मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया (एनआरओ) खाता - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया (एनआरओ) खाता
आरबीआई/2013-14/2 1 जुलाई 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया (एनआरओ) खाता प्राधिकृत व्यापारियों/प्राधिकृत बैंकों द्वारा भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों से जमाराशियों की स्वीकृति, समय-समय पर यथासंशोधित, 03 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं.5/ 2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा (1) और (2) के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित की जाती है। 2. इस मास्टर परिपत्र में "अनिवासी सामान्य रुपया (एनआरओ) खाता" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक ही स्थान में समेकित किया गया है। इसमें निहित परिपत्र/अधिसूचनाएं परिशिष्ट में दी गई हैं। 3. इस मास्टर परिपत्र को एक वर्ष की अवधि के लिए ("सनसेट खंड" के साथ) जारी किया जा रहा है। इस परिपत्र को 1 जुलाई 2014 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) अनिवासी भारतीय इस प्रयोजन के लिए अनिवासी भारतीय को 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 5 के विनियम 2 में परिभाषित किया गया है। इस अधिसूचना के अनुसार अनिवासी भारतीय का अर्थ भारत के बाहर निवास करने वाले उस व्यक्ति से है जो भारत का नागरिक है अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति है। भारतीय मूल का व्यक्ति इस प्रयोजन के लिए भारतीय मूल के व्यक्ति की परिभाषा उक्त फेमा अधिसूचना के विनियम 2 में दी गयी है, जिसके अनुसार बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान को छोड़कर किसी अन्य देश के नागरिक के रूप में यदि (ए) उसके पास किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट था; अथवा (बी) वह अथवा उसके माता-पिता अथवा उसके दादा-दादी, नाना-नानी में से कोई एक भारतीय संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के नाते भारतीय नागरिक था/थे; अथवा (सी) वह किसी भारतीय नागरिक का/की पति/पत्नी है अथवा उप-खंड (ए) अथवा (बी) में उल्लिखित व्यक्ति है। (ए) भारत के बाहर रहने वाला कोई व्यक्ति {फेमा, 1999 की धारा 2 (डब्ल्यू) के अनुसार} फेमा के प्रावधानों एवं उसके तहत बनाए गए नियमों, विनियमों के उल्लंघन में शामिल न होते हुए भारतीय रुपए में मूल्यवर्गीकृत वास्तविक लेनदेनों को पूरा करने हेतु किसी प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक में एनआरओ खाता खोल तथा बनाये रख सकता है। (बी) पाकिस्तान की राष्ट्रीयता/के स्वामित्व वाले व्यक्तियों/संस्थाओं और बांग्लादेश के स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति लेना आवश्यक है। (सी) बांग्लादेश की राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति/यों को ऐसे खाते खोलने की अनुमति प्राधिकृत व्यापारी अथवा प्राधिकृत बैंक द्वारा दी जा सकती है बशर्ते संबंधित बैंक इस बात से स्वयं संतुष्ट हो कि ऐसा व्यक्ति/ऐसे व्यक्ति वैध वीज़ा और विदेशी पंजीकरण कार्यालय (FRO)/ विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) द्वारा जारी वैध रिहायशी अनुमति पत्र का/के धारक है/हैं। चालू, बचत, आवर्ती या सावधि जमा के रूप में एनआरओ खाते खोले/ रखे जा सकते हैं। इन खातों पर लागू ब्याज दर और इन खातों को खोलने, परिचालित करने और बनाए रखने संबंधी रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर जारी, निर्देश/ अनुदेशों का पूर्णतया पालन होना चाहिए। 4. निवासी/अनिवासी के साथ संयुक्त खाता खाते निवासी और/या अनिवासी के साथ संयुक्त रूप से रखे जा सकते हैं। ए. जमा (i) किसी अनुमत (विदेशी) मुद्रा में सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए भारत के बाहर से प्राप्त विप्रेषित आगम राशि। (ii) खाता धारक के अस्थायी भारत दौरे के दरम्यान उसके द्वारा प्रस्तुत कोई भी विदेशी मुद्रा, जो मुक्त रूप में परिवर्तनीय है। नकद रूप में 5000 अमरीकी डॉलर से अधिक या इसके समतुल्य राशि के साथ करेंसी घोषणा फार्म होना चाहिए। भारत के बाहर से लाई गई निधियों को दर्शानेवाली रुपया निधियों के साथ नकदी प्रमाणपत्र होना चाहिए। (iii) अनिवासी बैंकों के रुपया खातों से अंतरण। (iv) खाता धारक की भारत में विधिसम्मत प्राप्य राशि। इसमें किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि जैसी चालू (current)आय शामिल है। (v) रुपया/विदेशी मुद्रा निधियों में से अथवा वसीयत/विरासत में अधिगृहीत (अर्जित) अचल संपत्ति सहित परिसंपत्तियों की बिक्री आय । vi) निवासी व्यक्ति [कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित अपने घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार] अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति, जो निवासी व्यक्ति का घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार है, को रेखित (क्रास) चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के मार्फत रुपये में उपहार दे सकता है। ऐसी राशि उक्त अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के अनिवासी (सामान्य) रुपया (एनआरओ) खाते में जमा की जाएगी और ऐसे उपहार की राशि को एनआरओ खाते में जमा करने के लिए पात्र माना जाएगा। उपहार राशि निवासी व्यक्ति को उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के अंतर्गत प्रति वित्तीय वर्ष में 200,000 अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा के तहत होगी । (vii) निवासी व्यक्ति अपने घनिष्ठ रिश्तेदार अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति (कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित रिश्तेदार) को रेखित (क्रास) चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के मार्फत उधार दे सकता है, बशर्ते यह ऋण राशि निवासी व्यक्ति को उपलब्ध उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत एक वित्तीय वर्ष में विप्रेषण के लिए उपलब्ध 2,00,000 अमरीकी डालर की समग्र सीमा में हो। यह ऋण राशि उक्त अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के एनआरओ खाते में जमा की जाएगी। ऐसे ऋण की राशि को एनआरओ खाते में जमा करने के लिए पात्र माना जाएगा । बी. नामे (i) रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए संबंधित विनियमों के अनुपालन की शर्त पर भारत में निवेश के लिए भुगतान सहित रुपयों में सभी स्थानीय भुगतान। (ii) खाता धारक के भारत में किराया, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि जैसी चालू आय का भारत के बाहर विप्रेषण। (iv) अनिवासी भारतीय के एनआरई खाते में प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) एक मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर, यथा लागू कर के भुगतान की शर्त के अधीन, अंतरण। 6.1 गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों द्वारा परिसंपत्तियों का विप्रेषण विदेशी राष्ट्र का कोई नागरिक, जो नेपाल अथवा भूटान अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति नहीं है, जो
6.2 अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति द्वारा परिसंपत्तियों का विप्रेषण (ए) अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति अनिवासी सामान्य रुपया खाते में शेष राशि/परिसंपत्तियों/विरासत/पैतृक रूप में उसके द्वारा भारत में अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आय में से विप्रेषणकर्ता द्वारा परिसंपत्ति के अधिग्रहण, विरासत अथवा पैतृक रूप से प्राप्त होने के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्यों और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 9 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं.10/2002 [26 नवंबर 2002 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 देखें] द्वारा निर्धारित फार्मेटों में विप्रेषणकर्ता द्वारा वचन पत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्रति वित्तीय वर्ष में एक मिलियन अमरीकी डालर की राशि का विप्रेषण कर सकते हैं। (बी) जैसा कि ऊपर कहा गया है, अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति भी एक मिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के अंदर अपने माता-पिता में से किसी एक के द्वारा अथवा किसी निकट संबंधी (कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथापरिभाषित) द्वारा समझौता विलेख के तहत अर्जित परिसंपत्तियों की बिक्री की आय अधिवासी की मृत्यु के बाद समझौता प्रभावी होने पर मूल समझौता विलेख और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 9 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं.10/2002 [26 नवंबर 2002 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56] द्वारा निर्धारित फार्मेटों में विप्रेषणकर्ता द्वारा वचन पत्र तथा सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाण पत्र की प्रस्तुति पर विप्रेषित कर सकते हैं। 6.3 रुपया मुद्रा निधि में से भारत में अर्जित परिसंपत्ति अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति निवासी के रूप में अथवा अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के रूप में रुपया निधियों में से उसके द्वारा खरीदी गई अचल संपत्ति की बिक्री आय का विप्रेषण प्रति वित्तीय वर्ष 1 मिलियन अमरीकी डालर की उपर्युक्त सीमा के अधीन बिना किसी समयबंदी (लॉक-इन अवधि) के कर सकते हैं। 6.4 प्रतिबंध (ए) अचल संपत्ति की बिक्रीगत आय की विप्रेषण सुविधा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन, अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल और भूटान के नागरिकों को उपलब्ध नहीं है। कोई व्यक्ति या उसका उत्तराधिकारी जिसने फेमा, 1999 की धारा 6 (5) के अनुसार अचल संपत्ति अर्जित की है, ऐसी संपत्ति की बिक्रीगत आय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना भारत से बाहर प्रत्यावर्तित नहीं कर सकता है । (बी) अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री आय की विप्रेषण सुविधा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के नागरिकों को उपलब्ध नहीं है। 7. भारत के दौरे पर गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिक भारत का दौरा करनेवाले गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत के बाहर से भेजी गई निधियों अथवा उसके द्वारा भारत में लाई गई विदेशी मुद्रा की बिक्री आय से अनिवासी सामान्य खाता (चालू/बचत) खोल सकता है। खाताधारक के भारत से प्रस्थान के समय खाताधारक को भुगतान करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी बैंक अनिवासी सामान्य खाते के जमाशेष को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर दें बशर्ते खाता छः महीने की अधिकतम अवधि तक ही परिचालित किया गया हो तथा खाते में उस पर उपचित ब्याज से इतर किसी स्थानीय निधि को जमा नहीं किया गया हो। यदि खाते का परिचालन छ: महीने से अधिक अवधि के लिए किया गया हो, तो संबंधित खाताधारक द्वारा शेष राशि के प्रत्यावर्तन के लिए आवेदनपत्र सादे कागज पर रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 8. प्राधिकृत बैंक द्वारा खाताधारकों और तीसरी पार्टियों को ऋण/ ओवरड्राफ्ट प्रदान करना (ए) मीयादी जमा (फिक्स्ड डिपाजिट) की जमानत पर प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन अनिवासी खाताधारकों और तीसरी पार्टी को रुपए में ऋण प्रदान कर सकता है: (i) ऋण का उपयोग केवल उधारकर्ता की वैयक्तिक आवश्यकताओं और/ अथवा व्यापार प्रयोजन को पूरा करने के लिए किया जाएगा, न कि कृषि/बागवानी कार्यकलापों अथवा जमीन–जायदाद कारोबार अथवा पुनः उधार देने के लिए किया जाएगा। (ii) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित मार्जिन और ब्याज दर संबंधी विनियमों का अनुपालन किया जाएगा। (iii) व्यापार/उद्योग को अग्रिमों के मामले में यथा लागू सामान्य मानदंड और प्रतिफल अन्य पक्षों (third party) को दिए गए ऐसे ऋणों/ सुविधाओं पर लागू होंगे। (बी) अपने वाणिज्यिक निर्णय और ब्याज दर आदि निर्देशों के अनुपालन के अधीन प्राधिकृत व्यापारी/बैंक खाताधारक के खाते में ओवरड्राफ्ट की अनुमति दे सकते हैं। 9. खाताधारक की निवासी हैसियत में परिवर्तन (ए) निवासी से अनिवासी (i) जब भारत का कोई निवासी व्यक्ति रोजगार अथवा व्यापार अथवा व्यवसाय अथवा किसी अन्य प्रयोजन हेतु अनिश्चित अवधि के लिए किसी दूसरे देश (नेपाल अथवा भूटान से इतर) में रुकने का अपना इरादा व्यक्त करते हुए भारत छोड़ता है तो उसके वर्तमान खाते को अनिवासी (सामान्य) खाते के रूप में नामित किया जाए। (ii) विदेशी राष्ट्रिक जो भारत में रोजगार के लिए आते हैं और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2 (v) के अनुसार निवासी हो जाते हैं और निवासी बचत बैंक खाता खोलने/रखने के लिए पात्र हो जाते हैं, उन्हें रोजगार के बाद देश छोड़ने पर भारत में रखे अपने निवासी खाते को एनआरओ खाते में पुनर्नामित करने की अनुमति है ताकि वे कतिपय शर्तों का अनुपालन कर वैध प्राप्तियाँ प्राप्त कर सकें। (बी) अनिवासी से निवासी रोजगार अथवा व्यापार अथवा व्यवसाय करने अथवा किसी अन्य प्रयोजन हेतु खाता धारक के अनिश्चित अवधि के लिए भारत लौटने पर अथवा भारत में रहने का इरादा रखने के लिए खाता धारक के अनिवासी सामान्य खाते को निवासी रुपया खाता के रूप में पुनः नामित किया जाए। यदि खाताधारक भारत के केवल अस्थायी दौरे पर है तो खाते को ऐसे दौरे की अवधि में अनिवासी खाता समझा जाएगा। 10. उधारकर्ता की निवासी हैसियत में परिवर्तन की स्थिति में ऋण/ ओवरड्राफ्ट की अभिक्रिया यदि भारत में रहते हुए किसी व्यक्ति ने ऋण अथवा ओवरड्राफ्ट लिया हो और बाद में वह भारत से बाहर का निवासी बन जाता है तो प्राधिकृत व्यापारी/बैंक अपने विवेक और वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर ऋण/ओवरड्राफ्ट सुविधाओं को जारी रखने की अनुमति दे सकता है। ऐसे मामलों में ब्याज की अदायगी और ऋण की चुकौती संबंधित व्यक्ति के आवक विप्रेषणों अथवा भारत में उसके विधिसम्मत स्रोतों से की जाए। 11. अनिवासी नामिती को निधियों का भुगतान मृत खाताधारक के अनिवासी सामान्य खाते से अनिवासी नामिती को प्राप्य/देय राशि को नामिती के भारत में प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक के पास रखे अनिवासी सामान्य खाते में जमा किया जाएगा। 12. अटर्नी अधिकार (मुख्तारनामा) धारक द्वारा अनिवासी सामान्य रुपया खाते का परिचालन प्राधिकृत व्यापारियों/प्राधिकृत बैंकों को यह अधिकार दिए गए हैं कि वे अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक द्वारा निवासी के पक्ष में प्रदान किए गए पावर ऑफ एटर्नी द्वारा अनिवासी सामान्य खाते को परिचालित करने की अनुमति दें बशर्ते ऐसे परिचालन निम्नलिखित तक सीमित हों: (i) रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार किये गए संबंधित विनियमों के अनुपालन के अधीन पात्र निवेशों के लिए भुगतान सहित सभी स्थानीय भुगतान रुपये में हों; (ii) अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक की भारत में चालू आय, लागू करों का निवल, का भारत से बाहर विप्रेषण; और (iii) निवासी पावर ऑफ एटर्नी धारक को न तो खाते में धारित निधियों को अनिवासी व्यक्तिगत खाता धारक से इतर को भारत से बाहर प्रत्यावर्तित करने की, न ही अनिवासी खाताधारक की ओर से किसी निवासी को उपहार के रूप में भुगतान करने अथवा खाते से निधियां अन्य अनिवासी सामान्य खाते में अंतरण की अनुमति है। 13. अध्ययन के लिए विदेश जानेवाले व्यक्ति को दी जानेवाली सुविधाएं अध्ययन के लिए विदेश जानेवाले व्यक्तियों को अनिवासी भारतीय समझा जाता है तथा वे अनिवासी भारतीयों को उपलब्ध सभी सुविधाओं के हकदार होते हैं। भारत में निवासियों के रूप में उनके द्वारा लिए गये शैक्षणिक और अन्य ऋण फेमा विनियमों के अनुसार मिलते रहेंगे। 14. अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्डस् प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों को अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी करें। आवक विप्रेषणों अथवा कार्डधारक के एफसीएनआर(बी)/एनआरई/एनआरओ खाते की शेष राशि से ऐसे लेनदेनों का निपटान किया जाए। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 9 अक्तूबर 2002 के परिपत्र सं.10/2002 [26 नवंबर 2002 का ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 देखें] द्वारा निर्धारित फॉर्मेटों में विप्रेषक द्वारा दिए गए वचनपत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा किये जाने वाले विप्रेषणों (लागू करों का निवल) की अनुमति दी जाएगी। 16. बांग्लादेश के व्यक्ति/यों द्वारा खोले गए एनआरओ खातों के संबंध में तिमाही रिपोर्टिंग प्रणाली (i) प्राधिकृत बैंक को इस संबंध में तिमाही रिपोर्टिंग की प्रणाली अपनानी चाहिए, जिसके जरिये प्राधिकृत बैंक की प्रत्येक शाखा बांग्लादेश की राष्ट्रीयता वाले व्यक्ति/व्यक्तियों द्वारा खोले गए बैंक खातों का रिकार्ड रखेगी और ऐसे खाते के ब्योरे अपने प्रधान कार्यालय को प्रेषित करेगी। बैंक का प्रधान कार्यालय ऐसे खातों के ब्योरे तिमाही आधार पर अवर सचिव (Foreigners), गृह मंत्रालय, एनडीसीसी-॥ बिल्डिंग, जय सिंह रोड, नई दिल्ली -110001 को E-Mail प्रेषित करेगा । (ii) उक्त रिपोर्ट में व्यक्ति का /व्यक्तियों के नाम, भारत में आगमन की तारीख, पासपोर्ट संख्या तथा पासपोर्ट जारी करने का स्थान/करने वाले देश का नाम, रिहायशी अनुमति पत्र की संदर्भ संख्या तथा तारीख और स्थान, संबंधित FRO/ FRRO के नाम के ब्योरे दिए जाएं तथा जहाँ बैंक खाता रखा गया है, उस शाखा का पूर्ण पता और संपर्क करने के लिए फोन नंबर भी दिया जाए। रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जाने वाले विवरण/विवरणियां
अनिवासी सामान्य खाते (एनआरओ खाता) के संबंध में इस मास्टर परिपत्र मे समेकित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची http://www.rbi.org.in/Scripts/BS_ApCircularsDisplay.aspx
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