प्रेस प्रकाशनियां - वित्तीय समावेशन और विकास - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रेस प्रकाशनियां
The Reserve Bank of India (RBI) has been publishing a composite Reserve Bank of India – Digital Payments Index (RBI-DPI) since January 1, 2021 with March 2018 as base to capture the extent of digitisation of payments across the country. The index for March 2025 stands
The Reserve Bank of India (RBI) has been publishing a composite Reserve Bank of India – Digital Payments Index (RBI-DPI) since January 1, 2021 with March 2018 as base to capture the extent of digitisation of payments across the country. The index for March 2025 stands
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं और देश के नागरिकों को प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं को दो अलग-अलग शीर्षकों, अर्थात विनियामक अनुमोदन के लिए समय- सीमा और नागरिक चार्टर के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं और देश के नागरिकों को प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं को दो अलग-अलग शीर्षकों, अर्थात विनियामक अनुमोदन के लिए समय- सीमा और नागरिक चार्टर के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक [आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) – एईपीएस टचपॉइंट संचालकों की समुचित जांच] निदेश, 2025 जारी किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 जुलाई 2024 को हितधारकों की टिप्पणियों के लिए बैंक की वेबसाइट पर एईपीएस की समुचित जांच संबंधी निदेशों का मसौदा जारी किया था। निदेशों के मसौदा में एईपीएस टचपॉइंट संचालकों (एटीओ) के बारे में जानकारी दी गई और इसका उद्देश्य अधिग्रहण करने वाले बैंकों द्वारा एटीओ को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना था।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक [आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) – एईपीएस टचपॉइंट संचालकों की समुचित जांच] निदेश, 2025 जारी किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 जुलाई 2024 को हितधारकों की टिप्पणियों के लिए बैंक की वेबसाइट पर एईपीएस की समुचित जांच संबंधी निदेशों का मसौदा जारी किया था। निदेशों के मसौदा में एईपीएस टचपॉइंट संचालकों (एटीओ) के बारे में जानकारी दी गई और इसका उद्देश्य अधिग्रहण करने वाले बैंकों द्वारा एटीओ को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना था।
विनियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं में शामिल सभी आंतरिक कार्यप्रणालियों का डिजिटलीकरण, दक्ष, पारदर्शी व समयबद्ध रूप से करने के लिए रिज़र्व बैंक निरंतर प्रयासरत है । इसी उद्देश्य से, रिज़र्व बैंक ने 28 मई, 2024 को प्रवाह (विनियामक आवेदन, मान्यता, और प्राधिकृति के लिए प्लेटफ़ॉर्म) पोर्टल लॉन्च किया था, ताकि विनियामक प्राधिकरण, लाइसेंस व अनुमोदन के लिए ऑनलाइन आवेदनों को सरल बनाया जा सके एवं पारदर्शी तरीके से सेवाओं का निर्बाध, सुरक्षित तथा शीघ्र प्रतिपादन किया जा सके।
विनियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं में शामिल सभी आंतरिक कार्यप्रणालियों का डिजिटलीकरण, दक्ष, पारदर्शी व समयबद्ध रूप से करने के लिए रिज़र्व बैंक निरंतर प्रयासरत है । इसी उद्देश्य से, रिज़र्व बैंक ने 28 मई, 2024 को प्रवाह (विनियामक आवेदन, मान्यता, और प्राधिकृति के लिए प्लेटफ़ॉर्म) पोर्टल लॉन्च किया था, ताकि विनियामक प्राधिकरण, लाइसेंस व अनुमोदन के लिए ऑनलाइन आवेदनों को सरल बनाया जा सके एवं पारदर्शी तरीके से सेवाओं का निर्बाध, सुरक्षित तथा शीघ्र प्रतिपादन किया जा सके।
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने आज 5वें डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह (डीपीएडब्ल्यू) का उद्घाटन किया। डीपीएडब्ल्यू, डिजिटल भुगतान के प्रभाव और महत्व को उजागर करने तथा डिजिटल भुगतान उत्पादों के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की एक पहल है। इस सप्ताह के दौरान, भारतीय रिज़र्व बैंक, भुगतान प्रणाली परिचालकों, बैंकों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर मल्टीमीडिया अभियान, जमीनी स्तर पर शैक्षिक कार्यक्रम और सोशल मीडिया आधारित लोक संपर्क सहित राष्ट्रव्यापी जागरूकता गतिविधियां आयोजित करता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने आज 5वें डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह (डीपीएडब्ल्यू) का उद्घाटन किया। डीपीएडब्ल्यू, डिजिटल भुगतान के प्रभाव और महत्व को उजागर करने तथा डिजिटल भुगतान उत्पादों के सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की एक पहल है। इस सप्ताह के दौरान, भारतीय रिज़र्व बैंक, भुगतान प्रणाली परिचालकों, बैंकों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर मल्टीमीडिया अभियान, जमीनी स्तर पर शैक्षिक कार्यक्रम और सोशल मीडिया आधारित लोक संपर्क सहित राष्ट्रव्यापी जागरूकता गतिविधियां आयोजित करता है।
गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज गैर-बैंक भुगतान प्रणाली परिचालकों और फिनटेक के साथ-साथ उनके संघों/ एसआरओ के साथ वार्तालाप की। यह वार्तालाप भुगतान और फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ रिज़र्व बैंक की सहभागिता की श्रृंखला का एक हिस्सा थी। इस बातचीत में उप गवर्नर श्री एम. राजेश्वर राव, श्री टी. रबी शंकर और श्री स्वामीनाथन जे. के साथ-साथ भुगतान, फिनटेक और विनियमन के प्रभारी कार्यपालक निदेशक भी शामिल हुए।
गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज गैर-बैंक भुगतान प्रणाली परिचालकों और फिनटेक के साथ-साथ उनके संघों/ एसआरओ के साथ वार्तालाप की। यह वार्तालाप भुगतान और फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ रिज़र्व बैंक की सहभागिता की श्रृंखला का एक हिस्सा थी। इस बातचीत में उप गवर्नर श्री एम. राजेश्वर राव, श्री टी. रबी शंकर और श्री स्वामीनाथन जे. के साथ-साथ भुगतान, फिनटेक और विनियमन के प्रभारी कार्यपालक निदेशक भी शामिल हुए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्था (क्रेडिट लाइन) के परिचालन पर एक अद्यतन परिपत्र (अद्यतन परिपत्र का हाइपरलिंक) जारी किया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से बैंकों में पूर्व-स्वीकृत ऋण व्यवस्था (क्रेडिट लाइन) के परिचालन पर एक अद्यतन परिपत्र (अद्यतन परिपत्र का हाइपरलिंक) जारी किया है।
दिनांक 7 फरवरी 2025 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषित किए अनुसार , भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर सीमा पारीय कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक (परिपत्र के मसौदा का हाइपरलिंक) संबंधी निदेशों के मसौदे को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखा है। निदेशों के मसौदे के अनुसार जब भी विदेशी व्यापारी या विदेशी अधिग्राहक द्वारा एएफ़ए के लिए अनुरोध किया जाता है, कार्ड जारीकर्ता को अनावर्ती सीमा-पारीय सीएनपी लेनदेन के लिए एएफ़ए की पुष्टि करना आवश्यक होगा।
दिनांक 7 फरवरी 2025 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषित किए अनुसार , भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर सीमा पारीय कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक (परिपत्र के मसौदा का हाइपरलिंक) संबंधी निदेशों के मसौदे को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए रखा है। निदेशों के मसौदे के अनुसार जब भी विदेशी व्यापारी या विदेशी अधिग्राहक द्वारा एएफ़ए के लिए अनुरोध किया जाता है, कार्ड जारीकर्ता को अनावर्ती सीमा-पारीय सीएनपी लेनदेन के लिए एएफ़ए की पुष्टि करना आवश्यक होगा।
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। सितंबर 2024 के लिए सूचकांक 465.33 रहा, जबकि मार्च 2024 के लिए यह 445.5 था, जिसकी घोषणा 26 जुलाई 2024 को की गई थी। आरबीआई-डीपीआई सूचकांक में वृद्धि, इस अवधि में देश भर में भुगतान अवसंरचना और भुगतान निष्पादन में संवृद्धि के कारण हुई।
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। सितंबर 2024 के लिए सूचकांक 465.33 रहा, जबकि मार्च 2024 के लिए यह 445.5 था, जिसकी घोषणा 26 जुलाई 2024 को की गई थी। आरबीआई-डीपीआई सूचकांक में वृद्धि, इस अवधि में देश भर में भुगतान अवसंरचना और भुगतान निष्पादन में संवृद्धि के कारण हुई।
रिज़र्व बैंक ने आज भुगतान प्रणाली रिपोर्ट, दिसंबर 2024 प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में पिछले पाँच कैलेंडर वर्षों से लेकर वर्ष 2024 तक भारत में विभिन्न भुगतान प्रणालियों का उपयोग करके किए गए भुगतान लेनदेन के रुझानों के विश्लेषण के अलावा, भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित महत्वपूर्ण गतिविधियों को शामिल किया गया है और यह रिपोर्ट यूपीआई का गहन विश्लेषण प्रदान करती है। इसके बाद, इस रिपोर्ट को अर्धवार्षिक आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।
रिज़र्व बैंक ने आज भुगतान प्रणाली रिपोर्ट, दिसंबर 2024 प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में पिछले पाँच कैलेंडर वर्षों से लेकर वर्ष 2024 तक भारत में विभिन्न भुगतान प्रणालियों का उपयोग करके किए गए भुगतान लेनदेन के रुझानों के विश्लेषण के अलावा, भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित महत्वपूर्ण गतिविधियों को शामिल किया गया है और यह रिपोर्ट यूपीआई का गहन विश्लेषण प्रदान करती है। इसके बाद, इस रिपोर्ट को अर्धवार्षिक आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 8 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निम्नलिखित भुगतान प्रणाली परिचारक (पीएसओ) के प्राधिकरण प्रमाणपत्र (सीओए) को निरस्त कर दिया है: क्रम सं. संस्था का नाम पंजीकृत कार्यालय पता सीओए सं. और तिथि प्राधिकृत भुगतान प्रणाली निरसन की तारीख निरसन का कारण 1. यूएई एक्सचेंज सेंटर एलएलसी (यूएईईसी) यूएई एक्सचेंज सेंटर एलएलसी, पी.ओ. नं. 13304, नासर बिन अब्दुल लतीफ़ बिल्डिंग नाइफ़ स्ट्रीट डेरा, दुबई, यू ए ई सं. 16/2009 दिनांकित 30 सितंबर 2009 धन अंतरण सेवा योजना संबंधी मास्टर निदेश (एमटीएसएस मास्टर निदेश) के अंतर्गत ' समुद्रपारीय प्रिंसिपल' के रूप में सीमापारीय इन-बाउंड धन अंतरण परिचारक (ग्राहक से ग्राहक)। 10 अक्तूबर 2024 विनियामक अपेक्षाओं का अननुपालन सीओए के निरसन के बाद, यूएईईसी, धन अंतरण सेवा योजना संबंधी मास्टर निदेश के अंतर्गत 'समुद्रपारीय प्रिंसिपल' के रूप में सीमापारीय इन-बाउंड धन अंतरण का कारोबार नहीं कर सकते।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 8 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निम्नलिखित भुगतान प्रणाली परिचारक (पीएसओ) के प्राधिकरण प्रमाणपत्र (सीओए) को निरस्त कर दिया है: क्रम सं. संस्था का नाम पंजीकृत कार्यालय पता सीओए सं. और तिथि प्राधिकृत भुगतान प्रणाली निरसन की तारीख निरसन का कारण 1. यूएई एक्सचेंज सेंटर एलएलसी (यूएईईसी) यूएई एक्सचेंज सेंटर एलएलसी, पी.ओ. नं. 13304, नासर बिन अब्दुल लतीफ़ बिल्डिंग नाइफ़ स्ट्रीट डेरा, दुबई, यू ए ई सं. 16/2009 दिनांकित 30 सितंबर 2009 धन अंतरण सेवा योजना संबंधी मास्टर निदेश (एमटीएसएस मास्टर निदेश) के अंतर्गत ' समुद्रपारीय प्रिंसिपल' के रूप में सीमापारीय इन-बाउंड धन अंतरण परिचारक (ग्राहक से ग्राहक)। 10 अक्तूबर 2024 विनियामक अपेक्षाओं का अननुपालन सीओए के निरसन के बाद, यूएईईसी, धन अंतरण सेवा योजना संबंधी मास्टर निदेश के अंतर्गत 'समुद्रपारीय प्रिंसिपल' के रूप में सीमापारीय इन-बाउंड धन अंतरण का कारोबार नहीं कर सकते।
पिछले कतिपय वर्षों में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, विशेषतया भुगतान के लिए अतिरिक्त अधिप्रमाणन कारक (एएफ़ए) की आवश्यकता को। अधिप्रमाणन के लिए कोई विशेष कारक अनिवार्य नहीं था, लेकिन डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने मुख्य रूप से एसएमएस-आधारित ओटीपी को एएफ़ए के रूप में अपनाया है। जबकि ओटीपी संतोषजनक ढंग से कार्य कर रहा है, प्रौद्योगिकीय प्रगति ने वैकल्पिक अधिप्रमाणन व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई हैं।
पिछले कतिपय वर्षों में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, विशेषतया भुगतान के लिए अतिरिक्त अधिप्रमाणन कारक (एएफ़ए) की आवश्यकता को। अधिप्रमाणन के लिए कोई विशेष कारक अनिवार्य नहीं था, लेकिन डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने मुख्य रूप से एसएमएस-आधारित ओटीपी को एएफ़ए के रूप में अपनाया है। जबकि ओटीपी संतोषजनक ढंग से कार्य कर रहा है, प्रौद्योगिकीय प्रगति ने वैकल्पिक अधिप्रमाणन व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई हैं।
आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुदृढ़ता को बढ़ाने के भाग के रूप में, 08 फरवरी 2024 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषणा की गई थी कि एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा। हाल के दिनों में, पहचान की चोरी या ग्राहक क्रेडेंशियल्स के साथ छेड़छाड़ के कारण
आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) की सुदृढ़ता को बढ़ाने के भाग के रूप में, 08 फरवरी 2024 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में घोषणा की गई थी कि एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा। हाल के दिनों में, पहचान की चोरी या ग्राहक क्रेडेंशियल्स के साथ छेड़छाड़ के कारण
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित दो भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) पर दिनांक 25 फरवरी 2016 के मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (समय-समय पर यथाअद्यतन) के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए मौद्रिक दंड लगाया है। क्र. सं. पीएसओ का नाम सकारण (स्पीकिंग) आदेश की तारीख दंड की राशि (₹ लाख) 1 मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड 16 जुलाई 2024 41.50 2 ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 16 जुलाई 2024 33.40 दो पीएसओ अर्थात ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और वीज़ा वर्ल्डवाइड पीटीई लिमिटेड को भी क्रमशः दिनांक 27 अगस्त 2021 के पूर्वदत्त भुगतान लिखतों (पीपीआई) (समय-समय पर यथाअद्यतन) और दिनांक 6 दिसंबर 2016 के कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेन – कार्ड नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाणीकरण समाधानों के लिए ₹2000/- तक के भुगतान हेतु प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक में छूट संबंधी मास्टर निदेशों में निहित कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कंपाउडिंग आदेश जारी किए गए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित दो भुगतान प्रणाली परिचालकों (पीएसओ) पर दिनांक 25 फरवरी 2016 के मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (समय-समय पर यथाअद्यतन) के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए मौद्रिक दंड लगाया है। क्र. सं. पीएसओ का नाम सकारण (स्पीकिंग) आदेश की तारीख दंड की राशि (₹ लाख) 1 मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड 16 जुलाई 2024 41.50 2 ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 16 जुलाई 2024 33.40 दो पीएसओ अर्थात ओला फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और वीज़ा वर्ल्डवाइड पीटीई लिमिटेड को भी क्रमशः दिनांक 27 अगस्त 2021 के पूर्वदत्त भुगतान लिखतों (पीपीआई) (समय-समय पर यथाअद्यतन) और दिनांक 6 दिसंबर 2016 के कार्ड नॉट प्रेजेंट लेनदेन – कार्ड नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाणीकरण समाधानों के लिए ₹2000/- तक के भुगतान हेतु प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक में छूट संबंधी मास्टर निदेशों में निहित कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कंपाउडिंग आदेश जारी किए गए।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 अक्तूबर 2023 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से विनियामक सैंडबॉक्स के अंतर्गत पांचवें कोहोर्ट (विषय तटस्थ) की शुरुआत की घोषणा की थी। 2. रिज़र्व बैंक को 22 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से पाँच को ‘जांच चरण’ के लिए चुना गया है। नीचे दिए गए विवरण के अनुसार, संस्थाएँ अगस्त 2024 से अपने समाधानों का जांच शुरू करेंगी: क्र. सं. सैंडबॉक्स संस्था विवरण 1 कनेक्टिंगडॉट कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड इस समाधान का उद्देश्य ऋण पोर्टफोलियो को उच्च, मध्यम और निम्न जोखिम श्रेणियों में विभाजित करके ऋण व्यतिक्रम (चूक) का पूर्वानुमान लगाने में उच्च सटीकता प्रदान करना है। यह समाधान उधारकर्ता के चूक के कारण बताता है और जोखिम शमन में सुधार के लिए बैंकों/ उधारदाताओं को उधारकर्ता विशिष्ट मार्गों की सिफारिश करता है। 2 एपिफी टेक्नोलॉजिस प्राइवेट लिमिटेड यह समाधान वीडियो केवाईसी और पहचान सत्यापन के माध्यम से एनआरई/एनआरओ खातों को डिजिटल रूप से खोलने की अनुमति देता है, जिससे एनआरआई के लिए खाता खोलने का सहज अनुभव संभव हो जाता है। इस समाधान से लागत, टर्नअराउंड समय को कम करके और भौतिक दस्तावेज़ीकरण और सत्यापन की आवश्यकता को समाप्त करके दक्षता लाने की आशा है। 3 फिननैग टेक्नोलॉजिस प्राइवेट लिमिटेड यह समाधान ब्लॉकचेन आधारित डीप टियर वेंडर फाइनेंसिंग समाधान है जो एमएसएमई के लिए वित्तपोषण को सक्षम बनाता है, जो बड़े उद्यमों की खरीद आपूर्ति शृंखला का हिस्सा हैं जिन्हें आमतौर पर एंकर के रूप में जाना जाता है। यह समाधान एंकर से प्राप्तियों को ब्लॉकचेन आधारित टोकन में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है जिसे एमएसएमई द्वारा बैंकों/ एनबीएफसी से ऋण प्राप्त करने के लिए भुनाया जा सकता है। समाधान का उद्देश्य निचले स्तर/ छोटे एमएसएमई के लिए आसान और किफायती ऋण सुलभ बनाना है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 27 अक्तूबर 2023 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से विनियामक सैंडबॉक्स के अंतर्गत पांचवें कोहोर्ट (विषय तटस्थ) की शुरुआत की घोषणा की थी। 2. रिज़र्व बैंक को 22 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से पाँच को ‘जांच चरण’ के लिए चुना गया है। नीचे दिए गए विवरण के अनुसार, संस्थाएँ अगस्त 2024 से अपने समाधानों का जांच शुरू करेंगी: क्र. सं. सैंडबॉक्स संस्था विवरण 1 कनेक्टिंगडॉट कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड इस समाधान का उद्देश्य ऋण पोर्टफोलियो को उच्च, मध्यम और निम्न जोखिम श्रेणियों में विभाजित करके ऋण व्यतिक्रम (चूक) का पूर्वानुमान लगाने में उच्च सटीकता प्रदान करना है। यह समाधान उधारकर्ता के चूक के कारण बताता है और जोखिम शमन में सुधार के लिए बैंकों/ उधारदाताओं को उधारकर्ता विशिष्ट मार्गों की सिफारिश करता है। 2 एपिफी टेक्नोलॉजिस प्राइवेट लिमिटेड यह समाधान वीडियो केवाईसी और पहचान सत्यापन के माध्यम से एनआरई/एनआरओ खातों को डिजिटल रूप से खोलने की अनुमति देता है, जिससे एनआरआई के लिए खाता खोलने का सहज अनुभव संभव हो जाता है। इस समाधान से लागत, टर्नअराउंड समय को कम करके और भौतिक दस्तावेज़ीकरण और सत्यापन की आवश्यकता को समाप्त करके दक्षता लाने की आशा है। 3 फिननैग टेक्नोलॉजिस प्राइवेट लिमिटेड यह समाधान ब्लॉकचेन आधारित डीप टियर वेंडर फाइनेंसिंग समाधान है जो एमएसएमई के लिए वित्तपोषण को सक्षम बनाता है, जो बड़े उद्यमों की खरीद आपूर्ति शृंखला का हिस्सा हैं जिन्हें आमतौर पर एंकर के रूप में जाना जाता है। यह समाधान एंकर से प्राप्तियों को ब्लॉकचेन आधारित टोकन में परिवर्तित करने में सक्षम बनाता है जिसे एमएसएमई द्वारा बैंकों/ एनबीएफसी से ऋण प्राप्त करने के लिए भुनाया जा सकता है। समाधान का उद्देश्य निचले स्तर/ छोटे एमएसएमई के लिए आसान और किफायती ऋण सुलभ बनाना है।
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। मार्च 2024 के लिए सूचकांक 445.50 रहा, जबकि सितंबर 2023 के लिए यह 418.77 था। इस अवधि में देश भर में भुगतान निष्पादन और भुगतान अवसंरचना में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण आरबीआई-डीपीआई सूचकांक सभी मापदंडों पर बढ़ा है। अपने आरंभ से सूचकांक शृंखला निम्नानुसार है: अवधि आरबीआई-डीपीआई सूचकांक मार्च 2018 (आधार) 100 मार्च 2019 153.47 सितंबर 2019 173.49 मार्च 2020 207.84 सितंबर 2020 217.74 मार्च 2021 270.59 सितंबर 2021 304.06 मार्च 2022 349.30 सितंबर 2022 377.46 मार्च 2023 395.57 सितंबर 2023 418.77 मार्च 2024 445.50
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। मार्च 2024 के लिए सूचकांक 445.50 रहा, जबकि सितंबर 2023 के लिए यह 418.77 था। इस अवधि में देश भर में भुगतान निष्पादन और भुगतान अवसंरचना में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण आरबीआई-डीपीआई सूचकांक सभी मापदंडों पर बढ़ा है। अपने आरंभ से सूचकांक शृंखला निम्नानुसार है: अवधि आरबीआई-डीपीआई सूचकांक मार्च 2018 (आधार) 100 मार्च 2019 153.47 सितंबर 2019 173.49 मार्च 2020 207.84 सितंबर 2020 217.74 मार्च 2021 270.59 सितंबर 2021 304.06 मार्च 2022 349.30 सितंबर 2022 377.46 मार्च 2023 395.57 सितंबर 2023 418.77 मार्च 2024 445.50
भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत की तेज़ भुगतान प्रणाली (एफपीएस) - एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) को सीमापारीय व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) भुगतान के लिए विभिन्न देशों के साथ उनके संबंधित एफपीएस से संबद्धता के लिए द्विपक्षीय सहयोग कर रहा है। जबकि भारत और उसके सहभागी देश, तेज़ भुगतान प्रणालियों की ऐसी द्विपक्षीय संबद्धता के माध्यम से लाभ लेना जारी रख सकते हैं, एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण, भारतीय भुगतान प्रणालियों की अंतर्राष्ट्रीय पहुँच का विस्तार करने के हमारे प्रयासों को और गति प्रदान करेगा।
भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत की तेज़ भुगतान प्रणाली (एफपीएस) - एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) को सीमापारीय व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) भुगतान के लिए विभिन्न देशों के साथ उनके संबंधित एफपीएस से संबद्धता के लिए द्विपक्षीय सहयोग कर रहा है। जबकि भारत और उसके सहभागी देश, तेज़ भुगतान प्रणालियों की ऐसी द्विपक्षीय संबद्धता के माध्यम से लाभ लेना जारी रख सकते हैं, एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण, भारतीय भुगतान प्रणालियों की अंतर्राष्ट्रीय पहुँच का विस्तार करने के हमारे प्रयासों को और गति प्रदान करेगा।
विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के ‘वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और न्यूनीकरण' विषय पर चौथे समूह में छह संस्थाओं को अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू करना था, जिसकी सूचना दिनांक 5 जनवरी 2023 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से दी गई थी। 2. 'परीक्षण चरण' पूरा करने वाली संस्थाओं के उत्पादों का मूल्यांकन पारस्परिक रूप से सहमत परीक्षण परिदृश्यों और अपेक्षित परिणामों के आधार पर किया गया। तदनुसार, नीचे उल्लिखित तीन उत्पाद, आरएस के अंतर्गत परीक्षण के दौरान परिभाषित सीमा शर्तों के भीतर व्यवहार्य पाए गए हैं:
विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के ‘वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और न्यूनीकरण' विषय पर चौथे समूह में छह संस्थाओं को अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू करना था, जिसकी सूचना दिनांक 5 जनवरी 2023 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से दी गई थी। 2. 'परीक्षण चरण' पूरा करने वाली संस्थाओं के उत्पादों का मूल्यांकन पारस्परिक रूप से सहमत परीक्षण परिदृश्यों और अपेक्षित परिणामों के आधार पर किया गया। तदनुसार, नीचे उल्लिखित तीन उत्पाद, आरएस के अंतर्गत परीक्षण के दौरान परिभाषित सीमा शर्तों के भीतर व्यवहार्य पाए गए हैं:
श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक की तीन प्रमुख पहल अर्थात्, प्रवाह (PRAVAAH) पोर्टल, रिटेल डायरेक्ट मोबाइल ऐप और फिनटेक रिपॉज़िटरी का लोकार्पण, रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक श्री सतीश काशीनाथ मराठे, प्रो. सचिन चतुर्वेदी; रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) के बोर्ड सदस्य प्रो. एच. कृष्णमूर्ति; रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर डॉ. एम डी पात्र, श्री एम राजेश्वर राव, श्री टी रबी शंकर, श्री स्वामीनाथन जे.; चुनिंदा बैंकों और एनबीएफसी के एमडी और सीईओ; आईबीए के मुख्य कार्यपालक; क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल), रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी लिमिटेड (रेबिट), भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं (आईएफटीएएस) और आरबीआईएच के एमडी/ सीईओ, फिनटेक के प्रतिनिधि तथा रिज़र्व बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया।
श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक की तीन प्रमुख पहल अर्थात्, प्रवाह (PRAVAAH) पोर्टल, रिटेल डायरेक्ट मोबाइल ऐप और फिनटेक रिपॉज़िटरी का लोकार्पण, रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक श्री सतीश काशीनाथ मराठे, प्रो. सचिन चतुर्वेदी; रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) के बोर्ड सदस्य प्रो. एच. कृष्णमूर्ति; रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर डॉ. एम डी पात्र, श्री एम राजेश्वर राव, श्री टी रबी शंकर, श्री स्वामीनाथन जे.; चुनिंदा बैंकों और एनबीएफसी के एमडी और सीईओ; आईबीए के मुख्य कार्यपालक; क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल), रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी लिमिटेड (रेबिट), भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएं (आईएफटीएएस) और आरबीआईएच के एमडी/ सीईओ, फिनटेक के प्रतिनिधि तथा रिज़र्व बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया।
गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूपीआई की पहुंच को और बढ़ाने के लिए संभावित कार्यनीतियों पर चर्चा करने हेतु 8 मई 2024 को यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारकों, यथा, बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), तृतीय पक्ष एप्लिकेशन प्रदाता और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता के साथ एक बैठक की। बैठक में उप गवर्नर, श्री टी. रबी शंकर के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूपीआई की पहुंच को और बढ़ाने के लिए संभावित कार्यनीतियों पर चर्चा करने हेतु 8 मई 2024 को यूपीआई पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख हितधारकों, यथा, बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), तृतीय पक्ष एप्लिकेशन प्रदाता और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता के साथ एक बैठक की। बैठक में उप गवर्नर, श्री टी. रबी शंकर के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में यह आया था कि टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड (संस्था) नामक एक कंपनी, जिसका पंजीकृत कार्यालय यूनिट सं. 323, जेएमडी मेगापोलिस, तीसरी मंजिल, सोहना रोड, सेक्टर 48, गुड़गांव, हरियाणा-122018 में है, संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक प्राधिकरण प्राप्त किए बिना अपनी वेबसाइट और ऐप (एप्लिकेशन) 'टॉकचार्ज' के माध्यम से प्रीपेड भुगतान लिखत (वॉलेट) जारी कर रही है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में यह आया था कि टॉकचार्ज टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड (संस्था) नामक एक कंपनी, जिसका पंजीकृत कार्यालय यूनिट सं. 323, जेएमडी मेगापोलिस, तीसरी मंजिल, सोहना रोड, सेक्टर 48, गुड़गांव, हरियाणा-122018 में है, संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक प्राधिकरण प्राप्त किए बिना अपनी वेबसाइट और ऐप (एप्लिकेशन) 'टॉकचार्ज' के माध्यम से प्रीपेड भुगतान लिखत (वॉलेट) जारी कर रही है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान एग्रीगेटरों के विनियमन संबंधी निम्न दो मसौदा निदेश आज अपनी वेबसाइट पर जनता की टिप्पणी हेतु रखे हैं:
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान एग्रीगेटरों के विनियमन संबंधी निम्न दो मसौदा निदेश आज अपनी वेबसाइट पर जनता की टिप्पणी हेतु रखे हैं:
एनईएफटी प्रणाली ने 29 फरवरी 2024 को 4,10,61,337 लेनदेन संसाधित करके एक माइलस्टोन प्राप्त किया है, जो अब तक एक दिन में संसाधित लेनदेन की सबसे अधिक संख्या है।
एनईएफटी प्रणाली ने 29 फरवरी 2024 को 4,10,61,337 लेनदेन संसाधित करके एक माइलस्टोन प्राप्त किया है, जो अब तक एक दिन में संसाधित लेनदेन की सबसे अधिक संख्या है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में यह आया है कि एक कार्ड नेटवर्क में एक ऐसी व्यवस्था थी जो व्यवसायों को कुछ मध्यस्थों के माध्यम से उन संस्थाओं को कार्ड से भुगतान करने में सक्षम बनाती है जो कार्ड से भुगतान स्वीकार नहीं करते हैं। 2. इस व्यवस्था के अंतर्गत, मध्यस्थ, कॉरपोरेट्स से उनके वाणिज्यिक भुगतान के लिए कार्ड से भुगतान स्वीकार करता है और फिर कार्ड स्वीकार न करने वाले प्राप्तकर्ताओं को आईएमपीएस/ आरटीजीएस/ एनईएफ़टी के माध्यम से धनराशि विप्रेषित करता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में यह आया है कि एक कार्ड नेटवर्क में एक ऐसी व्यवस्था थी जो व्यवसायों को कुछ मध्यस्थों के माध्यम से उन संस्थाओं को कार्ड से भुगतान करने में सक्षम बनाती है जो कार्ड से भुगतान स्वीकार नहीं करते हैं। 2. इस व्यवस्था के अंतर्गत, मध्यस्थ, कॉरपोरेट्स से उनके वाणिज्यिक भुगतान के लिए कार्ड से भुगतान स्वीकार करता है और फिर कार्ड स्वीकार न करने वाले प्राप्तकर्ताओं को आईएमपीएस/ आरटीजीएस/ एनईएफ़टी के माध्यम से धनराशि विप्रेषित करता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक और नेपाल राष्ट्र बैंक ने आज भारत और नेपाल की तेज भुगतान प्रणालियों, अर्थात क्रमशः भारत के यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और नेपाल के नेशनल पेमेंट्स इंटरफेस (एनपीआई) के एकीकरण के लिए विचारार्थ विषय पर हस्ताक्षर किए और इसका आदान-प्रदान किया। इस एकीकरण का उद्देश्य दोनों प्रणालियों के उपयोगकर्ताओं को तत्काल, कम लागत वाले निधि अंतरण में सक्षम बनाकर भारत और नेपाल के बीच सीमापारीय विप्रेषण की सुविधा प्रदान करना है।
भारतीय रिज़र्व बैंक और नेपाल राष्ट्र बैंक ने आज भारत और नेपाल की तेज भुगतान प्रणालियों, अर्थात क्रमशः भारत के यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और नेपाल के नेशनल पेमेंट्स इंटरफेस (एनपीआई) के एकीकरण के लिए विचारार्थ विषय पर हस्ताक्षर किए और इसका आदान-प्रदान किया। इस एकीकरण का उद्देश्य दोनों प्रणालियों के उपयोगकर्ताओं को तत्काल, कम लागत वाले निधि अंतरण में सक्षम बनाकर भारत और नेपाल के बीच सीमापारीय विप्रेषण की सुविधा प्रदान करना है।
भारत के माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी, मॉरीशस के माननीय प्रधानमंत्री, श्री प्रविंद कुमार जुगनौथ, और श्रीलंका के माननीय राष्ट्रपति, श्री रानिल विक्रमसिंघे, आज भारत और मॉरीशस के बीच रुपे (RuPay) कार्ड और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) संबद्धता के साथ-साथ भारत और श्रीलंका के बीच यूपीआई संबद्धता की आभासी शुरुआत के साक्षी बने। इस अवसर पर भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास, बैंक ऑफ मॉरीशस के गवर्नर श्री हरवेश सीगोलम, और सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर डॉ. पी. नंदलाल वीरसिंघे भी उपस्थित रहे।
भारत के माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी, मॉरीशस के माननीय प्रधानमंत्री, श्री प्रविंद कुमार जुगनौथ, और श्रीलंका के माननीय राष्ट्रपति, श्री रानिल विक्रमसिंघे, आज भारत और मॉरीशस के बीच रुपे (RuPay) कार्ड और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) संबद्धता के साथ-साथ भारत और श्रीलंका के बीच यूपीआई संबद्धता की आभासी शुरुआत के साक्षी बने। इस अवसर पर भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकान्त दास, बैंक ऑफ मॉरीशस के गवर्नर श्री हरवेश सीगोलम, और सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर डॉ. पी. नंदलाल वीरसिंघे भी उपस्थित रहे।
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। सितंबर 2023 के लिए यह सूचकांक 418.77 रहा, जबकि मार्च 2023 के लिए यह 395.57 था, जिसकी घोषणा 27 जुलाई 2023 को की गई थी। इस अवधि के दौरान आरबीआई-डीपीआई सूचकांक, विशेष रूप से देश भर में भुगतान सक्षमकर्ताओं, भुगतान निष्पादन और उपभोक्ता केंद्रितता में वृद्धि के कारण, सभी मापदंडों में बढ़ा है। अपने आरंभ से सूचकांक शृंखला निम्नानुसार है:
भारतीय रिज़र्व बैंक देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा का पता लगाने के लिए मार्च 2018 को आधार मानकर एक समग्र भारतीय रिज़र्व बैंक - डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई) 1 जनवरी 2021 से प्रकाशित कर रहा है। सितंबर 2023 के लिए यह सूचकांक 418.77 रहा, जबकि मार्च 2023 के लिए यह 395.57 था, जिसकी घोषणा 27 जुलाई 2023 को की गई थी। इस अवधि के दौरान आरबीआई-डीपीआई सूचकांक, विशेष रूप से देश भर में भुगतान सक्षमकर्ताओं, भुगतान निष्पादन और उपभोक्ता केंद्रितता में वृद्धि के कारण, सभी मापदंडों में बढ़ा है। अपने आरंभ से सूचकांक शृंखला निम्नानुसार है:
भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना को रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2021 में तीन वर्ष की अवधि के लिए परिचालित किया गया था। योजना का उद्देश्य टियर-3 से टियर-6 केंद्रों, उत्तर पूर्वी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संघ शासित प्रदेशों (यू.टी.) में भौतिक बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल, क्विक रिस्पोंस (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के परिनियोजन को प्रोत्साहित करना था। 26 अगस्त 2021 से, टियर -1 और टियर -2 केंद्रों में पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया है।
भुगतान अवसंरचना विकास निधि (पीआईडीएफ) योजना को रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2021 में तीन वर्ष की अवधि के लिए परिचालित किया गया था। योजना का उद्देश्य टियर-3 से टियर-6 केंद्रों, उत्तर पूर्वी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संघ शासित प्रदेशों (यू.टी.) में भौतिक बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल, क्विक रिस्पोंस (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकृति अवसंरचना के परिनियोजन को प्रोत्साहित करना था। 26 अगस्त 2021 से, टियर -1 और टियर -2 केंद्रों में पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) के लाभार्थियों को भी शामिल किया गया है।
1 दिसंबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड के संबंध में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान संबंधी एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
1 दिसंबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड के संबंध में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान संबंधी एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
31 अक्तूबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान एग्रीगेटर-सीमापार के विनियमन पर परिपत्र जारी किया (पीए - सीमापार) भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा दिनांक 7 अप्रैल 2022 को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत ऑनलाइन निर्यात-आयात सुगमकर्ताओं (ओईआईएफ) द्वारा छोटे मूल्य वाले निर्यात और आयात संबंधी भुगतानों के सुगम प्रसंस्करण और निपटान पर एक मसौदा परिपत्र टिप्पणियों हेतु जारी किया गया था। चूंकि ओईआईएफ/ ऑनलाइन भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं (ओपीजीएसपी) की गतिविधियां भुगतान के साथ अधिक संरेखित हैं, अतएव दिनांक 7 अप्रैल 2022 के मसौदा परिपत्र पर प्राप्त फीडबैक और भुगतान प्रणालियों के परिप्रेक्ष्य से दिशानिर्देशों के मसौदे
31 अक्तूबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान एग्रीगेटर-सीमापार के विनियमन पर परिपत्र जारी किया (पीए - सीमापार) भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा दिनांक 7 अप्रैल 2022 को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत ऑनलाइन निर्यात-आयात सुगमकर्ताओं (ओईआईएफ) द्वारा छोटे मूल्य वाले निर्यात और आयात संबंधी भुगतानों के सुगम प्रसंस्करण और निपटान पर एक मसौदा परिपत्र टिप्पणियों हेतु जारी किया गया था। चूंकि ओईआईएफ/ ऑनलाइन भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं (ओपीजीएसपी) की गतिविधियां भुगतान के साथ अधिक संरेखित हैं, अतएव दिनांक 7 अप्रैल 2022 के मसौदा परिपत्र पर प्राप्त फीडबैक और भुगतान प्रणालियों के परिप्रेक्ष्य से दिशानिर्देशों के मसौदे
विनियामक सैंडबॉक्स – ‘एमएसएमई उधार पर तीसरी कोहार्ट’ - निकास विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के अंतर्गत 'एमएसएमई उधार' विषय वाले तीसरे कोहार्ट में, आठ संस्थाओं को अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू करना था, जिसे दिनांक 6 जून 2022 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से सूचित किया गया था।2. 'परीक्षण चरण'
पूरा करने वाली संस्थाओं के उत्पादों का मूल्यांकन पारस्परिक रूप से सहमत परीक्षण परिदृश्यों और अपेक्षित परिणामों के आधार पर किया गया। तदनुसार, नीचे उल्लिखित पांच उत्पाद आरएस के अंतर्गत परीक्षण के दौरान परिभाषित सीमा शर्तों के भीतर व्यवहार्य पाए गए हैं:
विनियामक सैंडबॉक्स – ‘एमएसएमई उधार पर तीसरी कोहार्ट’ - निकास विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के अंतर्गत 'एमएसएमई उधार' विषय वाले तीसरे कोहार्ट में, आठ संस्थाओं को अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू करना था, जिसे दिनांक 6 जून 2022 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से सूचित किया गया था।2. 'परीक्षण चरण'
पूरा करने वाली संस्थाओं के उत्पादों का मूल्यांकन पारस्परिक रूप से सहमत परीक्षण परिदृश्यों और अपेक्षित परिणामों के आधार पर किया गया। तदनुसार, नीचे उल्लिखित पांच उत्पाद आरएस के अंतर्गत परीक्षण के दौरान परिभाषित सीमा शर्तों के भीतर व्यवहार्य पाए गए हैं:
27 अक्तूबर 2023 विनियामक सैंडबॉक्स: भारतीय रिज़र्व बैंक ने पाँचवाँ कोहार्ट खोलने की घोषणा की भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 सितंबर 2022 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से घोषणा की थी कि विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के अंतर्गत पांचवां कोहार्ट विषय तटस्थ होगा। अब यह पात्र संस्थाओं के लिए पांचवें कोहार्ट हेतु आवेदन विंडो
खोलने की घोषणा करता है।
27 अक्तूबर 2023 विनियामक सैंडबॉक्स: भारतीय रिज़र्व बैंक ने पाँचवाँ कोहार्ट खोलने की घोषणा की भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 सितंबर 2022 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से घोषणा की थी कि विनियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के अंतर्गत पांचवां कोहार्ट विषय तटस्थ होगा। अब यह पात्र संस्थाओं के लिए पांचवें कोहार्ट हेतु आवेदन विंडो
खोलने की घोषणा करता है।
4 अक्तूबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों द्वारा प्रावधानीकरण के लिए ऋण की अपेक्षित हानि (ईसीएल) आधारित फ्रेमवर्क पर एक बाह्य कार्य समूह का गठन किया भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी हितधारकों से इनपुट प्राप्त करने के लिए 16 जनवरी 2023 को "बैंकों द्वारा प्रावधानीकरण के लिए ऋण की अपेक्षित हानि फ्रेमवर्क का आरंभ" पर चर्चा पत्र जारी किया था। प्रावधानीकरण का ईसीएल दृष्टिकोण मौजूदा हानि-आधारित प्रावधानीकरण व्यवस्था से एक आदर्श बदलाव है। चर्चा पत्र में ऋण संबंधी जोखिम के प्रावधानीकरण के लिए एक दूरदर्शी, सिद्धांत-आधारित ढांचे की परिकल्पना की गई है, जिसे इंटरनेशनल अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड (आईएएसबी) और यूएस फाइनेंशियल अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड (एफएएसबी) के अंतर्गत पहले ही लागू किया जा चुका है।
4 अक्तूबर 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों द्वारा प्रावधानीकरण के लिए ऋण की अपेक्षित हानि (ईसीएल) आधारित फ्रेमवर्क पर एक बाह्य कार्य समूह का गठन किया भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी हितधारकों से इनपुट प्राप्त करने के लिए 16 जनवरी 2023 को "बैंकों द्वारा प्रावधानीकरण के लिए ऋण की अपेक्षित हानि फ्रेमवर्क का आरंभ" पर चर्चा पत्र जारी किया था। प्रावधानीकरण का ईसीएल दृष्टिकोण मौजूदा हानि-आधारित प्रावधानीकरण व्यवस्था से एक आदर्श बदलाव है। चर्चा पत्र में ऋण संबंधी जोखिम के प्रावधानीकरण के लिए एक दूरदर्शी, सिद्धांत-आधारित ढांचे की परिकल्पना की गई है, जिसे इंटरनेशनल अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड (आईएएसबी) और यूएस फाइनेंशियल अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बोर्ड (एफएएसबी) के अंतर्गत पहले ही लागू किया जा चुका है।
4 जनवरी 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने ओम्बड्समैन योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट, 2021-22 जारी की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज 1 अप्रैल 2021 – 31 मार्च 2022 की अवधि के लिए ओम्बड्समैन योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट को जारी किया। इस वर्ष 12 नवंबर 2021 को रिज़र्व बैंक – एकीकृत ओम्बड्समैन योजना (आरबी-आईओएस) की शुरुआत के साथ वार्षिक रिपोर्ट में पूर्ववर्ती ओम्बड्समैन योजनाओं अर्थात बैंकिंग ओम्बड्समैन योजना, 2006 (बीओएस), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए ओम्बड्समैन योजना, 2018 (ओएसएनबीएफ़सी), और डिजिटल लेनदेन क
4 जनवरी 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने ओम्बड्समैन योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट, 2021-22 जारी की भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज 1 अप्रैल 2021 – 31 मार्च 2022 की अवधि के लिए ओम्बड्समैन योजनाओं की वार्षिक रिपोर्ट को जारी किया। इस वर्ष 12 नवंबर 2021 को रिज़र्व बैंक – एकीकृत ओम्बड्समैन योजना (आरबी-आईओएस) की शुरुआत के साथ वार्षिक रिपोर्ट में पूर्ववर्ती ओम्बड्समैन योजनाओं अर्थात बैंकिंग ओम्बड्समैन योजना, 2006 (बीओएस), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए ओम्बड्समैन योजना, 2018 (ओएसएनबीएफ़सी), और डिजिटल लेनदेन क
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जुलाई 28, 2025