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मास्टर निदेश – प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – लक्ष्य और वर्गीकरण (21 जून 2024 तक अद्यतन)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2024-06-21
  • 2023-07-27
  • 2022-10-20
  • 2022-08-02
  • 2021-10-26
  • 2021-06-11
  • 2021-05-31
  • 2021-04-29
  • 2020-09-04

आरबीआई/विसविवि/2020-21/72
मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.5/04.09.01/2020-21

                                       

04 सितंबर 2020
(21 जून 2024 तक अद्यतन)
(27 जुलाई 2023 तक अद्यतन)
(20 अक्तूबर 2022 तक अद्यतन)
(02 अगस्त 2022 तक अद्यतन)
(26 अक्तूबर 2021 तक अद्यतन)
(11 जून 2021 तक अद्यतन)
(31 मई 2021 तक अद्यतन)
(29 अप्रैल 2021 तक अद्यतन)

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
[
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक,
लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और
वेतनभोगियों के बैंकों के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक]

महोदया/महोदय,

मास्टर निदेश – प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – लक्ष्य और वर्गीकरण

भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार से संबंधित बैंकों को अनेक अनुदेश/ दिशानिर्देश जारी किए हैं। संलग्न मास्टर निदेशों में इस विषय पर अद्यतन अनुदेश/दिशानिर्देश शामिल हैं। इस मास्टर निदेश में समेकित परिपत्रों की सूची परिशिष्ट में दी गई है।

भवदीया,

(निशा नम्बियार)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुक्रमणिका

पैरा सं.

विवरण

 

अध्‍याय – I
प्रारंभिक

1.

संक्षिप्‍त नाम और प्रारंभ

2.

प्रयोज्‍यता

3.

परिभाषा/स्पष्टीकरण

 

अध्‍याय – II
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां और लक्ष्य

4.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां

5.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य/उप-लक्ष्य

6.

समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना

7.

पीएसएल उपलब्धि में भारांक हेतु समायोजन

 

अध्याय – III
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र श्रेणियों का विवरण

8.

कृषि

9.

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई)

10.

निर्यात ऋण

11.

शिक्षा

12.

आवास

13.

सामाजिक बुनियादी संरचना

14.

नवीकरणीय ऊर्जा

15.

अन्य

16.

कमज़ोर वर्ग

 

अध्‍याय – IV
विविध

17.

प्रतिभूतिकरण नोटों में बैंकों द्वारा निवेश

18.

सीधे एसाइनमेंट/आउटराइट खरीद के माध्यम से आस्तियों का अंतरण

19.

अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)

20.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)

21.

माइक्रो फाइनांस संस्थाओं (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट आदि,) को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण

22.

एनबीएफसी को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण

23.

एचएफसी को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण

24.

आगे उधार दिए जाने पर सीमा

25.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सह-उधार (को-लेंडिंग)

26.

पीएसएल के लिए कोविड-19 संबंधी उपाय

27.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों की निगरानी रखना

28.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य प्राप्त न करना

29.

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश

अनुबंध - I क: तुलनात्मक रूप से उच्च पीएसएल क्रेडिट वाले जिलों की सूची

अनुबंध - I ख: तुलनात्मक रूप से कम पीएसएल क्रेडिट वाले जिलों की सूची

अनुबंध – II : कृषि बुनियादी संरचना और संबद्ध कार्यकलाप के तहत पात्र गतिविधियों की सांकेतक सूची

अनुबंध - III: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) द्वारा साझा की गई खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमन्य गतिविधियों की सांकेतक सूची

अनुबंध - IV: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि की गणना

परिशिष्‍ट - समेकित परिपत्रों की सूची


मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा-56 के साथ पठित धारा-21 और 35-ए द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनहित में ऐसा करना आवश्‍यक और समीचीन है, एतद्द्वारा, इसके बाद विनिर्दिष्‍ट किए गए निदेश जारी करता है।

अध्‍याय – I
प्रारंभिक

1. संक्षिप्‍त नाम और प्रारंभ

1.1 ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार-लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2020 कहलाएंगे।

1.2 ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाने के दिन से प्रभावी होंगे।

2. प्रयोज्‍यता

इन निदेशों के उपबंध प्रत्‍येक वाणिज्यिक बैंक [क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी), स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित], और वेतनभोगियों के बैंक के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) पर लागू होंगे।

3. परिभाषा/ स्पष्टीकरण

3.1 इन निदेशों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, दिए गए शब्दों (टर्म्स) के अर्थ वही होंगे जो नीचे विनिर्दिष्ट हैं:

  1. ‘शहरी सहकारी बैंक’ या ‘यूसीबी’ का तात्पर्य प्राथमिक सहकारी बैंक है, जैसा कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा-5 (सीसीवी) के तहत परिभाषित है।
  2. “ऑन लेंडिंग” का आशय है बैंकों द्वारा पात्र मध्यस्थ संस्थाओं (इंटरमिडियरीज) को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र आस्तियां निर्मित करने के लिए आगे ऋण प्रदान करने हेतु स्वीकृत ऋण। पात्र मध्यवर्ती संस्थाओं के इस प्रकार निर्मित प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र आस्तियों की औसत परिपक्वता बैंक ऋण के परिपक्व हो जाने के साथ-साथ समाप्त होनेवाली हो।
  3. आकस्मिक देयताएं/ तुलन-पत्र से इतर मदें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य की उपलब्धि का भाग नहीं होती हैं। तथापि, 20 से कम शाखा वाले विदेशी बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्यों की प्राप्ति की गणना के प्रयोजन हेतु पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र गतिविधियों के लिए उधारकर्ताओं को दिए गए तुलनपत्र बाह्य एक्सपोज़र के समतुल्य ऋण (सीईओबीई) को शामिल करने का विकल्प होगा, बशर्ते पीएसएल लक्ष्यों की गणना के प्रयोजन के लिए सीईओबीई (अंतर बैंक एक्सपोजर को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और गैर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र दोनों ही) को समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) के हर में जोड़ा जाए।
  4. तुलन पत्र से इतर अंतर बैंक एक्ससपोजरों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्यों के लिए सीईओबीई की गणना हेतु हिसाब में नहीं लिया जाता है।
  5. "सर्व समावेशक ब्याज" शब्द से आशय है ब्याज (प्रभावी वार्षिक ब्याज), प्रोसेसिंग शुल्क और सेवा प्रभार।

3.2 यहाँ परिभाषित न की गई अन्य सभी अभिव्यक्तियों के आशय, यथास्थिति वही होंगे, जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 अथवा किसी अन्य सांविधिक संशोधन अथवा उनके पुन: अधिनियमन के अंतर्गत विनिर्दिष्ट किये जाएँ अथवा वाणिज्यिक शब्दावली में प्रयुक्त हैं।

3.3 बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाले ऋण अनुमोदित प्रयोजनों के लिए हैं और उसके अंतिम उपयोग पर निरंतर निगरानी रखी जाती है। बैंकों को इस संबंध में उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणालियां स्थापित करनी चाहिए।


अध्‍याय – II
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां एवं लक्ष्य

4. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां निम्नानुसार है:

  1. कृषि
  2. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई)
  3. निर्यात ऋण
  4. शिक्षा
  5. आवास
  6. सामाजिक बुनियादी संरचना
  7. नवीकरणीय ऊर्जा
  8. अन्य

उपर्युक्त श्रेणियों के अंतर्गत पात्र गतिविधियों के ब्योरे अध्याय III में निर्दिष्ट किए गए हैं।

5. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य/उप-लक्ष्य -

5.1 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य और उप-लक्ष्य नीचे दिए गए हैं, जिनकी गणना पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को समायोजित निवल बैंक ऋण या सीईओबीई के आधार पर की जाएगी।

श्रेणी

घरेलू वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी और एसएफबी को छोड़कर) एवं 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक

20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

लघु वित्त बैंक

कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र

नीचे पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीई का 40 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो।

नीचे पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीई का 40 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; जिसमें से 32 प्रतिशत तक के ऋण निर्यात ऋण के रूप में हो सकता है तथा किसी अन्य प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए ऋण 8 प्रतिशत से कम नहीं हो सकता है।

नीचे पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण का या सीईओबीई, का 75 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; तथापि, मध्यम उद्यम, सामाजिक बुनियादी संरचना तथा नवीकरणीय ऊर्जा को दिए गए उधार में से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की उपलब्धि की गणना हेतु एएनबीसी के केवल 15 प्रतिशत पर ही विचार किया जाएगा।

नीचे पैरा 6 में की गई गणना के अनुसार समायोजित निवल बैंक ऋण या सीईओबीई, का 75 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो।

कृषि

एएनबीसी या सीईओबीई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो, जिसमें से लघु और सीमांत किसानों (एसएमएफ) के लिए 10 प्रतिशत# का लक्ष्य निर्धारित है।

लागू नहीं

एएनबीसी या सीईओबीई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; जिसमें से एसएमएफ के लिए 10 प्रतिशत# का लक्ष्य निर्धारित है।

एएनबीसी या सीईओबीई का 18 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो; जिसमें से एसएमएफ के लिए 10 प्रतिशत# का लक्ष्य निर्धारित है।

माइक्रो उद्यम

एएनबीसी या सीईओबीई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो;

लागू नहीं

एएनबीसी या सीईओबीई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो;

एएनबीसी या सीईओबीई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो;

कमज़ोर वर्गों को अग्रिम

एएनबीसी या सीईओबीई का 12 प्रतिशत#, इनमें से जो भी अधिक हो;

लागू नहीं

एएनबीसी या सीईओबीई का 15 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो;

एएनबीसी या सीईओबीई का 12 प्रतिशत#, इनमें से जो भी अधिक हो;

#एसएमएफ और कमजोर वर्ग के लिए संशोधित लक्ष्यों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा जैसा कि पैरा 5.2 में दर्शाया गया है

5.2 एसएमएफ और कमजोर वर्गों को उधार देने से संबंधित लक्ष्यों को वित्त वर्ष 2021-22 से ऊपर की ओर निम्नानुसार संशोधित किया जाएगा:

वित्त-वर्ष

लघु और सीमांत किसान लक्ष्य*

कमजोर वर्ग लक्ष्य ^

2020-21

8%

10%

2021-22

9%

11%

2022-23

9.5%

11.5%

2023-24

10%

12%

* यूसीबी पर लागू नहीं
^ आरआरबी के लिए कमजोर वर्ग का लक्ष्य एएनबीसी या सीईओबीई का 15%, जो भी अधिक हो, जारी रहेगा।

5.3 यूसीबी निम्नानुसार निर्धारित लक्ष्यों का अनुपालन करें:

श्रेणियाँ

प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक

कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र

वित्त वर्ष 2019-20 में एएनबीसी या सीईओबीई का 40 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, जो वित्त वर्ष 2025-26 से बढ़कर एएनबीसी या सीईओबीई का 75 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, हो जाएगा। यूसीबी निम्नलिखित माइलस्टोन के अनुसार निर्धारित लक्ष्य का पालन करेंगे:

वित्त वर्ष 2019-20

वित्त वर्ष 2020-21

वित्त वर्ष 2021-22

वित्त वर्ष 2022-23

वित्त वर्ष 2023-24

वित्त वर्ष 2024-25

वित्त वर्ष 2025-26

40%

45%

50%

60%

60%

65%

75%

माइक्रो उद्यम

एएनबीसी या सीईओबीई का 7.5 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो

कमज़ोर वर्गों को अग्रिम

एएनबीसी या सीईओबीई का 12 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो। कमज़ोर वर्गों के लिए संशोधित लक्ष्य निम्नलिखित रूप में चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाएंगे:

वित्त वर्ष 2019-20

वित्त वर्ष 2020-21

वित्त वर्ष 2021-22

वित्त वर्ष 2022-23

वित्त वर्ष 2023-24

वित्त वर्ष 2024-25

वित्त वर्ष 2025-26

10.00%

11.00%

11.50%

11.50%

11.50%

11.75%

12.00%

 5.4 इसके अलावा सभी घरेलू बैंकों (यूसीबी के अलावा) और 20 से अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें की गैर कारपोरेट किसानों (एनसीएफ) को दिया गया समग्र उधार पिछले तीन वर्षों की उपलब्‍धि, जिसे प्रति वर्ष अलग से अधिसूचित किया जाएगा, के प्रणालीगत औसत से कम न हो। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए गैर-कारपोरेट किसानों को उधार देने के लिए लागू लक्ष्य एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, का 13.78% होगा। एनसीएफ लक्ष्य से अधिक कृषि ऋण (पैरा 8.1 के अनुसार) बढ़ाने के लिए बैंकों द्वारा सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

6. समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना

6.1 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के प्रयोजन के लिए एएनबीसी से आशय है भारत में बकाया बैंक ऋण [भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) के अंतर्गत फार्म ‘ए’ की मद सं.VI में यथा निर्धारित़] तथा उसकी गणना इस प्रकार है:

भारत में बैंक ऋण (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत फार्म 'ए' की मद सं.VI में यथा निर्धारित)

I

रिज़र्व बैंक तथा अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं के पास पुनः भुनाए गए बिल

II

निवल बैंक ऋण (एनबीसी)*

III(I-II)

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों को न प्राप्त किए जाने के एवज में नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और मुद्रा लि. के पास रखी अन्‍य पात्र निधियाँ तथा आरआईडीएफ के अंतर्गत बकाया जमाराशियां + बकाया पीएसएलसी

IV

15 जुलाई 2014 के परिपत्र डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं25/08.12.014/2014-15 के अनुसार बुनियादी संरचना और किफायती आवास के लिए दीर्घावधि बाण्‍ड जारी करने के कारण छूट के लिए पात्र राशि

V

भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 31 जनवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.93/12.01.001/2013-14, दिनांक 6 फरवरी 2014 को जारी किया बैंपविवि मेलबॉक्स स्पष्टीकरण के साथ पठित दिनांक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.36/12.01.001/2013-14 तथा 11 जून 2014 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.72/13.01.000/2013-14 के साथ पठित दिनांक 27 अगस्त 2013 के परिपत्र शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.5/13.01.000/2013-14 के अनुसार ऐसी वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/एनआरई जमाराशियों के आधार पर भारत में प्रदत्त पात्र अग्रिम जो सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के योग्य हैं।

VI

भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पुनर्पूंजीकरण बांड में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा किया गया निवेश

VII

अन्य निवेश जो प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में माना जा सके (जैसे कि प्रतिभूतिकरण नोटों में निवेश)

VIII

टीएलटीआरओ 2.0 के तहत एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत अधिग्रहित और रखी गई प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य एफएक्यू के प्रश्न 11 के साथ पठित (दिनांक 17 अप्रैल 2020 की प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2237) तथा दिनांक 27 अप्रैल 2020 के एसएलएफ-एमएफ - प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2276 तथा दिनांक 30 अप्रैल 2020 के प्रेस प्रकाशनी 2019-2020/2294 के माध्यम से एसएलएफ-एमएफ योजना के तहत बढ़ाया गया विनियामक लाभ।

IX

एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत गैर एसएलआर श्रेणी मे बांड/डिबेंचर

X

यूसीबी के लिए: ‘हेल्ड टू मैच्योरिटी’ (एचटीएम) श्रेणी के तहत रखे गए अनुमत गैर एसएलआर बॉन्ड में 30 अगस्त 2007 के बाद किया गया निवेश

XI

एएनबीसी (यूसीबी के अलावा) III + IV - (V + VI + VII) + VIII - IX + X

यूसीबी के लिए एएनबीसी III + IV - VI - IX + XI

*केवल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की गणना के उद्देश्य से। बैंकों को एनबीसी से प्रावधानों, उपचित ब्याज आदि जैसी किसी भी राशि की कटौती/निवल नहीं करना चाहिए।

6.2 सीईओबीई की गणना के प्रयोजन के लिए, बैंक विनियमन विभाग, रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को जारी किए गए एक्सपोज़र मानदंडों पर मास्टर परिपत्र बैंवि‍वि.सं.डीआइआर.बीसी.12/13.03.00/2015-16 तथा समय-समय पर जारी अद्यतनों से मार्गदर्शित होंगे। यूसीबी को ‘पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक’ पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को जारी मास्टर परिपत्र में दिये गए प्रासंगिक प्रावधानों से मार्गदर्शित होंगे।

6.3 लघु वित्त बैंक, एएनबीसी की गणना हेतु पुराने ऋणों के संबंध में, विनियमन विभाग द्वारा लघु वित्त बैंकों के लिए जारी परिचालन दिशानिर्देशों के पैरा 6.5 (ii से vii) (आरबीआई/2016/17/81 बैंवि‍वि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17, दिनांक 06 अक्तूबर 2016) द्वारा आगे मार्गदर्शित होंगे।

6.4 उपरोक्त रूप से निवल बैंक ऋण की गणना करते समय, यदि बैंक कारपोरेट/प्रधान कार्यालय स्तर पर विवेकसम्मत बट्टे खाते में डाली गई राशि को घटाते हैं, तो ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और अन्य सभी उप क्षेत्रों को बैंक ऋण जो इस प्रकार बट्टे खाते डाला गया हो, को भी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र और उप-लक्ष्य की प्राप्ति में से श्रेणी-वार घटाया जाना चाहिए। जहां कहीं भी निवेश अथवा ऐसी अन्य मदें जिन्हें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य/उप-लक्ष्य उपलब्धि के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र माना गया हो, समायोजित निवल बैंक ऋण का भी एक भाग होना चाहिए।

6.5 सभी बैंकों को विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा जारी संबंधित लाइसेंस दिशानिर्देशों और परिचालन दिशानिर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, का पालन करना होगा।

7. पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन

जिला स्तर पर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, यह निर्णय लिया गया था कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अनुसार प्रति व्यक्ति ऋण प्रवाह के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाए तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के संबंध में तुलनात्मक रूप से कम प्रवाह वाले जिलों के लिए प्रोत्साहन ढांचे का निर्माण और तुलनात्मक रूप से उच्च प्रवाह वाले जिलों के लिए अवप्रेरण ढाँचे का निर्माण किया जाए। ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.9000 से कम), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च भारांक (125%) दिया जाएगा तथा ऐसे चिन्हित जिले, जहां ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से अधिक है (प्रति व्यक्ति पीएसएल रु.42000 से अधिक), में वृद्धिशील प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण को निम्न भारांक (90%) दिया जाएगा, यह वित्त वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगा। दोनों तरह के जिलों की श्रेणीवार सूची अनुबंध-I क और I-ख में प्रस्तुत है और यह वित्त वर्ष 2026-27 तक की अवधि के लिए मान्य होगी। अनुबंध-I क और I-ख में उल्लिखित जिलों के अलावा अन्य जिलों में 100% का मौजूदा भारांक जारी रहेगा।

बैंकों को क्यूपीएसए रिटर्न, अबतक किए गए अनुसार, में वास्तविक बकाया राशि की रिपोर्ट को जारी रखना चाहिए। एडीईपीटी (एडेप्ट) डेटाबेस के माध्यम से विसविवि, केंका, को जिलेवार क्रेडिट प्रवाह की रिपोर्टिंग के आधार पर आरबीआई द्वारा वृद्धिशील पीएसएल क्रेडिट के लिए समायोजन किया जाएगा। आरआरबी, यूसीबी, एलएबी और विदेशी बैंकों (डब्लूओएस सहित) को वर्तमान में उनके सीमित परिचालन क्षेत्र/ कम खंड में सेवा प्रदान करने के कारण पीएसएल उपलब्धि में भारांक के समायोजन से छूट दी जाएगी।

अध्‍याय – III
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र श्रेणियों का विवरण

8. कृषि

कृषि क्षेत्र को उधार में कृषि ऋण (कृषि और संबद्ध गतिविधियां), कृषि बुनियादी संरचना और संबद्ध गतिविधियों को उधार शामिल है।

8.1 कृषि ऋण - व्यक्तिगत किसान

कृषि तथा उससे संबद्ध कार्यकलापों जैसे डेरी उद्योग, मत्स्यपालन, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधु-मक्खीपालन और रेशम उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अलग-अलग किसानों [(स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) अर्थात अलग-अलग किसानों के समूहों सहित, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग से ब्योरा रखते हों)] तथा किसानों के स्वामित्व फर्म को ऋण। इसमें निम्‍नलिखित शामिल हैं :

  1. फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, बागबानी तथा संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण शामिल हैं।
  2. कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण (अर्थात कृषि उपकरणों और मशीनरी की खरीद तथा संबद्ध कार्यकलापों के लिए विकासात्मक ऋण)।
  3. फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।
  4. गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसानों को ऋण।
  5. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत ऋण।
  6. कृषि प्रयोजन हेतु जमीन खरीदने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को ऋण।
  7. एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के बदले रु.75 लाख तक की सीमा के अधीन 12 माह से अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी/दृष्टिबंधक रखकर ऋण और एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के अलावा अन्य गोदाम रसीदों के बदले रु.50 लाख तक की सीमा का ऋण।
  8. किसानों को स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन के लिए ऋण।
  9. बंजर/परती भूमि पर या किसान के स्वामित्व वाली कृषि भूमि पर स्टिल्ट फैशन के रूप में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों को ऋण।

8.2 कृषि ऋण - कारपोरेट किसानों, किसानों के कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ)/(एफपीसी), अलग-अलग किसानों की कंपनियों, साझेदारी फर्मों तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से जुड़ी सहकारी संस्थाएं:

(क) निम्नलिखित गतिविधियों के लिए प्रति उधारकर्ता ₹2 करोड़ की कुल सीमा में दिए गए ऋण :

  1. किसानों को फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, बागबानी तथा संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण शामिल होंगे।
  2. कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण (अर्थात कृषि उपकरणों और मशीनरी की खरीद तथा संबद्ध कार्यकलापों के लिए विकासात्मक ऋण)।
  3. फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, फसल कटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।

(ख) एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के बदले 12 माह से अनधिक अवधि के लिए कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी/दृष्टिबंधक रखकर रु.75 लाख तक के ऋण और एनडब्लूआर/ई-एनडब्लूआर के अलावा अन्य गोदाम रसीदों के बदले रु.50 लाख तक के ऋण।

(ग) पूर्व-निर्धारित मूल्य पर अपनी उपज के सुनिश्चित विपणन के साथ एफपीओ/एफपीसी के प्रति उधारकर्ता इकाई को ₹5 करोड़ तक का ऋण।

(घ) यूसीबी को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है।

8.3 कृषि बुनियादी संरचना

बैंकिंग प्रणाली से कृषि बुनियादी संरचना के लिए प्रति उधारकर्ता की कुल स्वीकृत सीमा में ऋण ₹100 करोड़ के अधीन होगी। गतिविधियों की सूची अनुबंध II में दी गई है।

8.4 संबद्ध कार्यकलाप

8.4.1 संबद्ध कार्यकलापों के तहत निम्नलिखित ऋण निम्न सीमा के अधीन होंगे:

  1. सदस्यों के उत्पाद की खरीद हेतु किसानों की सहकारी समितियों को ₹5 करोड़ तक के ऋण (यूसीबी पर लागू नहीं)।
  2. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की परिभाषा के अनुसार कृषि और संबद्ध सेवाओं में संलग्न स्टार्ट-अप्स को ₹50 करोड़ तक के ऋण।
  3. खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ₹100 करोड़ की समग्र स्वीकृत सीमा तक के ऋण।

8.4.2 प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र में कमी के कारण नाबार्ड के पास रखी आरआईडीएफ और अन्‍य पात्र निधियों के अंतर्गत बकाया जमाराशियां।

8.4.3 संबद्ध सेवाओं और खाद्य प्रसंस्करण के तहत पात्र गतिविधियाँ क्रमशः अनुबंध II और अनुबंध III में प्रस्तुत है।

8.5 लघु और सीमांत किसान (एसएमएफ)

उप-लक्ष्य की उपलब्धि की गणना के उद्देश्य से, लघु और सीमांत किसानों में निम्नलिखित शामिल होंगे:

  1. 1 हेक्टेयर तक के भूधारक किसान (सीमांत किसान) ।
  2. 1 हेक्टेयर से अधिक परंतु 2 हेक्टेयर तक के भूधारक किसान (लघु किसान) ।
  3. भूमिहीन कृषि श्रमिक, काश्तकार, मौखिक पट्टेदार तथा बंटाईदार जिनकी भू-धारिता का अंश लघु और सीमांत किसानों के लिए निर्धारित सीमाओं के भीतर है।
  4. स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) अर्थात कृषि तथा उससे संबद्ध कार्यकलापों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अलग-अलग लघु और सीमांत किसानों के समूहों को ऋण, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग से ब्योरा रखते हों।
  5. ₹2 लाख तक के ऋण केवल उन लोगों के लिए है जो किसी भी भूधारक मानदंड के बिना संबद्ध गतिविधियों में संलग्न हैं।
  6. पैरा 8.2 में निर्धारित ऋण सीमा के अधीन, अलग-अलग किसानों की एफपीओ/पीएफसी तथा कृषि और उससे संबद्ध कार्यकलापों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी किसानों की सहकारी संस्थाओं को ऋण, जहां लघु और सीमांत किसानों की भू-धारिता का शेयर 75 प्रतिशत से कम न हो। यूसीबी को किसानों की सहकारी समितियों को ऋण देने की अनुमति नहीं है।

8.6 कृषि में आगे उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी और एमएफआई को बैंकों द्वारा ऋण

  1. व्यक्तियों और एसएचजी/ जेएलजी के सदस्यों को आगे उधार दिये जाने हेतु पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट इत्यादि) को विस्तारित किया गया बैंक ऋण, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं, पैरा 21 में निर्दिष्ट शर्तों (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी के लिए लागू नहीं) के अधीन कृषि की संबंधित श्रेणियों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त को उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
  2. कृषि के तहत ‘मियादी ऋण’ घटक के लिए पैरा 22 और 24 (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं) में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को आगे उधार दिये जाने हेतु प्रति उधारकर्ता रु.10 लाख तक के बैंक ऋण की अनुमति दी जाएगी।

9. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)

एमएसएमई की परिभाषा दिनांक 24 जुलाई 2017 को जारी ‘मास्‍टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार’ विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.12/06.02.31/2017-18, समय-समय पर यथासंशोधित, में दी गई परिभाषा के अनुसार होगी। एमएसएमई को दिए जाने वाले सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए अर्ह होंगे।

9.1 फैक्टरिंग लेनदेन (आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं)

  1. बैंकों, जिनसे फैक्टरिंग कारोबार विभागीय रूप से होता है, द्वारा ‘दायित्व सहित’ आधार पर किए जाने वाले फैक्टरिंग लेनदेन, जहां फैक्टरिंग लेनदेन में ‘समनुदेशक’ (असाईनर) सूक्ष्म, लघु अथवा मध्यम उद्यम हो, रिपोर्टिंग तारीख को एमएसएमई श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है।
  2. ‘बैंकों द्वारा फैक्टरिंग सेवाओं का प्रावधान – समीक्षा’ पर जारी दिनांक 30 जुलाई 2015 के परिपत्र बैंविवि‍.सं.एफएसडी.बीसी.32/24.01.007/2015-16 के पैरा 9 के अनुसार उधारकर्ता का बैंक अन्य बातों के साथ-साथ दोहरे वित्तपोषण/गणना से बचने के लिए, उधारकर्ता से आवधिक आधार पर “फैक्टर” प्राप्य राशियों के संबंध में प्रमाणपत्र प्राप्त करेगा। साथ ही, “फैक्टर” को चाहिए कि वह दोहरे वित्तपोषण से बचने का दायित्व लेते हुए संबंधित बैंकों को उधारकर्ता को स्वीकृत सीमाओं तथा “फैक्टर ऋण” के ब्योरों के बारे में अवश्य सूचित करें।
  3. ट्रेड रिसिवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) के माध्यम से किए जाने वाले एमएसएमई से संबंधित फैक्टरिंग लेनदेन भी प्राथमिकता प्राप्त -क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

9.2 खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र (केवीआई)

खादी और ग्राम उद्योग (केवीआई) क्षेत्र की इकाइयों को दिए गए सभी ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत माइक्रो उद्योगों हेतु नियत 7.5 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के अधीन वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

9.3 एमएसएमई को अन्‍य वित्त

  1. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की परिभाषा के अनुसार स्टार्ट-अप को ₹50 करोड़ तक का ऋण, जो पैरा 9 के अनुसार एमएसएमई की परिभाषा के अनुरूप है।
  2. काश्तकारों, ग्राम और कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति और उनके उत्पादन के विपणन के विकेंद्रीकृत सेक्टर को सहायता प्रदान करने में निहित संस्‍थाओं को ऋण। यूसीबी के संबंध में, "संस्थाओं" शब्द में वे संस्थाएं शामिल नहीं होंगे जिनमें यूसीबी को उनके कामकाज को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे/आरबीआई के दिशानिर्देशों के तहत उधार देने की अनुमति नहीं है।
  3. विकेंद्रित सेक्टर अर्थात काश्तकार, ग्राम और कुटीर उद्योग में उत्पादकों की सहकारी समितियों को ऋण (यूसीबी के लिए लागू नहीं)।
  4. इन मास्टर निदेशों के पैरा 21 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र में आगे उधार दिये जाने हेतु एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट इत्यादि) को विस्तारित किया गया बैंक ऋण, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं (आरआरबी, एसएफबी और यूसीबी के लिए लागू नहीं)।
  5. इन मास्टर निदेशों के पैरा 22 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार सूक्ष्म और लघु उद्यमों को आगे उधार दिये जाने हेतु पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को विस्तारित किया गया बैंक ऋण (आरआरबी, एसएफबी और यूसीबी के लिए लागू नहीं)।
  6. सामान्‍य क्रेडिट कार्ड (वर्तमान में प्रचलित और व्‍यक्तियों की कृषि से इतर उद्यमीय क्रेडिट आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने वाले काश्तकार क्रेडिट कार्ड, लघु उद्यमी कार्ड, स्‍वरोजगार क्रेडिट कार्ड, तथा बुनकर कार्ड आदि सहित) के अंतर्गत बकाया ऋण।
  7. वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग, द्वारा समय-समय पर निर्धारित शर्तों एवं सीमाओं के अनुसार प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) खाताधारकों के लिए ओवरड्राफ्ट, माइक्रो उद्यमों को उधार देने हेतु जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है उस हेतु उपलब्धि के रूप में माने जाएँगे।
  8. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण सिडबी और मुद्रा लि. के पास बकाया जमाराशियां।

10. निर्यात ऋण (आरआरबी और एलएबी पर लागू नहीं)

कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण को संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई में पीएसएल के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति है। निर्यात क्रेडिट (कृषि और एमएसएमई के अलावा) को निम्न तालिका के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति दी जाएगी:

घरेलू बैंक/विदेशी बैंकों के डब्लूओएस/एसएफबी/यूसीबी

20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक

20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक

प्रति उधारकर्ता स्‍वीकृत सीमा ₹40 करोड़ की शर्त के अधीन वृद्धिशील निर्यात ऋण, जो पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को विद्यमान निर्यात ऋण से अधिक है, एएनबीसी अथवा सीईओबीई के 2 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो।

वृद्धिशील निर्यात ऋण, जो पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को विद्यमान निर्यात ऋण से अधिक है, एएनबीसी अथवा सीईओबीई के 2 प्रतिशत, इनमें से जो भी अधिक हो।

एएनबीसी अथवा सीईओबीई, इनमें से जो भी अधिक हो, के 32 प्रतिशत तक का निर्यात ऋण।

10.1 निर्यात ऋण में हमारे विनियमन विभाग, आरबीआई द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को रुपया/वि‍देशी मुद्रा नि‍र्यात ऋण तथा नि‍र्यातकों को ग्राहक सेवा पर जारी मास्‍टर परिपत्र बैंवि‍वि.सं.डी  आईआर.बीसी.14/04.02.002/2015-16 में परिभाषित तथा समय-समय पर अद्यतन किए गए अनुसार पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्‍तर निर्यात ऋण (तुलन पत्र से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है।

11. शिक्षण

शैक्षिक उद्देश्यों, व्यावसायिक पाठ्यक्रम सहित, के लिए व्यक्तियों को ₹20 लाख तक के ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए पात्र माना जाएगा। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्तमान में वर्गीकृत ऋण परिपक्वता तक जारी रहेगा।

12. आवास

12.1 आवास क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण निम्न निर्धारित सीमा के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं:

  1. प्रति परिवार, निवासी यूनिट की खरीद/निर्माण के लिए प्रत्येक व्‍यक्ति को महानगरीय केंद्रों (10 लाख और उससे अधिक की आबादी वाले) में ₹35 लाख तक के ऋण और अन्‍य केंद्रों में ₹25 लाख तक के ऋण बशर्ते की निवासी यूनिट की समग्र लागत सीमा महानगरीय केंद्रों और अन्‍य केंद्रों में क्रमश: ₹45 लाख और ₹30 लाख से अधिक न हो। वर्तमान में पीएसएल के तहत वर्गीकृत यूसीबी के व्यक्तिगत आवास ऋण, परिपक्वता या चुकौती तक पीएसएल के रूप में जारी रहेंगे।
  2. बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले आवास ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे।
  3. चूंकि ऐसे आवास ऋण जो दीर्घावधि बांड से समर्थित होते हैं को एएनबीसी से छूट प्राप्‍त हैं, अतः बैंकों को ऐसे ऋणों को प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं करना चाहिए। 1 अप्रैल 2007 को या उसके बाद एनएचबी/हुडको द्वारा जारी बांडों में यूसीबी द्वारा किए गए निवेश प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए वर्गीकरण हेतु पात्र नहीं होंगे।

12.2 पैरा 12.1 में निर्धारित किए गए निवासी यूनिटों की समग्र लागत के अनुरूप क्षतिग्रस्त निवासी यूनिटों की मरम्मत के लिए महानगरीय केंद्रों में ₹10 लाख तक और अन्य केंद्रों में ₹6 लाख तक के ऋण।

12.3 60 वर्ग मीटर तक के कारपेट क्षेत्र वाले निवासी यूनिटों के अधीन, किसी सरकारी एजेंसी को निवासी यूनिटों के निर्माण अथवा गंदी बस्ती हटाने और गंदी बस्ती में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए बैंक ऋण।

12.4 कम से कम 50% एफएआर/एफएसआई का उपयोग करने वाले ऐसे किफायती आवास परियोजनाओं के लिए बैंक ऋण उन निवासी यूनिट के लिए जिनका कारपेट क्षेत्र 60 वर्ग मीटर से अधिक न हो।

12.5 एचएफसी (एनएचबी द्वारा उनके पुनर्वित्‍त के लिए अनुमोदित) को अलग-अलग निवासी यूनिटों की खरीद/निर्माण/पुन: निर्माण अथवा गंदी बस्ती हटाने और गंदी बस्ती में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए पैरा 23 और 24 में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन आगे उधार देने हेतु प्रति उधारकर्ता ₹20 लाख तक के बैंक ऋण।

12.6 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण एनएचबी के पास रखी बकाया जमाराशियां।

13. सामाजिक बुनियादी संरचना

नीचे दी गई सीमा के अनुसार सामाजिक बुनियादी संरचना क्षेत्र को दिये गए बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र हेतु वर्गीकरण के लिए पात्र हैं।

13.1. टियर II से टियर VI के केंद्रों में स्‍कूल, पेयजल सुविधा और घरेलू स्‍वच्‍छता-गृहों के निर्माण/नवीकरण तथा घरेलू स्तर पर जल आपूर्ति में सुधार सहित स्‍वच्‍छता सुविधाओं के लिए प्रति उधारकर्ता ₹5 करोड़ तक तथा ‘आयुष्मान भारत’ के तहत समाहित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रति उधारकर्ता को ₹10 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण। यूसीबी के मामले में, उपरोक्त सीमाएं केवल एक लाख से कम आबादी वाले केंद्रों में ही लागू हैं।

13.2. #इन मास्टर निदेशों के पैरा 21 में निर्धारित मानदंड के अधीन जल और स्‍वच्‍छता सुविधाओं के लिए व्‍यक्तियों और एसएचजी/जेएलजी के सदस्‍यों को भी आगे उधार देने के लिए माइक्रो वित्‍त संस्‍थाओं (एमएफआई) को दिया गया बैंक ऋण।

# आरआरबी, यूसीबी और एसएफबी पर लागू नहीं है।

14. नवीकरणीय ऊर्जा

सौर आधारित बिजली जनित्र, बायो मास आधारित बिजली जनित्र, पवन मिल, माइक्रो-हैडल संयंत्र और रास्‍ते पर बत्‍ती लगाने की प्रणाली और सुदूर गांव में विद्युतिकरण जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपयोग के प्रयोजन के लिए उधारकर्ताओं को ₹30 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए पात्र होगा। अलग-अलग परिवारों के लिए, प्रति उधारकर्ता ₹10 लाख की ऋण सीमा होगी।

15. अन्य

निर्धारित सीमा के अनुसार निम्नलिखित ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र हेतु वर्गीकरण के लिए पात्र हैं:

15.1. दिनांक 14 मार्च 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 में निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाले एसएचजी/जेएलजी के व्यक्तियों और व्यक्तिगत सदस्यों को बैंकों द्वारा सीधे प्रदान किए गए ऋण।

15.2. कृषि या एमएसएमई के अलावा अन्य गतिविधियों, जैसे सामाजिक जरूरतों को पूरा करने, घर के निर्माण या मरम्मत, शौचालयों के निर्माण या एसएचजी द्वारा शुरू की गई किसी भी व्यवहार्य सामान्य गतिविधि के लिए एसएचजी/जेएलजी को बैंकों द्वारा प्रदान किए गए ₹2.00 लाख से अनधिक ऋण।

15.3. आपदाग्रस्त व्यक्तियों [आपदाग्रस्त किसानों के अलावा गैर-संस्थागत ऋणदाताओं के ऋणी] को उनके गैर संस्थागत ऋणदाताओं के कर्जं की पूर्व अदायगी के लिए प्रति उधारकर्ता ₹1 लाख से अनधिक के ऋण।

15.4. अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य प्रायोजित संगठनों को इन संगठनों के लाभार्थियों को निविष्टियों की खरीद और आपूर्ति और/या उनके उत्पादनों के विपणन के विशिष्ट प्रयोजन के लिए स्वीकृत ऋण।

15.5. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की परिभाषा के अनुसार कृषि और एमएसएमई से इतर गतिविधियों में संलग्न स्टार्ट-अप्स को ₹50 करोड़ तक के ऋण।

16. कमज़ोर वर्ग

16.1 निम्नलिखित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले प्राथमिताकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण कमज़ोर वर्गो की श्रेणी के अंतर्गत शामिल है:

(i)

छोटे और सीमान्त किसान

(ii)

काश्तकार, ऐसे ग्रामीण और कुटीर उद्योग जिनकी व्यक्तिगत ऋण सीमा ₹1 लाख से अधिक न हो

(iii)

सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं जैसे राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) और स्वच्छकारों की पुनर्वास के लिए स्‍व-रोजगार योजना (एसआरएमएस) के अंतर्गत लाभार्थी

(iv)

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियां

(v)

विभेदक ब्याज दर (डीआरआई) योजना के लाभार्थी

(vi)

स्वयं सहायता समूह

(vii)

गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसान

(viii)

गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त किसानों को छोड़कर आपदाग्रस्त व्यक्तियों को अपने ऋण की पूर्व अदायगी हेतु ₹1 लाख से अनधिक के ऋण।

(ix)

अलग-अलग महिला लाभार्थियों को प्रति उधारकर्ता ₹1 लाख तक के ऋण (यूसीबी के लिए, महिलाओं को प्रदान किए गए मौजूदा ऋण को उनकी परिपक्वता/चुकौती तक कमजोर वर्गों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता रहेगा।)

(x)

दिव्यांग व्‍यक्ति

(xi)

भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यक समुदाय।

16.2 वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्धारित सीमा और शर्तों के अनुसार पीएमजेडीवाई खाताधारकों द्वारा ओवरड्राफ्ट का लाभ कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

16.3 ऐसे राज्‍य जहां अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों में से एक वास्‍तव में बहुसंख्‍यक है, मद (xi) में केवल अन्‍य अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यकों का समावेश होगा। ये राज्‍य/केंद्र शासित प्रदेश हैं पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, लक्षद्वीप और जम्‍मू और कश्‍मीर।

अध्याय IV
विविध

17. बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोट में निवेश (आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं)

बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोट में निवेश, जो ‘अन्य’ श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के ऋण का द्योतक हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत निहित आस्तियों के आधार पर वर्गीकरण के लिए पात्र है बशर्ते :

  1. आस्तियां बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा मूलत: निर्मित हों और वे प्रतिभूतिकरण से पहले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के पात्र हो और ‘मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश डीओआर.एसटीआर.आरईसी.53/21.04.177/2021-22 के माध्यम से जारी दिशा-निर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करती हो।
  2. मूल संस्था द्वारा अंतिम उधारकर्ता से लिया जानेवाला सर्वसमावेशक ब्याज निवेशक बैंक के एमसीएलआर + 10% या ईबीएलआर + 14% से अधिक नहीं होना चाहिए।
  3. एमएफआई द्वारा मूलत: निर्मित प्रतिभूतिकरण नोट में किए गए निवेश जो इन मास्टर निदेशों के पैरा 21 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, इस उच्चतम ब्याज से छूट प्राप्त हैं क्योंकि एमएफआई के लिए मार्जिन और ब्याज दर पर अलग से उच्चतम सीमाएं हैं।
  4. बैंकों द्वारा प्रतिभूतिकरण नोटों में किया गया निवेश, जिसमें निहित रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा मूल रूप से दिए गए स्वर्ण आभूषणों की जमानत पर ऋण शामिल हैं, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र स्थिति के लिए पात्र नहीं हैं।

18. सीधे एसाइनमेंट/आउटराइट खरीद के माध्यम से आस्तियों का अंतरण (आरआरबी और यूसीबी पर लागू नहीं)

बैंकों द्वारा एसाइनमेंट/आस्तियों के समूह की आउटराइट खरीद जो 'अन्य' श्रेणी को छोड़कर प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत ऋणों की द्योतक है, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने की पात्र होगी, बशर्ते :

  1. आस्तियां बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा मूलत: निर्मित हों और वे खरीद से पहले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के पात्र हो और ‘ऋण एक्सपोजर का हस्तांतरण’ के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश डीओआर.एसटीआर.आरईसी.51/21.04.048/2021-22 के माध्यम से जारी दिशा-निर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करती हो।
  2. मूल संस्था द्वारा अंतिम उधारकर्ता से लिया जानेवाला सर्वसमावेशक ब्याज निवेशक बैंक के एमसीएलआर + 10% या ईबीएलआर + 14% से अधिक नहीं होना चाहिए।
  3. एमएफआई से पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के एसाइनमेंट/आउटराइट खरीद, जो इन मास्टर निदेशों के पैरा 21 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, इस उच्चतम ब्याज से छूट प्राप्त हैं क्योंकि एमएफआई के लिए मार्जिन और ब्याज दर पर अलग से उच्चतम सीमाएं हैं।
  4. जब बैंक, बैंको/वित्तीय संस्थाओं से ऋण आस्तियों (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए पात्र) की आउटराइट खरीद करते हैं, तो उन्हें प्राथमिकता-प्राप्त उधारकर्ता को वास्तविक रूप में संवितरित की गई बकाया राशि के बारे में रिपोर्ट करना चाहिए और न कि विक्रेता को अदा की गई प्रीमियम राशि के बारे में।
  5. बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से प्राप्त स्वर्ण आभूषणों पर ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र स्थिति के लिए पात्र नहीं हैं।

19. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी) (यूसीबी पर लागू नहीं)

  1. बैंकों द्वारा जोखिम शेयरिंग आधार पर खरीदे गए आईबीपीसी, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं बशर्तें, अंतर्निहित आस्तियां प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने की पात्र हों और बैंक आईबीपीसी पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 31 दिसंबर 1988 के परिपत्र डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.57/62-88 के माध्यम से जारी दिशानिर्देशों, समय-समय पर अद्यतन, को पूरा करते हों।
  2. बैंकों द्वारा पैरा 10 के अनुसार ‘निर्यात ऋण’ के संबंध में जोखिम शेयरिंग आधार पर खरीदे गए आईबीपीसी, को खरीदने वाले बैंक की दृष्टि से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए वर्गीकृत किया जाए। तथापि, ऐसी स्थिति में इस संबंध में दिशानिर्देशों के अनुसार जारी करने वाले और खरीदने वाले बैंक द्वारा आवश्यक समुचित सावधानी लिए जाने के अलावा जारी करने वाला बैंक प्रमाणित करेगा कि निहित आस्ति ‘निर्यात ऋण’ है।

20. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)

बैंकों द्वारा खरीदे गए बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे बशर्तें, अंतर्निहित आस्तियां बैंकों द्वारा मूलत: बनाई गई हों, और प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र हों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 7 अप्रैल 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.23/04.09.001/2015-16 द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र पर जारी दिशा-निर्देशों की पूर्ति करती हों। एसएफबी, ऋण जोखिम अंतरण और पोर्टफोलियो खरीद/बिक्री पर बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा दिनांक 6 अक्तूबर 2016 को जारी परिपत्र बैंविवि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17 के पैरा 1.9, में विनिर्दिष्ट निबंधनों एवं शर्तों से आगे मार्गदर्शित होंगे।

21. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट आदि) को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण (आरआरबी, यूसीबी और एलएबी पर लागू नहीं)

21.1 व्यक्तियों को और एसएचजी / जेएलजी के सदस्यों को भी आगे उधार दिए जाने हेतु एसएफबी के अलावा बैंकों को पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटी, ट्रस्ट आदि), जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं, को ऋण देने की अनुमति है।

21.2 5 मई 2021 से, एसएफबी को पंजीकृत एनबीएफसी – एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटी, न्यास, आदि), जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्र के ‘स्व-विनियामक संग्ठन’ के सदस्य हैं और जिनके पास व्यक्तियों को आगे उधार देने के उद्देश्य से पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार रु.500 करोड़ तक का ‘सकल ऋण पोर्टफोलियो’ है, को नए ऋण देने की अनुमति है। यदि एनबीएफसी-एमएफआई/अन्य एमएफआई का जीएलपी बाद की तारीख में निर्धारित सीमा से अधिक हो जाता है, तो जीएलपी सीमा से अधिक होने से पहले बनाए गए सभी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋणों को चुकौती/परिपक्वता तक, जो भी पहले हो, एसएफबी द्वारा पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया जाता रहेगा। उपरोक्तानुसार बैंक ऋण की अनुमति एक व्यक्तिगत बैंक के कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए गए ऋण के 10 प्रतिशत की समग्र सीमा तक दी जाएगी। इन सीमाओं की गणना वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों के औसत द्वारा निर्धारित सीमा के अनुपालन को निर्धारित करने के लिए की जाएगी।

21.3 ऊपर पैरा 21.1 और 21.2 के तहत बैंकों द्वारा संवितरित ऋण संबंधित श्रेणियों जैसे कृषि, एमएसएमई, सामाजिक बुनियादी ढांचे और अन्य के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं, बशर्ते एमएफआई, समय- समय पर अद्यतन दिनांक 1 सितंबर 2016 के मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.007 के अध्याय II (xx) और अध्याय VIII एवं मास्टर निदेश डीएनबीआर पीडी.008/03.10.119/2016-17 के अध्याय II (xx) और अध्याय IX में निर्धारित शर्तों का पालन करें।

22. आगे उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं)

पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण निम्नलिखित शर्तों के अधीन संबंधित श्रेणियों के तहत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे:

  1. कृषि : कृषि के तहत ‘मियादी ऋण’ घटक के लिए एनबीएफसी द्वारा आगे उधार दिए जाने हेतु प्रति उधारकर्ता रु.10 लाख तक की अनुमति दी जाएगी।
  2. सूक्ष्म और लघु उद्यम : एनबीएफसी द्वारा आगे उधार दिए जाने हेतु प्रति उधारकर्ता रु.20 लाख तक की अनुमति दी जाएगी।

23. आगे उधार दिए जाने हेतु आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को बैंकों द्वारा ऋण (आरआरबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं)

एनएचबी द्वारा उनके पुनर्वित्‍त के लिए अनुमोदित आवास वित्‍त कंपनियों (एचएफसी) को आगे अलग-अलग निवासी यूनिटों की खरीद/निर्माण/पुन: निर्माण अथवा गंदी बस्ती हटाने और गंदी बस्ती में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए ऋण देने के लिए प्रति उधारकर्ता ₹20 लाख की सकल ऋण सीमा की शर्त पर दिए गए बैंक ऋण। बैंकों को अंतर्निहित पोर्टफोलियो के आवश्यक उधारकर्ता-वार के विवरण को बनाए रखना चाहिए।

24. आगे उधार दिए जाने पर उच्चतम सीमा

उपरोक्त पैरा 22 और 23 में लागू किए गए अनुसार आगे उधार दिये जाने हेतु एनबीएफसी (एचएफसी सहित) को बैंक ऋण, एकल बैंक की कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के पांच प्रतिशत की समग्र सीमा तक के लिए अनुमति दी जाएगी। बैंक निर्धारित उच्चतम सीमा के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ऑन-लेंडिंग व्यवस्था के तहत पात्र पोर्टफोलियो की गणना हेतु चार तिमाहियों के औसत को लेंगे।

25. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा सह-उधार (को-लेंडिंग) (आरआरबी, यूसीबी, एसएफबी और एलएबी पर लागू नहीं)

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के लिए सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एसएफबी, आरआरबी, यूसीबी और एलएबी को छोड़कर) को सभी पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (आवास वित्त कम्पनियों सहित) के साथ सह-उधार देने कि अनुमति है। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश हमारे दिनांक 05 नवंबर 2020 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.सं.8/04.09.01/2020-21 के माध्यम से जारी किया गया है। व्यावसायिक निरंतरता तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में ऋण के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए, बैंक, बोर्ड द्वारा अनुमोदित सह-उधार नीति जारी होने तक, सह-उत्पत्ति पर दिनांक 21 सितंबर 2018 के हमारे परिपत्र सं. विसविवि.केंका.प्लान.बीसी/08/04.09.01/2018-19 के माध्यम से जारी पूर्व दिशा-निर्देशों के अनुसार मौजूदा व्यवस्था को जारी रख सकते हैं।

26. पीएसएल के लिए कोविड-19 संबंधी उपाय

  1. दिनांक 17 अप्रैल 2020 के टीएलटीआरओ 2.0 योजना को अधिसूचित करती प्रेस विज्ञप्ति 2019-2020/2237 के अनुसार, बैंकों को परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी में रखी गई ऐसी प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (फेस वैल्यू) को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों के निर्धारण के उद्देश्य से समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना से बाहर करने की अनुमति दी गई थी, जैसा कि पैरा 6.1 में दर्शाया गया है। यह छूट केवल टीएलटीआरओ 2.0 के तहत प्राप्त निधि पर लागू होती है।
  2. दिनांक 27 अप्रैल 2020 की प्रेस विज्ञप्ति 2019-2020/2276 के अनुसार, एसएलएफ-एमएफ के तहत अर्जित और परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी में रखी गई प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (फेस वैल्यू) को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों को निर्धारित करने के उद्देश्य से समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना के लिए नहीं माना जाएगा, जैसा कि पैरा 6.1 में दर्शाया गया है।
  3. दिनांक 30 अप्रैल 2020 की प्रेस विज्ञप्ति 2019-2020/2294 के अनुसार, एसएलएफ-एमएफ योजना के तहत घोषित विनियामक लाभ सभी बैंकों को दिए जाएंगे, चाहे उसने रिज़र्व बैंक से निधि प्राप्त की हो या उपर्युक्त योजना के तहत अपने स्वयं के संसाधनों की व्यवस्था की हो और इसे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों को निर्धारित करने के उद्देश्य से समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना के लिए माना जा सकता है, जैसा कि पैरा 6.1 में दर्शाया गया है।
  4. दिनांक 7 मई 2021 की प्रेस विज्ञप्ति 2021-2022/177 के अनुसार, देश में कोविड से संबंधित स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं में तेजी लाने के लिए तत्काल चलनिधि के प्रावधान को बढ़ावा देने हेतु, रेपो दर पर तीन वर्ष तक की अवधि के साथ ₹50,000 करोड़ की ऑन-टैप चलनिधि विंडो को 31 मार्च 2022 तक खोला गया। योजना के तहत, बैंकों से एक कोविड ऋण बही बनाने की अपेक्षा है। इन ऋणों को चुकौती या परिपक्वता, जो भी पहले हो, तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत वर्गीकृत किया जाएगा। बैंक इन ऋणों को, उधारकर्ताओं को सीधे या रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित मध्यस्थ वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से संवितरित कर सकते हैं। ऐसे बैंक जो रिज़र्व बैंक से निधि प्राप्त किए बिना ऊपर उल्लिखित निर्दिष्ट सेगमेंट को ऋण देने की योजना के तहत अपने स्वयं के संसाधनों की व्यवस्था करने के इच्छुक हैं, वे भी उपर निर्धारित प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे।
  5. दिनांक 4 जून 2021 की प्रेस विज्ञप्ति 2021-2022/323 के अनुसार, कुछ संपर्क-गहन क्षेत्रों अर्थात्, होटल और रेस्तरां; पर्यटन - ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर और साहसिक खेल/धरोहर संबंधी सेवाएँ; विमानन सहायक सेवाएं - ग्राउंड हैंडलिंग और आपूर्ति श्रृंखला; और अन्य सेवाएं जिनमें निजी बस ऑपरेटर, कार मरम्मत सेवाएं, किराए पर कार सेवा प्रदाता, कार्यक्रम/सम्मेलन आयोजक, स्पा क्लीनिक और ब्यूटी पार्लर/सैलून, के लिए 31 मार्च 2022 तक रेपो दर पर तीन वर्ष तक की अवधि के साथ ₹15,000 करोड़ की एक अलग चलनिधि विंडो खोली गई है। इस योजना के तहत बैंकों से एक अलग कोविड ऋण बही बनाने की अपेक्षा की जाती है। ऐसे बैंक जो रिज़र्व बैंक से निधि प्राप्त किए बिना ऊपर उल्लिखित निर्दिष्ट सेगमेंट को ऋण देने की योजना के तहत अपने स्वयं के संसाधनों की व्यवस्था करने के इच्छुक हैं, वे भी निर्धारित प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे।

27. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी रखना

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को निरंतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों द्वारा किए जाने वाले अनुपालन पर ‘तिमाही’ आधार पर निगरानी रखी जाएगी। बैंकों द्वारा, रिपोर्टिंग प्रारूप (तिमाहीऔर वार्षिक) के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों से संबंधित आंकड़ों को वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय को तिमाही और वार्षिक अंतराल पर, दिनांक 6 अक्टूबर 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.17/04.09.001/2016-17 के अनुसार प्रत्येक तिमाही और वित्तीय वर्ष की समाप्ति की तारीख से क्रमशः पंद्रह दिनों और एक महीने के भीतर प्रस्तुत किए जाएंगे। आरआरबी के संबंध में, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों से संबंधित आंकड़ों को उपर्युक्त प्रारूप में तिमाही और वार्षिक अंतराल पर नाबार्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम पर आंकडें प्रस्तुत करने के संबंध में, शहरी सहकारी बैंकों को दिनांक 27 फरवरी 2024 के मास्टर निदेश-भारतीय रिज़र्व बैंक (पर्यवेक्षी विवरणियों की प्रस्तुति) निदेश – 2024, समय-समय पर यथासंशोधित, के द्वारा निदेशित किया जाएगा।

28. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य प्राप्त न करना

  1. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार में कमी वाले बैंकों को रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्णीत प्रकार से नाबार्ड के पास स्थापित ग्रामीण बुनियादी विकास निधि (आरआईडीएफ) और नाबार्ड/एनएचबी/सिडबी/मुद्रा लि. के पास स्‍थापित अन्‍य निधियों में अंशदान करने के लिए राशियां आवंटित की जाएंगी।
  2. 31 मार्च 2023 से, सभी यूसीबी (उन्हें छोड़कर जो सर्व-समावेशी निर्देशों के तहत आते हैं) को उन्हें निर्धारित लक्ष्य की तुलना में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) में कमी होने पर नाबार्ड के पास स्थापित ग्रामीण बुनियादी विकास निधि (आरआईडीएफ) और नाबार्ड/एनएचबी/सिडबी/मुद्रा लि. के पास स्‍थापित अन्‍य निधियों में अंशदान करने की आवश्यकता होगी।
  3. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्‍य की उपलब्धि की गणना करते समय हर तिमाही के लिए कमी/अधिक उधार पर अलग से निगरानी रखी जाएगी। वर्ष के अंत में सभी तिमाहियों का सामान्‍य औसत निकाला जाएगा और समग्र कमी/अधिकता की गणना के लिए उसे ध्‍यान में लिया जाएगा। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के उप-लक्ष्‍यों की उपलब्धि की गणना करते समय इसी पद्धति का पालन किया जाएगा। (अनुबंध IV में उदाहरण दिया गया है)।
  4. आरआईडीएफ अथवा किसी अन्य निधियों में बैंक के अंशदान पर ब्याज दरें, जमाराशियों की अवधि, आदि समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाएगी।
  5. भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग (डीओएस) (आरआरबी के संबंध में नाबार्ड) द्वारा सूचित गलत वर्गीकरण को, बाद के वर्षों में विभिन्न निधियों के लिए आवंटन हेतु, उस वर्ष की उपलब्धि से उस राशि तक समायोजित/घटाया जाएगा जहां तक गलत वर्गीकरण हुआ हो।
  6. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य, उप-लक्ष्य पूरे न करने को विभिन्न प्रयोजनों के लिए विनियामक क्लियरेंस/अनुमोदन देते समय विचार में लिया जाएगा।

29. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश

बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अग्रिमों की सभी श्रेणियों के संबंध में निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करें।

  1. ब्याज की दर: बैंक ऋणों पर ब्याज दर विनियमन विभाग (डीओआर), आरबीआई द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार रहेगी।
  2. सेवा प्रभार: ₹25,000/- तक के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों पर ऋण संबंधी और तदर्थ सेवा प्रभार/निरीक्षण प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए। एसएचजी/जेएलजी को पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के मामले में, यह सीमा समग्र समूह की अपेक्षा हर सदस्य पर लागू होगी।
  3. प्राप्ति, स्वीकृति/नामंजूर/वितरण रजिस्टर: बैंक द्वारा एक रजिस्टर/इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड बनाया जाए जिसमें प्राप्ति की तारीख, मंजूरी/नामंजूरी/संवितरण आदि का कारणों सहित उल्लेख किया जाए। सभी निरीक्षणकर्ता एजेन्सियों को उक्त रजिस्टर/इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड उपलब्ध करवाया जाए।
  4. ऋण आवेदनों की पावती जारी करना: बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के अंतर्गत प्राप्त ऋण आवेदनों की पावती दी जाए। बैंक बोर्ड एक ऐसी समय सीमा निर्धारित करें जिसके पहले बैंक आवेदकों को अपना निर्णय लिखित रूप में सूचित करेंगे।

अनुबंध – I

तुलनात्मक रूप से उच्च पीएसएल क्रेडिट वाले जिलों की सूची

क्रम सं. राज्य जिले का नाम
1 अंडमान निकोबार दक्षिण अंडमान
2 आंध्र प्रदेश बापटला
3 आंध्र प्रदेश डॉ बीआर अंबेडकर कोनसीमा
4 आंध्र प्रदेश पूर्वी गोदावरी
5 आंध्र प्रदेश  एलुरू 
6 आंध्र प्रदेश गुंटूर
7 आंध्र प्रदेश  काकिनाड़ा 
8 आंध्र प्रदेश कृष्णा
9 आंध्र प्रदेश  एनटीआर 
10 आंध्र प्रदेश  पलनाडु
11 आंध्र प्रदेश प्रकाशम
12 आंध्र प्रदेश श्री पोट्टी श्रीरामुलु नेल्लोर
13 आंध्र प्रदेश तिरुपति
14 आंध्र प्रदेश विशाखापत्तनम
15 आंध्र प्रदेश पश्चिम गोदावरी
16 आंध्र प्रदेश वाईएसआर
17 अरुणाचल प्रदेश पापुमपरे
18 असम कामरूप मेट्रोपॉलिटन
19 बिहार  पटना
20 चंडीगढ़ चंडीगढ़
21 छत्तीसगढ़ बिलासपुर
22 छत्तीसगढ़ रायपुर
23 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव दादरा और नगर हवेली
24 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव दमन
25 गोवा  उत्तर गोवा
26 गोवा दक्षिण गोवा
27 गुजरात अहमदाबाद
28 गुजरात भरूच
29 गुजरात गांधीनगर
30 गुजरात जामनगर
31 गुजरात कच्छ
32 गुजरात  मेहसाना
33 गुजरात मोरबी
34 गुजरात पोरबंदर
35 गुजरात राजकोट
36 गुजरात सूरत
37 गुजरात वडोदरा
38 गुजरात वलसाड
39 हरियाणा अंबाला
40 हरियाणा फरीदाबाद
41 हरियाणा  फतेहाबाद
42 हरियाणा गुरुग्राम
43 हरियाणा  हिसार
44 हरियाणा झज्जर
45 हरियाणा जींद
46 हरियाणा कैथल
47 हरियाणा करनाल
48 हरियाणा कुरुक्षेत्र
49 हरियाणा पंचकुला
50 हरियाणा पानीपत
51 हरियाणा रेवाड़ी 
52 हरियाणा रोहतक
53 हरियाणा सिरसा
54 हरियाणा सोनीपत
55 हरियाणा  यमुनानगर
56 हिमाचल प्रदेश कुल्लू
57 हिमाचल प्रदेश शिमला
58 हिमाचल प्रदेश सिरमौर
59 हिमाचल प्रदेश सोलन
60 जम्मू और कश्मीर जम्मू
61 जम्मू और कश्मीर पुलवामा
62 जम्मू और कश्मीर शोपियां
63 जम्मू और कश्मीर श्रीनगर
64 झारखंड रांची
65 कर्नाटक बैंगलोर ग्रामीण
66 कर्नाटक बैंगलोर शहरी
67 कर्नाटक चिकमंगलूर
68 कर्नाटक दक्षिण कन्नड़
69 कर्नाटक धारवाड़
70 कर्नाटक हसन
71 कर्नाटक कोडागू
72 कर्नाटक मैसूर
73 कर्नाटक रामनगरा
74 कर्नाटक शिवमोग्गा
75 कर्नाटक उडुपी
76 केरल अलपुझा
77 केरल एर्नाकुलम
78 केरल इडुक्की
79 केरल कन्नूर
80 केरल कासरगोड
81 केरल कोल्लम
82 केरल कोट्टायम
83 केरल कोझिकोड
84 केरल पलक्कड़
85 केरल पथानामथिट्टा
86 केरल तिरुवनंतपुरम
87 केरल त्रिशूर
88 केरल वायनाड
89 लद्दाख लेह लद्दाख 
90 मध्य प्रदेश भोपाल
91 मध्य प्रदेश पूर्व नेमाड़ 
92 मध्य प्रदेश ग्वालियर
93 मध्य प्रदेश हरदा
94 मध्य प्रदेश इंदौर
95 मध्य प्रदेश जबलपुर
96 मध्य प्रदेश नर्मदापुरम
97 मध्य प्रदेश रतलाम
98 मध्य प्रदेश उज्जैन
99 महाराष्ट्र छत्रपती संभाजीनगर
100 महाराष्ट्र कोल्हापुर
101 महाराष्ट्र मुंबई
102 महाराष्ट्र मुंबई उपनगर
103 महाराष्ट्र नागपुर
104 महाराष्ट्र नासिक
105 महाराष्ट्र  पुणे
106 महाराष्ट्र रायगढ़
107 महाराष्ट्र ठाणे 
108 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली   मध्य दिल्ली
109 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पूर्वी दिल्ली
110 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली   नई दिल्ली
111 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली उत्तरी दिल्ली
112 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली  शाहदरा
113 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली दक्षिणी दिल्ली
114 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली दक्षिण-पूर्वी दिल्ली
115 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पश्चिम दिल्ली
116 ओडिशा खुर्दा
117 पुडुचेरी कराईकल 
118 पुडुचेरी माहे
119 पुडुचेरी पुडुचेरी
120 पुडुचेरी यानम
121 पंजाब अमृतसर
122 पंजाब बरनाला
123 पंजाब बठिंडा
124 पंजाब फरीदकोट
125 पंजाब फतेहगढ़ साहिब
126 पंजाब फाजिल्का
127 पंजाब जालंधर
128 पंजाब कपूरथला
129 पंजाब लुधियाना
130 पंजाब मानसा
131 पंजाब मोगा
132 पंजाब मुक्तसर
133 पंजाब पटियाला
134 पंजाब साहिबजादा अजीत सिंह नगर
135 पंजाब संगरूर
136 राजस्थान अजमेर
137 राजस्थान भीलवाड़ा
138 राजस्थान बीकानेर
139 राजस्थान गंगानगर
140 राजस्थान हनुमानगढ़
141 राजस्थान जयपुर
142 राजस्थान जोधपुर
143 राजस्थान कोटा
144 राजस्थान नीम का थाना
145 तमिलनाडु अरियालुर 
146 तमिलनाडु चेंगलपट्टु
147 तमिलनाडु चेन्नई
148 तमिलनाडु कोयंबटूर
149 तमिलनाडु कुड्डालोर
150 तमिलनाडु धर्मपुरी
151 तमिलनाडु डिंडीगुल
152 तमिलनाडु इरोड
153 तमिलनाडु कल्लाकुरीची
154 तमिलनाडु कन्याकूमारी
155 तमिलनाडु करूर
156 तमिलनाडु कृष्णागिरी
157 तमिलनाडु मदुरै
158 तमिलनाडु मयिलाड़तुरै
159 तमिलनाडु  नमक्कल
160 तमिलनाडु नीलगिरी
161 तमिलनाडु पेरम्बलुर
162 तमिलनाडु पुदुक्कोट्टई
163 तमिलनाडु रामनाथपुरम
164 तमिलनाडु  राणिप्पेट्टे
165 तमिलनाडु सलेम
166 तमिलनाडु शिवगंगा
167 तमिलनाडु तेन्काशी
168 तमिलनाडु तंजावुर
169 तमिलनाडु थेनी
170 तमिलनाडु तिरुवल्लुर
171 तमिलनाडु थिरुवरुर
172 तमिलनाडु तिरुचिरापल्ली
173 तमिलनाडु तिरुनेलवेली
174 तमिलनाडु तिरुपूर
175 तमिलनाडु तिरुवन्नामलाई
176 तमिलनाडु थुटुकुडी
177 तमिलनाडु विरुधुनगर 
178 तेलंगाना हनुमाकोंडा
179 तेलंगाना  हैदराबाद
180 तेलंगाना जनगांव
181 तेलंगाना मेडचाल-मल्काजगिरि
182 तेलंगाना रंगा रेड्डी
183 तेलंगाना संगा रेड्डी
184 तेलंगाना सूर्यापेट
185 उत्तर प्रदेश आगरा
186 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर
187 उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद
188 उत्तर प्रदेश कानपुर नगर
189 उत्तर प्रदेश लखनऊ
190 उत्तर प्रदेश मेरठ
191 उत्तराखंड देहरादून
192 उत्तराखंड हरिद्वार
193 उत्तराखंड नैनीताल
194 उत्तराखंड उधम सिंह नगर
195 पश्चिम बंगाल  अलीपुरद्वार 
196 पश्चिम बंगाल दार्जिलिंग
197 पश्चिम बंगाल कलिमपोंग
198 पश्चिम बंगाल कोलकाता

अनुबंध – I

तुलनात्मक रूप से कम पीएसएल क्रेडिट वाले जिलों की सूची

क्रम सं. राज्य जिले का नाम
1 अंडमान निकोबार निकोबार
2 आंध्र प्रदेश  अल्लूरी सीतारामराजू 
3 अरुणाचल प्रदेश अंजाव
4 अरुणाचल प्रदेश चुंगलेंग
5 अरुणाचल प्रदेश पूर्वी कामेंग
6 अरुणाचल प्रदेश पूर्वी सियांग
7 अरुणाचल प्रदेश कमले
8 अरुणाचल प्रदेश क्रा दादी
9 अरुणाचल प्रदेश कुरुंग कुमे
10 अरुणाचल प्रदेश  लेपाराडा
11 अरुणाचल प्रदेश लोहित
12 अरुणाचल प्रदेश लोंगडिंग
13 अरुणाचल प्रदेश निचली दिबांग घाटी
14 अरुणाचल प्रदेश निचला सियांग
15 अरुणाचल प्रदेश लोअर सुबनसिरी
16 अरुणाचल प्रदेश नामसाई
17 अरुणाचल प्रदेश पक्के केसांग 
18 अरुणाचल प्रदेश शी योमी
19 अरुणाचल प्रदेश सियांग
20 अरुणाचल प्रदेश तवांग
21 अरुणाचल प्रदेश तिरप
22 अरुणाचल प्रदेश अपर सियांग
23 अरुणाचल प्रदेश अपर सुबनसिरी
24 अरुणाचल प्रदेश  पश्चिम सियांग
25 असम  बजाली
26 असम बक्सा
27 असम चराइदिओ
28 असम चिरांग
29 असम धेमाजी
30 असम धुबरी
31 असम  दीमा हसाओ 
32 असम गोलपाड़ा
33 असम हैलाकांडी
34 असम होजाई
35 असम कार्बी आंगलोंग
36 असम  करीमगंज
37 असम कोकराझार
38 असम माजुली
39 असम मोरिगांव
40 असम  नागांव
41 असम दक्षिण सालमारा-मनकाचर
42 असम उदलगुड़ी
43 असम पश्चिम कार्बी आंगलोंग
44 बिहार अरवल
45 बिहार बांका
46 बिहार भोजपुर
47 बिहार बक्सर 
48 बिहार गोपालगंज
49 बिहार जमुई
50 बिहार जहानाबाद
51 बिहार कैमुर
52 बिहार खगरिया
53 बिहार लखीसराय
54 बिहार मधेपुरा
55 बिहार मधुबनी
56 बिहार मुंगेर
57 बिहार नालंदा
58 बिहार नवादा
59 बिहार पश्चिम चंपारण
60 बिहार सारण
61 बिहार  शेखपूरा
62 बिहार शिवहर
63 बिहार सीतामढ़ी
64 बिहार सिवान
65 बिहार सुपौल
66 छत्तीसगढ़ बलरामपुर      
67 छत्तीसगढ़ दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा
68 छत्तीसगढ़ गरियाबंद
69 छत्तीसगढ़ गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही
70 छत्तीसगढ़ जशपुर         
71 छत्तीसगढ़ खैरागढ़-छुईखदान-गंडई           
72 छत्तीसगढ़ कोंडागांव 
73 छत्तीसगढ़ कोरिया
74 छत्तीसगढ़  मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर 
75 छत्तीसगढ़ मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
76 छत्तीसगढ़ नारायणपुर
77 छत्तीसगढ़ सक्ती
78 छत्तीसगढ़ सारंगढ़-बिलाईगढ़
79 छत्तीसगढ़ सुकमा
80 छत्तीसगढ़ सूरजपुर
81 छत्तीसगढ़ सरगुजा
82 गुजरात डांग
83 हरियाणा नूह 
84 झारखंड चतरा
85 झारखंड दुमका
86 झारखंड गढ़वा
87 झारखंड गोड्डा 
88 झारखंड गुमला
89 झारखंड जामताड़ा
90 झारखंड खूंटी
91 झारखंड लातेहार
92 झारखंड पलामू
93 झारखंड साहेबगंज
94 झारखंड सिमडेगा 
95 मध्य प्रदेश अलीराजपुर 
96 मध्य प्रदेश अनूपपुर
97 मध्य प्रदेश भिंड
98 मध्य प्रदेश डिंडोरी
99 मध्य प्रदेश निवारी
100 मध्य प्रदेश पन्ना
101 मध्य प्रदेश सीधी
102 मध्य प्रदेश टीकमगढ़
103 मध्य प्रदेश उमरिया
104 महाराष्ट्र गडचिरोली
105 मणिपुर बिशेनपुर
106 मणिपुर चंदेल
107 मणिपुर चुराचांदपुर 
108 मणिपुर इम्फाल पूर्व
109 मणिपुर जिरीबाम  
110 मणिपुर काकचिंग
111 मणिपुर कामजोंग
112 मणिपुर कांगपोकपी
113 मणिपुर नोने
114 मणिपुर फेरजावल
115 मणिपुर सेनापति
116 मणिपुर तामेंगलांग
117 मणिपुर तेंगनौपल
118 मणिपुर थौबल
119 मणिपुर उखरूल
120 मेघालय ईस्ट गारो हिल्स
121 मेघालय ईस्ट जैंतिया हिल्स
122 मेघालय  पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स
123 मेघालय उत्तर गारो हिल्स
124 मेघालय दक्षिण गारो हिल्स
125 मेघालय दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स
126 मेघालय दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स
127 मेघालय पश्चिम गारो हिल्स
128 मेघालय पश्चिम जैंतिया हिल्स  
129 मेघालय पश्चिम खासी हिल्स
130 मिजोरम  चम्फाई
131 मिजोरम हनहथियाल
132 मिजोरम कोलासिब
133 मिजोरम लावंगतलाई
134 मिजोरम लुंगलेई
135 मिजोरम मामित
136 मिजोरम सैतुअल
137 मिजोरम सेरछिप
138 मिजोरम सैहा
139 नगालैंड चुमुकेदिमा
140 नगालैंड किफिरे
141 नगालैंड लोंगलेंग
142 नगालैंड मोकोकचुंग  
143 नगालैंड मोन
144 नगालैंड  निउलैंड
145 नगालैंड नोकलाक
146 नगालैंड  पेरेन
147 नगालैंड फेक
148 नगालैंड शमेटर
149 नगालैंड त्सेमिन्यु
150 नगालैंड तुएनसांग
151 नगालैंड वोखा
152 नगालैंड जुनहेबोतो
153 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली  उत्तर-पूर्वी दिल्ली 
154 ओडिशा मल्कानगिरी 
155 ओडिशा नवरंगपुर
156 राजस्थान डीग
157 राजस्थान गंगापुर सिटी
158 राजस्थान जोधपुर ग्रामीण 
159 राजस्थान सलूंबर 
160 राजस्थान  सांचौर 
161 सिक्किम ग्यालशिंग 
162 सिक्किम  सोरेंग 
163 तेलंगाना आदिलाबाद 
164 त्रिपुरा  धलाई
165 त्रिपुरा गोमती
166 त्रिपुरा खोवाई
167 त्रिपुरा पूर्व त्रिपुरा 
168 त्रिपुरा सेपहिजाला
169 उत्तर प्रदेश अमरोहा
170 उत्तर प्रदेश आजमगढ़
171 उत्तर प्रदेश बलिया
172 उत्तर प्रदेश बलरामपुर
173 उत्तर प्रदेश  बांदा
174 उत्तर प्रदेश बस्ती
175 उत्तर प्रदेश चित्रकूट
176 उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद 
177 उत्तर प्रदेश गोंडा
178 उत्तर प्रदेश जौनपुर
179 उत्तर प्रदेश कानपुर देहात
180 उत्तर प्रदेश कौशाम्बी
181 उत्तर प्रदेश कुशीनगर
182 उत्तर प्रदेश महाराजगंज
183 उत्तर प्रदेश मऊ
184 उत्तर प्रदेश  संत कबीर नगर
185 उत्तर प्रदेश श्रावस्ती
186 उत्तर प्रदेश सिद्धार्थनगर
187 उत्तर प्रदेश सीतापुर
188 उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर
189 उत्तर प्रदेश उन्नाव
190 उत्तराखंड बागेश्वर
191 उत्तराखंड  चमोली
192 उत्तराखंड पिथौरागढ़
193 उत्तराखंड रुद्रप्रयाग
194 उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल
195 पश्चिम बंगाल झारग्राम
196 पश्चिम बंगाल पुरुलिया

अनुबंध – II

कृषि बुनियादी संरचना और संबद्ध कार्यकलाप के तहत पात्र गतिविधियों की एक सांकेतिक सूची नीचे दी गई है:

कृषि बुनियादी संरचना

i) भंडारण सुविधाओं (भंडारघर, बाज़ार प्रांगण, गोदाम और साइलो) जिनमें कृषि उत्पाद/उत्पादनों के भंडारण के लिए बनाए गए कोल्ड स्टोरेज यूनिट/कोल्ड स्टोरेज चेन शामिल हैं, चाहे वे कहीं भी स्थित हों, के निर्माण के लिए ऋण।

ii) भू-संरक्षण और जल विभाजन (वॉटरशेड) विकास।

iii) ऊतक (टिश्‍यू) संवर्धन और कृषि जैव प्रौद्योगिकी (बायो-टैक्‍नोलॉजी), बीज़ उत्‍पादन, जैविक (बायो) कीटनाशकों का उत्‍पादन, जैविक उर्वरक, और कृमि कंपोस्टिंग।

iv) कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) संयंत्रों की स्थापना के लिए उद्यमियों को ऋण के साथ जैव-ईंधन के उत्पादन, उनके भंडारण और वितरण बुनियादी संरचना के लिए तेल निष्कर्षण/प्रसंस्करण इकाइयों के निर्माण के लिए ऋण।

संबद्ध कार्यकलाप

(i) एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस केंद्रों की स्थापना के लिए ऋण।

(ii) व्‍यक्तियों, संस्‍थाओं अथवा संगठनों द्वारा प्रबंधित ऐसे कस्‍टम सेवा यूनिटों को ऋण जो ट्रैक्‍टर, बुलडोज़र, कुआं खोदने के उपकरण, थ्रेशर, कंबाइन्स, आदि का बेड़ा रखते हैं और किसानों के लिए संविदा आधार पर कृषि कार्य करते हैं।

(iii) प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस), कृषक सेवा समितियों (एफएसएस) और बड़े आकारवाली आदिवासी बहु-उद्देश्य समितियों (एलएएमपीएस) को आगे कृषि के लिए ऋण प्रदान करने हेतु दिए गए बैंक ऋण।

(iv) बैंकों द्वारा इन मास्टर निदेशों के पैरा 21 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार कृषि के लिए आगे ऋण प्रदान करने हेतु एमएफआई को स्वीकृत ऋण।

(v) बैंकों द्वारा इन मास्टर निदेशों के पैरा 22 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार पंजीकृत एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) को स्वीकृत ऋण।


अनुबंध – III

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) द्वारा साझा की गई खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमन्य गतिविधियों की सांकेतिक सूची

  1. क्लिनिंग, एयर कूलिंग (फील्ड हीट रिमूवल), सॉर्टिंग, ग्रेडिंग/साइजिंग, पैकेजिंग, वेयरहाउसिंग, फलों और सब्जियों का वितरण आदि।
  2. रेफ्रीजेरेटेड वैन/कोल्ड चेन बुनियादी संरचना प्रणाली सहित परिवहन और साइलो, हर्मेटिक भंडारण जैसी तकनीकों सहित पैकेजिंग और भंडारण; कीट प्रबंधन।
  3. कम तापमान पर भंडारण/कोल्ड स्टोरेज/संशोधित/नियंत्रित एट्मोस्फ़ेयर पैकेजिंग, रेफ्रिजरेशन/चिलिंग आदि।
  4. एफ एंड वी की प्राथमिक और/या न्यूनतम प्रसंस्करण: ब्लैंचिंग (सब्जियां), छीलना, काटना, भंडारण, कम तापमान पर वितरण, वैक्यूम पैकेजिंग आदि।
  5. धूप में सुखाना और यांत्रिक रूप से सुखाना: सौर ड्राइंग, गर्म हवा ड्राइंग, डिहाइड्रेशन, हाइब्रिड ड्राइंग, द्रवीकृत बेड ड्राइंग, रेफ्रेक्टिव विंडो ड्राइंग, ड्रम ड्राइंग, रेडियो आवृत्ति ड्राइंग, लाइओफिलाइजेशन (फ्रीज ड्राइंग), वैक्यूम ड्राइंग, स्प्रे ड्राइंग, डी-हाइड्रो-फ्रीजिंग आदि।
  6. विभिन्न तरीकों के माध्यम से संरक्षण; पारंपरिक और आधुनिक दोनों।
  7. फ्रोजेन उत्पाद: फलों, सब्जियों, मांस, मछली, समुद्री खाद्य पदार्थों आदि के अलग-अलग रूप से त्वरित फ्रोजेन (10एफ)।
  8. दूध और दुग्ध उत्पाद प्रसंस्करण, उसके परिवहन, पैकेजिंग और भंडारण सहित।
  9. फलों, मशरूम सहित सब्जियों, मांस, मछली, क्रसटेशियन, मोलस्क, अन्य समुद्री खाद्य पदार्थ आदि की डिब्बाबंदी।
  10. पिसाई अनाज, फली एंड दाल, उनके बाय-प्रोडक्ट्स जैसे चोकर तेल, कैटल फीड/पोल्ट्री फीड आदि की तैयारी।
  11. विभिन्न उत्पादों जैसे कि रस, सारकृत द्रब्यों, सॉस, जाम, जेली, मुरब्बा, चिप्स, गुच्छे, पाउडर आदि में एफएंडवी का प्रसंस्करण।
  12. अनाज और दलहन, मछली, मांस, पोल्ट्री, सी फूड्स, अंडा आदि का उनके विभिन्न उत्पादों में प्रसंस्करण जिसमें एक्सट्रूडेड, पॉप्ड, पफेड और फ्लेक्ड उत्पाद शामिल है और उनके पैकेजिंग और भंडारण जिसमें धूमन, स्मोकिंग आदि समाहित है।
  13. तेल बीज निकालना - प्रतिपादन, दबाव, हाइड्रोजनीकरण, निष्कर्षण के साथ शोधन, फिलिंग/पैकेजिंग आदि।
  14. मसाले, सीजनिंग, कोंडीमेंट्स – पिसाई, पेराई, मिलिंग, सिविंग, मिश्रण, सम्मिश्रण, रोस्टिंग, पैकेजिंग, भंडारण, वितरण।
  15. फरमेंटेड उत्पाद और अल्कोहलिक पदार्थों अर्थात वाइन, सिरका, दुग्ध उत्पादों, प्रीबायोटिक्स, प्रोबायोटिक्स आदि, का उत्पादन।
  16. पेय पदार्थों का उत्पादन - रस, आरटीएस, नेक्टर, स्क्वैश, कॉर्डियल, सिरप/शर्बत, सूप, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ आदि।
  17. कोको, कॉफी, कासनी और चाय उत्पादों का उत्पादन; जिसमें कोको बटर, कोको पाउडर, चॉकलेट्स, वेफर्स आदि शामिल हैं।
  18. बेकरी और कन्फेक्शनरी उत्पादों का उत्पादन - बिस्कुट, ब्रेड, केक, कुकीज़, टॉफी आदि।
  19. गन्ने, चुकंदर, ताड़ आदि से गुड़, चीनी, खांडसारी आदि का उत्पादन।
  20. मधुमक्षिकालय उत्पादों का उत्पादन (शहद प्रसंस्करण; प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों शहद)।
  21. स्टार्च और स्टार्च उत्पादों का उत्पादन - साबूदाना, टैपिओका, मक्का, नूडल्स, मैक्रोनी, सेवंई आदि।
  22. पशुओं/जुगाली करने वाले पशुओं/पक्षियों आदि की स्लोटरिंग और उनका प्रसंस्करण।
  23. नट्स प्रसंस्करण; नारियल आधारित उत्पाद प्रसंस्करण जैसे पानी, नट आदि।
  24. अन्य उत्पादों जैसे कि इंस्टेंट मिक्स, रेडी टू ईट (आरटीई) रिटोर्ट-आधारित उत्पादों, पकाने के लिए तैयार और बेवरेज आदि का प्रसंस्करण।
  25. न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद/कार्यात्मक खाद्य पदार्थ/फोर्टीफाइड फूड/समृद्ध भोजन तैयार करना।
  26. जैविक खाद्य उत्पादों का उत्पादन।
  27. शैल्फ जीवन के वर्धन और पैकेजिंग सहित शैवाल और फफूंदीय उत्पादों (जैसे स्पिरुलिना, मशरूम आदि) का प्रसंस्करण।
  28. वृक्षारोपण फसलों का प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण और शैल्फ जीवन का वर्धन।
  29. खाद्य ग्रेड पैकेजिंग सामग्री का उत्पादन जैसे लामिनेट्स, टेट्रा पैक, बोतलें, टिन कंटेनर आदि।

अनुबंध – IV

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी/अधिकता की गणना

उदाहरण:

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर संशोधित दिशानिर्देशों के अंतर्गत वित्‍तीय वर्ष के अंत में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी/अधिकता की गणना के लिए अपनाई जानेवाली पद्धति का उदाहरण टेबल संख्‍या 1 और 2 में प्रस्‍तुत है।

(टेबल 1)

राशि ₹ करोड़ में

समाप्त तिमाही

पीएसएल लक्ष्य
(क)

प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र - बकाया राशि
(
ख)

एमडी के पैरा 7 के अनुसार पहचान किए गए जिलों को वृद्धिशील क्रेडिट पर भारांक के लिए समायोजन
(
ग)

कमी/अधिकता
(
ख)+(ग)-(क)

जून

329615

316938

1625

-11052

सितंबर

308826

311945

-810

2309

दिसंबर

317694

319291

-819

778

मार्च

324560

321347

2925

-288

कुल

1280695

1269521

2921

-8253

औसत

320174

317380

730

-2063


(टेबल 2)

                                                                                                                              राशि ₹ करोड़ में

समाप्त तिमाही

पीएसएल लक्ष्य
(
क)

प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र - बकाया राशि
(
ख)

एमडी के पैरा 7 के अनुसार पहचान किए गए जिलों को वृद्धिशील क्रेडिट पर भारांक के लिए समायोजन
(
ग)

कमी/अधिकता
(
ख)+(ग)-(क)

जून

329615

327967

1500

-148

सितंबर

308826

312378

-729

2823

दिसंबर

317694

327225

975

10506

मार्च

324560

321315

-765

-4010

कुल

1280695

1288885

981

9171

औसत

320174

322221

245

2293

टेबल – 1 में दिए गए उदाहरण में वित्त वर्ष के अंत में बैंक में समग्र कमी ₹2063 करोड़ की है। टेबल – 2 में वित्‍तीय वर्ष के अंत में बैंक में समग्र अधिकता ₹2293 करोड़ की है।

पैरा 7 के अनुसार चिन्हित जिलों में वृद्धिशील ऋण पर भारांक के कारण समायोजन, स्वचालित डाटा निष्कर्षण परियोजना (एडीईपीटी) में बैंकों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार होगा। प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के उप-लक्ष्‍यों की तिमाही और वार्षिक उपलब्धि की गणना के लिए इसी पद्धति का पालन किया जाएगा।

नोट: प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्‍य/उप-लक्ष्‍य की उपलब्धि की गणना, एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर के सममूल्य राशि का ऋण, इनमें से पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाएगी।


परिशिष्‍ट

समेकित परिपत्रों की सूची

क्र. सं. #

परिपत्र सं.

दिनांक

विषय

1.

विसविवि.केंका.पीएसडी.बीसी.सं.7/04.09.01/2024-25

21 जून 2024

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार - मास्टर निदेशों में संशोधन

2.

विवि.सीआरई.आरईसी.18/07.10.002/2023-24

08 जून 2023

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) संबंधी लक्ष्य / उप-लक्ष्य और पीएसएल लक्ष्यों को प्राप्त करने में कमी के प्रति अंशदान – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) – समयावधि में विस्तार

3.

केंका.विसविवि.पीसीडी.सं.एस725/04.09.001/2022-23

11 अगस्त 2022

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल)- गैर-कारपोरेट किसानों के लिए लक्ष्य
वित्तीय वर्ष 2022-23

4.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.5/04.09.01/2022-23

13 मई 2022

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों को आगे उधार देने के उद्देश्य से वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एनबीएफसी और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) द्वारा एनबीएफसी-एमएफआई को उधार          

5.

आरबीआई/2021-22/110
विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.15/04.09.01/2021-22

 

08 अक्तूबर 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार - एनबीएफसी को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण - सुविधा का विस्तार

6.

केंका.विसविवि.प्लान.सं.स 414/04-09-001/2021-22

17 अगस्त 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार : गैर कॉर्पोरेट किसानों के लिए लक्ष्य – वित्तीय वर्ष 2021-22

7.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.10/04.09.01/2021-22

5 मई 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – लघु वित्त बैंक (एसएफबी) द्वारा एनबीएफसी – एमएफआई को आगे उधार दिये जाने हेतु ऋण

8.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.7/04.09.01/2021-22

07 अप्रैल 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) - परक्राम्य माल-गोदाम रसीद (एनडब्ल्यूआर) / इलेक्ट्रॉनिक परक्राम्य माल-गोदाम रसीद (ई-एनडब्ल्यूआर) के बदले बैंक द्वारा उधार दिये जाने हेतु सीमा में वृद्धि

9.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.8/04.09.01/2021-22

07 अप्रैल 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – आगे उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण

10.

केंका.विसविवि.प्लान.सं.स7850/04-09-001/2020-21

16 फरवरी 2021

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – प्रतिभूतिकृत आस्तियों /सीधे एसाइनमेंट में बैंकों द्वारा निवेश पर ब्याज की सीमा

11.

केंका.विसविवि.प्लान.सं.स7519/04-09-001/2020-21

15 फरवरी 2021

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक  इंटर बैंक पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट जारी करना

12.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.8/04.09.01/2020-21

05 नवंबर 2020

बैंकों और एनबीएफसी द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को सह-उधार

13.

डीओआर(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.12/09.09.002/2019-20

24 अप्रैल 2020

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शसबैं) द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य की प्राप्ति में चूक – ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और अन्य निधियों में अंशदान

14.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.19/04.09.01/2019-20

23 मार्च 2020

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य – आगे उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण

15.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.12/04.09.01/2019-20

20 सितंबर 2019

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) – प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत निर्यात का वर्गीकरण

16.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.11/04.09.01/2019-20

19 सितंबर 2019

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी लक्ष्य : गैर कॉर्पोरेट किसानों को उधार – वित्तीय वर्ष 2019-20

17.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.7/04.09.01/2019-20

13 अगस्त 2019

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – आगे उधार दिए जाने हेतु एनबीएफसी को बैंकों द्वारा ऋण

18.

मास्‍टर निदेश विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी सं.08/04.09.01/2019-20

29 जुलाई 2019
(12 मार्च 2020 तक अद्यतन)

मास्‍टर निदेश – प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लघु वित्त बैंक - लक्ष्‍य और वर्गीकरण

19.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.18/04.09.01/2018-19

06 मई 2019

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण

20.

भारतीय बैंकों के संघ को पत्र सं. विसविवि.केंका.प्‍लान.772/04.09.001/2018-19

04 अक्तूबर 2018

समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जारी किए गए विशेष जीओआई प्रतिभूतियों की छूट

21.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.08/04.09.01/2018-19

21 सितंबर 2018

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण की सह-उत्पत्ति (को-ओरिजिनेशन)

22.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.07/04.09.01/2018-19

12 जुलाई 2018

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण : गैर कॉर्पोरेट किसानों को उधार – पिछले तीन वर्षों का प्रणालीगत औसत

23.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.22/04.09.01/2017-18

19 जून 2018

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण

24.

डीसीबीआर.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.07/09.09.002/2017-18

10 मई 2018

प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश

25.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.18/04.09.01/2017-18

1 मार्च 2018

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण

26.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.सं.16/04.09.01/2017-18

21 सितंबर 2017

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण : गैर कॉर्पोरेट किसानों को उधार – पिछले तीन वर्षों का प्रणालीगत औसत

27.

विसविवि.केंका.एसएफबी.सं.9/04.09.001/2017-18

6 जुलाई 2017

लघु वित्‍त बैंक – वित्‍तीय समावेशन और विकास पर दिशानिर्देशों का संग्रह

28.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.सं.17/04.09.001/2016-17

6 अक्तूबर 2016

प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र को उधार – संशोधित रिपोर्टिंग प्रणाली

29.

बैंविवि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17

6 अक्तूबर 2016

लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश

30.

मास्टर निदेश गैबैविवि.पीडी.007 और 008/03.10.119/2016-17

01 सितंबर, 2016 (17 फरवरी 2020 को अद्यतन)

क्रमशः मास्टर निदेश 2016 - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से गैर-महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी, और प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी एवं जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी

31.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.14/04.09.01/2016-17

1 सितंबर 2016

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण : गैर कॉर्पोरेट किसानों को उधार – पिछले तीन वर्षों का प्रणालीगत औसत

32.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.10/04.09.001/2016-17

11 अगस्त 2016

फैक्टरिंग लेनदेन के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार की स्थिति

33.

विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.सं.8/04.09.001/2016-17

28 जुलाई 2016

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण- सूक्ष्म (माइक्रो) वित्त संस्थानों (एमएफआई) को आगे उधार दिए जाने हेतु बैंक ऋण- अर्हक आस्तियां- संशोधित ऋण सीमा

34.

मास्‍टर निदेश विसविवि.केंका.प्‍लान.2/04.09.01/2016-17

7 जुलाई 2016
(18 जून 2019 को अद्यतन)

मास्‍टर निदेश – क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक - प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण

35.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.23/04.09.01/2015-16

07 अप्रैल 2016

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र

36.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

28 मार्च 2016

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत स्वामित्व के लिए बैंक ऋण

37.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

17 मार्च 2016

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र आस्ति के रूप में आईबीपीसी की पात्रता

38.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.सं.14/04.09.01/2015-16

03 दिसंबर 2015

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक - प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण

39.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

27 नवंबर 2015

एसएचजी/जेएलजी को बैंक ऋण - प्रसंस्करण प्रभार

40.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.13/04.09.01/2015-16

18 नवंबर 2015

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण

41.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

7 सितंबर 2015

कमी/अधिकता की गणना

42.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

14 अगस्त 2015

सामाजिक बुनियादी संरचना और आगे उधार दिये जाने हेतु एमएफआई को बैंक ऋण - सामाजिक बुनियादी संरचना

43.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.08/04.09.01/2015-16

16 जुलाई 2015

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण

44.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

26 जून 2015

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण मुद्रा लिमिटेड के साथ बकाया जमा

45.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

12 जून 2015

अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण

46.

डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण

11 जून 2015

कस्टम सेवा इकाइयों को ऋण

47.

विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.54/04.09.01/2014-15

23 अप्रैल 2015

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण

48.

डीसीबीआर.बीपीडी(पीसीबी)परि सं.7/14.01.062/2014-15

19 मार्च 2015

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार – नि:शक्त व्यक्ति (पीडबल्यूडी) - कमजोर वर्ग के अंतर्गत शामिल किया जाना

49.

डीसीबीआर.बीपीडी(पीसीबी)परि सं.5/14.01.062/2014-15

18 फरवरी 2015

अल्पसंख्यक समुदायों के लिए क्रेडिट सुविधाएँ – अल्पसंख्यकों के राष्ट्रीय आयोग (एनसीएम) अधिनियम, 1992 की धारा 2(सी) के तहत जैन समुदाय को शामिल किया जाना

50.

शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.72/13.01.000/2013-14

11 जून 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू ) की धारा 18 और 24 – एफसीएनआर (बी)/एनआरआई जमाराशियां – सीआरआर/एसएलआर बनाए रखने से छूट तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के लक्ष्यों की गणना के लिए एबीसी में शामिल न करना

51.

शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.13/09.22.010/2013-14

10 सितंबर 2013

आवास योजनाओं के लिए वित्त - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक –मरम्मत/परिवर्धन/फेरबदल के लिए ऋण – सीमाओं को बढ़ाना

52.

शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.5/13.01.000/2013-14

27 अगस्त 2013

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(1) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 18 और 24 – एफसीएनआर (बी)/एनआरई जमाराशियां – सीआरआर/एसएलआर बनाए रखने से छूट तथा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्रों को प्रदान किए गए ऋण को एबीसी में शामिल न करना

53.

शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.33/09.09.001/2011-12

18 मई 2012

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण – आवास क्षेत्र को अप्रत्यक्ष वित्त

54.

शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.50/13.05.000(बी)/2010-11

2 जून 2011

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह और संयुक्त देयता समूह को वित्त

55.

शबैंवि.केंका.बीपीडी.सं.70/09.09.001/2009-10

15 जून 2010

कृषि और संबद्ध कार्यकलापों को निर्यात और निर्यात क्रेडिट देने वाले माइक्रो और लघु उद्यमों को अग्रिम

56.

शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी)परि.सं.50/09.09.01/2009-10

25 मार्च 2010

सेवाओं के तहत गतिविधियों का वर्गीकरण

57.

शबैंवि(पीसीबी)परि.सं.26/09.09.001/07-08

30 नवंबर 2007

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - लक्ष्य में संशोधन – यूसीबी

58.

शबैंवि.(पीसीबी).परि.सं.11/09.09.01/07-08

30 अगस्त 2007

यूसीबी के लिए प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार पर संशोधित दिशा निर्देश

59.

शबैंवि.(पीसीबी).परि.सं.11(126ए)/09.09.001/2007-08

30 अगस्त 2007

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम-अल्पसंख्यक सघन जिलों की सूची

 

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