मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025
आरबीआई/विसविवि/2024-25/128 24 मार्च 2025 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/ महोदया/महोदय, मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) से संबंधित बैंकों को अनेक अनुदेश/दिशानिर्देश जारी किए हैं। संलग्न मास्टर निदेश में इस विषय पर अद्यतन अनुदेश/दिशानिर्देश शामिल हैं। 2. यह निदेश 01 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और इस विषय पर पहले के निदेशों, अर्थात दिनांक 04 सितंबर 2020 के भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020 (समय-समय पर अद्यतन) (संदर्भ विसविवि.केंका.प्लान.बीसी. 5/04.09.01/2020-21) का स्थान लेंगे। दिनांक 04 सितंबर 2020 के पीएसएल पर पूर्ववर्ती मास्टर निदेशों के तहत प्राथमिकता- प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र सभी ऋण, मियाद पूरी होने तक इन निदेशों के तहत ऐसे वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। भवदीया, (निशा नम्बियार) अनुक्रमणिका मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 21 और 35ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा, इसके बाद विनिर्दिष्ट किए गए निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 कहलाएंगे। 1.2 यह निदेश 01 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और इस विषय पर पहले के निदेशों, अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020 (संदर्भ विसविवि.केंका.प्लान.बीसी. 5/04.09.01/2020-21) दिनांक 04 सितंबर 2020 (समय-समय पर अद्यतन) का स्थान लेंगे। इन निदेशों के उपबंध, जब तक अन्यथा न कहा गया हो, प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक [क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) सहित], और वेतनभोगियों के बैंक के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) पर लागू होंगे। ये निदेश बैंकिंग प्रणाली से अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों में ऋण का पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं, जो सामाजिक-आर्थिक विकास में अपने योगदान के लिए महत्वपूर्ण हैं, तथा इनका ध्यान उन विशिष्ट क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिनकी ऋण आवश्यकताएं ऋण योग्य होने के बावजूद पूरी नहीं हो पाती हैं। 4.1 इन निदेशों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, दिए गए शब्दों (टर्म्स) के अर्थ वही होंगे जो नीचे विनिर्दिष्ट हैं:
4.2 यहाँ परिभाषित न की गई अन्य सभी अभिव्यक्तियों के आशय, यथास्थिति वही होंगे, जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 अथवा किसी अन्य सांविधिक संशोधन अथवा उनके पुन: अधिनियमन के अंतर्गत विनिर्दिष्ट किये जाएँ अथवा वाणिज्यिक शब्दावली में प्रयुक्त हैं। 4.3 दिनांक 04 सितंबर 2020 (21 जून 2024 तक अद्यतन) के पीएसएल पर पूर्ववर्ती मास्टर निदेशों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) के रूप में वर्गीकृत सभी ऋण मियाद पूरी होने तक इन निदेशों के तहत इस तरह के वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। अध्याय – II 5. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां निम्नानुसार है:
उपर्युक्त श्रेणियों के अंतर्गत पात्र गतिविधियों के ब्योरे अध्याय III में निर्दिष्ट किए गए हैं। 6. समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना 6.1 प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के प्रयोजन के लिए, एएनबीसी की गणना निम्नानुसार की जाएगी:
6.2 क्रेडिट इकुइवलेंट ऑफ ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (सीईओबीएसई) की गणना के प्रयोजन के लिए, बैंकों को आरबीआई के विनियमन विभाग द्वारा 3 जून 2019 को जारी डीबीआर.सं. बीपी.बीसी.43/21.01.003/2018-19 'वृहत् एक्सपोज़र ढांचा' पर परिपत्र (समय-समय पर अद्यतन) द्वारा निर्देशित किया जाएगा। यूसीबी को ‘पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक’ पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 20 अप्रैल 2023 को जारी मास्टर परिपत्र में दिये गए प्रासंगिक प्रावधानों से मार्गदर्शित होंगे। 6.3 लघु वित्त बैंक, एएनबीसी की गणना हेतु पुराने ऋणों के संबंध में, विनियमन विभाग द्वारा लघु वित्त बैंकों के लिए जारी परिचालन दिशानिर्देशों के पैरा 6.5 (ii से vii) (आरबीआई/2016/17/81 बैंविवि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17, दिनांक 06 अक्तूबर 2016) द्वारा आगे मार्गदर्शित होंगे। 6.4 उपरोक्त रूप से निवल बैंक ऋण की गणना करते समय, यदि बैंक कारपोरेट/प्रधान कार्यालय स्तर पर विवेकसम्मत बट्टे खाते में डाली गई राशि को घटाते हैं, तो ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और अन्य सभी उप क्षेत्रों को बैंक ऋण जो इस प्रकार बट्टे खाते डाला गया हो, को भी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और उप-लक्ष्य की प्राप्ति में से श्रेणी-वार घटाया जाना चाहिए। निवेश अथवा ऐसी अन्य मदें जिन्हें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य/उप-लक्ष्य उपलब्धि के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र माना गया हो, समायोजित निवल बैंक ऋण का भी एक भाग होना चाहिए। 6.5 सभी बैंकों को विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा जारी संबंधित लाइसेंसिंग और परिचालन दिशानिर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, का पालन करना होगा। 7. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य/उप-लक्ष्य 7.1 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य और उप-लक्ष्य, जिनकी गणना पिछले वर्ष की संबंधित तिथि को लागू एएनबीसी/सीईओबीएसई2 के आधार पर की जाएगी, निम्नानुसार हैं:
7.2 शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य निम्नानुसार होंगे:
8. पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन 8.1 जिला स्तर पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया था कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अनुसार प्रति व्यक्ति ऋण प्रवाह के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाए तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के संबंध में तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों के लिए प्रोत्साहन ढांचे का निर्माण और तुलनात्मक रूप से उच्च प्रवाह वाले जिलों के लिए अवप्रेरण ढाँचे का निर्माण किया जाए। ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.9000 से कम), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च भारांक (125%) दिया जाएगा तथा ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.42000 से अधिक), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को कम भारांक (90%) दिया जाएगा, यह वित्त वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगा। दोनों तरह के जिलों की श्रेणीवार सूची अनुबंध-I क और I-ख में प्रस्तुत है और वित्त वर्ष 2026-27 तक की अवधि के लिए मान्य होगी, उसके बाद समीक्षा की जाएगी। अनुबंध-I क और I-ख में उल्लिखित जिलों के अलावा अन्य जिलों में 100% का सामान्य भारांक जारी रहेगा। 8.2 बैंकों को तिमाही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों (क्यूपीएसए) रिटर्न, अबतक किए गए अनुसार, में वास्तविक बकाया राशि की रिपोर्ट को जारी रखना चाहिए। एडीईपीटी (एडेप्ट) डेटाबेस के माध्यम से विसविवि, केंका, को जिलेवार क्रेडिट प्रवाह की रिपोर्टिंग के आधार पर आरबीआई द्वारा वृद्धिशील पीएसएल क्रेडिट के लिए समायोजन किया जाएगा। आरआरबी, यूसीबी, एलएबी और विदेशी बैंकों (पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक कंपनी सहित) को वर्तमान में उनके सीमित परिचालन क्षेत्र/कम खंड में सेवा प्रदान करने के कारण पीएसएल उपलब्धि में भारांक के समायोजन से छूट दी जाएगी। अध्याय – III कृषि क्षेत्र को उधार में कृषि ऋण (कृषि और संबद्ध गतिविधियां), कृषि बुनियादी संरचना और संबद्ध गतिविधियों को उधार शामिल है। 9.1 कृषि ऋण क. कृषि ऋण - व्यक्तिगत किसान इस श्रेणी में व्यक्तिगत किसानों [स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) अर्थात् व्यक्तिगत किसानों के समूह, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग-अलग डेटा बनाए रखें] और किसानों की स्वामित्व वाली फर्मों को दिए गए ऋण शामिल हैं, जो सीधे कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए हैं। ऐसे ऋणों में निम्नलिखित शामिल होंगे:
ख. कृषि ऋण - कारपोरेट किसानों, किसानों के कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ)/(एफपीसी), अलग-अलग किसानों की कंपनियों, साझेदारी फर्मों तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से जुड़ी सहकारी संस्थाएं: (1) निम्नलिखित गतिविधियों के लिए ऋण, प्रति उधारकर्ता इकाई ₹4 करोड़ की कुल सीमा के अधीन, पात्र होंगे:
(2) एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के बदले 12 माह से अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी/दृष्टिबंधक रखकर ₹4 करोड़ तक के ऋण और एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के अलावा अन्य गोदाम रसीदों के बदले ₹2.5 करोड़ तक के ऋण। (3) पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अपनी उपज के सुनिश्चित विपणन के साथ एफपीओ/एफपीसी के प्रति उधारकर्ता इकाई को ₹10 करोड़ तक का ऋण। (4) कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से लगे सदस्यों की उपज की खरीद के लिए ₹10 करोड़ तक का ऋण. नोट: शहरी सहकारी बैंकों को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है। 9.2 कृषि बुनियादी संरचना बैंकिंग प्रणाली से कृषि बुनियादी संरचना के लिए प्रति उधारकर्ता की कुल स्वीकृत सीमा में ऋण ₹100 करोड़ के अधीन होगी। गतिविधियों की सूची अनुबंध II (मद I) में दी गई है। 9.3 संबद्ध कार्यकलाप निम्नलिखित इस श्रेणी में वर्गीकृत होने के पात्र होंगे:
9.4 लघु एवं सीमांत किसानों (एसएमएफ) को ऋण देने के लिए वर्गीकरण हेतु पात्रता मानदंड उप-लक्ष्य की उपलब्धि की गणना के उद्देश्य से, लघु और सीमांत किसानों में निम्नलिखित शामिल होंगे:
नोट: शहरी सहकारी बैंकों को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है। 9.5 कृषि में आगे-उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी और एमएफआई को बैंकों द्वारा ऋण
नोट: पैरा 9.5 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं होंगे। 10. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
10.1 फैक्टरिंग लेनदेन
नोट: पैरा 10.1 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं 10.2 एमएसएमई श्रेणी में पीएसएल के अंतर्गत वर्गीकृत होने के लिए पात्र अन्य ऋण इसमे शामिल है:
नोट: पैरा 11 के प्रावधान आरआरबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों को ₹25 लाख तक के ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए पात्र माना जाएगा। 13.1. आवास क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण निम्न निर्धारित सीमा के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं: i. प्रति परिवार निवासी यूनिट की खरीद/निर्माण के लिए व्यक्तियों को ऋण निम्नलिखित सीमाओं के अधीन होंगे:
ii. बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले आवास ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे। iii. दीर्घावधि बांड द्वारा समर्थित आवास ऋणों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन्हें एएनबीसी में शामिल करने से छूट दी गई है। 1 अप्रैल 2007 को या उसके बाद एनएचबी/हुडको द्वारा जारी बांडों में यूसीबी द्वारा किए गए निवेश प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए वर्गीकरण हेतु पात्र नहीं होंगे। 13.2 क्षतिग्रस्त निवासी यूनिटों की मरम्मत के लिए ऋण निम्नलिखित सीमाओं के अधीन प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:
13.3 60 वर्ग मीटर तक के कारपेट क्षेत्र वाले निवासी यूनिटों के अधीन, किसी सरकारी एजेंसी को निवासी यूनिटों के निर्माण अथवा गंदी बस्ती हटाने और गंदी बस्ती में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए बैंक ऋण। 13.4 कम से कम 50% एफएआर/एफएसआई का उपयोग करने वाले ऐसे किफायती आवास परियोजनाओं के लिए बैंक ऋण उन निवासी यूनिट के लिए जिनका कारपेट क्षेत्र 60 वर्ग मीटर से अधिक न हो। 13.5 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण एनएचबी के पास रखी बकाया जमाराशियां। नीचे दी गई सीमा के अनुसार सामाजिक बुनियादी संरचना क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र हेतु वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। 14.1. स्कूल, पेयजल सुविधाएं और स्वच्छता सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रति उधारकर्ता 8 करोड़ रुपये की सीमा तक का ऋण, जिसमें घरेलू शौचालयों का निर्माण/नवीनीकरण और घरेलू स्तर पर जल सुधार आदि शामिल हैं। 14.2. टियर II से टियर VI केंद्रों में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रति उधारकर्ता ₹12 करोड़ तक का ऋण। शहरी सहकारी बैंकों के मामले में, समकक्ष केंद्र श्रेणी ‘डी’5 में हैं। 14.3. इन मास्टर निदेशों के पैरा 22 में निर्धारित मानदंड के अधीन जल और स्वच्छता सुविधाओं के लिए व्यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्यों को भी आगे-उधार देने के लिए माइक्रो वित्त संस्थाओं (एमएफआई) को दिया गया ऋण (आरआरबी, यूसीबी और एसएफबी के अलावा)। नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत जनरेटर और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपयोगिताओं जैसे स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम, दूरदराज के गांवों में विद्युतीकरण आदि के लिए उधारकर्ताओं को 35 करोड़ रुपये तक का बैंक ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। अलग-अलग परिवारों के लिए, प्रति उधारकर्ता ₹10 लाख की ऋण सीमा होगी। निर्धारित सीमा तक निम्नलिखित ऋण प्राथमिकता क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र हैं:
17.1 निम्नलिखित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले प्राथमिताकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण कमज़ोर वर्गो की श्रेणी के अंतर्गत शामिल है (अतिव्यापी श्रेणी):
17.2 वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्धारित सीमा और शर्तों के अनुसार पीएमजेडीवाई खाताधारकों द्वारा ओवरड्राफ्ट का लाभ कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। 17.3 ऐसे राज्य जहां अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों में से एक वास्तव में बहुसंख्यक है, मद (xiii) में केवल अन्य अधिसूचित अल्पसंख्यकों का समावेश होगा। ये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हैं पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, लक्षद्वीप और जम्मू और कश्मीर। अध्याय IV 18. बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोट में निवेश बैंकों द्वारा ‘प्रतिभूतिकरण नोट’ में निवेश, जो ‘अन्य’ श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के ऋण का द्योतक हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत निहित आस्तियों के आधार पर वर्गीकरण के लिए पात्र है, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:
नोट: पैरा 18 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं 19. सीधे एसाइनमेंट/आउटराइट खरीद के माध्यम से आस्तियों का अंतरण बैंकों द्वारा एसाइनमेंट/आस्तियों के समूह की आउटराइट खरीद जो 'अन्य' श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत ऋणों की द्योतक है, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने की पात्र होगी, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:
नोट: पैरा 19 के प्रावधान आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं हैं। 20. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)
नोट: पैरा 20 के प्रावधान शहरी सहकारी बैंकों पर लागू नहीं होंगे। 21. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी) बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्रों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार पीएसएलसी खरीदने/बेचने की अनुमति है, जो 7 अप्रैल 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.23/04.09.001/2015-16 के साथ पठित 24 मार्च 2025 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.12/04.09.001/2024-25 के माध्यम से जारी किए गए हैं। जारी किए गए और खरीदे गए पीएसएलसी का निवल अंकित मूल्य संबंधित प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होगा, बशर्ते कि बैंकों द्वारा सृजित अंतर्निहित परिसंपत्तियां प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र हों। एसएफबी को क्रेडिट जोखिम हस्तांतरण और पोर्टफोलियो बिक्री/खरीद पर 6 अक्टूबर 2016 को जारी डीबीआर परिपत्र संख्या डीबीआर.एनबीडी.26/16.13.218/2016-17 के पैरा 1.9 में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। 22. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट आदि) को आगे-उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण नीचे पैरा 22 (i) और 22 (ii) के तहत एमएफ़आई को बैंकों द्वारा संवितरित ऋण संबंधित श्रेणियों जैसे कृषि, एमएसएमई, सामाजिक बुनियादी ढांचे और अन्य के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं, बशर्ते एमएफआई, समय- समय पर अद्यतन दिनांक 1 सितंबर 2016 के मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.007/03.10.119/2016-17 के अध्याय II (xx) और अध्याय VIII एवं मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.008/03.10.119/2016-17 के अध्याय II (xx) और अध्याय IX में निर्धारित शर्तों का पालन करें। (i) एसएफबी के अलावा अन्य बैंकों द्वारा पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऋण, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के सदस्य हैं, व्यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्यों को आगे-उधार देने के लिए। (ii) व्यक्तियों7को आगे-उधार देने के उद्देश्य से एसएफबी द्वारा पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऋण, जो आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्र के एसआरओ के सदस्य हैं और जिनके पास पिछले वर्ष की 31 मार्च तक 500 करोड़ रुपये तक का ‘सकल ऋण पोर्टफोलियो’ (जीएलपी) है। यदि एनबीएफसी-एमएफआई/अन्य एमएफआई का जीएलपी बाद में निर्धारित सीमा से अधिक हो जाता है, तो जीएलपी सीमा पार करने से पहले बनाए गए सभी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों को एसएफबी द्वारा पुनर्भुगतान/परिपक्वता तक, जो भी पहले हो, पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। उपर्युक्त के अनुसार बैंक ऋण, पिछले वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्तिगत बैंक के कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के 10% की समग्र सीमा तक, पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र है। बैंक चालू वित्त वर्ष की चारों तिमाहियों में आगे-उधार की व्यवस्था के अंतर्गत पात्र पोर्टफोलियो का औसत निकालकर निर्धारित सीमा के अनुपालन का निर्धारण करेंगे। नोट: पैरा 22 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 23. आगे-उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को आगे-उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण निम्नलिखित शर्तों के अधीन संबंधित श्रेणियों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:
बशर्ते बैंक पोर्टफोलियो में ऐसे ऋणों का अलग-अलग डेटा बनाए रखें। नोट: पैरा 23 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 24. आगे-उधार दिए जाने हेतु आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को बैंकों द्वारा ऋण आवास वित्त कम्पनियों (एचएफसी) को उनके पुनर्वित्त के लिए एनएचबी द्वारा अनुमोदित बैंक ऋण, व्यक्तिगत निवासी यूनिटों की खरीद/निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए या झुग्गी-झोपड़ी हटाने और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के पुनर्वास के लिए आगे-उधार देने हेतु, ‘आवास’ श्रेणी के अंतर्गत प्रति उधारकर्ता 20 लाख रुपये की कुल ऋण सीमा के अधीन। बैंकों को अंतर्निहित पोर्टफोलियो का उधारकर्ता-वार आवश्यक विवरण बनाए रखना होगा। नोट: पैरा 24 के प्रावधान आरआरबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 25. आगे-उधार दिए जाने पर उच्चतम सीमा उपरोक्त पैरा 23 और 24 में लागू अनुसार आगे-उधार देने के लिए एनबीएफसी (एचएफसी सहित) को बैंक ऋण, पिछले वित्तीय वर्ष के व्यक्तिगत बैंक के कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के 5% की समग्र सीमा तक पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र होगा। बैंक चालू वित्त वर्ष की चारों तिमाहियों में आगे-उधार व्यवस्था के अंतर्गत पात्र पोर्टफोलियो का औसत निकालकर निर्धारित सीमा के अनुपालन का निर्धारण करेंगे। 26. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सह-उधार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 5 नवंबर 2020 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं. 8/04.09.01/ 2020-21 के माध्यम से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (आवास वित्त कंपनियों सहित) के साथ सह-उधार देने की अनुमति है। 21 सितंबर 2018 को परिपत्र संख्या विसविवि.केंका.प्लान.बीसी/08/04.09.01/2018-19 द्वारा जारी सह-उत्पत्ति पर दिशानिर्देशों के अनुसार विस्तारित ऋण, पुनर्भुगतान / मियाद पूरी होना, जो भी पहले हो, तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र बने रहेंगे। नोट: पैरा 26 के प्रावधान आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं हैं। 27. कोविड-19 के उपायों के लिए पीएसएल की पात्रता कोविड-19 के वित्तीय प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत उपायों के तहत दिए गए बकाया ऋण, जैसा कि अनुबंध-IV में विस्तृत रूप से दिया गया है, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। 28. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी रखना
29. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य प्राप्त न करना (i) निर्धारित लक्ष्य/उप-लक्ष्यों की तुलना में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने में कमी की रिपोर्ट करने वाले सभी बैंकों (सर्व समावेशी निदेशों के अंतर्गत शहरी सहकारी बैंकों को छोड़कर) को ग्रामीण बुनियादी विकास निधि (आरआईडीएफ) और नाबार्ड/एनएचबी/सिडबी/मुद्रा लिमिटेड के पास अन्य निधियों में योगदान के लिए राशि आवंटित की जाएगी, जो समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय किया जाएगा। (ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि की गणना करते समय हर तिमाही के लिए कमी/अधिक उधार पर अलग से निगरानी रखी जाएगी। वर्ष के अंत में सभी तिमाहियों का सामान्य औसत निकाला जाएगा और समग्र कमी/अधिकता की गणना के लिए उसे ध्यान में लिया जाएगा। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के उप-लक्ष्यों की उपलब्धि की गणना करते समय इसी पद्धति का पालन किया जाएगा। (अनुबंध V में उदाहरण दिया गया है)। (iii) आरआईडीएफ और अन्य निधियों में उनके योगदान के लिए बैंकों को देय ब्याज दरें निम्नानुसार होंगी:
इसके अतिरिक्त, यदि समग्र पीएसएल लक्ष्य में कोई कमी नहीं होती है, लेकिन किसी उप-लक्ष्य में कमी होती है, तो बैंक दर से 2 प्रतिशत अंक कम ब्याज दर लागू होगी। (iv) यदि भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संबंध में नाबार्ड) द्वारा पीएसएल में कोई गलत वर्गीकरण पाया जाता है, तो उसे संबंधित वर्ष की पीएसएल उपलब्धि से समायोजित किया जाएगा, जिससे गलत वर्गीकरण की राशि संबंधित है, तथा कमी को आगामी वर्षों में विभिन्न निधियों में आवंटित किया जाएगा। (v) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य, उप-लक्ष्य पूरे न करने को विभिन्न प्रयोजनों के लिए विनियामक क्लियरेंस/अनुमोदन देते समय विचार में लिया जाएगा। 30. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अग्रिमों की सभी श्रेणियों के संबंध में निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करें।
समेकित परिपत्रों की सूची
1 जैसा कि इस एम.डी. के पैरा 9.4 में परिभाषित किया गया है 2 (i)आकस्मिक देयताएं/ऑफ-बैलेंस शीट की मदें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की उपलब्धि का हिस्सा नहीं हैं। तथापि, 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों के पास प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र गतिविधियों के लिए उधारकर्ताओं को विस्तारित सीईओबीएसई को मानने का विकल्प है, बशर्ते कि सीईओबीएसई (अंतर बैंक ऋण को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और गैर-प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र दोनों) को पीएसएल लक्ष्यों की गणना के लिए हर में एएनबीसी में जोड़ा जाएगा। (ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों के लिए सीईओबीएसई की गणना करने हेतु ऑफ-बैलेंस शीट अंतर-बैंक एक्सपोजर को बाहर रखा जाता है। 3 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा परिभाषित 4 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा परिभाषित 5 परिचालन क्षेत्र, शाखा प्राधिकरण नीति, विस्तार काउंटरों, एटीएम को खोलना/उन्नयन करना और कार्यालयों को स्थानांतरित करना/विभाजन करना/बंद करना पर मास्टर परिपत्र का अनुलग्नक-I (डीसीबीआर.एलएस.(पीसीबी)एमसी.सं.16/07.01.000/2015-16 दिनांक 1 जुलाई, 2015) |