आरबीआई/विसविवि/2024-25/128 मास्टर निदेश विसविवि.केंका.पीएसडी.बीसी.13/04.09.001/2024-25 24 मार्च 2025 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक, लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और वेतनभोगियों के बैंकों के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक महोदया/महोदय, मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) से संबंधित बैंकों को अनेक अनुदेश/दिशानिर्देश जारी किए हैं। संलग्न मास्टर निदेश में इस विषय पर अद्यतन अनुदेश/दिशानिर्देश शामिल हैं। 2. यह निदेश 01 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और इस विषय पर पहले के निदेशों, अर्थात दिनांक 04 सितंबर 2020 के भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020 (समय-समय पर अद्यतन) (संदर्भ विसविवि.केंका.प्लान.बीसी. 5/04.09.01/2020-21) का स्थान लेंगे। दिनांक 04 सितंबर 2020 के पीएसएल पर पूर्ववर्ती मास्टर निदेशों के तहत प्राथमिकता- प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र सभी ऋण, मियाद पूरी होने तक इन निदेशों के तहत ऐसे वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। भवदीया, (निशा नम्बियार) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुक्रमणिका
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 21 और 35ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा, इसके बाद विनिर्दिष्ट किए गए निदेश जारी करता है। अध्याय – I प्रारंभिक 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ 1.1 ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 कहलाएंगे। 1.2 यह निदेश 01 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और इस विषय पर पहले के निदेशों, अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020 (संदर्भ विसविवि.केंका.प्लान.बीसी. 5/04.09.01/2020-21) दिनांक 04 सितंबर 2020 (समय-समय पर अद्यतन) का स्थान लेंगे। 2. प्रयोज्यता इन निदेशों के उपबंध, जब तक अन्यथा न कहा गया हो, प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक [क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) सहित], और वेतनभोगियों के बैंक के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) पर लागू होंगे। 3. प्रयोजन ये निदेश बैंकिंग प्रणाली से अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों में ऋण का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं, जो सामाजिक-आर्थिक विकास में अपने योगदान के लिए महत्वपूर्ण हैं, तथा इनका ध्यान उन विशिष्ट क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिनकी ऋण आवश्यकताएं ऋण योग्य होने के बावजूद पूरी नहीं हो पाती हैं। 4. परिभाषा/स्पष्टीकरण 4.1 इन निदेशों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, दिए गए शब्दों (टर्म्स) के अर्थ वही होंगे जो नीचे विनिर्दिष्ट हैं:
- संबद्ध गतिविधियां अर्थात् कृषि से संबद्ध गतिविधियों में डेयरी, मत्स्य पालन, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन और इसी प्रकार की अन्य गतिविधियां शामिल होंगी।
- गैर-कॉर्पोरेट किसानों (एनसीएफ) में लघु और सीमांत कृषक1(एसएमएफ) सहित व्यक्तिगत किसान, कृषि और संबद्ध गतिविधियों में सीधे तौर पर लगे किसानों की स्वामित्व वाली फर्में, और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) यानी व्यक्तिगत किसानों का समूह शामिल होंगे, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग-अलग डेटा बनाए रखें।
- "आगे-उधार" का अर्थ है बैंकों द्वारा पात्र मध्यस्थों को आगे-उधार देने के लिए स्वीकृत ऋण। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की परिसंपत्तियों के सृजन के लिए दिए गए ऐसे ऋण, जो ऐसी परिसंपत्तियों में ही नियोजित रहते हैं, पीएसएल के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
4.2 यहाँ परिभाषित न की गई अन्य सभी अभिव्यक्तियों के आशय, यथास्थिति वही होंगे, जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 अथवा किसी अन्य सांविधिक संशोधन अथवा उनके पुन: अधिनियमन के अंतर्गत विनिर्दिष्ट किये जाएँ अथवा वाणिज्यिक शब्दावली में प्रयुक्त हैं। 4.3 दिनांक 04 सितंबर 2020 (21 जून 2024 तक अद्यतन) के पीएसएल पर पूर्ववर्ती मास्टर निदेशों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) के रूप में वर्गीकृत सभी ऋण मियाद पूरी होने तक इन निदेशों के तहत इस तरह के वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। अध्याय – II प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां एवं लक्ष्य 5. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां निम्नानुसार है:
- कृषि
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
- निर्यात ऋण
- शिक्षा
- आवास
- सामाजिक बुनियादी संरचना
- नवीकरणीय ऊर्जा
- अन्य
उपर्युक्त श्रेणियों के अंतर्गत पात्र गतिविधियों के ब्योरे अध्याय III में निर्दिष्ट किए गए हैं। 6. समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना 6.1 प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के प्रयोजन के लिए, एएनबीसी की गणना निम्नानुसार की जाएगी:
भारत में बैंक ऋण (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत फार्म 'ए' की मद सं.VI में यथा निर्धारित) |
I |
रिज़र्व बैंक तथा अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं के पास पुनः भुनाए गए बिल |
II |
निवल बैंक ऋण (एनबीसी)* |
III(I-II) |
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों को न प्राप्त किए जाने के एवज में नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और मुद्रा लि. के पास रखी अन्य पात्र निधियाँ तथा आरआईडीएफ के अंतर्गत बकाया जमाराशियां + बकाया पीएसएलसी |
IV |
15 जुलाई 2014 के परिपत्र डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं25/08.12.014/2014-15 के अनुसार बुनियादी संरचना और किफायती आवास के लिए दीर्घावधि बाण्ड जारी करने के कारण छूट के लिए पात्र राशि |
V |
भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 31 जनवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.93/12.01.001/2013-14, दिनांक 6 फरवरी 2014 को जारी किया बैंपविवि मेलबॉक्स स्पष्टीकरण के साथ पठित दिनांक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.36/12.01.001/2013-14 तथा 11 जून 2014 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.72/13.01.000/2013-14 के साथ पठित दिनांक 27 अगस्त 2013 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.5/13.01.000/2013-14 के अनुसार ऐसी वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/एनआरई जमाराशियों के आधार पर भारत में प्रदत्त पात्र अग्रिम जो सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के योग्य हैं। |
VI |
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पुनर्पूंजीकरण बांड में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा किया गया निवेश |
VII |
अन्य निवेश जो प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में माना जा सके (जैसे कि प्रतिभूतिकरण नोटों में निवेश) |
VIII |
एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत गैर एसएलआर श्रेणी मे बांड/डिबेंचर |
IX |
यूसीबी के लिए: ‘हेल्ड टू मैच्योरिटी’ (एचटीएम) श्रेणी के तहत रखे गए अनुमत गैर एसएलआर बॉन्ड में 30 अगस्त 2007 के बाद किया गया निवेश |
X |
एएनबीसी (यूसीबी के अलावा) III + IV - (V + VI + VII) + VIII + IX |
यूसीबी के लिए एएनबीसी III + IV - VI + X |
* केवल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की गणना के उद्देश्य से। बैंकों को एनबीसी से प्रावधानों, उपचित ब्याज आदि जैसी किसी भी राशि की कटौती/निवल नहीं करना चाहिए। |
6.2 क्रेडिट इकुइवलेंट ऑफ ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (सीईओबीएसई) की गणना के प्रयोजन के लिए, बैंकों को आरबीआई के विनियमन विभाग द्वारा 3 जून 2019 को जारी डीबीआर.सं. बीपी.बीसी.43/21.01.003/2018-19 'वृहत् एक्सपोज़र ढांचा' पर परिपत्र (समय-समय पर अद्यतन) द्वारा निर्देशित किया जाएगा। यूसीबी को ‘पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक’ पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 20 अप्रैल 2023 को जारी मास्टर परिपत्र में दिये गए प्रासंगिक प्रावधानों से मार्गदर्शित होंगे। 6.3 लघु वित्त बैंक, एएनबीसी की गणना हेतु पुराने ऋणों के संबंध में, विनियमन विभाग द्वारा लघु वित्त बैंकों के लिए जारी परिचालन दिशानिर्देशों के पैरा 6.5 (ii से vii) (आरबीआई/2016/17/81 बैंविवि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17, दिनांक 06 अक्तूबर 2016) द्वारा आगे मार्गदर्शित होंगे। 6.4 उपरोक्त रूप से निवल बैंक ऋण की गणना करते समय, यदि बैंक कारपोरेट/प्रधान कार्यालय स्तर पर विवेकसम्मत बट्टे खाते में डाली गई राशि को घटाते हैं, तो ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और अन्य सभी उप क्षेत्रों को बैंक ऋण जो इस प्रकार बट्टे खाते डाला गया हो, को भी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और उप-लक्ष्य की प्राप्ति में से श्रेणी-वार घटाया जाना चाहिए। निवेश अथवा ऐसी अन्य मदें जिन्हें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य/उप-लक्ष्य उपलब्धि के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र माना गया हो, समायोजित निवल बैंक ऋण का भी एक भाग होना चाहिए। 6.5 सभी बैंकों को विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा जारी संबंधित लाइसेंसिंग और परिचालन दिशानिर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, का पालन करना होगा। 7. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य/उप-लक्ष्य 7.1 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य और उप-लक्ष्य, जिनकी गणना पिछले वर्ष की संबंधित तिथि को लागू एएनबीसी/सीईओबीएसई2 के आधार पर की जाएगी, निम्नानुसार हैं:
श्रेणी |
घरेलू वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी और एसएफबी को छोड़कर) एवं 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक |
20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक |
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक |
लघु वित्त बैंक |
कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र |
ऊपर पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीएसई का 40 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो। |
ऊपर पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीएसई का 40 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; जिसमें से 32 प्रतिशत तक के ऋण निर्यात ऋण के रूप में हो सकता है तथा किसी अन्य प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए ऋण 8 प्रतिशत से कम नहीं हो सकता है। |
ऊपर पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीएसई, का 75 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; तथापि, मध्यम उद्यम, सामाजिक बुनियादी संरचना तथा नवीकरणीय ऊर्जा को दिए गए उधार में से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की उपलब्धि की गणना हेतु एएनबीसी के 15 प्रतिशत पर ही विचार किया जाएगा। |
उपरोक्त पैरा 6 में गणना के अनुसार एएनबीसी का 75 प्रतिशत या सीईओबीएसई, जो भी अधिक हो। |
कृषि |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो, इस लक्ष्य में गैर-कॉर्पोरेट किसानों (एनसीएफ) के लिए 14 प्रतिशत निर्धारित है, जिसमें से एसएमएफ के लिए 10 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित है। |
लागू नहीं |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; इस लक्ष्य में एनसीएफ के लिए 14 प्रतिशत निर्धारित है, जिसमें से एसएमएफ के लिए 10 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित है। |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; इस लक्ष्य में एनसीएफ के लिए 14 प्रतिशत निर्धारित है, जिसमें से एसएमएफ के लिए 10 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित है। |
माइक्रो उद्यम |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
लागू नहीं |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
कमज़ोर वर्गों को अग्रिम |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 12 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
लागू नहीं |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 15 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
एएनबीसी या सीईओबीएसई का 12 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; |
7.2 शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य निम्नानुसार होंगे:
श्रेणियाँ |
एएनबीसी या सीईओबीएसई के प्रतिशत के रूप में लक्ष्य, जो भी अधिक हो |
कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र |
60% |
माइक्रो उद्यम |
7.5% |
कमज़ोर वर्गों को अग्रिम |
12% |
8. पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन 8.1 जिला स्तर पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया था कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अनुसार प्रति व्यक्ति ऋण प्रवाह के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाए तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के संबंध में तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों के लिए प्रोत्साहन ढांचे का निर्माण और तुलनात्मक रूप से उच्च प्रवाह वाले जिलों के लिए अवप्रेरण ढाँचे का निर्माण किया जाए। ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.9000 से कम), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च भारांक (125%) दिया जाएगा तथा ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.42000 से अधिक), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को कम भारांक (90%) दिया जाएगा, यह वित्त वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगा। दोनों तरह के जिलों की श्रेणीवार सूची अनुबंध-I क और I-ख में प्रस्तुत है और वित्त वर्ष 2026-27 तक की अवधि के लिए मान्य होगी, उसके बाद समीक्षा की जाएगी। अनुबंध-I क और I-ख में उल्लिखित जिलों के अलावा अन्य जिलों में 100% का सामान्य भारांक जारी रहेगा। 8.2 बैंकों को तिमाही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों (क्यूपीएसए) रिटर्न, अबतक किए गए अनुसार, में वास्तविक बकाया राशि की रिपोर्ट को जारी रखना चाहिए। एडीईपीटी (एडेप्ट) डेटाबेस के माध्यम से विसविवि, केंका, को जिलेवार क्रेडिट प्रवाह की रिपोर्टिंग के आधार पर आरबीआई द्वारा वृद्धिशील पीएसएल क्रेडिट के लिए समायोजन किया जाएगा। आरआरबी, यूसीबी, एलएबी और विदेशी बैंकों (पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक कंपनी सहित) को वर्तमान में उनके सीमित परिचालन क्षेत्र/कम खंड में सेवा प्रदान करने के कारण पीएसएल उपलब्धि में भारांक के समायोजन से छूट दी जाएगी। अध्याय – III प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र श्रेणियों का विवरण 9. कृषि कृषि क्षेत्र को उधार में कृषि ऋण (कृषि और संबद्ध गतिविधियां), कृषि बुनियादी संरचना और संबद्ध गतिविधियों को उधार शामिल है। 9.1 कृषि ऋण क. कृषि ऋण - व्यक्तिगत किसान इस श्रेणी में व्यक्तिगत किसानों [स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) अर्थात् व्यक्तिगत किसानों के समूह, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग-अलग डेटा बनाए रखें] और किसानों की स्वामित्व वाली फर्मों को दिए गए ऋण शामिल हैं, जो सीधे कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए हैं। ऐसे ऋणों में निम्नलिखित शामिल होंगे:
- फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, बागबानी तथा संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण शामिल हैं।
- कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण (अर्थात कृषि उपकरणों और मशीनरी की खरीद तथा संबद्ध कार्यकलापों के लिए विकासात्मक ऋण)।
- फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।
- गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसानों को ऋण।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत ऋण।
- कृषि प्रयोजन हेतु जमीन खरीदने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को ऋण।
- एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के बदले रु.90 लाख तक की सीमा के अधीन 12 माह से अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी/दृष्टिबंधक रखकर ऋण और एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के अलावा अन्य गोदाम रसीदों के बदले रु.60 लाख तक की सीमा का ऋण।
- किसानों को स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन के लिए ऋण।
- बंजर/परती भूमि पर या किसान के स्वामित्व वाली कृषि भूमि पर स्टिल्ट फैशन के रूप में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों को ऋण।
ख. कृषि ऋण - कारपोरेट किसानों, किसानों के कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ)/(एफपीसी), अलग-अलग किसानों की कंपनियों, साझेदारी फर्मों तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से जुड़ी सहकारी संस्थाएं: (1) निम्नलिखित गतिविधियों के लिए ऋण, प्रति उधारकर्ता इकाई ₹4 करोड़ की कुल सीमा के अधीन, पात्र होंगे:
- किसानों को फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, बागबानी तथा संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण शामिल होंगे।
- कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण (अर्थात कृषि उपकरणों, तकनीकी समाधान और मशीनरी की खरीद तथा संबद्ध कार्यकलापों के लिए विकासात्मक ऋण)।
- फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।
(2) एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के बदले 12 माह से अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी/दृष्टिबंधक रखकर ₹4 करोड़ तक के ऋण और एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के अलावा अन्य गोदाम रसीदों के बदले ₹2.5 करोड़ तक के ऋण। (3) पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अपनी उपज के सुनिश्चित विपणन के साथ एफपीओ/एफपीसी के प्रति उधारकर्ता इकाई को ₹10 करोड़ तक का ऋण। (4) कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से लगे सदस्यों की उपज की खरीद के लिए ₹10 करोड़ तक का ऋण. नोट: शहरी सहकारी बैंकों को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है। 9.2 कृषि बुनियादी संरचना बैंकिंग प्रणाली से कृषि बुनियादी संरचना के लिए प्रति उधारकर्ता की कुल स्वीकृत सीमा में ऋण ₹100 करोड़ के अधीन होगी। गतिविधियों की सूची अनुबंध II (मद I) में दी गई है। 9.3 संबद्ध कार्यकलाप निम्नलिखित इस श्रेणी में वर्गीकृत होने के पात्र होंगे:
- अनुबंध II (मद 2) में निर्दिष्ट ऋण।
- कृषि एवं संबद्ध सेवाओं से जुड़े स्टार्ट-अप्स3 को 50 करोड़ रुपये तक का ऋण।
- खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ₹100 करोड़ की समग्र स्वीकृत सीमा तक के ऋण (अनुबंध III में दी गई पात्र गतिविधियाँ)।
- कृषि क्षेत्र को निर्यात ऋण पर हमारे विनियमन विभाग, आरबीआई द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को रुपया/विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण तथा निर्यातकों को ग्राहक सेवा पर जारी मास्टर परिपत्र बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी.14/04.02.002/2015-16 में परिभाषित तथा समय-समय पर अद्यतन किए गए अनुसार पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण (तुलन पत्र से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है।
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की कमी के कारण नाबार्ड के पास आरआईडीएफ और अन्य पात्र निधियों के अंतर्गत बकाया जमा
9.4 लघु एवं सीमांत किसानों (एसएमएफ) को ऋण देने के लिए वर्गीकरण हेतु पात्रता मानदंड उप-लक्ष्य की उपलब्धि की गणना के उद्देश्य से, लघु और सीमांत किसानों में निम्नलिखित शामिल होंगे:
- 1 हेक्टेयर तक के भूधारक किसान (सीमांत किसान) ।
- 1 हेक्टेयर से अधिक परंतु 2 हेक्टेयर तक के भूधारक किसान (लघु किसान) ।
- भूमिहीन कृषि श्रमिक, काश्तकार, मौखिक पट्टेदार तथा बंटाईदार जिनकी भू-धारिता का अंश लघु और सीमांत किसानों के लिए निर्धारित सीमाओं के भीतर है।
- स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) अर्थात कृषि तथा उससे संबद्ध कार्यकलापों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अलग-अलग लघु और सीमांत किसानों के समूहों को ऋण, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग से ब्योरा रखते हों।
- ₹2.5 लाख तक के ऋण केवल उन लोगों के लिए है जो किसी भी भूधारक मानदंड के बिना संबद्ध गतिविधियों में संलग्न हैं।
- पैरा 9.1 (ख) में निर्धारित ऋण सीमा के अधीन, अलग-अलग किसानों की एफपीओ/पीएफसी तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी किसानों की सहकारी संस्थाओं को ऋण, जहां लघु और सीमांत किसानों की भू-धारिता का शेयर 75 प्रतिशत से कम न हो। यूसीबी को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है।
नोट: शहरी सहकारी बैंकों को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है। 9.5 कृषि में आगे-उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी और एमएफआई को बैंकों द्वारा ऋण
- व्यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्यों को आगे-उधार दिये जाने हेतु पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट इत्यादि) को विस्तारित किया गया बैंक ऋण, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं, पैरा 22 में निर्दिष्ट शर्तों (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी के लिए लागू नहीं) के अधीन कृषि की संबंधित श्रेणियों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त को उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
- कृषि के तहत ‘मियादी ऋण’ घटक के लिए पैरा 23 और 25 (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं) में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को आगे-उधार दिये जाने हेतु प्रति उधारकर्ता रु.10 लाख तक के बैंक ऋण की अनुमति दी जाएगी।
नोट: पैरा 9.5 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं होंगे। 10. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
- एमएसएमई की परिभाषा दिनांक 24 जुलाई 2017 को जारी ‘मास्टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार’ विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.12/06.02.31/2017-18, जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है, में दी गई परिभाषा के अनुसार होगी।
- एमएसएमई को दिए जाने वाले सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए अर्ह होंगे।
- एमएसएमई की परिभाषा के अनुरूप स्टार्ट-अप्स4 को 50 करोड़ रुपये तक के ऋण भी इस श्रेणी में वर्गीकृत होने के पात्र होंगे।
10.1 फैक्टरिंग लेनदेन
- बैंकों, जिनसे फैक्टरिंग कारोबार विभागीय रूप से होता है, द्वारा ‘दायित्व सहित’ आधार पर किए जाने वाले फैक्टरिंग लेनदेन, जहां फैक्टरिंग लेनदेन में ‘समनुदेशक’ (असाईनर) सूक्ष्म, लघु अथवा मध्यम उद्यम हो, रिपोर्टिंग तारीख को एमएसएमई श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है।
- ट्रेड रिसिवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) के माध्यम से किए जाने वाले एमएसएमई से संबंधित फैक्टरिंग लेनदेन भी प्राथमिकता- प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
नोट: पैरा 10.1 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं 10.2 एमएसएमई श्रेणी में पीएसएल के अंतर्गत वर्गीकृत होने के लिए पात्र अन्य ऋण इसमे शामिल है:
- खादी एवं ग्रामोद्योग क्षेत्र की इकाइयों को दिए जाने वाले सभी ऋण, जिन्हें सूक्ष्म उद्यमों को दिए जाने वाले ऋण के रूप में वर्गीकृत किया जाए।
- काश्तकारों, ग्राम और कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति और उनके उत्पादन के विपणन के विकेंद्रीकृत सेक्टर को सहायता प्रदान करने में निहित संस्थाओं को ऋण।
- विकेंद्रित क्षेत्र अर्थात काश्तकार, ग्राम और कुटीर उद्योग में उत्पादकों की सहकारी समितियों को ऋण (यूसीबी के लिए लागू नहीं)।
- एमएसएमई क्षेत्र को निर्यात ऋण, जिसमें पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण (बैलेंस शीट से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है, जैसा कि रुपया/विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण और निर्यातकों को ग्राहक सेवा पर मास्टर परिपत्र में परिभाषित किया गया है, जिसे 1 जुलाई 2015 को डीबीआर संख्या डीआईआर.बीसी.14/04.02.002/ 2015-16 के तहत जारी किया गया और समय-समय पर अद्यतन किया गया।
- बैंकों द्वारा एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऋण, जो कि इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं, एमएसएमई क्षेत्र को आगे-उधार देने के लिए, इन मास्टर निदेशों के पैराग्राफ 22 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार उधारकर्ता व्यक्ति और एसएचजी/जेएलजी के सदस्य होंगे (आरआरबी, एसएफबी और यूसीबी पर लागू नहीं)।
- इन मास्टर निदेशों के पैरा 23 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार सूक्ष्म और लघु उद्यमों को आगे-उधार देने के लिए पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को प्रति उधारकर्ता 20 लाख रुपये तक का ऋण (आरआरबी, एसएफबी और यूसीबी पर लागू नहीं)
- वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग, द्वारा समय-समय पर निर्धारित शर्तों एवं सीमाओं के अनुसार प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) खाताधारकों के लिए ओवरड्राफ्ट, जिसे सूक्ष्म उद्यमों को ऋण देने के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण सिडबी और मुद्रा लि. के पास बकाया जमाराशियां।
11. निर्यात ऋण
- निर्यात ऋण पर आरबीआई द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को रुपया/विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण तथा निर्यातकों को ग्राहक सेवा पर जारी मास्टर परिपत्र बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी. 14/04.02.002/2015-16 में परिभाषित तथा समय-समय पर अद्यतन किए गए अनुसार पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण (तुलन पत्र से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है।
- कृषि और एमएसएमई को निर्यात ऋण संबंधित श्रेणियों में पीएसएल के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होगा।
- निर्यात ऋण (कृषि और एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत ऋण को छोड़कर) निम्नलिखित तालिका के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:
घरेलू बैंक/विदेशी बैंकों के डब्लूओएस/एसएफबी/यूसीबी |
20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक |
20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक |
प्रति उधारकर्ता स्वीकृत सीमा ₹50 करोड़ की शर्त के अधीन वृद्धिशील निर्यात ऋण, जो पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को विद्यमान निर्यात ऋण से अधिक है, एएनबीसी अथवा सीईओबीएसई के 2 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो। |
वृद्धिशील निर्यात ऋण, जो पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को विद्यमान निर्यात ऋण से अधिक है, एएनबीसी अथवा सीईओबीएसई के 2 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो। |
एएनबीसी अथवा सीईओबीएसई, इनमें से जो भी अधिक हो, के 32 प्रतिशत तक का निर्यात ऋण। |
नोट: पैरा 11 के प्रावधान आरआरबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 12. शिक्षा व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को ₹25 लाख तक के ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए पात्र माना जाएगा। 13. आवास 13.1. आवास क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण निम्न निर्धारित सीमा के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं: i. प्रति परिवार निवासी यूनिट की खरीद/निर्माण के लिए व्यक्तियों को ऋण निम्नलिखित सीमाओं के अधीन होंगे:
(राशि ₹लाख रुपए में) |
श्रेणी |
ऋण सीमा# |
निवासी यूनिट की अधिकतम लागत# |
50 लाख और उससे अधिक की आबादी वाले केंद्र |
50 |
63 |
10 लाख और उससे अधिक लेकिन 50 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र |
45 |
57 |
10 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र |
35 |
44 |
#पात्र होने के लिए, ऋण को दोनों मानदंडों को पूरा करना होगा |
ii. बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले आवास ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे। iii. दीर्घावधि बांड द्वारा समर्थित आवास ऋणों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन्हें एएनबीसी में शामिल करने से छूट दी गई है। 1 अप्रैल 2007 को या उसके बाद एनएचबी/हुडको द्वारा जारी बांडों में यूसीबी द्वारा किए गए निवेश प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए वर्गीकरण हेतु पात्र नहीं होंगे। 13.2 क्षतिग्रस्त निवासी यूनिटों की मरम्मत के लिए ऋण निम्नलिखित सीमाओं के अधीन प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:
(राशि ₹लाख रुपए में) |
श्रेणी |
ऋण सीमा# |
निवासी यूनिट की अधिकतम लागत# |
50 लाख और उससे अधिक की आबादी वाले केंद्र |
15 |
63 |
10 लाख और उससे अधिक लेकिन 50 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र |
12 |
57 |
10 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र |
10 |
44 |
#पात्र होने के लिए, ऋण को दोनों मानदंडों को पूरा करना होगा |
13.3 60 वर्ग मीटर तक के कारपेट क्षेत्र वाले निवासी यूनिटों के अधीन, किसी सरकारी एजेंसी को निवासी यूनिटों के निर्माण अथवा गंदी बस्ती हटाने और गंदी बस्ती में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए बैंक ऋण। 13.4 कम से कम 50% एफएआर/एफएसआई का उपयोग करने वाले ऐसे किफायती आवास परियोजनाओं के लिए बैंक ऋण उन निवासी यूनिट के लिए जिनका कारपेट क्षेत्र 60 वर्ग मीटर से अधिक न हो। 13.5 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण एनएचबी के पास रखी बकाया जमाराशियां। 14. सामाजिक बुनियादी संरचना नीचे दी गई सीमा के अनुसार सामाजिक बुनियादी संरचना क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र हेतु वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। 14.1. स्कूल, पेयजल सुविधाएं और स्वच्छता सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रति उधारकर्ता 8 करोड़ रुपये की सीमा तक का ऋण, जिसमें घरेलू शौचालयों का निर्माण/नवीनीकरण और घरेलू स्तर पर जल सुधार आदि शामिल हैं। 14.2. टियर II से टियर VI केंद्रों में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रति उधारकर्ता ₹12 करोड़ तक का ऋण। शहरी सहकारी बैंकों के मामले में, समकक्ष केंद्र श्रेणी ‘डी’5 में हैं। 14.3. इन मास्टर निदेशों के पैरा 22 में निर्धारित मानदंड के अधीन जल और स्वच्छता सुविधाओं के लिए व्यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्यों को भी आगे-उधार देने के लिए माइक्रो वित्त संस्थाओं (एमएफआई) को दिया गया ऋण (आरआरबी, यूसीबी और एसएफबी के अलावा)। 15. नवीकरणीय ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत जनरेटर और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपयोगिताओं जैसे स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम, दूरदराज के गांवों में विद्युतीकरण आदि के लिए उधारकर्ताओं को 35 करोड़ रुपये तक का बैंक ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। अलग-अलग परिवारों के लिए, प्रति उधारकर्ता ₹10 लाख की ऋण सीमा होगी। 16. अन्य निर्धारित सीमा तक निम्नलिखित ऋण प्राथमिकता क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र हैं:
- दिनांक 14 मार्च 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 में निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले एसएचजी/जेएलजी के व्यक्तियों और व्यक्तिगत सदस्यों को बैंकों द्वारा सीधे प्रदान किए गए ऋण।
- कृषि या एमएसएमई के अलावा अन्य गतिविधियों, जैसे सामाजिक जरूरतों को पूरा करने, घर के निर्माण या मरम्मत, शौचालयों के निर्माण या एसएचजी द्वारा शुरू की गई किसी भी व्यवहार्य सामान्य गतिविधि के लिए एसएचजी/जेएलजी को बैंकों द्वारा प्रदान किए गए ₹2.00 लाख से अनधिक ऋण।
- आपदाग्रस्त व्यक्तियों [आपदाग्रस्त किसानों के अलावा गैर-संस्थागत ऋणदाताओं के ऋणी] को उनके गैर संस्थागत ऋणदाताओं के कर्जं की पूर्व अदायगी के लिए प्रति उधारकर्ता ₹1 लाख से अनधिक के ऋण।
- अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य प्रायोजित संगठनों को इन संगठनों के लाभार्थियों को निविष्टियों की खरीद और आपूर्ति और/या उनके उत्पादनों के विपणन के विशिष्ट प्रयोजन के लिए स्वीकृत ऋण।
- कृषि या एमएसएमई के अलावा अन्य गतिविधियों में लगे स्टार्ट-अप6 को 50 करोड़ रुपये तक का ऋण
17. कमज़ोर वर्ग 17.1 निम्नलिखित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले प्राथमिताकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण कमज़ोर वर्गो की श्रेणी के अंतर्गत शामिल है (अतिव्यापी श्रेणी):
(i) |
छोटे और सीमान्त किसान |
(ii) |
काश्तकार, ऐसे ग्रामीण और कुटीर उद्योग जिनकी व्यक्तिगत ऋण सीमा ₹2 लाख से अधिक न हो |
(iii) |
सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) और स्वच्छकारों की पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना (एसआरएमएस) के अंतर्गत लाभार्थी |
(iv) |
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियां |
(v) |
विभेदक ब्याज दर (डीआरआई) योजना के लाभार्थी |
(vi) |
स्वयं सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह |
(vii) |
ऐसे व्यक्ति और एसएचजी/जेएलजी के व्यक्तिगत सदस्य, जो दिनांक 14 मार्च 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 में निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हों। |
(viii) |
व्यक्तिगत महिला लाभार्थियों के लिए प्रति उधारकर्ता ₹2 लाख तक (‘प्रति उधारकर्ता ₹2 लाख’ की सीमा शहरी सहकारी बैंकों पर लागू नहीं है) |
(ix) |
गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसान |
(x) |
गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त किसानों को छोड़कर आपदाग्रस्त व्यक्तियों को अपने ऋण की पूर्व अदायगी हेतु ₹1 लाख से अनधिक के ऋण। |
(xi) |
दिव्यांग व्यक्ति |
(xii) |
विपरीतलिंगी |
(xiii) |
भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदाय। |
17.2 वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्धारित सीमा और शर्तों के अनुसार पीएमजेडीवाई खाताधारकों द्वारा ओवरड्राफ्ट का लाभ कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। 17.3 ऐसे राज्य जहां अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों में से एक वास्तव में बहुसंख्यक है, मद (xiii) में केवल अन्य अधिसूचित अल्पसंख्यकों का समावेश होगा। ये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, लक्षद्वीप और जम्मू और कश्मीर। अध्याय IV विविध 18. बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोट में निवेश बैंकों द्वारा ‘प्रतिभूतिकरण नोट’ में निवेश, जो ‘अन्य’ श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के ऋण का द्योतक हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत निहित आस्तियों के आधार पर वर्गीकरण के लिए पात्र है, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:
- आस्तियां बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा मूलत: निर्मित हों और वे प्रतिभूतिकरण से पहले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के पात्र हो और ‘मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश डीओआर.एसटीआर.आरईसी.53/21.04.177/2021-22 के माध्यम से जारी दिशा-निर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करती हो।
- बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोटों में किया गया निवेश, जिसमें निहित रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा मूल रूप से दिए गए स्वर्ण आभूषणों की जमानत पर ऋण शामिल हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र स्थिति के लिए पात्र नहीं हैं।
नोट: पैरा 18 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं 19. सीधे एसाइनमेंट/आउटराइट खरीद के माध्यम से आस्तियों का अंतरण बैंकों द्वारा एसाइनमेंट/आस्तियों के समूह की आउटराइट खरीद जो 'अन्य' श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत ऋणों की द्योतक है, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने की पात्र होगी, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:
- आस्तियां बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा मूलत: निर्मित हों और वे खरीद से पहले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के पात्र हो और ‘ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश डीओआर. एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 के माध्यम से जारी दिशा-निर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करती हो।
- बैंक को प्राथमिकता-प्राप्त उधारकर्ता को वास्तविक रूप में संवितरित की गई बकाया राशि के बारे में रिपोर्ट करना चाहिए और न कि विक्रेता को अदा की गई प्रीमियम राशि के बारे में।
- बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से प्राप्त स्वर्ण आभूषणों पर ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र स्थिति के लिए पात्र नहीं हैं।
नोट: पैरा 19 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं। 20. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)
- बैंकों द्वारा जोखिम शेयरिंग आधार पर खरीदे गए आईबीपीसी, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं बशर्तें, अंतर्निहित आस्तियां संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने की पात्र हों और बैंक आईबीपीसी पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 31 दिसंबर 1988 के परिपत्र डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी. 57/62-88 के माध्यम से जारी दिशानिर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करते हों।
- बैंकों द्वारा पैरा 11 के अनुसार ‘निर्यात ऋण’ के संबंध में जोखिम शेयरिंग आधार पर खरीदे गए आईबीपीसी, को खरीदने वाले बैंक की दृष्टि से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए वर्गीकृत किया जाए। तथापि, ऐसी स्थिति में इस संबंध में दिशानिर्देशों के अनुसार जारी करने वाले और खरीदने वाले बैंक द्वारा आवश्यक समुचित सावधानी लिए जाने के अलावा जारी करने वाला बैंक प्रमाणित करेगा कि निहित आस्ति ‘निर्यात ऋण’ है।
नोट: पैरा 20 के प्रावधान शहरी सहकारी बैंकों पर लागू नहीं होंगे। 21. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी) बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्रों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार पीएसएलसी खरीदने/बेचने की अनुमति है, जो 7 अप्रैल 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.23/04.09.001/2015-16 के साथ पठित 24 मार्च 2025 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.12/04.09.001/2024-25 के माध्यम से जारी किए गए हैं। जारी किए गए और खरीदे गए पीएसएलसी का निवल अंकित मूल्य संबंधित प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होगा, बशर्ते कि बैंकों द्वारा सृजित अंतर्निहित परिसंपत्तियां प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र हों। एसएफबी को क्रेडिट जोखिम हस्तांतरण और पोर्टफोलियो बिक्री/खरीद पर 6 अक्टूबर 2016 को जारी डीबीआर परिपत्र संख्या डीबीआर.एनबीडी.26/16.13.218/2016-17 के पैरा 1.9 में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। 22. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट आदि) को आगे-उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण नीचे पैरा 22 (i) और 22 (ii) के तहत एमएफ़आई को बैंकों द्वारा संवितरित ऋण संबंधित श्रेणियों जैसे कृषि, एमएसएमई, सामाजिक बुनियादी ढांचे और अन्य के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं, बशर्ते एमएफआई, समय- समय पर अद्यतन दिनांक 1 सितंबर 2016 के मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.007/03.10.119/2016-17 के अध्याय II (xx) और अध्याय VIII एवं मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.008/03.10.119/2016-17 के अध्याय II (xx) और अध्याय IX में निर्धारित शर्तों का पालन करें। (i) एसएफबी के अलावा अन्य बैंकों द्वारा पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऋण, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के सदस्य हैं, व्यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्यों को आगे-उधार देने के लिए। (ii) व्यक्तियों7को आगे-उधार देने के उद्देश्य से एसएफबी द्वारा पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऋण, जो आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्र के एसआरओ के सदस्य हैं और जिनके पास पिछले वर्ष की 31 मार्च तक 500 करोड़ रुपये तक का ‘सकल ऋण पोर्टफोलियो’ (जीएलपी) है। यदि एनबीएफसी-एमएफआई/अन्य एमएफआई का जीएलपी बाद में निर्धारित सीमा से अधिक हो जाता है, तो जीएलपी सीमा पार करने से पहले बनाए गए सभी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों को एसएफबी द्वारा पुनर्भुगतान/परिपक्वता तक, जो भी पहले हो, पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। उपर्युक्त के अनुसार बैंक ऋण, पिछले वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्तिगत बैंक के कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के 10% की समग्र सीमा तक, पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र है। बैंक चालू वित्त वर्ष की चारों तिमाहियों में आगे-उधार की व्यवस्था के अंतर्गत पात्र पोर्टफोलियो का औसत निकालकर निर्धारित सीमा के अनुपालन का निर्धारण करेंगे। नोट: पैरा 22 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 23. आगे-उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को आगे-उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण निम्नलिखित शर्तों के अधीन संबंधित श्रेणियों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:
- कृषि: कृषि के अंतर्गत ‘सावधि उधार’ घटक के संबंध में प्रति उधारकर्ता ₹10 लाख तक
- सूक्ष्म और लघु उद्यम: प्रति उधारकर्ता 20 लाख रुपये तक,
बशर्ते बैंक पोर्टफोलियो में ऐसे ऋणों का अलग-अलग डेटा बनाए रखें। नोट: पैरा 23 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 24. आगे-उधार दिए जाने हेतु आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को बैंकों द्वारा ऋण आवास वित्त कम्पनियों (एचएफसी) को उनके पुनर्वित्त के लिए एनएचबी द्वारा अनुमोदित बैंक ऋण, व्यक्तिगत निवासी यूनिटों की खरीद/निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए या झुग्गी-झोपड़ी हटाने और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के पुनर्वास के लिए आगे-उधार देने हेतु, ‘आवास’ श्रेणी के अंतर्गत प्रति उधारकर्ता 20 लाख रुपये की कुल ऋण सीमा के अधीन। बैंकों को अंतर्निहित पोर्टफोलियो का उधारकर्ता-वार आवश्यक विवरण बनाए रखना होगा। नोट: पैरा 24 के प्रावधान आरआरबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 25. आगे-उधार दिए जाने पर उच्चतम सीमा उपरोक्त पैरा 23 और 24 में लागू अनुसार आगे-उधार देने के लिए एनबीएफसी (एचएफसी सहित) को बैंक ऋण, पिछले वित्तीय वर्ष के व्यक्तिगत बैंक के कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के 5% की समग्र सीमा तक पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र होगा। बैंक चालू वित्त वर्ष की चारों तिमाहियों में आगे-उधार व्यवस्था के अंतर्गत पात्र पोर्टफोलियो का औसत निकालकर निर्धारित सीमा के अनुपालन का निर्धारण करेंगे। 26. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सह-उधार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 5 नवंबर 2020 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं. 8/04.09.01/ 2020-21 के माध्यम से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (आवास वित्त कंपनियों सहित) के साथ सह-उधार देने की अनुमति है। 21 सितंबर 2018 को परिपत्र संख्या विसविवि.केंका.प्लान.बीसी/08/04.09.01/2018-19 द्वारा जारी सह-उत्पत्ति पर दिशानिर्देशों के अनुसार विस्तारित ऋण, पुनर्भुगतान / मियाद पूरी होना, जो भी पहले हो, तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। नोट: पैरा 26 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 27. कोविड-19 के उपायों के लिए पीएसएल की पात्रता कोविड-19 के वित्तीय प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत उपायों के तहत दिए गए बकाया ऋण, जैसा कि अनुबंध-IV में विस्तृत रूप से दिया गया है, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। 28. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी रखना
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को निरंतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों द्वारा किए जाने वाले अनुपालन पर ‘तिमाही’ आधार पर निगरानी रखी जाए।
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के आंकड़े बैंकों द्वारा संबंधित रिपोर्टिंग प्रारूप के अनुसार तिमाही और वार्षिक अंतराल पर, प्रत्येक तिमाही और वित्तीय वर्ष के अंत से क्रमशः पंद्रह दिन और एक महीने के भीतर प्रस्तुत किए जाएं।
- आरआरबी के संबंध में, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों से संबंधित आंकड़ों को उपर्युक्त प्रारूप में तिमाही और वार्षिक अंतराल पर नाबार्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं।
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम पर आंकडें प्रस्तुत करने के संबंध में, शहरी सहकारी बैंकों को समय-समय पर अद्यतन किए गए दिनांक 27 फरवरी 2024 के मास्टर निदेश- भारतीय रिज़र्व बैंक (पर्यवेक्षी विवरणियों की प्रस्तुति) निदेश – 2024 द्वारा निदेशित किया जाए।
29. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य प्राप्त न करना (i) निर्धारित लक्ष्य/उप-लक्ष्यों की तुलना में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने में कमी की रिपोर्ट करने वाले सभी बैंकों (सर्व समावेशी निदेशों के अंतर्गत शहरी सहकारी बैंकों को छोड़कर) को ग्रामीण बुनियादी विकास निधि (आरआईडीएफ) और नाबार्ड/एनएचबी/सिडबी/मुद्रा लिमिटेड के पास अन्य निधियों में योगदान के लिए राशि आवंटित की जाएगी, जो समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय किया जाएगा। (ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि की गणना करते समय हर तिमाही के लिए कमी/अधिक उधार पर अलग से निगरानी रखी जाएगी। वर्ष के अंत में सभी तिमाहियों का सामान्य औसत निकाला जाएगा और समग्र कमी/अधिकता की गणना के लिए उसे ध्यान में लिया जाएगा। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के उप-लक्ष्यों की उपलब्धि की गणना करते समय इसी पद्धति का पालन किया जाएगा। (अनुबंध V में उदाहरण दिया गया है)। (iii) आरआईडीएफ और अन्य निधियों में उनके योगदान के लिए बैंकों को देय ब्याज दरें निम्नानुसार होंगी:
क्र. सं. |
समग्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य में कमी |
जमा दरें |
1 |
5 प्रतिशत से कम अंक |
बैंक दर माइनस 2 प्रतिशत अंक |
2 |
5 और उससे अधिक, किन्तु 10 प्रतिशत अंक से कम |
बैंक दर माइनस 3 प्रतिशत अंक |
3 |
10 प्रतिशत अंक और उससे अधिक |
बैंक दर माइनस 4 प्रतिशत अंक |
इसके अतिरिक्त, यदि समग्र पीएसएल लक्ष्य में कोई कमी नहीं होती है, लेकिन किसी उप-लक्ष्य में कमी होती है, तो बैंक दर से 2 प्रतिशत अंक कम ब्याज दर लागू होगी। (iv) यदि भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संबंध में नाबार्ड) द्वारा पीएसएल में कोई गलत वर्गीकरण पाया जाता है, तो उसे संबंधित वर्ष की पीएसएल उपलब्धि से समायोजित किया जाएगा, जिससे गलत वर्गीकरण की राशि संबंधित है, तथा कमी को आगामी वर्षों में विभिन्न निधियों में आवंटित किया जाएगा। (v) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य, उप-लक्ष्य पूरे न करने को विभिन्न प्रयोजनों के लिए विनियामक क्लियरेंस/अनुमोदन देते समय विचार में लिया जाएगा। 30. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अग्रिमों की सभी श्रेणियों के संबंध में निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करें।
- ब्याज की दर: ऋणों पर लगाई जाने वाली ब्याज दरें समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 के अनुसार होंगी।
- सेवा शुल्क: ₹50,000/- तक के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों पर ऋण संबंधी और तदर्थ सेवा प्रभार/निरीक्षण प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए। एसएचजी/जेएलजी को पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के मामले में, यह सीमा समग्र समूह की अपेक्षा हर सदस्य पर लागू होगी।
- प्राप्ति, स्वीकृति/अस्वीकृति/संवितरण का अभिलेख: बैंक द्वारा प्राप्ति की तारीख, स्वीकृति, संवितरण, अस्वीकृति तथा उसके कारण आदि का रिकार्ड रखा जाएगा।
- ऋण आवेदनों की पावती जारी करना: बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के लिए आवेदन प्राप्ति की पावती प्रदान करनी होगी। बैंक बोर्ड वह समय-सीमा निर्धारित करेगा जिसके भीतर बैंक आवेदकों को लिखित रूप में अपना निर्णय सूचित करेगा।
- बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत ऋण अनुमोदित उद्देश्यों के लिए प्रदान किए जाएं तथा उचित आंतरिक प्रणालियों और नियंत्रणों को स्थापित करके अंतिम उपयोग की निगरानी की जाए।
- प्रत्येक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को इन मास्टर निदेशों के पैरा 5 में निर्दिष्ट आठ पहचानी गई श्रेणियों में से किसी एक में ही वर्गीकृत किया जाए।
परिशिष्ट समेकित परिपत्रों की सूची
(ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों के लिए सीईओबीएसई की गणना करने हेतु ऑफ-बैलेंस शीट अंतर-बैंक एक्सपोजर को बाहर रखा जाता है। |