता की भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन: यदि भारत में निवास करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा भारत में निवास करने वाले किसी अन्य व्यक्ति को रुपया ऋण प्रदान किया गया है तथा उधारदाता बाद में अनिवासी बन जाता है, तो निवासी उधारकर्ता द्वारा ऋण की चुकौती उधारदाता के अनिवासी साधारण (एनआरओ) खाते में राशि जमा करते हुए की जानी चाहिए। भाग II 8. प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अपनी शाखाओं/संपर्ककर्ता बैंकों/भारत के बाहर के प्रधान कार्यालय को ओवरड्राफ्ट प्राधिकृत व्यापारी अपनी भारत से बाहर स्थित शाखाओं, अथवा संपर्ककर्ता बैंकों अथवा प्रधान कार्यालय द्वारा उसके पास रखे गए भारतीय रुपया खातों में पाँच सौ लाख रुपये से अनधिक मूल्य के लिए अस्थायी ओवरड्राफ्ट की अनुमति रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों की शर्तों के अधीन दे सकता है। पाँच सौ लाख रुपये की उच्चतम सीमा का परिकलन करने के प्रयोजन के लिए, प्राधिकृत व्यापारी द्वारा उसकी भारत से बाहर स्थित शाखाओं, अथवा संपर्ककर्ता बैंकों अथवा प्रधान कार्यालय को अनुमत ओवरड्राफ्ट की कुल राशि हिसाब में ली जाएगी। इस मास्टर निदेश में समेकित अधिसूचनाओं / ए.पी.(डीआइआर सीरीज़) परिपत्रों की सूची
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