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मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में संपर्क/ शाखा/परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना

आरबीआई /2012-13/07
मास्टर परिपत्र सं.07/ 2012-13

02 जुलाई  2012

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I  बैंक

महोदया /महोदय,

मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में
संपर्क/ शाखा/परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना

भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.22/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999  की धारा 6 (6) के अनुसार विनियमित की जाती है।

2. यह मास्टर परिपत्र "विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान पर समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों /अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

3. यह मास्टर परिपत्र एक वर्ष की अवधि के लिए (सनसेट खंड के साथ) जारी किया जा रहा है। यह परिपत्र 01 जुलाई 2013 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

(ए) सामान्य

(बी) संपर्क कार्यालय

(सी) शाखा कार्यालय

(डी) अतिरिक्त कार्यकलाप करने अथवा अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालयों के लिए आवेदनपत्र

(ई) शाखा/संपर्क कार्यालयों द्वारा वार्षिक कार्यकलाप संबंधी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना

(एफ) शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करना

(जी) परियोजना कार्यालय

(एच) भारत में विदेशी संस्थाओं के शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों पर लागू अन्य सामान्य शर्ते

अनुबंध 1

एफएनसी

अनुबंध 2

चुकौती आश्वासन पत्र का फॉर्मेट

अनुबंध 3

परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची

विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना

(ए) सामान्य

भारत में संपर्क/शाखा कार्यालय स्थापित करने के लिए इच्छुक, भारत से बाहर निगमित कंपनी निकाय {किसी फर्म अथवा व्यक्तियों की अन्य संस्था (संगठन) सहित} को फेमा, 1999 के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है। ऐसी संस्थाओं से फॉर्म एफएनसी (अनुबंध-1) में प्राप्त आवेदनों पर रिज़र्व बैंक द्वारा दो मार्गों के अंतर्गत विचार किया जाता है:

  • रिज़र्व बैंक मार्ग - विदेशी संस्था का मूल व्यवसाय ऐसे क्षेत्रों के अंतर्गत आता है जहां स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है।

  • सरकारी मार्ग - विदेशी संस्था का मूल व्यवसाय ऐसे क्षेत्रों के अंतर्गत आता है जहां स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं है। इस श्रेणी के अंतर्गत आनेवाली संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों/ लाभ-रहित संगठनों/सरकारी निकायों/विभागों से प्राप्त आवेदनों पर रिज़र्व बैंक द्वारा भारत सरकार, वित्त मंत्रालय के परामर्श से विचार किया जाता है।

विदेशी संस्थाओं के संपर्क/शाखा कार्यालयों को स्वीकृति देते समय रिज़र्व बैंक द्वारा निम्नलिखित अतिरिक्त मापदंडों पर भी विचार किया जाता है:

  • ट्रैक रिकार्ड :

    शाखा कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले लगातार पांच वित्तीय वर्षों के दौरान लाभार्जन का ट्रैक रिकार्ड ।

    संपर्क कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले लगातार तीन वित्तीय वर्षों के दौरान लाभार्जन का ट्रैक रिकार्ड ।

  • निवल मालियत [कुल प्रदत्त पूंजी और निर्बंध आरक्षित कुल निधियों में से सरकारी प्रमाणित लोक लेखाकार अथवा किसी नाम से पंजीकृत लेखा व्यावसायिक द्वारा अद्यतन लेखा-परीक्षित तुलन पत्र अथवा लेखा विवरण के अनुसार अमूर्त परिसंपत्तियों को घटाते हुए]

    • शाखा कार्यालय के लिए-100,000 अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य से अधिक।
    • संपर्क कार्यालय के लिए- 50,000 अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य से अधिक।

विदेशी संस्था द्वारा भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए आवेदन पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक के जरिये प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई - 400001 को निम्नलिखित निर्धारित दस्तावेजों के साथ प्रेषित किया जाए:

  • पंजीकरण के देश में भारतीय दूतावास/नोटरी पब्लिक द्वारा साक्ष्यांकित निगमन/ पंजीकरण अथवा संस्था के बहिर्नियम तथा अंतर्नियम के प्रमाणपत्र का अंग्रेजी रूपांतरण।

  • आवेदक संस्था का अद्यतन लेखा-परीक्षित तुलन पत्र।

आवेदक, जो पात्रता मानदंड का पूरे नहीं करते हैं तथा अन्य कंपनियों की सहायक कंपनियाँ हैं, वे अनुबंध-2 के अनुसार अपनी मूल कंपनी से चुकौती आश्वासन प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सकते हैं, बशर्ते मूल कंपनी उपर्युक्त निर्धारित पात्रता मानदंड पूरे करती हो। पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक को अपने अभिमतों/ सिफारिशों के साथ आवेदनपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रेषित करने से पहले आवेदक की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक का पूर्ववृत, कार्यकलाप का स्वरुप तथा स्थान, निधियों के स्त्रोत, आदि के संबंध में यथोचित जांच-पड़ताल कर लेने के साथ ही साथ अपने ग्राहक को जानिये मापदंडों का अनुपालन सुनिश्चित कर लेना चाहिए।

रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से स्थापित किए गए शाखा/संपर्क कार्यालयों को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआइएन)(www.rbi.org.in/scripts/Fema.aspx) आबंटित की जाएगी।

भारत में कार्यालयों की स्थापना करने पर शाखा/संपर्क कार्यालयों को आय-कर प्राधिकारियों से स्थायी खाता संख्या (पीएएन) भी प्राप्त करनी चाहिए।

(बी) संपर्क कार्यालय

बी.1 संपर्क कार्यालय के लिए स्वीकृत कार्यकलाप

संपर्क कार्यालय (जिन्हें प्रतिनिधि कार्यालय के रूप में भी जाना जाता है) केवल संपर्क कार्यकलाप कर सकता है, अर्थात् विदेश में प्रधान कार्यालय तथा भारत में पार्टियों के बीच संप्रेषण के चैनल के रूप में कार्य कर सकता है। उसे भारत में कोई व्यवसाय कार्यकलाप करने तथा भारत में आय अर्जित करने के लिए अनुमति नहीं है। ऐसे कार्यालयों के व्यय समग्रत: भारत से बाहर के प्रधान कार्यालय से विदेशी मुद्रा के आवक विप्रेषण के जरिये किये जाने चाहिए। अत: इन कार्यालयों की भूमिका संभाव्य बाजार अवसरों संबंधी जानकारी प्राप्त करना तथा भावी भारतीय ग्राहकों को कंपनी तथा उसके उत्पादों के बारे में जानकारी प्रदान करने तक सीमित है। ऐसे कार्यालयों की स्थापना के लिए अनुमति प्रारंभिक रूप से 3 वर्षों की अवधि के लिए दी जाती है तथा प्राधिकृत व्यापारी   श्रेणी-। बैंक द्वारा समय-समय पर इसका विस्तार किया जा सकता है।

संपर्क कार्यालय भारत में निम्नलिखित कार्यकलाप कर सकता है :

i.   भारत में मूल कंपनी/समूह कंपनियों का प्रतिनिधित्व करना।
ii.  भारत से/को निर्यात/आयात संवर्धन।
iii. मूल/समूह कंपनियों और भारत में कंपनियों के बीच तकनीकी/वित्तीय सहयोग संवर्धन।
iv. मूल कंपनी और भारतीय कंपनियों के बीच संचार - माध्यम के रूप में कार्य करना।

बी.2. विदेशी बीमा कंपनियों / बैंकों के संपर्क कार्यालय

विदेशी बीमा कंपनियाँ बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण(आइआरडीए) से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संपर्क कार्यालय की स्थापना कर सकते हैं।

विदेशी बैंक भारत में बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (डीबीओडी), भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संपर्क कार्यालय की स्थापना कर सकते हैं ।

बी.3. संपर्क कार्यालयों के अनुमोदन की वैधता में विस्तार

पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक संपर्क कार्यालयों की वैधता अवधि में रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदान किये गये/मूल अनुमोदन/विस्तार की समाप्ति की तारीख से 3 वर्षों की अवधि के लिए विस्तार प्रदान कर सकते हैं,यदि आवेदक ने निम्नलिखित शर्तों का पालन किया हो तथा आवेदन अन्यथा सही हो।

  • संपर्क कार्यालय को पूर्ववर्ती वर्षों के लिए वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए और

  • प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक के पास रखे गये संपर्क कार्यालय के खाते का परिचालन अनुमोदन में निर्धारित शर्तों के अनुसार किया जा रहा है।

ऐसा विस्तार अनुरोध की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर, यथा संभव यथाशीघ्र, प्रदान किया जाना चाहिए तथा उसकी सूचना मूल अनुमोदन पत्र की संदर्भ संख्या तथा विशिष्ट पहचान संख्या (यूआइएन) उद्धृत करते हुए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को तथा प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को दी जानी चाहिए।

बैंकों और बीमा कारोबार में लगी संस्थाओं के संपर्क कार्यालयों की वैधता अवधि में विस्तार के लिए आवेदनपत्र, पहले की तरह, क्रमश: बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) द्वारा निर्धारित किये अनुसार उन्हें सीधे प्रस्तुत किये जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, ऐसी संस्थाएं जो गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं और जो भवन निर्माण और विकास क्षेत्र (संरचना क्षेत्र विकास कंपनियों को छोड़कर) में कार्यरत हैं, के संपर्क कार्यालय के लिए समय विस्तार पर विचार नहीं किया जाएगा। वैधता अवधि की समाप्ति पर, मौजूदा निवेश विदेशी प्रत्यक्ष नीति के अनुसार इन संस्थाओं को या तो बंद करना होगा अथवा संयुक्त उद्यम (जेवी)/पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक संस्था (डब्ल्यूओएस) में परिवर्तित करना होगा।

(सी) शाखा कार्यालय

सी.1 स्वीकृत कार्यकलाप

ए.) भारत से बाहर निगमित तथा विनिर्माण अथवा व्यापारिक कार्यकलापों में लगी कंपनियों को रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन के साथ भारत में शाखा कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुमति दी जाती है। ऐसे शाखा कार्यालयों को मूल/समूह कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने तथा भारत में निम्नलिखित कार्यकलाप करने के लिए अनुमति दी जाती है:

i. माल का आयात/निर्यात। 1

ii. व्यावसायिक अथवा परामर्शदात्री सेवाएं प्रदान करना।

iii . मूल कंपनी जिस क्षेत्र में लगी है उसमें अनुसंधान कार्य करना।

iv. भारतीय कंपनियों और मूल अथवा समुद्रपारीय समूह कंपनियों के बीच तकनीकी   
अथवा वित्तीय सहयोग संवर्धन।

v. भारत में मूल  कंपनी का प्रतिनिधित्व करना और भारत में क्रय/विक्रय एजेंट का कार्य करना।

vi. भारत में सूचना प्रौद्यौगिकी और सॉफ्टवेयर के विकास में सेवाएं प्रदान करना।

vii. मूल/समूह कंपनियों द्वारा आपूर्त उत्पादों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।

viii. विदेशी वायुयान/पोतलदान कंपनी।

सामान्यत: शाखा कार्यालय को मूल कंपनी के कार्यकलापों में लगा होना लेना चाहिए।

बी) भारत में शाखा कार्यालय को किसी प्रकार के खुदरा व्यापार कार्यकलाप करने की अनुमति नहीं है।

सी) शाखा कार्यालय को भारत में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विनिर्माण अथवा प्रसंस्करण कार्यकलाप करने की अनुमति नहीं है।

डी) शाखा कार्यालयों द्वारा अर्जित लाभ, लागू आय-करों के भुगतान की शर्त पर, भारत से मुक्त रूप से विप्रेषित किए जा सकते हैं।

सी.2 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेडएस) में शाखा कार्यालय

(i) रिज़र्व बैंक ने विदेशी कंपनियों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेडएस) में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के कार्यकलाप करने के लिए शाखा/ईकाई स्थापित करने हेतु सामान्य अनुमति प्रदान की है। सामान्य अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर दी जाती है :

  • ऐसी इकाइयाँ जो उन क्षेत्रों में कार्यरत हैं जहाँ 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है ;

  • ऐसी इकाइयाँ जो कंपनी अधिनियम, 1956 का भाग XI (धारा 592 से 602) का पालन करती हैं;

  • ऐसी इकाइयाँ जो एकल आधार पर कार्य करती हैं।

(ii) व्यवसाय का समापन होने पर और समापन राशि के विप्रेषण के लिए शाखा रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन देनेवाले पत्र की प्रति को छोड़कर "संपर्क/ शाखा कार्यालय के समापन" के तहत दर्शाये गये अनुसार दस्तावेजों के साथ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक से संपर्क करेगी।

सी.3 विदेशी बैंकों की शाखाएँ

विदेशी बैंकों को भारत में शाखा कार्यालय खोलने के लिए फेमा के तहत अलग से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। तथापि, ऐसे बैंकों को बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, रिज़र्व बैंक से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करना अपेक्षित है ।

 डी) अतिरिक्त कार्यकलाप करने अथवा अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालयों के लिए आवेदन

रिज़र्व बैंक द्वारा प्रारंभिक रूप से अनुमत किये गये कार्यकलापों के अतिरिक्त कार्यकलाप करने के लिए अनुरोध प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक  के जरिये प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग,विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के अभिमतों के साथ आवश्यकता का औचित्य सिद्ध करते हुए प्रस्तुत किये जाएं।

अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुरोध, उपर्युक्त में स्पष्ट किये गये अनुसार, अपने देश में विदेशी संस्था के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत् हस्ताक्षरित नये एफएनसी फॉर्म (अनंबंध-1) में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किये जाएं। तथापि, यदि पहले प्रस्तुत किए गये दस्तावेजों में कोई परिवर्तन न हो तो फार्म एफएनसी में उल्लिखित दस्तावेज पुन: प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

  • यदि कार्यालयों की संख्या 4 (अर्थात् पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण प्रत्येक क्षेत्र में एक शाखा/संपर्क कार्यालय) से अधिक हो तो आवेदक को अतिरिक्त कार्यालयों की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध करना होगा।

  • आवेदक भारत में अपने कार्यालयों में से एक कार्यालय को नोडल कार्यालय के रूप में रखें जो भारत में अपने सभी कार्यालयों के कार्यकलापों में समन्वय रखेगा।

(ई) शाखा/ संपर्क कार्यालयों द्वारा प्रस्तुत किया जानेवाला वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र

शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों को 31 मार्च को समाप्त वर्ष के लिए सनदी लेखाकार से प्रमाणित वार्षिक कार्यकलाप संबंधी प्रमाणपत्र (अनुबंध-3) तथा लेखा-परीक्षित तुलन पत्र उसी वर्ष के 30 सितंबर तक अथवा उसके पहले फाइल करना होगा। यदि संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय के लेखे 31 मार्च से भिन्न तारीख के लिए तैयार किए जाएं तो लेखा-परीक्षित तुलन पत्र तथा वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र लेखा परीक्षित तुलन पत्र की तारीख से छ: माह के भीतर पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को प्रस्तुत किए जाएं और उसकी प्रति आय कर महानिदेशालय (अंतर्राष्ट्रीय कराधान), नयी दिल्ली को प्रस्तुत की जाए।

निम्नलिखित कार्यालयों द्वारा यथा लागू फाइल किये जानेवाले प्रमाणपत्र:

  •  एक मात्र शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के मामले में, संबंधित शाखा कार्यालय/संपर्क  कार्यालय द्वारा;

  •   बहु-विध शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के मामले में, शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालयों के नोडल कार्यालय द्वारा भारत में सभी कार्यालयों के संबंध में एक संयुक्त वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र।

पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की छान-बीन करेगा तथा सुनिश्चित करेगा कि शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय द्वारा किये गये कार्यकलाप रिज़र्व बैंक द्वारा दिये गये अनुमोदन की शर्तों के अनुसार किये गये हैं। लेखा-परीक्षक द्वारा रिपोर्ट किये गये अथवा पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा नोटिस किये गये प्रतिकूल निष्कर्ष, यदि कोई हों, पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की प्रति तथा उस पर उनके अभिमत के साथ संपर्क कार्यालय के संबंध में रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और शाखा कार्यालय के मामले में रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय को तुरंत रिपोर्ट किये जाने चाहिए।

(एफ) शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करना

शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के समापन के समय कंपनी को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ  पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक से संपर्क करना होगा:
 
ए) शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय (सेक्टोरेल) नियामक (नियामकों) से प्राप्त अनुमोदन / भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति की प्रतिलिपि।
 
बी) लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र जिसमें निम्नलिखित दर्शाया जाए : i) आवेदक की परिसंपत्तियों और देयताओं के विवरण द्वारा समर्थित प्रेषण-योग्य राशि निकालने और परिसंपत्तियों के निपटान का तरीका दर्शाया जाए;    ii) कार्यालय के कर्मचारियों आदि को उपदान की बकाया राशि तथा अन्य लाभों सहित भारत में सभी देयताएं या तो पूर्णत: चुका दी गयी हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान कर लिया गया है, इसकी पुष्टि और iii) भारत के बाहर के स्त्रोतों से प्राप्त कोई आगम राशि (निर्यात की आगम राशि सहित) भारत को अप्रत्यावर्तित रही है, इसकी पुष्टि।

सी) विप्रेषण/विप्रेषणों के लिए आय कर प्राधिकरण से अनापत्ति/कर बेबाकी प्रमाणपत्र।

डी) आवेदक/मूल कंपनी से इस बात की पुष्टि कि शाखा/संपर्क कार्यालय के विरुद्ध भारत में किसी न्यायालय में कोई विधिक कार्यवाही अनिर्णीत नहीं है और विप्रेषण पर कोई विधिक रुकावट नहीं है।

ई) भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय के समापन के मामले में कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में कंपनियों के रजिस्ट्रार से एक रिपोर्ट।

एफ) अनुमोदन प्रदान करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य दस्तावेज।

पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शाखा/संपर्क कार्यालयों ने पिछले वर्षों के लिए मौजूदा शाखा/संपर्क कार्यालयों के संबंध में उनका संबंधित वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र फाइल किया था। उसकी पुष्टि शाखा कार्यालयों के मामले में रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय से और संपर्क कार्यालयों के मामले में रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।

पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा ऐसे शाखा/संपर्क कार्यालय के समापन के संबंध में रिज़र्व बैंक (संपर्क कार्यालय के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय तथा शाखा कार्यालय के लिए केंद्रीय कार्यालय) को इस घोषणा के साथ रिपोर्ट करना चाहिए कि शाखा/संपर्क कार्यालय द्वारा प्रस्तुत किये गये सभी आवश्यक दस्तावेजों की छान-बीन की गयी है और वे सही पाये गये हैं। यदि दस्तावेज सही नहीं पाये जाते हैं अथवा मामले प्रत्यायोजित अधिकारों के तहत नहीं आते हैं तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक आवेदनपत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए अपनी टिप्पणियों (अवलोकनों) के साथ रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें। शाखा/संपर्क कार्यालय के परिचालनों से संबंधित सभी दस्तावेज प्राधिकृत व्यापारी के आंतरिक लेखा-परीक्षकों/रिज़र्व बैंक के निरीक्षणकर्ता अधिकारियों द्वारा सत्यापन के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा रखे जाएं।

(जी) परियोजना कार्यालय

जी.1 सामान्य अनुमति

रिज़र्व बैंक ने विदेशी कंपनियों को भारत में परियोजना कार्यालय स्थापित करने के लिए सामान्य अनुमति प्रदान की है, बशर्ते उन्होंने भारत में कोई परियोजना निष्पादित करने के लिए किसी भारतीय कंपनी से ठेका प्राप्त किया हो, और

  1. परियोजना के लिए विदेश से आवक विप्रेषण द्वारा सीधे ही निधियन किया गया है; अथवा
  2. परियोजना के लिए द्विपक्षीय अथवा बहु-पक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसी द्वारा निधियन किया गया है; अथवा
  3. परियोजना यथोचित प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित की गयी है; अथवा
  4. भारत में किसी कंपनी अथवा संस्था को ठेका दिया जा रहा है उसे परियोजना के लिए भारत में किसी पब्लिक वित्तीय संस्था अथवा बैंक द्वारा सावधि ऋण दिया गया है।
तथापि, यदि उपर्युक्त मानदंड पूर्ण नहीं किये जाते हैं तो विदेशी संस्था को भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यलय, मुंबई से संपर्क करना होगा।

जी.2 विदेशी मुद्रा खाता खोलना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में स्थित परियोजना कार्यालयों के लिए ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है:

  1. परियोजना कार्यालय को स्वीकृति प्रदान करनेवाले प्राधिकरण से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद रिज़र्व बैंक के सामान्य/विशिष्ट अनुमोदन से भारत में परियोजना कार्यालय की स्थापना की गयी है।

  2. ठेका, जिसके अंतर्गत परियोजना स्वीकार की गई है, विशेष रूप से विदेशी मुद्रा में भुगतान के लिए प्रावधान किया जाता है।

  3. प्रत्येक परियोजना कार्यालय दो विदेशी मुद्रा खाते खोल सकता है, सामान्यत: एक अमरीकी डॉलर में मूल्यवर्गित तथा दूसरा अपने देश की मुद्रा में, बशर्ते दोनों खाते एक ही प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक में रखे जाते हैं।

  4. खाते में अनुमत नामे से परियोजना संबंधी व्यय का भुगतान होगा और जमा परियोजना को स्वीकृति प्रदान करनेवाले प्राधिकरण से विदेशी मुद्रा प्राप्तियाँ और विदेश स्थित मूल/समूह कंपनी अथवा द्विपक्षीय/बहुपक्षीय आंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषक एजेंसेयों से प्राप्त विप्रेषण होंगे।

  5. विदेशी मुद्रा खाते में केवल अनुमोदित नामे और जमा की सुविधा दी जाती है, इस बात को सुनिश्चित करने का पूरा दायित्व प्राधिकृत व्यापारी की संबंधित शाखा पर होगा। इसके अलावा, खाते संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के समवर्ती लेखा-परीक्षकों द्वारा शत-प्रतिशत जाँच के अधीन होंगे।

  6. परियोजना की समाप्ति पर विदेशी मुद्रा खाते को बंद किया जाए।

जी.3 भारत में परियोजना कार्यालयों द्वारा आवर्ती (इंटरमिटेंट) विप्रेषण

(i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक परियोजना के विचाराधीन समापन/पूर्णतावाले परियोजना कार्यालय द्वारा आवर्ती (इंटरमिटेंट) विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते वे लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हों और वे निम्नलिखित के अधीन हो:

  1. परियोजना कार्यालय लेखापरीक्षक/सनदी लेखाकार से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है कि भारत में देयताओं, जिसमें आयकर भी शामिल है, को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं।

  2. परियोजना कार्यालय से प्राप्त एक वचन पत्र कि प्रेषण किसी भी तरह से भारत में परियोजना की पूर्णता को प्रभावित नहीं करेगा और भारत में किसी भी देयता को पूरा करने के लिए निधियों में आयी कमी को विदेश से आवक विप्रेषण द्वारा पूरा किया जाएगा।

(ii) निधियों के अंतर-परियोजना अंतरण के लिए रिज़र्व बैंक के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय का पूर्वानुमोदन आवश्यक है, जिसके अधिकार क्षेत्र में परियोजना कार्यालय स्थित है।

जी.4 रिपोर्टिंग अपेक्षाएं

(i) भारत में परियोजना कार्यालय स्थापित करने वाली विदेशी कंपनी संबंधित प्राधिकृत व्यापारी शाखा के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को निम्नलिखित ब्योरों को शामिल करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें जिसके क्षेत्राधिकार में परियोजना कार्यालय स्थापित किया गया है ।

(ए) विदेशी कंपनी का नाम और पता,

(बी) 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 22/2000-आरबी के विनियम 5 के खंड (ii) में वर्णित ठेका प्रदान करने संबंधी पत्र की संख्या और तारीख,

(सी) परियोजना/ठेका प्रदान करने वाले प्राधिकारी (प्राधिकरण) का ब्योरा,

(डी) ठेके की कुल राशि,

(ई) परियोजना कार्यालय का पता/ई-मेल पता/टेलीफोन नंबर/फैक्स नंबर,

(एफ) परियोजना कार्यालय का कार्य काल,

(जी) परियोजना कार्य का संक्षिप्त ब्योरा,

(एच) उस प्राधिकृत व्यापारी शाखा का नाम, आदि जिसके पास खाता खोला गया है और उस विदेशी मुद्रा का नाम जिसमें खाता खोला गया है ।

  1. इस आशय का वचनपत्र कि परियोजना कार्यालय 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 22/2000-आरबी के विनियम 5 (ii) के साथ पठित 2 जुलाई 2003 की अधिसूचना सं. फेमा 95 के अंतर्गत सामान्य अनुमति की सुविधा प्राप्त करने के लिए पात्र है, कारण सहित दें ।

    परियोजना कार्यालय स्थापित करने से 2 माह के भीतर यह रिपोर्ट प्राधिकृत व्यापारी बैंक की शाखा के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अग्रसारित की जाएगी ।

  2. परियोजना कार्यालय वार्षिक आधार पर प्राधिकृत व्यापारी बैंक की शाखा को परियोजना की स्थिति दर्शाने वाला और परियोजना कार्यालय के लेखे लेखापरीक्षित होने और किए गए कार्य रिज़र्व बैंक द्वारा दी गयी सामान्य/ विशिष्ट अनुमति के अनुरूप होना प्रमाणित करने वाला सनदी लेखाकार का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेगा।

(एच) भारत में विदेशी संस्थाओं के शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों पर लागू अन्य सामान्य शर्तें

  1. रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान अथवा चीन का कोई नागरिक भारत में शाखा अथवा संपर्क कार्यालय अथवा परियोजना अथवा व्यवसाय का कोई अन्य केंद्र स्थापित नहीं कर सकता है।

  2. नेपाल की संस्थाओं को भारत में केवल संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुमति दी गयी है ।

  3. किसी विदेशी संस्था की शाखा/के परियोजना कार्यालय को उनके निजी उपयोग के लिए क्रय करके अचल संपत्ति अर्जित करने तथा अनुमत/आकस्मिक कार्यकलाप करने की अनुमति दी गयी है। तथापि, पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, भूटान अथवा चीन की संस्थाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना भारत में शाखा/परियोजना कार्यालय खोलने के लिए अचल संपत्ति अर्जित करने की अनुमति नहीं है।

    सभी शाखा/संपर्क कार्यालयों सहित परियोजना कार्यालयों को अनुमत/आकस्मिक कार्य कलाप पट्टे पर ली गयी संपत्ति के द्वारा करने की सामान्य अनुमति दी गयी है बशर्त पट्टे की अवधि पाँच वर्षों से अधिक न हो ।

  4. शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों को भारत में ब्याज रहित भारतीय रुपया चालू खाता खोलने की अनुमति दी गई है। ऐसे कार्यालयों को खाते खोलने के लिए उनके प्राधिकृत व्यापारियों से संपर्क करना चाहिए।

  5. संपर्क/शाखा कार्यालय की परिसंपत्तियों को सहायक संस्थाओं अथवा अन्य संपर्क/शाखा कार्यालयों में अंतरित करने के लिए, रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय से विशिष्ट मंजूरी के तहत, अनुमति प्रदान की जाती है।

  6. शाखा कार्यालयों को लागू भारतीय आय करों को शाखा के लाभ से घटाकर जिस प्राधिकृत व्यापारी के द्वारा विप्रेषण किया जाना है उसकी संतुष्टि के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण पर भारत से बाहर राशि विप्रेषित करने के लिए अनुमति दी गई है।

ए. संबंधित वर्ष के लिए लेखा-परीक्षित तुलन पत्र तथा लाभ और हानि खाते की प्रमाणित प्रति

बी. यह प्रमाणित करते हुए सनदी लेखाकार का प्रमाणपत्र

  1. विप्रेषणयोग्य लाभ निकालने का तरीका;

  2. समग्र विप्रेषणयोग्य लाभ अनुमत कार्यकलाप करते हुए अर्जित किया गया है;

  3. लाभ में शाखा की परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यन पर कोई लाभ शामिल नहीं है।

(vii) प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति के शाखा/कार्यालय के पक्ष में 6 महीनों तक की अवधि के लिए मीयादी जमा खाते की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते, बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि मीयादी जमा अस्थायी अतिरिक्त निधि में से है और शाखा/कार्यालय वचन पत्र प्रस्तुत करता है कि मीयादी जमा की परिपक्वता आगम राशि का उपयोग परिपक्वता से 3 महीनों की अवधि के भीतर भारत में अपने व्यवसाय के लिए किया जाएगा। तथापि, यह सुविधा पोतलदान/वायुयान कंपनियों के लिए नहीं दी जाएगी।

(viii) फेमा अवधि से पूर्व अवधि के दौरान स्थापित संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय का नियमितीकरण

 फेमा, 1999 के उपबंधों के अंतर्गत विदेशी संस्थाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति से भारत में शाखा या संपर्क कार्यालय स्थापित करने की अनुमति है । फेमा अवधि से पूर्व अवधि के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना स्थापित  संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय और जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) आबंटित नहीं किया गया है वे फेमा, 1999 के अंतर्गत अपने कार्यालयों के नियमितीकरण अपने प्राधिकृत व्यापारी बैंक के द्वारा रिज़र्व बैंक से संपर्क करें ।


अनुबंध 1

एफएनसी

भारत में शाखा/ संपर्क कार्यालय की स्थापना के लिए आवेदन पत्र

ए. आवेदकों के लिए सामान्य अनुदेश: 

आवेदक को आवेदन फॉर्म पूर्ण भरना चाहिए और घोषणा की मद (viii) में उल्लिखित दस्तावेजों के साथ उसे प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को प्रेषित किये जाने के लिए पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक को प्रस्तुत करना चाहिए ।

क्र.सं.

ब्योरे

विवरण

1.

आवेदक  का पूर्ण नाम और पता

निगमन/पंजीकरण की तारीख और स्थान

टेलीफोन संख्या

फैक्स संख्या

ई-मेल आइडी

 

2.

पूंजी के ब्योरे
i.    प्रदत्त पूंजी
ii.   पिछले लेखा परीक्षित तुलन पत्र/ वित्तीय  विवरण के अनुसार  निर्बंध प्रारक्षित  निधियां/ प्रतिधारित आय
iii. अमूर्त परिसंपत्तियां, यदि कोई हो

 

3.

आवेदक के कार्यकलापों का संक्षिप्त विवरण

 

4.

i) आवेदक द्वारा पिछले तीन वर्षों में प्रत्येक वर्ष के दौरान भारत को /से आयातित और/अथवा निर्यातित माल की कीमत
ए) भारत से आयात
बी) भारत को निर्यात
ii) भारत में कंपनी का प्रतिनिधित्व करने के लिए मौजूदा व्यवस्था के ब्योरे, यदि कोई हो
iii) प्रस्तावित संपर्क/शाखा कार्यालय के ब्योरे:
ए) कार्यालय द्वारा की जानेवाली/प्रदान की जानेवाली प्रस्तावित गतिविधियों/सेवाओं के ब्योरे
बी) कार्यालय का स्थान
सी) फोन नंबर
डी) ई-मेल आइडी
ई) कर्मचारियों की प्रत्याशित संख्या (विदेशियों की संख्या के साथ )

 

5.

i) अपने देश में आवेदक के बैंकर का नाम और पता
ii) टेलीफोन और फैक्स संख्या
iii)ई-मेल आइडी

 

6.

कोई अन्य जानकारी जो आवेदक कंपनी इस आवेदन के समर्थन में प्रस्तुत करना चाहती है

 

7.

लाभ रहित/गैर सरकारी सगठनों के लिए:
i) आवेदक संगठनों द्वारा मेजबान देश और अन्य देशों में किये जानेवाले कार्यकलापों के ब्योरे
ii) भारत में परिचालनों के लिए निधियन का अपेक्षित स्तर
iii) संगठन के उप-नियमों,संस्था के अंतर्नियमों की प्रतियां

 


घोषणापत्र

हम एतद्द्वारा घोषित करते हैं कि:

i. उपर्युक्त में दिये गये ब्योरे मेरी सर्वोत्तम जानकारी और विश्वास के अनुसार सही और सत्य हैं।

ii. भारत में हमारे कार्यकलाप उपर्युक्त स्तंभ 4 (iii) (ए) में दर्शाये गये कार्यकलापों तक सीमित होंगे।

iii. यदि हम कार्यालय शहर में ही दूसरी जगह अंतरित करते हैं तो हम प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और रिज़र्व बैंक को उसकी सूचना देंगे। भारत में किसी दूसरे शहर में कार्यालय        अंतरित करते समय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त कर लिया जाएगा।

iv. हम भारत सरकार/रिज़र्व बैंक/प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा, समय समय पर, निर्धारित शर्तों का पालन करेंगे ।

v. हम एतद्द्वारा प्रतिबद्ध है कि हम भारत सरकार/रिज़र्व बैंक द्वारा विदेश में हमारे बैंकर से मांगी गयी रिपोर्ट/अभिमत देंगे।

vi हम समझते हैं कि अनुमोदन, यदि प्रदान किया जाता है, तो केवल फेमा की दृष्टिकोण से है। किसी अन्य सरकारी प्राधिकारी/विभाग/मंत्रालय से कोई अन्य अनुमोदन/सांविधिक अथवा अन्यथा मंजूरी (क्लिअरन्स) आवश्यक है तो भारत में परिचालन शुरू करने से पहले प्राप्त कर लिया जाएगा।

vii. रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन के ब्योरे पब्लिक डोमेन पर रखने के संबंध में हमें कोई आपत्ति नहीं है।

viii. हम निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करते हैं:

1. पंजीकरण के देश में नोटरी पब्लिक द्वारा साक्ष्यांकित निगमन/पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि
[यदि मूल प्रमाणपत्र अंग्रेजी से अन्य किसी भाषा में है तो उसे अंग्रेजी में अनुवादित और उपर्युक्त के अनुसार नोटराइज्ड किया जाए और अपने देश में भारतीय दूतावास/वाणिज्य दूतावास द्वारा प्रति सत्यापित/साक्ष्यांकित किया जाए]।

2. आवेदक कंपनी का अद्यतन लेखापरिक्षित तुलन पत्र।
[यदि आवेदक के अपने देश के कानून/ विनियम लेखों की लेखापरीक्षा पर जोर नहीं देते हैं तो निवल मालियत स्पष्ट रूप से दर्शाते हुए सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटंट (सीपीए) अथवा किसी नाम से पंजीकृत लेखा व्यावसायिक द्वारा प्रमाणित लेखा विवरण प्रस्तुत किया जाए]।

 3. मेजबान देश/पंजीकरण के देश में आवेदक के बैंकर से आवेदक के बैंक के साथ बैंकिंग संबंधों के वर्षों की संख्या दर्शाते हुए बैंकर की रिपोर्ट।

(आवेदक कंपनी के प्राधिकृत
अधिकारी के हस्ताक्षर)

नाम:----------
पदनाम--------

स्थान :
दिनांक:


अनुबंध 2

चुकौती आश्वासन पत्र (कंफर्ट लेटर) का फॉर्मेट

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
विदेशी निवेश प्रभाग
केंद्रीय कार्यालय,फोर्ट
मुंबई 400 001

महोदय

विषय: हमारी सहायक/समूह कंपनी, मेसर्स------------------ द्वारा भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय की स्थापना के लिए आवेदन

आप कृपया हमारी सहायक/समूह कंपनी, मेसर्स------------------ द्वारा भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय की स्थापना के लिए आपके कार्यालय को किया गया आवेदन देखें ।

2. इस संबंध में, हम, ---------------(मूल कंपनी) वचन देते हैं कि अपनी सहायक/समूह कंपनी के भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय के रूप में परिचालनों के लिए आवश्यक वित्तीय समर्थन प्रदान करेंगे । भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय के कार्य के कारण कोई देयता उत्पन्न होती है और शाखा/ संपर्क कार्यालय देयता चुकाने में असमर्थ है तो हम (मूल कंपनी कंपनी) उसकी चुकौती करेंगे।

3. हम सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटंट द्वारा अपने प्रमाणित अद्यतन लेखापरीक्षित तुलन पत्र/लेखा विवरण के फॉर्म में हमारी कंपनी की वित्तीय पृष्ठभूमि भी संलग्न करते हैं ।

भवदीय

(          )
मूल कंपनी का प्राधिकृत प्रतिनिधि


अनुबंध 3

वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र

(31 मार्च----- तक की स्थिति के लिए 30 अप्रैल को अथवा उसके पहले प्रस्तुत करना चाहिए)

जो कोई संबंधित हो

यह प्रमाणित किया जाता है तथा पुष्टि की जाती है कि -------------से -------------तक की अवधि के दौरान मेसर्स---------------(यूआइएन-                ) के शाखा/संपर्क कार्यालय पैन सं.------------------ ने रिज़र्व बैंक द्वारा ----------के अनुमोदन पत्र/ पत्रों सं.---------------- के जरिये  विशिष्ट रूप से अनुमत किये गये कार्यकलाप ही किये हैं और उपर्युक्त पत्र/पत्रों में उल्लिखित विनिर्दिष्ट शर्त/शर्तों का पालन किया है ।

लेखापरीक्षक/कों के हस्ताक्षर

सनदी लेखाकार का नाम:
आइसीएआइ सदस्यता सं.:
पता:

स्थान  :
दिनांक:


परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची

/en/web/rbi/foreign-exchange-managements/other-links/fema

क्रम  सं.

अधिसूचना/परिपत्र सं.

दिनांक

1

03 मई 2000

2

अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी

03 मई 2000

3

अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी

03 मई 2000

4

अधिसूचना सं. फेमा 95/2003-आरबी

02 जुलाई 2003

5

अधिसूचना सं. फेमा 102/2003-आरबी

03 अक्तूबर 2003

6

अधिसूचना सं. फेमा 134/2005-आरबी

07 मई 2005

7

अधिसूचना सं. फेमा 161/2007-आरबी

18 सितंबर 2007

8

अधिसूचना सं. फेमा 198/2009-आरबी

24 सितंबर 2009

9

अधिसूचना सं. फेमा 204/2009-आरबी

05 अप्रैल 2010

10

06 जुलाई 2002

11

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 37

15 नवंबर 2003

12

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 58

16 जनवरी 2004

13

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39

25 अप्रैल 2005

14

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 44

17 मई 2005

15

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 02

31 जुलाई 2008

16

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 23

30 दिसंबर 2009

17

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24

30 दिसंबर 2009

18

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.06

09 अगस्त 2010

19

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.02

15 जुलाई 2012

20

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.76

9 फरवरी 2012

21

ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.88

1 मार्च 2012

टिप्पणी: सभी उपयोगकर्त्ताओं की सूचना के लिए यह भी स्पष्ट किया जाता है कि आवश्यक नहीं है कि मास्टर परिपत्र सुविस्तृत ही हों और जहां कहीं आवश्यक हो, अधिक सूचना/ स्पष्टीकरण के लिए संबंधित ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र का संदर्भ देखें ।


1निर्यात के लिए माल की प्राप्ति तथा आयात के बाद माल की बिक्री की केवल थोक आधार पर ही अनुमति है।

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