मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश) निदेश, 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश) निदेश, 2025
आरबीआई/2024-25/126 07 जनवरी, 2025 सभी प्राधिकृत व्यक्ति महोदया/महोदय, मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश) निदेश, 2025 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 47 के साथ पठित धारा 6 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक ने भारत में ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश को विनियमित करने के लिए निम्नलिखित विनियम जारी किए हैं: ए. विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमेय पूंजी खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000, दिनांक 03 मई, 2000 की समय-समय पर यथासंशोधित अधिसूचना सं फेमा 1/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित; बी. विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2018, दिनांक 17 दिसंबर, 2018 की समय-समय पर यथासंशोधित अधिसूचना सं. फेमा 3(आर)/2018-आरबी द्वारा अधिसूचित; और सी. विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019, दिनांक 17 अक्टूबर, 2019 की समय-समय पर यथासंशोधित अधिसूचना सं. फेमा.396/2019-आरबी द्वारा अधिसूचित। 2. रिज़र्व बैंक भारत में ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश के संबंध में विभिन्न समयों पर उपर्युक्त विनियमों के अंतर्गत एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्रों के रूप में आवश्यक निदेश तथा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्ल्यू के अंतर्गत भी निदेश जारी करता रहा है। इन निदेशों के अनुबंध-1 में यथानिर्दिष्ट विभिन्न परिपत्रों के माध्यम से जारी किए गए ऐसे निदेशों को समेकित किया गया है और इस मास्टर निदेश में जारी किया गया है। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक मास्टर निदेश की विषय-वस्तु को अपने ग्राहकों के ध्यान में लाएँ। 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) तथा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू के अंतर्गत ये मास्टर निदेश जारी किए गए हैं और ये किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हों, के प्रति पूर्वाग्रह के बिना हैं। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमडी.11/14.01.006/2024-25, दिनांक 07 जनवरी, 2025 मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश) निदेश, 2025 भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे इसके बाद रिज़र्व बैंक कहा गया है) एतद्द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10(4) और 11(1) तथा भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित निदेश जारी करता है। 1. निदेशों का संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और प्रयोज्यता (i) इन निदेशों को मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश) निदेश, 2025 कहा जाएगा। (ii) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। (iii) ये निदेश ऋण लिखतों में पात्र अनिवासियों द्वारा किए गए सभी लेनदेनों पर लागू होंगे। भाग – 1 2. परिभाषाएँ (i) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो: (ए) "कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियां" में विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियम, 2019 की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 1 के उप-पैराग्राफ - ए में निर्दिष्ट सभी लिखत शामिल होंगे, सरकारी प्रतिभूतियों और नगरपालिका बॉण्डों के अलावा जो समय-समय पर संशोधित उस उप-पैराग्राफ के खंड (ए) और खंड (के) में निर्दिष्ट हैं। (बी) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) के लिए "प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो आकार" (सीपीएस) का अर्थ स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के तहत उस एफपीआई को आवंटित राशि से होगा। (सी) "डिफ़ॉल्ट बॉण्ड" का अर्थ होगा गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर/बॉण्ड, जो परिशोधन बॉण्ड के मामले में परिपक्वता या मूल किस्त पर मूलधन के पुनर्भुगतान में पूरी तरह या आंशिक रूप से चूक के अधीन हैं। (डी) "इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी)" का वही अर्थ होगा जो इसे 05 अक्टूबर 2018 के समय-समय पर यथासंशोधित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 की धारा 2(1)(iii) में दिया गया है; (ई) "विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई)" का अर्थ समय-समय पर संशोधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत व्यक्ति होगा। (एफ) "सरकारी प्रतिभूति" का अर्थ सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 की धारा 2 (एफ) के तहत परिभाषित प्रतिभूति से होगा। (जी) "दीर्घकालिक एफपीआई" का अर्थ होगा सॉवरेन वेल्थ फंड, बहुपक्षीय एजेंसियां, पेंशन/बीमा/एंडोमेंट फंड और विदेशी केंद्रीय बैंक। (एच) "मामूली उल्लंघन" का अर्थ उन उल्लंघनों से होगा, जो संरक्षक की राय में, अनजाने में, प्रकृति में अस्थायी हैं या एफपीआई के नियंत्रण से परे कारणों के कारण हुए हैं, और सभी मामलों में पता लगाने पर सही किए जाते हैं। (आई) इन निदेशों के प्रयोजन के लिए "बहुपक्षीय वित्तीय संस्था" से एफ़पीआई अभिप्रेत होगा जो एक बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान है जिसमें भारत सरकार एक सदस्य है। (जे) "अनिवासी" का अर्थ फेमा, 1999 की धारा 2 (डब्ल्यू) के तहत परिभाषित भारत के बाहर निवासी व्यक्ति से होगा। (के) "ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार" का अर्थ ऐसे बाजार होंगे जहां लेनदेन एक्सचेंजों के अलावा किसी भी तरीके से किए जाते हैं और इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) पर निष्पादित लेनदेन शामिल होंगे। (एल) "भारत के बाहर निवासी व्यक्ति" का वही अर्थ होगा जो इसे फेमा, 1999 की धारा 2(डब्ल्यू) के तहत दिया गया है। (एम) "रियल एस्टेट व्यवसाय" का वही अर्थ होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019 की अनुसूची-I में तालिका में मद संख्या 10.2 के नोट (6) के तहत इसे दिया गया है। (एन) "मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज" का वही अर्थ होगा जो प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 की धारा 2 (एफ) में इसे सौंपा गया है। (ओ) "संबंधित एफपीआई" का अर्थ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2019 के विनियमन 22 (3) में परिभाषित 'निवेशक समूह' होगा। (पी) "रेपो" का वही अर्थ होगा जो आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 यू (सी) में इसे सौंपा गया है; और इन निदेशों के प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक की चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत संचालित रेपो शामिल नहीं है। (क्यू) "प्रतिधारण अवधि" का अर्थ उस समय-अवधि से होगा जो एक एफपीआई स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के तहत भारत में सीपीएस को बनाए रखने के लिए स्वेच्छा से प्रतिबद्ध है। (आर) "रिवर्स रेपो" का वही अर्थ होगा जो आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45यू (डी) में इसे दिया गया है; और इन निदेशों के प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक की चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत संचालित रिवर्स रेपो शामिल नहीं है। (एस) "अल्पकालिक निवेश" का अर्थ होगा एक वर्ष तक अवशिष्ट परिपक्वता वाले निवेश। (टी) "विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियां" का अर्थ होगा केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां जो पूर्णत: अभिगमयोग्य मार्ग के तहत निवेश के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिसूचित की जाती हैं। (ii) जिन शब्दों और पदों का प्रयोग इन निदेशों में किया गया है, लेकिन जो परिभाषित नहीं किए गए हैं, उनका वही अर्थ होगा जो फेमा, 1999 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में निर्दिष्ट किया गया है। 3. निवेश चैनल (i) अनिवासियों द्वारा ऋण लिखतों में निवेश के लिए निम्नलिखित चैनल होंगे: (ए) 1विनिर्दिष्ट निवेश सीमाओं और समष्टि-विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन एफपीआई द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के लिए सामान्य मार्ग; (बी) 2निर्धारित प्रतिधारण अवधि के लिए निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध एफपीआई द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के लिए स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग, जो सामान्य मार्ग के तहत ऋण बाजारों में एफपीआई निवेश पर लागू कुछ समष्टि-विवेकपूर्ण सीमाओं से मुक्त है; (सी) बिना किसी प्रतिबंध के केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों ('विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों') की कुछ विनिर्दिष्ट श्रेणियों में गैर-निवासियों द्वारा निवेश के लिए3 पूर्णत: अभिगमयोग्य मार्ग; और (डी) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में पात्र विदेशी निवेशकों द्वारा केंद्र सरकार द्वारा जारी राष्ट्रिक हरित बॉण्ड के व्यापार और निपटान के लिए योजना। भाग – 2 4. सामान्य मार्ग 4.1. पात्र अनिवासी: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 4.2. पात्र लिखत और निवेश सीमाएं
नोट: (ए) निवेश सीमाओं के संगत निरपेक्ष मूल्यों को रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अधिसूचित किया जाएगा। (बी) नगरपालिका बॉण्ड में निवेश की गणना राज्य सरकार की प्रतिभूतियों के लिए निवेश सीमा के तहत की जाएगी। 4.3. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश निम्नलिखित के अनुसार होगा: (i) न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता: कोई भी एफपीआई केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों (ट्रेजरी बिल सहित) और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में किसी भी न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता के बिना निवेश कर सकता है। (ii) अल्पकालिक निवेश सीमा: केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों (ट्रेजरी बिल सहित) और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा एक वर्ष तक अवशिष्ट परिपक्वता के साथ निवेश, प्रत्येक श्रेणी में एफपीआई के कुल निवेश के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। अल्पकालिक निवेश सीमा निवेश पर दिनांत आधार पर लागू होगी। बशर्ते कि सीमा लागू नहीं होगी: (ए) यदि एफपीआई के अल्पकालिक निवेश में पूरी तरह से 27 अप्रैल, 2018 को या उससे पहले किए गए निवेश शामिल हैं; और (बी) 08 जुलाई, 2022 और 31 अक्टूबर, 2022 (दोनों तिथियां शामिल) के बीच किए गए एफपीआई द्वारा निवेश के लिए। (iii) प्रतिभूति-वार सीमा: केंद्र सरकार की किसी भी प्रतिभूति में एफपीआई निवेश, सकल रूप में, प्रतिभूति के बकाया स्टॉक के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। (iv) संकेन्द्रण सीमा: एफपीआई (इसके संबंधित एफपीआई सहित) द्वारा केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में निवेश, दीर्घकालिक एफपीआई के मामले में प्रत्येक श्रेणी के लिए मौजूदा निवेश सीमा के 15 प्रतिशत और अन्य एफपीआई के लिए प्रचलित निवेश सीमा के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। (v) कूपन और बिक्री/मोचन की आय का पुनर्निवेश: (ए) एफपीआई द्वारा केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में कूपन के पुनर्निवेश की गणना, केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों के लिए निर्धारित निवेश की यथालागू सीमा के भीतर की जाएगी। हालांकि, एफपीआई बिना किसी बाधा के कूपन का पुनर्निवेश कर सकते हैं। इस तरह के पुनर्निवेश को सीमाओं के आवधिक पुनर्निर्धारण के समय उपयोग की राशि में जोड़ा जाएगा। (बी) एफपीआई, केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की किसी भी बिक्री/मोचन की आय को बिक्री/मोचन की तारीख से दो कार्य दिवसों के भीतर (बिक्री/मोचन की तारीख सहित) पुनर्निवेश कर सकते हैं, चाहे श्रेणी में सीमाओं की उपलब्धता कुछ भी हो। दो कार्य दिवसों से परे कोई भी पुनर्निवेश उस श्रेणी के लिए सीमाओं की उपलब्धता के अधीन होगा। (vi) क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश के लिए निवेश सीमाओं के उपयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में निवेश के लिए प्रतिभूति-वार सीमा की निगरानी करेगा। सीसीआईएल उपर्युक्त सीमाओं के उपयोग स्तरों का प्रचार-प्रसार करेगा। (vii) सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए सभी लागू सीमाओं के अनुपालन की प्राथमिक जिम्मेदारी एफपीआई और कस्टोडियन की होगी। 4.4 कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश निम्नलिखित के संदर्भ में होगा: (i) न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता: एफपीआई केवल एक वर्ष से अधिक की मूल/अवशिष्ट परिपक्वता वाली कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है। (ii) एफ़पीआई इनमें निवेश नहीं करेगा: (ए) किसी भी वैकल्पिकता खंड के साथ कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियां जो निवेश की तारीख से एक वर्ष के भीतर प्रयोग करने योग्य हैं; (बी) परिपक्वता वाली या पोर्टफोलियो की मैकाले अवधि एक वर्ष से कम4 वाली डेट म्यूचुअल फंड योजनाएं; (सी) आंशिक रूप से भुगतान किए गए ऋण लिखत; और (डी) परिशोधित कॉर्पोरेट ऋण लिखत जहां लिखत की अवधि एक वर्ष तक है। (iii) अल्पकालिक निवेश सीमा: एफपीआई द्वारा कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एक वर्ष तक अवशिष्ट परिपक्वता के साथ निवेश, कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई के कुल निवेश के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। अल्पकालिक निवेश सीमा दिनांत आधार पर निवेश पर लागू होगी। बशर्ते कि सीमा लागू नहीं होगी: (ए) यदि एफपीआई के अल्पकालिक निवेश में पूरी तरह से 27 अप्रैल, 2018 को या उससे पहले किए गए निवेश शामिल हैं; और (बी) 08 जुलाई, 2022 और 31 अक्टूबर, 2022 (दोनों तिथियां शामिल) के बीच एफपीआई द्वारा किए गए निवेश के लिए। (iv) निर्गम-वार सीमा: संबंधित एफपीआई द्वारा निवेश सहित किसी भी एफपीआई द्वारा निवेश, कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों के किसी भी निर्गम के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि संबंधित एफपीआई सहित एफपीआई ने, 15 जून 2018 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 31 के माध्यम से, इस शर्त के लागू होने से पहले किसी एक निर्गम के 50 प्रतिशत से अधिक में निवेश किया था, तो एफपीआई उस निर्गम में तब तक और निवेश नहीं करेंगे जब तक कि इस सीमा का अनुपालन नहीं किया जाता है। (v) संकेन्द्रण सीमा: एफपीआई (संबंधित एफपीआई सहित) द्वारा कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश दीर्घकालिक अवधि के एफपीआई के मामले में इन प्रतिभूतियों के लिए मौजूदा निवेश सीमा के 15 प्रतिशत और अन्य एफपीआई के लिए मौजूदा निवेश सीमा के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। (vi) सार्वजनिक या निजी कंपनियों द्वारा जारी गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर/बॉन्ड के रूप में गैर-सूचीबद्ध कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश रियल एस्टेट कारोबार, पूंजी बाजार और भूमि की खरीद में निवेश पर अंतिम उपयोग प्रतिबंधों के अधीन होगा। (vii) एफपीआई ‘सूचीबद्ध होने वाली’ कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है। यदि कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूति को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर सूचीबद्ध नहीं किया जाता है तो एफपीआई कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूति को निर्गमकर्ता या किसी तीसरे पक्ष को तत्काल बेच देगा। इस प्रयोजन के लिए, ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले एफपीआई को पेशकश की शर्तों में एक खंड शामिल होगा जिसमें निर्गमकर्ता को ऐसी स्थिति में कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूति को तुरंत भुनाने/पुनर्खरीद करने की आवश्यकता होगी। (viii) छूट (ए) न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता, अल्पकालिक निवेश सीमा और निर्गम-वार सीमा निम्नलिखित प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा निवेश पर लागू नहीं होगी: (i) आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों द्वारा जारी प्रतिभूति प्राप्तियां और ऋण लिखत; (ii) दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण द्वारा अनुमोदित समाधान योजना के अनुसार कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत किसी इकाई द्वारा जारी किए गए ऋण लिखत; और (iii) डिफ़ॉल्ट बॉण्ड। (बी) न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता निम्नलिखित प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा निवेश पर लागू नहीं होगी: (i) ऐसी आस्ति, जहां बैंक, वित्तीय संस्थान या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां प्रवर्तक हैं, के प्रतिभूतिकरण के लिए स्थापित विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) द्वारा जारी कोई प्रमाणपत्र या लिखत; और/या (ii) समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतों और प्रतिभूति प्राप्तियों का निर्गम और सूचीकरण) विनियम, 2008 के अनुसार जारी और सूचीबद्ध कोई प्रमाणपत्र या लिखत। (सी) निर्गम-वार सीमा बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों द्वारा कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश पर लागू नहीं होगी। (ix) कोई एफपीआई जो डिफ़ॉल्ट बॉण्ड प्राप्त करने की पेशकश करता है, वह डिबेंचर ट्रस्टियों को उन मौजूदा डिबेंचर धारकों / लाभार्थी मालिकों को की गई अपनी पेशकश की शर्तों का खुलासा करेगा, जिनसे वह बॉण्ड प्राप्त कर रहा है। (x) कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश सीमाओं के उपयोग की निगरानी, सेबी द्वारा समय-समय पर जारी यथालागू विनियमों/निर्देशों/दिशानिर्देशों के अनुसार सेबी के साथ पंजीकृत डिपोजिटरियों द्वारा की जाएगी। (xi) कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश के लिए सभी लागू सीमाओं के अनुपालन की प्राथमिक जिम्मेदारी एफपीआई और कस्टोडियन की होगी। भाग – 3 5. स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) 5.1. पात्र निवेशक: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 5.2. पात्र लिखत: (i) दिनांक 17 अक्टूबर, 2019 की अधिसूचना सं.फेमा.396/2019-आरबी के माध्यम से अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 की अनुसूची-1 के अंतर्गत सूचीबद्ध कोई भी लिखत, घरेलू म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की यूनिटों के अलावा जो इक्विटी में 50 प्रतिशत से कम या उसके बराबर निवेश करते हैं, जैसा कि उस अनुसूची के 1ए(डी) में विनिदष्ट है, और आंशिक रूप से भुगतान किए गए ऋण लिखत। हालांकि, उन ईटीएफ में निवेश की अनुमति होगी जो केवल ऋण लिखत में निवेश करते हैं। (ii) रेपो और रिवर्स रेपो, बशर्ते रेपो के तहत उधार ली गई या उधार दी गई राशि वीआरआर के तहत एफपीआई द्वारा निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। बशर्ते कि: (ए) सार्वजनिक या निजी कंपनियों द्वारा जारी गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर/बॉन्ड के रूप में गैर-सूचीबद्ध कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश रियल एस्टेट कारोबार, पूंजी बाजार और भूमि की खरीद में निवेश पर अंतिम उपयोग प्रतिबंध के अधीन होगा। (बी) एफपीआई ‘सूचीबद्ध होने वाली’ कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है। यदि इस प्रयोजन के लिए सेबी द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूति सूचीबद्ध नहीं हो, तो एफपीआई तुरंत निर्गमकर्ता या किसी तीसरे पक्ष को कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूति बेच देगा। इस प्रयोजन के लिए, ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले एफपीआई को पेशकश की शर्तों में एक खंड शामिल होगा जिसमें निर्गमकर्ता को ऐसी स्थिति में कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूति को तुरंत भुनाने/पुनर्खरीद करने की आवश्यकता होगी। (सी) कोई एफपीआई जो डिफ़ॉल्ट बॉण्ड प्राप्त करने की पेशकश करता है, वह डिबेंचर ट्रस्टियों को मौजूदा डिबेंचर धारकों / लाभार्थी मालिकों को की गई अपनी पेशकश की शर्तों का खुलासा करेगा, जिनसे वह बॉण्ड प्राप्त कर रहा है। 5.3. निवेश सीमा: ₹2,50,000 करोड़5 या उससे अधिक, जैसा कि रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किया जाए। निवेश सीमा एक या अधिक किस्तों में जारी की जा सकती है। (i) निवेश सीमा का आवंटन (ए) इस मार्ग के तहत एफपीआई को निवेश राशि का आवंटन तत्काल (ऑन टैप) किया जाएगा और 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर या नीलामी तंत्र के माध्यम से आवंटित किया जाएगा जैसा कि अनुबंध – 2 में बताया गया है। आवंटन का तरीका रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्येक खेप (ट्रांच) के लिए घोषित किया जाएगा। (बी) तत्काल (ऑन टैप) निवेश राशियों के आवंटन के लिए, एफपीआई अपने संबंधित कस्टोडियन के माध्यम से सीसीआईएल को निवेश सीमा के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। (सी) पेशकश की गई राशि के 100 प्रतिशत से अधिक की मांग के मामले में, एफपीआई (इसके संबंधित एफपीआई सहित) को आवंटित की जा सकने वाली अधिकतम निवेश सीमा टैप या नीलामी के माध्यम से प्रत्येक आवंटन के लिए प्रस्तावित राशि का 50 प्रतिशत होगी। (ii) प्रतिधारण अवधि: न्यूनतम प्रतिधारण अवधि तीन वर्ष या रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्येक खेप (ट्रांच) के लिए घोषित के अनुसार होगी। प्रतिधारण अवधि, सीमा के आवंटन की तारीख से शुरू होगी। बशर्ते कि वैसे एफपीआई के लिए जिसने 22 मई, 2020 के एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र संख्या 32 के अनुसार निवेश करने के लिए अतिरिक्त समय का लाभ उठाया है, निवेश के लिए प्रतिधारण अवधि (निवेश सीमा के आवंटन के समय इसके द्वारा प्रतिबद्ध) को उस तारीख से शुरू करने के लिए रीसेट किया जाएगा जब एफपीआई प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो आकार (सीपीएस) का 75 प्रतिशत निवेश करता है। 5.4. वीआरआर के तहत निवेश (i) एफपीआई, आवंटन की तारीख से तीन महीने के भीतर अपने सीपीएस के कम से कम 75 प्रतिशत का निवेश करेगा और प्रतिबद्ध प्रतिधारण अवधि के दौरान हर समय सीपीएस के न्यूनतम 75 प्रतिशत तक निवेशित रहेगा। इस प्रयोजन के लिए, निवेश में वीआरआर के लिए प्रयुक्त रुपया खातों में नकदी धारिता शामिल होगी। आवश्यक निवेश राशि का पालन दिनांत आधार पर किया जाएगा। (ii) एफपीआई, अपने विवेक पर, सामान्य मार्ग के तहत किए गए अपने निवेश, यदि कोई हो, को वीआरआर में स्थानांतरित कर सकता है। (iii) कस्टोडियन, एफपीआई के नकद खातों से किसी भी प्रत्यावर्तन की अनुमति नहीं देंगे, यदि इस तरह के लेनदेन से एफपीआई की आस्तियां प्रतिधारण अवधि के दौरान सीपीएस के न्यूनतम निर्धारित स्तर 75 प्रतिशत से नीचे आती हैं। (iv) वीआरआर के माध्यम से निवेश से प्राप्त आय को एफपीआई के विवेक पर पुनर्निवेश किया जा सकता है, भले ही ऐसे निवेश सीपीएस से अधिक हों। (v) वीआरआर के माध्यम से किए गए निवेश, किसी न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता आवश्यकता के अधीन नहीं होंगे जिसमें सामान्य मार्ग के अंतर्गत एफपीआई निवेश के लिए यथाविनिर्दिष्ट कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों पर लागू अल्पकालिक सीमा, संकेंद्रण सीमा अथवा निर्गम-वार सीमाएं शामिल हैं। 5.5. बाहर निकलने के प्रावधान: (i) एफपीआई, प्रतिधारण अवधि के अंत में, यह विकल्प चुन सकता है: (ए) अपने पोर्टफोलियो को लिक्विडेट करना और बाहर निकलना; या (बी) अपने निवेश को सामान्य मार्ग में स्थानांतरित करना, बशर्ते सामान्य मार्ग के तहत सीमा की उपलब्धता हो; या (सी) परिपक्वता या बिक्री तक, जो भी पहले हो, अपने निवेश को धारित करना जारी रखना; या (डी) अतिरिक्त समान प्रतिधारण अवधि के लिए निवेश जारी रखना। ऐसे मामले में, एफपीआई प्रतिबद्ध प्रतिधारण अवधि के अंत से पहले अपने कस्टोडियन को इस निर्णय से अवगत कराएगा। इसके बाद, कस्टोडियन इसकी सूचना सीसीआईएल को देगा। (ii) कोई एफपीआई जो प्रतिधारण अवधि के अंत से पहले वीआरआर के तहत अपने निवेश से पूरी तरह या आंशिक रूप से बाहर निकलना चाहता है, वह अपने निवेश को किसी अन्य एफपीआई या एफपीआईयों को बेचकर ऐसा कर सकता है। इस तरह के निवेश को खरीदने वाले एफपीआई (या एफपीआई) को वीआरआर के तहत एफपीआई बेचने पर लागू सभी नियमों और शर्तों का पालन करना होगा। 5.6. कोई एफपीआई, वीआरआर के माध्यम से निवेश के लिए एक या एक से अधिक अलग विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाता/खाते खोलेगा। वीआरआर के माध्यम से निवेश से संबंधित सभी निधि प्रवाह ऐसे खाते (खातों) में दर्शाए जाएंगे। कोई एफपीआई, वीआरआर के तहत ऋण प्रतिभूतियों को रखने के लिए एक अलग प्रतिभूति खाता खोल सकता है। 5.7. सीमाओं का उपयोग और वीआरआर की अन्य आवश्यकताओं का अनुपालन एफपीआई और इसके कस्टोडियन दोनों की जिम्मेदारी होगी। कस्टोडियन यह सुनिश्चित करेंगे कि एफपीआई के पास उपयुक्त कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं ताकि कस्टोडियन यह सुनिश्चित कर सकें कि वीआरआर के तहत निर्देशों का पालन किया जा रहा है। भाग – 4 6. पूर्णत: अभिगमयोग्य मार्ग 6.1. पात्र निवेशक: (i) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, अनिवासी भारतीय और भारत के समुद्रपारीय नागरिक। (ii) भारत के बाहर निवासी कोई अन्य व्यक्ति, जैसा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाए। 6.2. पात्र लिखत ('विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियां'): (i) इन निदेशों के जारी होने की तारीख को एफएआर के तहत शामिल सभी प्रतिभूतियां (अनुबंध–3 में निर्धारित अनुसार); केंद्र सरकार द्वारा 5-वर्ष, 7-वर्ष और 10-वर्ष की परिपक्वता अवधियों के सभी नए निर्गम; और कोई अन्य प्रतिभूति जिसे रिज़र्व बैंक इस संबंध में अधिसूचित करे। (ii) रिज़र्व बैंक समय-समय पर 'विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों' के रूप में नामित की जाने वाली प्रतिभूतियों की नई परिपक्वता अवधि जोड़ सकता है या बदल सकता है। (iii) 'विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियां', एक बार इस प्रकार नामित होने के बाद, परिपक्वता तक एफएआर के तहत निवेश के लिए पात्र रहेंगी। 6.3. इस मार्ग के तहत "विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों" में एफपीआई निवेश, किसी भी निवेश सीमा या समष्टि-विवेकपूर्ण नियंत्रण के अधीन नहीं होगा, जैसा कि सामान्य मार्ग के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए लागू होता है। भाग – 5 7. भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में पात्र निवेशकों द्वारा, भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रिक हरित बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है। ऐसा निवेश, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 29 अगस्त, 2024 के समय-समय पर यथासंशोधित सीओ.एफएमआरडी।एफएमआईए.सं.S242/11-01-051/2024-2025 के माध्यम से अधिसूचित ‘भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र में राष्ट्रिक हरित बॉन्डों के व्यापार और निपटान की योजना’ के अनुसार होगा। भाग – 6 8. अन्य सुविधाएं कोई अनिवासी निम्नलिखित निदेशों के अनुसार विदेशी मुद्रा, ब्याज दर और ऋण डेरिवेटिव में लेन-देन कर सकता है: (i) मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन, दिनांक 05 जुलाई, 2016 के समय-समय पर यथासंशोधित एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. द्वारा जारी; (ii) रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019, दिनांक 26 जून, 2019 के समय-समय पर यथासंशोधित एफएमआरडी.डीआईआरडी.19/14.03.046/2018-19 द्वारा जारी; और (iii) मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव्स) निदेश, 2022, दिनांक 10 फरवरी, 2022 के समय-समय पर यथासंशोधित एफ़एमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.004/2021-22 द्वारा जारी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) में लेनदेन - परिचालन निर्देश पर दिनांक 10 फरवरी, 2022 के समय-समय पर यथासंशोधित एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 23 साथ पठित। 9. ओटीसी बाजारों में सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश (i) एफपीआई, सरकारी प्रतिभूति बाजार, प्राथमिक और द्वितीयक दोनों में भाग ले सकता है। (ii) एफपीआई, एनडीएस-ओएम के प्राथमिक सदस्यों के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों के लिए द्वितीयक बाजार में व्यापार कर सकता है, जिसमें एनडीएस-ओएम वेब मॉड्यूल का उपयोग शामिल है। (iii) सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेनों के लिए मार्जिन का भुगतान : एडी कैट-I बैंक, एफपीआई द्वारा सरकारी प्रतिभूति लेनदेनों के निपटान के लिए सीसीआईएल को मार्जिन देने के प्रयोजन से अपने ऋण जोखिम प्रबंधन ढांचे के अनुसार एफपीआई को उधार दे सकते हैं। (iv) सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेनों की रिपोर्टिंग: एफपीआई द्वारा किए गए सरकारी प्रतिभूतियों में सभी ओटीसी ट्रेडों (एनडीएस-ओएम वेब मॉड्यूल का उपयोग करके किए गए लेनदेन को छोड़कर) को, व्यापार की तारीख पर सरकारी प्रतिभूति बाजार के ट्रेडिंग घंटों की समाप्ति के तीन घंटे के भीतर और इस संबंध में क्लियरकॉर्प डीलिंग सिस्टम्स (इंडिया) लिमिटेड द्वारा जारी परिचालन मार्गदर्शन के अनुसार, एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म को रिपोर्ट किया जाएगा। नोट: (ए) एफपीआई के साथ घरेलू प्रतिपक्षों द्वारा किए गए ट्रेडों के बारे में जानकारी, घरेलू प्रतिपक्ष द्वारा एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म पर व्यापार के एक चरण (लेग) को एक उपयुक्त क्वालिफायर के साथ रिपोर्ट किए जाने के बाद, क्लियरकॉर्प डीलिंग सिस्टम्स (इंडिया) लिमिटेड द्वारा प्रसारित की जाएगी ताकि यह इंगित किया जा सके कि व्यापार प्रतिपक्ष पुष्टि की प्रतीक्षा कर रहा है। (बी) एफपीआई के साथ लेनदेन के लिए घरेलू प्रतिपक्षों सहित घरेलू बाजार सहभागियों को, लेनदेन की रिपोर्टिंग, मौजूदा अभ्यास के अनुसार एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म को करना जारी रखना होगा। (v) सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेनों का निपटान: एफपीआई द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किए गए ओटीसी द्वितीयक बाजार लेनदेनों का निपटान टी+1 या टी+2 आधार पर किया जा सकता है। हालांकि, एनडीएस-ओएम वेब मॉड्यूल के माध्यम से किए गए लेनदेन केवल टी+1 आधार पर निपटाए जाएंगे। 10. केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों (ट्रेजरी बिल सहित), राज्य सरकार की प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश की राशि की गणना प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य के संदर्भ में की जाएगी। भाग – 7 11. रिज़र्व बैंक द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करने की बाध्यता रिज़र्व बैंक अनिवासियों, कस्टोडियन, या ऋण लिखतों में अनिवासी निवेश से जुड़ी किसी अन्य संस्था से वैसी सूचना या विवरण या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है, जो रिज़र्व बैंक की राय में प्रासंगिक है। ऐसे व्यक्ति, एजेंसियां और प्रतिभागी ऐसी सूचना, विवरण या स्पष्टीकरण उस समय के भीतर और रीति से प्रस्तुत करेंगे, जैसा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किया गया हो। 12. आंकड़ों का प्रसार रिज़र्व बैंक या रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति, ऋण लिखतों में अनिवासियों द्वारा लेनदेनों से संबंधित किसी भी अनाम डेटा को प्रकाशित कर सकता है। 13. निर्देशों का उल्लंघन (i) लागू निवेश सीमा या समष्टि-विवेकपूर्ण नियंत्रण के उल्लंघन पर कोई भी लेनदेन स्वीकार नहीं किया जाएगा। लागू निवेश सीमा के उल्लंघन में किए गए किसी भी लेनदेन/निवेश को उलटने की आवश्यकता होगी। (ii) एफपीआई द्वारा कोई भी उल्लंघन सेबी द्वारा निर्धारित विनियामकीय कार्रवाई के अधीन होगा। मामूली उल्लंघन नोटिस किए जाने पर, एफपीआई को कस्टोडियन की मंजूरी से, तुरंत और हर हाल में, उल्लंघन के पांच कार्य दिवसों के भीतर मामूली उल्लंघनों को नियमित करने की अनुमति है। कस्टोडियन, सेबी को उन सभी गैर-मामूली उल्लंघनों के साथ-साथ मामूली उल्लंघनों की रिपोर्ट करेंगे जिन्हें नियमित नहीं किया गया है। 14. इन निदेशों के अंतर्गत पात्र निवेशकों द्वारा निवेश, फेमा, 1999 के अन्य सभी लागू प्रावधानों, और रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर उसके अंतर्गत जारी नियमों, विनियमों और निदेशों द्वारा शासित होंगे, जब तक कि अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) समेकित परिपत्रों की सूची 1. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.25, दिनांक 17 अक्टूबर 2008 2. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.55, दिनांक 29 अप्रैल 2011 3. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.42, दिनांक 03 नवंबर 2011 4. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.89, दिनांक 01 मार्च 2012 5. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.135, दिनांक 25 जून 2012 6. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.7, दिनांक 16 जुलाई 2012 7. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.21, दिनांक 31 अगस्त 2012 8. एपी(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.45, दिनांक 22 अक्टूबर 2012 9. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.80, दिनांक 24 जनवरी 2013 10. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.111, दिनांक 12 जून 2013 11. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.99, दिनांक 29 जनवरी 2014 12. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.104, दिनांक 14 फरवरी 2014 13. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.118, दिनांक 07 अप्रैल 2014 14. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.13, दिनांक 23 जुलाई 2014 15. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22, दिनांक 28 अगस्त 2014 16. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.71, दिनांक 03 फरवरी 2015 17. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.72, दिनांक 05 फरवरी 2015 18. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.73, दिनांक 06 फरवरी 2015 19. एफएमआरडी.डीआईआरडी.06/14.03.007/2014-15, दिनांक 20 मार्च, 2015 20. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.6, दिनांक 16 जुलाई 2015 21. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19 दिनांक 6 अक्टूबर 2015 22. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.31 दिनांक 26 नवंबर 2015 23. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.55, दिनांक 29 मार्च 2016 24. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.4, दिनांक 30 सितंबर 2016 25. एफएमआरडी.डीआईआरडी.08/14.03.007/2016-17, दिनांक 20 अक्टूबर 2016 26. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19, दिनांक 17 नवंबर 2016 27. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.23, दिनांक 27 दिसंबर 2016 28. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.43, दिनांक 31 मार्च 2017 29. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.1, दिनांक 03 जुलाई 2017 30. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.7 दिनांक 28 सितंबर 2017 31. एफएमआरडी.डीआईआरडी.05/14.03.007/2017-18, दिनांक 16 नवंबर, 2017 32. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.14, दिनांक 12 दिसंबर 2017 33. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22, दिनांक 06 अप्रैल 2018 34. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.24, दिनांक 27 अप्रैल 2018 35. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.26, दिनांक 01 मई 2018 36. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.31, दिनांक जून 15, 2018 37. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19, दिनांक 15 फरवरी 2019 38. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.21, दिनांक 01 मार्च 2019 39. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22, दिनांक 01 मार्च 2019 40. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.26, दिनांक 27 मार्च 2019 41. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.33, दिनांक 25 अप्रैल 2019 42. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.34, दिनांक 24 मई 2019 43. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.18, दिनांक 23 जनवरी 2020 44. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.19, दिनांक 23 जनवरी 2020 45. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.24, दिनांक 30 मार्च 2020 46. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.25, दिनांक 30 मार्च 2020 47. एफएमआरडी.एफएमएसडी.सं.25/14.01.006/2019-20, दिनांक 30 मार्च 2020 48. एपी(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.30, दिनांक 15 अप्रैल 2020 49. एपी(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.32, दिनांक 22 मई 2020 50. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.12, दिनांक 26 फरवरी 2021 51. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.14, दिनांक 31 मार्च 2021 52. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.05, दिनांक 31 मई 2021 53. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.06, दिनांक 4 जून 2021 54. एफएमआरडी.एफएमआईडी. सं.05/14.01.006/2021-22, दिनांक 7 जून 2021 55. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.16 दिनांक 08 नवंबर 2021 56. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.22, दिनांक 10 फरवरी 2022 57. एपी(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.01, दिनांक 19 अप्रैल 2022 58. एफएमआरडी.एफएमआईडी.सं.04/14.01.006/2022-23, दिनांक 07 जुलाई 2022 59. एपी(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.07, दिनांक 07 जुलाई 2022 60. एफएमआरडी.एफएमआईडी.सं.07/14.01.006/2022-23, दिनांक 23 जनवरी 2023 61. एफएमआरडी.एफएमआईडी.सं.04/14.01.006/2023-24, दिनांक 08 नवंबर 2023 62. एफएमआरडी.एफएमआईडी.सं.03/14.01.006/2024-25, दिनांक 29 जुलाई 2024 63. एफएमआरडी.एफएमडी.सं.06/14.01.006/2024-25, दिनांक 07 नवंबर 2024 वीआरआर के तहत निवेश राशि के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया वीआरआर के तहत निवेश राशि के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया निम्नानुसार होगी: ए) एफपीआई दो परवर्तियों की बोली लगाएगा - वह राशि जो वह निवेश करने का प्रस्ताव करता है और उस निवेश की प्रतिधारण अवधि, जो उस नीलामी के लिए लागू न्यूनतम प्रतिधारण अवधि से कम नहीं होगी। बी) एफपीआई को कई बोलियां लगाने की अनुमति है। सी) प्रत्येक नीलामी के तहत आवंटन का मानदंड नीलामी में बोली लगाने की प्रतिधारण अवधि होगी। डी) बोलियों को प्रतिधारण अवधि के अवरोही क्रम में स्वीकार किया जाएगा, उच्चतम पहले, जब तक कि स्वीकृत बोलियों की मात्रा नीलामी राशि तक नहीं पहुँच जाती। ई) मार्जिन पर आवंटन (यानी, स्वीकार की गई न्यूनतम प्रतिधारण अवधि पर), यदि मार्जिन पर बोली लगाई गई राशि, आवंटन के लिए उपलब्ध राशि से अधिक है, तो निम्नानुसार होगा: i) सीमांत बोली को आंशिक रूप से आवंटित किया जाएगा ताकि कुल स्वीकृति राशि नीलामी राशि से मेल खाती हो। ii) यदि एक से अधिक सीमांत बोलियां हैं, तो सबसे बड़ी राशि के साथ बोली के लिए आवंटन किया जाएगा, और फिर बोली की राशि के अवरोही क्रम में, जब तक स्वीकृति राशि नीलामी राशि से मेल नहीं खाती। iii) यदि प्रस्तावित राशि दो या अधिक सीमांत बोलियों के लिए समान है, तो राशि समान रूप से आवंटित की जाएगी। एफ) यदि किसी एफपीआई को नीलामी में कई बोलियां आवंटित की गई हैं, तो सीपीएस की गणना प्रत्येक बोली के लिए अलग से की जाएगी। जी) एफपीआई जिसे नीलामी के तहत सीपीएस आवंटित किया गया है, वह बाद की नीलामी में भी भाग लेने के लिए पात्र होगा।
1 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं 19, दिनांक 6 अक्टूबर 2015 के माध्यम से पुर:स्थापित और समय-समय पर यथासंशोधित। 2 समय-समय पर यथासंशोधित एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं.21, दिनांक 01 मार्च, 2019 के माध्यम से पुर:स्थापित। 3 समय-समय पर यथ संशोधित एपी(डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र संख्या 25, दिनांक 30 मार्च, 2020 के माध्यम से पुर:स्थापित। 4 डेट म्यूचुअल फंड योजनाओं का वर्गीकरण और 'पोर्टफोलियो की मैकाले अवधि' अभिव्यक्ति का अर्थ 27 जून, 2024 के म्यूचुअल फंड के लिए सेबी के समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर परिपत्र के अनुसार होगा। 5 दिनांक 01 मार्च 2019 के एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं.21 तहत जारी निदेशों के अनुसार वीआरआर-सरकार या वीआरआर-कॉर्प के तहत आवंटित किसी भी निवेश सीमा को, निदेशों के पैरा 5.3 के अनुसार समग्र सीमा के अंतर्गत निवेश सीमा के रूप में समझा जाएगा। |