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मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में संपर्क/शाखा/परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना

आरबीआई/2015-16/54
मास्टर परिपत्र सं.7/2015-16

1 जुलाई 2015

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया / महोदय,

मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में
संपर्क/शाखा/परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना

भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.22/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 (6) के अनुसार विनियमित की जाती है।

2. यह मास्टर परिपत्र "विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान पर समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

3. नए अनुदेश जारी होने पर, इस मास्टर परिपत्र को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है। मास्टर परिपत्र किस तारीख तक अद्यतन है, इसका उचित रूप में उल्लेख किया जाता है।

4. सामान्य मार्गदर्शन के लिए इस मास्टर परिपत्र का संदर्भ लिया जाए। आवश्यक होने पर विस्तृत जानकारी के लिए प्राधिकृत व्यक्ति और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक संबंधित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं का संदर्भ लें।

भवदीय,

(ए.के.पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

(ए) सामान्य मानदंड- संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय
(बी) संपर्क कार्यालय
(सी) शाखा कार्यालय
(डी) अतिरिक्त कार्यकलाप करने अथवा अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालयों के लिए आवेदनपत्र
(ई) शाखा/संपर्क कार्यालयों द्वारा रिपोर्टिंग
(एफ) शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करना
(जी) परियोजना कार्यालय
(एच) भारत में विदेशी संस्थाओं के शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों पर लागू अन्य सामान्य शर्ते
अनुबंध 1
एफएनसी
अनुबंध 2
चुकौती आश्वासन पत्र का फॉर्मेट
अनुबंध 3
पुलिस महानिदेशक को रिपोर्ट प्रस्तुत करने संबंधी फार्मेट
अनुबंध 4
वार्षिक कार्यकलाप संबंधी प्रमाणपत्र
परिशिष्ट
इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची

विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों की स्थापना

(ए) सामान्य मानदंड - संपर्क कार्यालय / शाखा कार्यालय

भारत में संपर्क/शाखा कार्यालय स्थापित करने के लिए इच्छुक, भारत से बाहर निगमित कंपनी निकाय {किसी फर्म अथवा व्यक्तियों की अन्य संस्था (संगठन) सहित} को फेमा, 1999 के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है। ऐसी संस्थाओं से फॉर्म एफएनसी (अनुबंध-1) में प्राप्त आवेदनों पर रिज़र्व बैंक द्वारा दो मार्गों के अंतर्गत विचार किया जाता है:

रिज़र्व बैंक मार्ग - विदेशी संस्था का मूल व्यवसाय ऐसे क्षेत्रों के अंतर्गत आता है जहां स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है।

सरकारी मार्ग - विदेशी संस्था का मूल व्यवसाय ऐसे क्षेत्रों के अंतर्गत आता है जहां स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं है। इस श्रेणी के अंतर्गत आनेवाली संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों/लाभ-रहित संगठनों/सरकारी निकायों/ विभागों से प्राप्त आवेदनों पर रिज़र्व बैंक द्वारा भारत सरकार, वित्त मंत्रालय के परामर्श से विचार किया जाता है।

विदेशी संस्थाओं के संपर्क/शाखा कार्यालयों को स्वीकृति देते समय रिज़र्व बैंक द्वारा निम्नलिखित अतिरिक्त मानदंडों पर भी विचार किया जाता है:

ट्रैक रिकार्ड :

शाखा कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले लगातार पांच वित्तीय वर्षों के दौरान लाभार्जन का ट्रैक रिकार्ड ।

संपर्क कार्यालय के लिए - अपने देश में पिछले लगातार तीन वित्तीय वर्षों के दौरान लाभार्जन का ट्रैक रिकार्ड ।

  • निवल मालियत [कुल प्रदत्त पूंजी और निर्बंध आरक्षित कुल निधियों में से सरकारी प्रमाणित लोक लेखाकार अथवा किसी नाम से पंजीकृत लेखा व्यावसायिक द्वारा अद्यतन लेखा-परीक्षित तुलन पत्र अथवा लेखा विवरण के अनुसार अमूर्त परिसंपत्तियों को घटाते हुए]

    • शाखा कार्यालय के लिए-100,000 अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य से अधिक।

    • संपर्क कार्यालय के लिए- 50,000 अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य से अधिक।

विदेशी संस्था द्वारा भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए आवेदन नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक के जरिये महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक, नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय, 6, संसद मार्ग, नई दिल्ली - 110001 को निम्नलिखित निर्धारित दस्तावेजों के साथ प्रेषित किया जाए:

  • पंजीकरण के देश में भारतीय दूतावास/नोटरी पब्लिक द्वारा साक्ष्यांकित निगमन/पंजीकरण अथवा संस्था के बहिर्नियम तथा अंतर्नियम के प्रमाणपत्र का अंग्रेजी रूपांतरण।

  • आवेदक संस्था का अद्यतन लेखा-परीक्षित तुलन पत्र।

आवेदक, जो पात्रता मानदंड पूरे नहीं करते हैं तथा अन्य कंपनियों की सहायक कंपनियाँ हैं, वे अनुबंध-2 के अनुसार अपनी मूल कंपनी से चुकौती आश्वासन प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सकते हैं, बशर्ते मूल कंपनी उपर्युक्त निर्धारित पात्रता मानदंड पूरे करती हो। नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को अपने अभिमतों/सिफारिशों के साथ आवेदनपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रेषित करने से पहले आवेदक की पृष्ठभूमि, प्रवर्तक का पूर्ववृत्त, कार्यकलाप का स्वरुप तथा स्थान, निधियों के स्रोत, आदि के संबंध में यथोचित जांच-पड़ताल कर लेने के साथ ही साथ अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित कर लेना चाहिए।

रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से स्थापित किए गए शाखा/संपर्क कार्यालयों को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआइएन)(www.rbi.org.in/scripts/Fema.aspx) आबंटित की जाएगी। भारत में कार्यालयों की स्थापना करने पर शाखा/संपर्क कार्यालयों को आय-कर प्राधिकारियों से स्थायी खाता संख्या (पीएएन) भी प्राप्त करनी चाहिए।

(बी) संपर्क कार्यालय

बी.1 संपर्क कार्यालय के लिए स्वीकृत कार्यकलाप

संपर्क कार्यालय (जिन्हें प्रतिनिधि कार्यालय के रूप में भी जाना जाता है) केवल संपर्क कार्यकलाप कर सकता है, अर्थात विदेश में प्रधान कार्यालय तथा भारत में पार्टियों के बीच संप्रेषण के चैनल के रूप में कार्य कर सकता है। उसे भारत में कोई व्यवसाय कार्यकलाप करने तथा भारत में आय अर्जित करने की/के लिए अनुमति नहीं है। ऐसे कार्यालयों के व्यय समग्रत: भारत से बाहर के प्रधान कार्यालय से विदेशी मुद्रा के आवक विप्रेषण के जरिये किये जाने चाहिए। अत: इन कार्यालयों की भूमिका संभाव्य बाजार अवसरों संबंधी जानकारी प्राप्त करना तथा भावी भारतीय ग्राहकों को कंपनी तथा उसके उत्पादों के बारे में जानकारी प्रदान करने तक सीमित है। ऐसे कार्यालयों की स्थापना के लिए अनुमति प्रारंभिक रूप से 3 वर्षों की अवधि के लिए दी जाती है तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा, समय-समय पर, इसका विस्तार किया जा सकता है।

संपर्क कार्यालय भारत में निम्नलिखित कार्यकलाप कर सकता है :

i.  भारत में मूल कंपनी/समूह कंपनियों का प्रतिनिधित्व करना।

ii.  भारत से/को निर्यात/आयात संवर्धन।

iii. मूल/समूह कंपनियों और भारत में कंपनियों के बीच तकनीकी/वित्तीय सहयोग संवर्धन।

iv. मूल कंपनी और भारतीय कंपनियों के बीच संचार - माध्यम के रूप में कार्य करना।

बी.2. विदेशी बीमा कंपनियों / बैंकों के संपर्क कार्यालय

विदेशी बीमा कंपनियाँ बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संपर्क कार्यालय की स्थापना कर सकती हैं।

विदेशी बैंक भारत में बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संपर्क कार्यालय की स्थापना कर सकते हैं।

बी.3. संपर्क कार्यालयों के अनुमोदन की वैधता में विस्तार

नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक संपर्क कार्यालयों की वैधता अवधि में रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदान किये गये मूल अनुमोदन/विस्तार की समाप्ति की तारीख से 3 वर्षों की अवधि के लिए विस्तार प्रदान कर सकते हैं, यदि आवेदक ने निम्नलिखित शर्तों का पालन किया हो तथा आवेदन अन्यथा सही हो।

  • संपर्क कार्यालय ने पूर्ववर्ती वर्षों के लिए वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया हो और

  • प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के पास रखे गये संपर्क कार्यालय के खाते का परिचालन अनुमोदन में निर्धारित शर्तों के अनुसार किया जा रहा हो।

ऐसा विस्तार, अनुरोध की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर, यथा संभव यथाशीघ्र, प्रदान किया जाना चाहिए तथा उसकी सूचना मूल अनुमोदन पत्र की संदर्भ संख्या तथा विशिष्ट पहचान संख्या (यूआइएन) उद्धृत करते हुए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को तथा महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक, नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय, 6, संसद मार्ग, नई दिल्ली - 110001 को दी जानी चाहिए।

बैंकों और बीमा कारोबार में लगी संस्थाओं के संपर्क कार्यालयों की वैधता अवधि में विस्तार के लिए आवेदनपत्र, पहले की तरह, क्रमश: बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) द्वारा निर्धारित किये अनुसार उन्हें सीधे प्रस्तुत किये जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, ऐसी संस्थाएं जो गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं और जो भवन निर्माण और विकास क्षेत्र (संरचना क्षेत्र विकास कंपनियों को छोड़कर) में कार्यरत हैं, के संपर्क कार्यालय के लिए समय विस्तार पर विचार नहीं किया जाएगा। वैधता अवधि की समाप्ति पर, मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के अनुसार इन संस्थाओं को या तो बंद होना होगा अथवा संयुक्त उद्यम (जेवी)/पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक संस्था (डब्ल्यूओएस) में परिवर्तित होना होगा।

(सी) शाखा कार्यालय

सी.1 स्वीकृत कार्यकलाप

ए.) भारत से बाहर निगमित तथा विनिर्माण अथवा व्यापारिक कार्यकलापों में लगी कंपनियों को रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन के साथ भारत में शाखा कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुमति दी जाती है। ऐसे शाखा कार्यालयों को मूल/समूह कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने तथा भारत में निम्नलिखित कार्यकलाप करने के लिए अनुमति दी जाती है:

  1. माल का निर्यात1/ आयात

  2. व्यावसायिक अथवा परामर्शदात्री सेवाएं प्रदान करना।

  3. मूल कंपनी जिस क्षेत्र में लगी है उसमें अनुसंधान कार्य करना।

  4. भारतीय कंपनियों और मूल अथवा समुद्रपारीय समूह कंपनियों के बीच तकनीकी अथवा वित्तीय सहयोग संवर्धन।

  5. भारत में मूल कंपनी का प्रतिनिधित्व करना और भारत में क्रय/विक्रय एजेंट का कार्य करना।

  6. भारत में सूचना प्रौद्यौगिकी और सॉफ्टवेयर के विकास में सेवाएं प्रदान करना।

  7. मूल/समूह कंपनियों द्वारा आपूर्त उत्पादों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।

  8. विदेशी वायुयान/नौ-वहन (पोतलदान) कंपनी।

सामान्यत: शाखा कार्यालय को मूल कंपनी के कार्यकलापों में लगा होना चाहिए।

बी) भारत में शाखा कार्यालय को किसी प्रकार के खुदरा व्यापार कार्यकलाप करने की अनुमति नहीं है।

सी) शाखा कार्यालय को भारत में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विनिर्माण अथवा प्रसंस्करण कार्यकलाप करने की अनुमति नहीं है।

डी) शाखा कार्यालयों द्वारा अर्जित लाभ, लागू आय-करों के भुगतान की शर्त पर, भारत से मुक्त रूप से विप्रेषित किए जा सकते हैं।

सी.2 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेडएस) में शाखा कार्यालय

(i) रिज़र्व बैंक ने विदेशी कंपनियों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेडएस) में विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के कार्यकलाप करने के लिए शाखा/ईकाई स्थापित करने हेतु सामान्य अनुमति प्रदान की है। सामान्य अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर दी जाती है:

ए) ऐसी इकाइयाँ उन क्षेत्रों में कार्यरत हैं जहाँ 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है;

बी) ऐसी इकाइयाँ कंपनी अधिनियम, 1956 के भाग XI (धारा 592 से 602) का पालन करती हैं;

सी) ऐसी इकाइयाँ एकल आधार पर कार्य करती हैं।

(ii) व्यवसाय का समापन होने पर और समापन राशि के विप्रेषण के लिए शाखा रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन देने वाले पत्र की प्रति को छोड़कर "संपर्क/ शाखा कार्यालय के समापन" के तहत दर्शाये गये दस्तावेजों के साथ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक से संपर्क करेगी।

सी.3 विदेशी बैंकों की शाखाएँ

विदेशी बैंकों को भारत में शाखा कार्यालय खोलने के लिए फेमा के तहत अलग से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। तथापि, ऐसे बैंकों को बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, रिज़र्व बैंक से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करना अपेक्षित है।

(डी) अतिरिक्त कार्यकलाप करने अथवा अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालयों के लिए आवेदन

रिज़र्व बैंक द्वारा प्रारंभिक रूप से अनुमत किये गये कार्यकलापों के अतिरिक्त कार्यकलाप करने के लिए अनुरोध प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के जरिये महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय कक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक, नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय, 6, संसद मार्ग, नई दिल्ली – 110001 को नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के अभिमतों के साथ आवश्यकता का औचित्य सिद्ध करते हुए प्रस्तुत किये जाएं।

अतिरिक्त शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुरोध, उपर्युक्त में स्पष्ट किये गये अनुसार, अपने देश में विदेशी संस्था के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित नये एफएनसी फॉर्म (अनंबंध-1) में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किये जाएं। तथापि, यदि पहले प्रस्तुत किए गये दस्तावेजों में कोई परिवर्तन न हो तो फार्म एफएनसी में उल्लिखित दस्तावेज पुन: प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

  • यदि कार्यालयों की संख्या 4 (अर्थात पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण प्रत्येक क्षेत्र में एक शाखा/संपर्क कार्यालय) से अधिक हो तो आवेदक को अतिरिक्त कार्यालयों की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध करना होगा।

  • आवेदक भारत में अपने कार्यालयों में से एक कार्यालय को नोडल कार्यालय के रूप में रखे जो भारत में अपने सभी कार्यालयों के कार्यकलापों में समन्वय रखेगा।

(ई) शाखा/संपर्क कार्यालयों द्वारा रिपोर्टिंग

ई.1. संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय स्थापित करने वाली सभी नयी संस्थाओं (कंपनियों) को संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय के कार्यरत (कार्यान्वित) होने की तारीख से पाँच कार्य दिवसों के भीतर संबंधित राज्य सरकार के पुलिस महानिदेशक (DGP) को अनुबंध 3 के अनुसार वांछित जानकारी निहित होने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी; यदि ऐसी विदेशी कंपनी (एंटिटी) के एक से अधिक कार्यालय हों तो ऐसे मामलों में भारत में जिस-जिस राज्य में कार्यालय स्थित हों उन राज्यों के संबंधित पुलिस महानिदेशकों (DGP) को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी ; [25 सितंबर 2012 के ए.पी. (डीआईआर) सं. 35 के जरिये यथा संशोधित]

ई.2. शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों को 31 मार्च को समाप्त वर्ष के लिए सनदी लेखाकार से प्रमाणित वार्षिक कार्यकलाप संबंधी प्रमाणपत्र (अनुबंध-4) तथा लेखा-परीक्षित तुलन पत्र उसी वर्ष के 30 सितंबर तक अथवा उसके पहले फाइल करना होगा। यदि संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय के लेखे 31 मार्च से भिन्न तारीख के लिए तैयार किए जाएं तो लेखापरीक्षित तुलन पत्र तथा वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र लेखापरीक्षित तुलन पत्र की तारीख से छ: माह के भीतर नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को प्रस्तुत किए जाएं और उसकी प्रति प्राप्ति और भुगतान लेखे सहित लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरण के साथ आय कर महानिदेशालय (अंतर्राष्ट्रीय कराधान), नयी दिल्ली को प्रस्तुत की जाए। [26 नवंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर) सं. 55 के जरिये यथा संशोधित]

निम्नलिखित कार्यालयों द्वारा यथा लागू फाइल किये जाने वाले प्रमाणपत्र:

  • एक मात्र शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के मामले में, संबंधित शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय द्वारा;

  • बहु-विध शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के मामले में, शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालयों के नोडल कार्यालय द्वारा भारत में सभी कार्यालयों के संबंध में एक संयुक्त वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र।

नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की छान-बीन करेगा तथा सुनिश्चित करेगा कि शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय द्वारा किये गये कार्यकलाप रिज़र्व बैंक द्वारा दिये गये अनुमोदन की शर्तों के अनुसार किये गये हैं। लेखापरीक्षक द्वारा रिपोर्ट किये गये अथवा नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा नोटिस किये गये प्रतिकूल निष्कर्ष, यदि कोई हों, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की प्रति तथा उस पर उनके अभिमत के साथ संपर्क कार्यालय के संबंध में रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और शाखा कार्यालय के मामले में रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय को तुरंत रिपोर्ट किये जाने चाहिए।

ई.3. वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की प्रति सहित अनुबंध 3 में दिए गए फार्मेट में रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित पुलिस महानिदेशक (DGP) के पास वार्षिक आधार पर फाइल की जाएगी और उनकी एक प्रति संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास भी फाइल की जाएगी। [25 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर) सं. 35 के जरिये यथा संशोधित]

(एफ) शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करना

शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के समापन के समय कंपनी को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक से संपर्क करना होगा:

ए) शाखा/संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय (सेक्टोरेल) नियामक (नियामकों) से प्राप्त अनुमोदन / भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति की प्रतिलिपि।

बी) लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र जिसमें अग्रलिखित दर्शाया जाए : i) आवेदक की परिसंपत्तियों और देयताओं के विवरण द्वारा समर्थित विप्रेषण-योग्य राशि निकालने और परिसंपत्तियों के निपटान का तरीका दर्शाया जाए; ii) कार्यालय के कर्मचारियों आदि को उपदान की बकाया राशि तथा अन्य लाभों सहित भारत में सभी देयताएं या तो पूर्णत: चुका दी गयी हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान कर लिया गया है, इसकी पुष्टि; और iii) भारत के बाहर के स्त्रोतों से प्राप्त कोई आगम राशि (निर्यात की आगम राशि सहित) भारत को अप्रत्यावर्तित रही है, इसकी पुष्टि।

सी) आवेदक/मूल कंपनी से इस बात की पुष्टि कि शाखा/संपर्क कार्यालय के विरुद्ध भारत में किसी न्यायालय में कोई विधिक कार्यवाही अनिर्णीत नहीं है और विप्रेषण पर कोई विधिक रुकावट नहीं है।

डी) भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय के समापन के मामले में कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में कंपनियों के रजिस्ट्रार से एक रिपोर्ट।

ई) अनुमोदन प्रदान करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य दस्तावेज।

अपने शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय के बंद करने पर समापनगत आगम राशि के विप्रेषण हेतु आवेदन करने पर नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, समय-समय पर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों एवं भारत में (आवेदक पर) लागू करों, यदि कोई हों, की अदायगी करने के बाद ऐसे विप्रेषण की अनुमति प्रदान कर सकते हैं।

नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा ऐसे शाखा/संपर्क कार्यालय के समापन के संबंध में रिज़र्व बैंक (संपर्क कार्यालय के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय तथा शाखा कार्यालय के लिए केंद्रीय कार्यालय) को इस घोषणा के साथ रिपोर्ट करना चाहिए कि शाखा/संपर्क कार्यालय द्वारा प्रस्तुत किये गये सभी आवश्यक दस्तावेजों की छान-बीन की गयी है और वे सही पाये गये हैं। यदि दस्तावेज सही न पाये जाएं अथवा मामले प्रत्यायोजित अधिकारों के तहत न आते हों, तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक आवेदनपत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए अपनी टिप्पणियों के साथ रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें। शाखा/संपर्क कार्यालय के परिचालनों से संबंधित सभी दस्तावेज प्राधिकृत व्यापारी के आंतरिक लेखा-परीक्षकों/रिज़र्व बैंक के निरीक्षणकर्ता अधिकारियों द्वारा सत्यापन के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा अपने पास रखे जाएं।

(जी) परियोजना कार्यालय

जी.1 सामान्य अनुमति

रिज़र्व बैंक ने विदेशी कंपनियों को भारत में परियोजना कार्यालय स्थापित करने के लिए सामान्य अनुमति प्रदान की है, बशर्ते उन्होंने भारत में कोई परियोजना निष्पादित करने के लिए किसी भारतीय कंपनी से ठेका प्राप्त किया हो, और

  1. परियोजना के लिए विदेश से आवक विप्रेषण द्वारा सीधे ही निधीयन किया गया है; अथवा

  2. परियोजना के लिए द्विपक्षीय अथवा बहु-पक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसी द्वारा निधीयन किया गया है; अथवा

  3. परियोजना यथोचित प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित की गयी है; अथवा

  4. भारत में किसी कंपनी अथवा संस्था को ठेका दिया जा रहा है उसे परियोजना के लिए भारत में किसी पब्लिक वित्तीय संस्था अथवा बैंक द्वारा सावधि ऋण दिया गया है। तथापि, यदि उपर्युक्त मानदंड पूर्ण नहीं किये जाते हैं तो विदेशी संस्था को भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यलय से संपर्क करना होगा।

विदेशी गैर-सरकारी संगठनों/लाभ-रहित संगठनों/विदेशी सरकारी निकायों/विभागों, किसी भी नाम से जाने जाने वाले, द्वारा परियोजना कार्यालयों की स्थापना सरकारी मार्ग के अंतर्गत आती है। तदनुसार, ऐसी संस्थाओं/कंपनियों से अपेक्षित है कि वे भारत में परियोजना अथवा कोई अन्य कार्यालय स्थापित करने हेतु पूर्व स्वीकृति के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करें। [17 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर) सं. 31 के जरिये यथा संशोधित]

जी.2 विदेशी मुद्रा खाता खोलना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में स्थित परियोजना कार्यालयों के लिए ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है:

  1. परियोजना कार्यालय को स्वीकृति प्रदान करने वाले प्राधिकरण से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद रिज़र्व बैंक के सामान्य/विशिष्ट अनुमोदन से भारत में परियोजना कार्यालय की स्थापना की गयी है।

  2. ठेका, जिसके अंतर्गत परियोजना स्वीकार की गई है, विशेष रूप से विदेशी मुद्रा में भुगतान के लिए प्रावधान करता है।

  3. प्रत्येक परियोजना कार्यालय दो विदेशी मुद्रा खाते खोल सकता है, सामान्यत: एक अमरीकी डॉलर में मूल्यवर्गीकृत तथा दूसरा अपने देश की मुद्रा में, बशर्ते दोनों खाते एक ही प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक में रखे जाते हैं।

  4. खाते में अनुमत नामे परियोजना संबंधी व्यय के भुगतान से होंगे और परियोजना को स्वीकृति प्रदान करने वाले प्राधिकरण से विदेशी मुद्रा प्राप्तियाँ और विदेश स्थित मूल/ समूह कंपनी अथवा द्विपक्षीय/बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषक एजेंसियों से प्राप्त विप्रेषण जमा होंगे।

  5. विदेशी मुद्रा खाते में केवल अनुमोदित नामे और जमा की सुविधा दी जाती है, इस बात को सुनिश्चित करने का पूरा दायित्व प्राधिकृत व्यापारी की संबंधित शाखा पर होगा। इसके अलावा, ये खाते संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के समवर्ती लेखापरीक्षकों द्वारा शत-प्रतिशत जाँच के अधीन होंगे।

  6. परियोजना की समाप्ति पर विदेशी मुद्रा खाते को बंद किया जाए।

जी.3 भारत में परियोजना कार्यालयों द्वारा आवर्ती (इंटरमिटेंट) विप्रेषण

(i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक परियोजना के समापन/की पूर्णता के लंबित रहने के दौरान परियोजना कार्यालय द्वारा आवर्ती (इंटरमिटेंट) विप्रेषण की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते वे लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हों और वे निम्नलिखित के अधीन हों:

ए) परियोजना कार्यालय लेखापरीक्षक/सनदी लेखाकार से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है कि भारत में देयताओं, जिसमें आयकर भी शामिल है, को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं।

बी) परियोजना कार्यालय से प्राप्त एक वचन पत्र कि विप्रेषण किसी भी तरह से भारत में परियोजना की पूर्णता को प्रभावित नहीं करेगा और भारत में किसी भी देयता को पूरा करने के लिए निधियों में आयी कमी को विदेश से आवक विप्रेषण द्वारा पूरा किया जाएगा।

(ii) निधियों के अंतर-परियोजना अंतरण के लिए रिज़र्व बैंक के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय का पूर्वानुमोदन आवश्यक है, जिसके अधिकार क्षेत्र में परियोजना कार्यालय स्थित है।

जी.4 रिपोर्टिंग अपेक्षाएं

(i) परियोजना कार्यालय स्थापित करने वाली सभी नयी संस्थाओं (कंपनियों) को परियोजना कार्यालय के कार्यरत (कार्यान्वित) होने की तारीख से पाँच कार्य दिवसों के भीतर संबंधित राज्य सरकार के पुलिस महानिदेशक (DGP) को अनुबंध 3 के अनुसार वांछित जानकारी निहित होने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी; यदि ऐसी विदेशी कंपनी (एंटिटी) के एक से अधिक कार्यालय हों तो ऐसे मामलों में भारत में जिस-जिस राज्य में कार्यालय स्थित हों उन-उन राज्यों के संबंधित पुलिस महानिदेशकों (DGP) को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी; [25 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर) सं. 35 के जरिये यथा संशोधित]

(ii) भारत में परियोजना कार्यालय स्थापित करने वाली विदेशी कंपनी संबंधित प्राधिकृत व्यापारी शाखा के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को निम्नलिखित ब्योरों को शामिल करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करे जिसके क्षेत्राधिकार में परियोजना कार्यालय स्थापित किया गया है।

  1. विदेशी कंपनी का नाम और पता,

  2. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.22/2000-आरबी के विनियम 5 के खंड (ii) में वर्णित ठेका प्रदान करने संबंधी पत्र की संख्या और तारीख,

  3. परियोजना/ठेका प्रदान करने वाले प्राधिकारी (प्राधिकरण) का ब्योरा,

  4. ठेके की कुल राशि,

  5. परियोजना कार्यालय का पता/ई-मेल पता/टेलीफोन नंबर/फैक्स नंबर,

  6. परियोजना कार्यालय का कार्य-काल,

  7. परियोजना कार्य का संक्षिप्त ब्योरा,

  8. उस प्राधिकृत व्यापारी शाखा का नाम, आदि जिसके पास खाता खोला गया है और उस विदेशी मुद्रा का नाम जिसमें खाता खोला गया है,

  9. इस आशय का वचनपत्र कि परियोजना कार्यालय 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.22/2000-आरबी के विनियम 5 (ii) के साथ पठित 2 जुलाई 2003 की अधिसूचना सं.फेमा.95 के अंतर्गत सामान्य अनुमति की सुविधा प्राप्त करने के लिए पात्र है, कारण सहित दें ।

परियोजना कार्यालय स्थापित करने से 2 माह के भीतर यह रिपोर्ट प्राधिकृत व्यापारी बैंक की शाखा के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अग्रसारित की जाएगी।

(iii) परियोजना कार्यालय वार्षिक आधार पर प्राधिकृत व्यापारी बैंक की शाखा को परियोजना की स्थिति दर्शाने वाला और परियोजना कार्यालय के लेखे लेखापरीक्षित होने और किए गए कार्य रिज़र्व बैंक द्वारा दी गयी सामान्य/ विशिष्ट अनुमति के अनुरूप होना प्रमाणित करने वाला सनदी लेखाकार का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेगा।

अतिरिक्त रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ: वार्षिक प्रमाणपत्र की प्रति सहित अनुबंध 3 में दिए गए फार्मेट में रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित पुलिस महानिदेशक (DGP) के पास वार्षिक आधार पर फाइल की जाएगी और उनकी एक-एक प्रति संबंधित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास भी फाइल की जाएगी।[25 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर) सं. 35 के जरिये यथा संशोधित]

(एच) भारत में विदेशी संस्थाओं के शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों पर लागू अन्य सामान्य शर्तें

(i) रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान चीन, 2हाँगकांग अथवा मकाउ का कोई नागरिक/में पंजीकृत कोई संस्था भारत में शाखा अथवा संपर्क कार्यालय अथवा परियोजना कार्यालय अथवा व्यवसाय का कोई अन्य केंद्र स्थापित नहीं कर सकता/सकती है।

(ii) नेपाल की संस्थाओं को भारत में केवल संपर्क कार्यालय स्थापित करने के लिए अनुमति दी गयी है ।

(iii) किसी विदेशी संस्था की शाखा/के परियोजना कार्यालय को उनके निजी उपयोग के लिए क्रय करके अचल संपत्ति अर्जित करने तथा अनुमत/प्रासंगिक (incidental) कार्यकलाप करने की अनुमति दी गयी है। तथापि, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, हाँगकांग, मकाउ, नेपाल, भूटान अथवा चीन की संस्थाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना भारत में शाखा/परियोजना कार्यालय खोलने के लिए अचल संपत्ति अर्जित करने की अनुमति नहीं है।

सभी शाखा/संपर्क कार्यालयों सहित परियोजना कार्यालयों को अनुमत/प्रासंगिक कार्य-कलाप पट्टे पर ली गयी संपत्ति के द्वारा करने की सामान्य अनुमति दी गयी है बशर्त पट्टे की अवधि पाँच वर्षों से अधिक न हो।

(iv) शाखा/संपर्क/परियोजना कार्यालयों को भारत में ब्याज रहित भारतीय रुपया चालू खाता खोलने की अनुमति दी गई है। ऐसे कार्यालयों को खाते खोलने के लिए अपने प्राधिकृत व्यापारियों से संपर्क करना चाहिए।

(v) 3संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय की परिसंपत्तियों के अंतरण हेतु अनुमति देने के अधिकार, निम्नलिखित विनिर्देशनों के अनुपालन के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों में प्रत्यायोजित किए गए हैं :

(ए) केवल उन संपर्क कार्यालयों/शाखा कार्यालयों के ऐसे प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा जो 30 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 23 एवं 24 में निर्धारित परिचालनात्मक दिशानिर्देशों यथा (i) नियमित वार्षिक अंतराल पर एएसी (चालू वित्त वर्ष तक) का प्रस्तुतीकरण जिसकी प्रतियां डीजीआईटी (अंतर्राष्ट्रीय कराधान) को परांकित की जाती हों और (ii) आयकर प्राधिकारियों से पैन नंबर प्राप्त किया गया हो तथा कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत कंपनी रजिस्ट्रार के पास पंजीयन, यदि आवश्यक हो, कराया गया हो, का अनुपालन करते हैं। इसी प्रकार परियोजना कार्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के मामले में प्रारंभिक रिपोर्टिंग अपेक्षाओं (पैरा 2.3) और परियोजना की स्थिति दर्शाने वाली सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित वार्षिक रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण (पैरा 2.4) संबंधी 17 मई 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 44 द्वारा जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन किया गया हो।

बी) सांविधिक लेखापरीक्षक से प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए जिसमें अंतरित की जाने वाली परिसंपत्तियों के ब्योरे में परिसंपत्ति के अर्जन की तारीख, मूल कीमत, संबंधित दिनांक तक मूल्य ह्रास, वर्तमान बही मूल्य अथवा अवलिखित मूल्य (WDV) और बिक्रय प्रतिफल को शामिल किया गया हो। सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा यह पुष्टि भी की जाए कि परिसंपत्तियों के प्रारंभिक अर्जन के बाद से उनका पुनर्मूल्यन नहीं किया गया है। प्रत्येक मामले में बिक्रय प्रतिफल, बही मूल्य से अधिक नहीं होना चाहिए।

सी) संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय द्वारा परिसंपत्तियों का अर्जन आवक विप्रेषण से हुआ हो और गुड-विल, परिचालन पूर्व व्यय जैसी अगोचर (intangible) परिसंपत्तियों को उसमें शामिल न किया जाए। संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय द्वारा लीज्ड होल्ड में किए गए सुधारों पर हुए राजस्व व्यय को पूंजीकृत न किया गया हो और उसे संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को अंतरित न किया जाए।

डी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को परिसंपत्तियों को अंतरित करने की अनुमति देते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तत्संबंध में लागू सभी करों के भुगतान किए गए हों।

ई) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को परिसंपत्तियों के अंतरण की अनुमति केवल तभी देनी चाहिए जब विदेशी एंटिटी भारत स्थित अपने शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय/परियोजना कार्यालय के परिचालन को बंद करने का इरादा रखती हो।

एफ) ऐसी परिसंपत्तियों के अंतरण के कारण शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय/परियोजना कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुई राशि को अनुमत जमा माना जाएगा।

(vi) शाखा कार्यालयों द्वारा अपने लाभ में से भारतीय करों को घटाकर शेष राशि को भारत से बाहर विप्रेषित करने की अनुमति है बशर्ते उनके द्वारा प्रस्तुत निम्नलिखित दस्तावेजों से विप्रेषक प्राधिकृत व्यापारी संतुष्ट हो :-

ए. संबंधित वर्ष के लिए लेखापरीक्षित तुलन पत्र तथा लाभ और हानि खाते की प्रमाणित प्रति

बी. यह प्रमाणित करते हुए सनदी लेखाकार का प्रमाणपत्र

  1. विप्रेषणयोग्य लाभ निकालने का तरीका;

  2. समग्र विप्रेषणयोग्य लाभ अनुमत कार्यकलाप करते हुए अर्जित किया गया है;

  3. लाभ में शाखा की परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यन पर कोई लाभ शामिल नहीं है।

(vii) प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति के शाखा/कार्यालय के पक्ष में 6 महीनों तक की अवधि के लिए मीयादी जमा खाते की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते, बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि मीयादी जमा अस्थायी अतिरिक्त निधियों में से है और शाखा/ कार्यालय वचन पत्र प्रस्तुत करता है कि मीयादी जमा की परिपक्वतागत आगम राशि का उपयोग परिपक्वता से 3 महीने की अवधि के भीतर भारत में अपने व्यवसाय के लिए किया जाएगा। तथापि, यह सुविधा पोतलदान/वायुयान कंपनियों को नहीं दी जाएगी।

(viii) फेमा अवधि से पूर्व अवधि के दौरान स्थापित संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय का नियमितीकरण

फेमा, 1999 के उपबंधों के अंतर्गत विदेशी संस्थाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति से भारत में शाखा या संपर्क कार्यालय स्थापित करने की अनुमति है। फेमा अवधि से पूर्व अवधि के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना स्थापित संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय और जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) आबंटित नहीं की गई है वे फेमा, 1999 के अंतर्गत अपने कार्यालयों के नियमितीकरण हेतु अपने प्राधिकृत व्यापारी बैंक के द्वारा रिज़र्व बैंक से संपर्क करें।


परिशिष्ट

इस मास्टर परिपत्र में समेकित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची

http://www.rbi.org.in/scrpts/Fema.aspx

क्रम सं. अधिसूचना/परिपत्र सं. दिनांक
1 अधिसूचना सं. फेमा 22/2000-आरबी 03 मई 2000
2 अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी 03 मई 2000
3 अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी 03 मई 2000
4 अधिसूचना सं. फेमा 95/2003-आरबी 02 जुलाई 2003
5 अधिसूचना सं. फेमा 102/2003-आरबी 03 अक्तूबर 2003
6 अधिसूचना सं. फेमा 134/2005-आरबी 07 मई 2005
7 अधिसूचना सं. फेमा 161/2005-आरबी 18 सितंबर 2007
8 अधिसूचना सं. फेमा 198/2009-आरबी 24 सितंबर 2009
9 अधिसूचना सं. फेमा 204/2009-आरबी 05 अप्रैल 2010
10 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 3 06 जुलाई 2002
11 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 37 15 नवंबर 2003
12 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 58 16 जनवरी 2004
13 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39 25 अप्रैल 2005
14 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 44 17 मई 2005
15 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 02 31 जुलाई 2008
16 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 23 30 दिसंबर 2009
17 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24 30 दिसंबर 2009
18 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.06 09 अगस्त 2010
19 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.02 15 जुलाई 2011
20 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.76 9 फरवरी 2012
21 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.88 1 मार्च 2012
22 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.31 17 सितंबर 2012
23 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.35 25 सितंबर 2012
24 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.55 26 नवंबर 2012
25 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.93 15 जनवरी 2014
26 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.142 12 जून 2014
27 प्रेस प्रकाशनी 2013-14/2440 17 जून 2014

टिप्पणी: सभी उपयोगकर्ताओं कीसूचना के लिए यह भी स्पष्ट किया जाता है कि आवश्यक नहीं है कि मास्टर परिपत्र सुविस्तृत ही हों और जहां कहीं आवश्यक हो, अधिक सूचना स्पष्टीकरण के लिए संबंधित ए. पी.(डीआइआर सिरीज़ परिपत्र का संदर्भ देखें।


1थोक आधार पर निर्यात के लिए माल की प्राप्ति और आयात के बाद माल की बिक्री की अनुमति दी जाती है

215 जनवरी 2014 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 93

312 जून 2014 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.142

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